बताइए कल अच्छा था या आज...खुशदीप

कल


पहले हमें जेब खर्च के लिए 50 रुपये हर महीने मिला करते थे,

हम उसमें से न स्कूल की आधी छुट्टी में जमकर खाते थे,

बल्कि कुछ न कुछ बचा भी लेते थे...



आज

आज 50 हज़ार रुपये महीना कमाते हैं.

नहीं जानता कि ये रकम जाती कहां है,

बचाने की बात तो छोड़ दीजिए...


बताइए कल अच्छा था या आज...

....



कल

छह विषय हर साल, छह अलग-अलग टीचर,


आज

जब से काम शुरू किया है एक ही प्रोजेक्ट,

और सिर्फ एक मैनेजर...


बताइए कल अच्छा था या आज...

....

कल

हम पढ़ाई के वक्त नोट्स बनाया करते थे,

हम रैंक्स के लिए पढ़ते थे,


आज

हम इ-मेल्स खंगालते रहते हैं,

हमें अपनी रेटिंग्स (टीआरपी या सक्रियता नंबर) की फिक्र रहती है...


बताइए कल अच्छा था या आज...

....

कल

हम स्कूल के अपने साथियों को आज तक नहीं भूले हैं,


आज

हम नहीं जानते कि हमारे साथ वाले घर में कौन रहता है...


बताइए कल अच्छा था या आज...

....

कल

खेलने के बाद थके हारे होने पर भी,

हम अपना होम-वर्क करा करते थे...


आज

आज घर की किसे याद रहती है,

24 घंटे बस काम का ही प्रैशर रहता है...


बताइए कल अच्छा था या आज...

....

कल

हम हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स पढ़ते थे,


आज

अब किताबों की बात तो छोड़ ही दीजिए,

हम अखबार भी सरसरी तौर पर ही देखते है्...


बताइए कल अच्छा था या आज...

.....

कल

हमारा जीवन में एक उद्देश्य था,

हमारे सिर पर टीचरों का हाथ रहता था,



आज

अब हमारे पास भविष्य के लिए न कोई आइडिया है,

और न ही हमें कोई कुछ बताने वाला है...


अब आप दिल पर हाथ रखकर बताइए,


कल अच्छा था या आज...

....


स्लॉग गीत


जगजीत सिंह की ये गज़ल सुनिए...

ये दौलत भी ले लो,
ये शौहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,
मगर मुझको लौटा दो,
बचपन का सावन,
वो कागज़ की कश्ती,
वो बारिश का पानी...

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23 टिप्पणियाँ
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  1. खुशदीप जी,
    आप जो बता रहे हैं उस हिसाब से सभी का जवाब यही होगा कि गुजरा कल आज से अच्छा था। लेकिन गुजरे कल में अनेक अभाव थे जो आज नहीं हैं। समाज ने मात्रात्मक रूप से तरक्की की है। लेकिन उस की वर्तमान व्यवस्था का गुणात्मक रूप से ह्रास हुआ है।
    लेकिन यह मात्रात्मक तरक्की आगे सकारात्मक गुणात्मक परिवर्तन भी लाएगी।

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  2. जब जब जो जो होता है तब तब वो वो अच्छा है.

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  3. कल अच्छा था

    आज अच्छा है

    कल अच्छा होगा
    ____________ये तो झांकी है, देखते चलो और आगे बढ़ते चलो...........

    nice post !

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  4. न कल न आज ----मेरे लिए तो बस... अभी

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  5. khush dip ji aapne kl or aaj kaa frq khub gnitigy andaaz men sikhaaya he lekin kl achcha tha yaa aaj is maamle men to hm aaj bhi asmnjs men hen kyonki kl kl thaa or aaj aaj he kl haath se likhne vaala tha fir chpaayi aayi fir taaip aaya or ab kmpyutr yug he kyaa btaayen kl achcha he ya aaj achchaa he kl bhaayi bhaayi se gle milte the aj bhaayi bhaayi ke churaa ghonpta he kya btaayen kl achcha tha yaa aaj ahcha he lekin aek to sch he ke aap achche hen aapkaa lekn aapka vichar achcha he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  6. बिल्कुल सही बात वैसे तो कल हमेशा ही अच्छा होता है, परंतु हमारी भौतिकवादिता, विलासिता सब बदलती जा रही है।

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  7. दोनों ही अच्छे है | समय के साथ हमारी सोच और जरूरते बदलती रहती है और उसके साथ हमारे आस पास की सब चीजे भी बदलती रहती है | जो हमारे अच्छे के लिए ही बदलती है |

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  8. आज भी बुरा नहीं है, बस देखने का चश्मा ही शायद नहीं बदलते हैं हम ...समय बदलने के बाद भी.

