मीडिया में एंट्री के लिए पहली बात क्या सीखें...खुशदीप

 


फेसबुक पर Fun Conversation के तहत हालिया पोस्ट में पूछा था न्यूज़ के मायने क्याइसी कड़ी के तहत एक और सवाल किया, किसी युवा को मीडिया में एंट्री के लिए वो क्या बात है जो उसे सबसे पहले आनी चाहिए?


 न्यूज़ के मायने वाली पोस्ट की तरह ही कुछ क्लासिक जवाब इस पोस्ट पर भी आए और कुछ मौज लेने वाले भी. किसी ने मीडिया में एंट्री के लिए आवश्यक बात का एक शब्द में जवाब दिया तो किसी ने विस्तृत. कुल मिलाकर संवाद बहुत रोचक रहा.


पहले आपको मौज वाला जवाब बताता हूं. मेरे ब्लॉगर साथी और शेयर बाज़ार के मास्टर विवेक रस्तोगी ने इसका जवाब दिया- सैटिंग’. 


इसके बाद आता हूं- शॉर्ट में किसने जवाब दिया कि मीडिया में एंट्री के लिए सबसे आवश्यक क्या है.


महफ़ूज़ अली- पढ़ना-लिखना

विकास दीक्षित- जिज्ञासा

पूजा दुबे- सर में मीडिया में नहीं आना चाहती। पर इसका जवाब मुझे लगता है वाकपटुता

सैयद एम मासूम- ड्राफ्टिंग

अल्पयु सिंह-  सवाल पूछना

सलीम अहमद- कॉन्फिडेंस (विश्वास)

मोहिनी भंडारी- विश्वास होना चाहिए कि हम जो बता रहे हैं, वो ही सही है

चंद्र मोहन गुप्ता- किसी भी घटना/ बात को निष्पक्षता से समझने और उसे उसकी मेरिट अनुसार प्रजेंट करने की क्षमता

मुनीष सूद- ख़बर वाली नाक

ऋषभ देव सिंह- पाठन और लेखन में अभ्यस्तता के साथ निष्पक्ष और निर्भीक होना चाहिए

सुनील हंचोरिया- समझना ओर सीखना !

एसकेबी शशांक- ग्राफिक्स/एडिटिंग/एनीमेशन/मॉडलिंग


अब आते हैं, इस सवाल के थोड़े विस्तार वाले जवाबों पर-


सागर राजावत

मीडिया में एंट्री करने के लिए आपको भाषा का ज्ञान और लिखने की कला आना बेहद जरूरी है आप मीडिया के किसी भी रूप में काम करें चाहे वो प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक हर जगह आपकी लेखन शैली को देखा जाएगा.

 

सलीम अख़्तर सिद्दीकी

सिलेबस के अलावा पढ़ना. हर तरह का कंटेंट पढ़ना. अखबार का संपादकीय पेज, वेबसाइट हर तरह के लेख. रिपोर्ट्स और विश्लेषण आदि.

एक अच्छा पाठक ही अच्छा लेखक होता है.


संगीता अस्थाना

धैर्य, संवेदनशीलता, वाकपटुता,जोश, सहजता स्वभाव में तथा सरल से कठिन की ओर एवं सूक्ष्म से स्थूल की ओर चलना होगा

 

मधुलेश पांडेय

सरल भाषा में सही चीज आज कल कोई नहीं चाहता, सबको मिर्च मसाले वाली खबरें चाहिए , मौजूदा हालात में ऐसे ही हलवाई की जरूरत है जो अपने आकाओं के अनुरूप ख़बर छाप सकें.


राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

अगर कोई वास्तव में पत्रकारिता करना चाहता है तो-

1

सर्वप्रथम वह खुद को दृढ़ संकल्पित करे कि वह ईमानदारी के साथ और कर्तव्यनिष्ठ होकर समाज में सत्य को कायम रखेगा व पीड़ित जनता की आवाज बनेगा.

2

पत्रकार अपनी भाषाशैली को ध्यान में रखते हुए मर्यादित होकर कार्य करना होगा । क्योंकि वह सिर्फ भाषा नही बल्कि राष्ट्र के लिए जनता का एक संदेश होता है.

3

चापलूसी और स्वार्थ त्यागने होंगे.

4

पत्रकार को किसी एजेंडे पर काम नही करना है.

इन विशेषताओं को परिपूर्ण ढंग से निभाने वाला ही असली पत्रकार बन पाएगा.

ऐसा करना आज के समय में मुश्किल है पर चीजे मुश्किल हो इसका मतलब ये तो नही कि उनको सही करने का प्रयास ही न किया जाए.

 

कुणाल विक्रम

सर मेरे विचार से मीडिया में एंट्री के लिए आपको दो बातों का ज्ञान जरूरी है:

1.क्या नहीं बोलना और लिखना है, और

2.कब आपको नहीं बोलना है।


पुष्पेश गर्ग

सर

मीडिया अब काफी बदल गया है.

आपने जब शुरू किया और हाल के वर्षों तक इस क्षेत्र में ज्ञान /मेहनत और सच्चाई की प्रधानता रही

नए पत्रकारों की भर्ती हो या पुराने पत्रकारों का सम्मान

उनके ज्ञान / कौशल पर होता था,

लैंगिक असामनता नहीं थी.

आज हालात बिल्कुल विपरीत हैं, आज ज्ञान कि जगह google और मेहनत की जगह जी-हुजूरी और लैंगिक असमानता ने ले ली है.

अगर आप सिर्फ ज्ञान/ मेहनत और सच्चाई के जरिए आज के पत्रकारिता में मुकाम बनाना चाहते हैं , तो डगर काफी कठिन है.

दिन - ब- दिन मीडिया हाउसेस एक बॉलीवुड वाली नकली दुनिया में समाते जा रहे हैं .

हर कोई नकली सा लगता है , मुंह पर कोई और और पीठ पीछे कोई और.

निष्पक्षता अब सिर्फ वाक्यों/पोस्टरों पर रह गईं है, हक़ीक़त इतनी खौफ़नाक है कि हम आप उसे बर्दाश्त ना कर पाएं.

ये मेरे अनुभव है ... हो सकता है मैं पूरी तरह सही नहीं हूं, लेकिन पूरी तरह गलत भी नहीं ..!

 

यहां मैंने हस्तक्षेप करते हुए पुष्पेश के लिए कमेंट किया- आप अपने अंदर की शक्ति पहचानो, उस पर भरोसा रखो, देर सबेर वही शक्ति जीतेगी...हमने जब शुरू किया तो भी कोई 'सतयुग' नहीं था...


सुरेश शर्मा

सबसे पहले खुद को समझना, मेरी जानकारी और मे कहाँ तक सही हूँ जो सही बात अपने से बडे संपादक जी के समक्ष रख पाऊँ ? बाकी भाई जी मेरा इस विषय मे हाथ छोडो सब कुछ कमजोर है पर खुशी यह है सभी फेसबुक मित्रों के माध्यम से कुछ सीख भी लेंगे.

ऊपर लिखे सारे जवाब सही हैं और कुछ न कुछ मायने लिए हैं. मुझे खुशी है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग मीडिया से जुड़े एक बुनियादी और प्रारंभिक विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए आगे आए और मेरे इस प्रयास को सार्थकता देने में मेरी मदद की. ष ले ें कुल मिलाकर संवाद बहुत रोचक रहा.

अब मेरी बात

मीडिया में भविष्य देखने वाले युवा साथी ऊपर लिखे हर मायने को गंभीरता के साथ पढ़ें. ये प्रैक्टिकल जीवन में उनके बहुत काम आएगा. लेकिन मैं अपने अनुभव के आधार पर युवा साथियों से एक और बात कहना चाहूंगा.

वो ये है कि आप जिस दिन से भी ये सोचें कि आपको पत्रकारिता में जाना है तो एक काम अवश्य करिएगा. वो है टाइपिंग सीखना. आप किसी भी मीडिया संस्थान में नौकरी करने जाएंगे तो आपका स्पीड के साथ त्रुटिरहित टाइपिंग करना बहुत काम आएगा. वहां मोबाइल वाली टाइपिंग से काम नहीं चलेगा. आपको रैमिंग्टन या फोनेटिक टाइपिंग आनी ही चाहिए. इससे आपका शुरू से ही बहुत विश्वास बढ़ेगा. 

मैंने देखा है कि कुछ इंटर्न वर्कप्लेस पर आकर पहले कुछ हफ्ते टाइपिंग सीखने और स्पीड बढ़ाने में ही लगा देते हैं. अगर ये आपको पहले से ही आता है तो आप वर्कप्लेस पर अपने समय का सदुपयोग और ज़रूरी चीज़ें सीखने में लगा सकेंगे और आपका आत्मविश्वास भी अधिक रहेगा.

दूसरी बात एक और कहना चाहूंगा कि आप हिन्दी पत्रकारिता में भी आना चाह रहे हैं तो अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद की दक्षता आपके काम को आसान कर देगी. हिन्दी अख़बार हो या न्यूज़ चैनल या डिजिटल पत्रकारिता वहां जगह जगह अनुवाद की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए इसमें जितना पारंगत हो जाएंगे, उतना ही फायदे में रहेंगे. ये मैं अपने प्रैक्टिकल अनुभव के आधार पर कह रहा हूं.


(खुश😊हेल्पलाइन को मेरी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. आप भी मिशन से जुड़ना चाहते हैं और मुझसे अपने दिल की बात करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग के दाएं सबसे ऊपर दी गई विंडो को क्लिक कर फॉर्म भर दीजिए)


 

 

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3 टिप्पणियाँ
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  1. पूरी दुनिया में 'खबर' बदल रही है. कंटेंट और प्रस्तुति दोनों तरह से. जन्मोनुखी पत्रकारिता दम तोड़ रही है.नए लोग ही इसे बचा सकते हैं. नई सोच, नए तेवर और जनता से जुड़ी खबर को आकार देकर. आप की पहल अच्छी है और उम्मीद जगाती है.
    इस खुशरंग पहल के लिएं बधाई 👍

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