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  9. हमें तो कल के मुकाबले आज का जीवन व्यर्थ प्रतीत होता है जहाँ सच्चाई,ईमानदारी और इंसानियत की कोई कद्र ही नहीं है ,एक व्यक्ति भी बरी मुश्किल से मिलता है जिसमे सत्य को स्वीकारने की क्षमता हो और ईमानदारी से जी सकने का जज्बा हो ,हर व्यक्ति यही कहता है की समय बेईमानों का है इसलिए बेईमान बनो और ऐश करों...? जब बेईमानों को देखता हूँ तो लगता है उनके पास तो कुछ भी नहीं है सिवाय रुपया के ....

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  10. कल
    चीज़े इस्तेमाल के लिए होती थीं और रिश्ते प्यार करने के लिए,

    आज
    उलटा हो गया है,
    अब चीज़ों से प्यार किया जाता है और रिश्ते इस्तेमाल किए जाते हैं...

    जय हिंद...

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  11. कर्म किए जा फ़ल की इच्छा मत कर रे इंसान
    ये है गीता का ज्ञान।

    बेशक कल अच्छा था। लेकिन वो तो चला गया।
    झेलना तो आज को है,
    इसलिए क्यों कल को याद करके आज को बर्बाद किया जाए।
    बस आनंद में रहिए
    और मौज लिजिए।

    जेही बिधि राखे राम-तेही बिधि रहिए

    आने वाला,कल जाने वाला है।

    जय हिंद

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  12. आज को जीने की फुर्सत कहां
    आने वाले कल की सोच से फुर्सत कहां
    न आज में न कल में जीते हैं
    हम तो बस बेकार में जीते हैं

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  13. खुशदीप जी, जिस कल को याद करके हम आज को पसन्‍द नहीं करते वही कल भी कभी आज था और तब भी उसे हम पसन्‍द नहीं करते थे। मनुष्‍य विगत में ही जीता है, बीता हुआ पल उसे लुभाता है और वर्तमान में आनन्दित नहीं होता है।

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  14. खुशदीप जी, क्या बताएँगे कि कल और आज में ये अन्तर क्यों है?

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  15. ना कल बुरा था ना आज बुरा है. असल में बुरा हमारा स्वभाव है, और यह उभोक्तावाद की दौड़ के कारण है. इसी कारण यह भ्रष्टाचार फ़ैल रह है. हम इतने उपभोक्तावादी होते जा रहे हैं कि पैसे के सामने किसी और चीज़ की अहमियत ही नहीं है. पैसे तो पहले के लोग भी कमाते थे, और पैसा कमाना बुरा भी नहीं है. लेकिन पैसे को ही सब कुछ समझ लेना बुरा है.

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  16. कल के इंट पर ही आज की इमारत खड़ी है खुशदीप भाई, आपने इतने वाकये याद करा दिये, मजा आ गया; बहुत बहुत धन्‍यवाद.

    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनांए
    लिंक पे लिंक बनाते चलो ब्‍लॉग की रेंकिंग बढ़ाते चलो

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  17. जो मूड अच्छा तो सब अच्छा,
    मूड खराब, पतलून भी लगे कच्छा

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  18. khushdeep sir,
    Khushnaseeb hai woh log jo bolte hai
    "kal accha tha".

    warna laakho bacche aise hain jo apne maa-baap ka pet bharte hai, pata nahi wo kab bolenge
    "kal accha tha"

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  19. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद यही कहता है कि परिवर्तन का नियम हर वस्तु पर लागू होता है और इस जीवन पर भी । कुछ बातों में यह सकारात्मक हो सकता है और कुछ बातों में नकारात्मक । इसलिये इसका सकारात्मक रूप ही स्वीकार करें । मुक्तिबोध ने कहा है " जो है उससे बेहतर चाहिये " इसलिये कल की तुलना मे आज को बेहतर बनाने का प्रयास करें ।

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