जाह्नवी बेटा,
स्नेहाशीष
सबसे पहले आपको और हर भारतीय को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...आपकी बहुत इच्छा
थी स्वतंत्रता दिवस पर श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की, जो वहां के
दुर्भाग्यपूर्ण हालात की वजह से पूरी नहीं हो सकी...आपको रविवार यानी 14 अगस्त को
स्थानीय प्रशासन ने श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से ही लौटा दिया...
श्रीनगर के एक
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक आप 30 और लोगों के साथ श्रीनगर हवाई अड्डे पर
पहुंची थी...आपके समेत 6 लोग चंडीगढ़ से और 25 अन्य लोग दिल्ली से फ्लाइट पकड़ कर
पहुंचे थे...सभी को बिना कारण बताए ही उन्हीं विमान से वापस भेज दिया गया, जिनसे
वो श्रीनगर पहुंचे थे...
श्रीनगर समेत
पूरी घाटी के जैसे इन दिनों हालात है, उसे देखते हुए प्रशासन ने जिस तरह का कदम
उठाया वो स्वाभाविक ही था...वो कोई ज़ोखिम नहीं ले सकता था...ये संभव था कि सेना
का भारी बंदोबस्त कर लाल चौक पर आपसे तिरंगा फहरवा दिया जाता...लेकिन सेना को पहले
ही वहां मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है...ऐसे में उसका ध्यान बंटवा
कर इस काम में लगा दिया जाता तो ये उचित भी नहीं होता...
अब यहां ये सवाल
उठ सकता है कि भारत की ज़मीन पर तिरंगा नहीं फहराएंगे तो कहां फहराएंगे भला? ये सवाल मोदी सरकार के दिल्ली की सत्ता में
आने से पहले भी बड़ी शिद्दत के साथ पूछा जाता था, ज़ाहिर है अब भी पूछा जाएगा?
अब तो ये सवाल और
भी प्रासंगिक है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में भी सरकार में बीजेपी बराबर की भागीदार
है? ख़ैर, मेरा आपको पाती लिखने का मकसद ऐसे सवालों
में उलझना नहीं है...मेरा मकसद आप जैसी प्रखर बिटिया से संवाद करना है? उस बिटिया से
जिसमें अपार ऊर्जा, विलक्षणता और संभावनाएं नज़र आती हैं...
जाह्नवी बेटा
आपने बीती 23 जुलाई को ऑनलाइन बयान में लाल चौक पर 15 अगस्त को तिरंगा फहराने की
इच्छा जताई थी...आपने ये भी कहा था कि आप लाल चौक पर ही तिरंगा फहराना चाहती हैं
क्योंकि वहां तिरंगे का अपमान हुआ था...आपका ये बयान उसी वक्त आया था जब आतंकी
संगठन हिज़बुल मुजाहीदीन के कमांडर बुरहान वानी के सुरक्षा बलों की कार्रवाई में
मारे जाने के बाद घाटी में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे थे...आपने अलगाववादियों और
पाकिस्तानियों को खुले तौर पर चुनौती भी दी थी कि अगर वो रोक सकते हैं तो आपको तिरंगा
फहराने से रोक कर दिखाएं...लेकिन प्रशासन ने ऐसी नौबत ही नहीं आने दी और आपको एक
दिन पहले ही श्रीनगर से लौटा दिया...
आपने 23 जुलाई को इस आशय
का बयान दिया तब भी आपको देश के मीडिया में भरपूर सुर्खियां मिलीं...रविवार को
आपको लौटा दिया गया तो भी मीडिया ने वैसा ही किया...आपने जो इच्छा जताई थी, उसका
बिना सेना की सहायता लिए पूरा होना नामुमकिन था...बेटा, आप सिर्फ 15 साल के हो, आप
शायद घाटी की वास्तविकता से परिचित ना हों लेकिन आश्चर्य है कि आपको इस बारे में
किसी बड़े ने भी नहीं समझाया...उन 30 बड़े लोगों ने भी नहीं जो आपके
साथ श्रीनगर पहुंचे...जो भी हुआ मीडिया को हेडलाइन्स ज़रूर मिल गई....
जाह्नवी बेटा, आपको
मीडिया ने इस साल मार्च में भी हाथोंहाथ लिया था जब आपने जेएनयू छात्रसंघ के
अध्यक्ष कन्हैया कुमार को कहीं भी, किसी भी वक्त खुली बहस करने की चुनौती दी थी...ये
वो वक्त था जब आप दसवीं के इम्तिहान से
गुज़र रहीं थी...मुझे पूरी उम्मीद है कि आप जैसी मेधावी छात्रा ने दसवीं की
परीक्षा भी बहुत अच्छे नंबरों से पास की होगी और अब ग्यारहवीं में पूरे मनोयोग से पढ़ाई
कर रही होंगी...
इंटरनेट पर जो जानकारी
उपलब्ध है, उसके मुताबिक आपकी पढ़ाई लुधियाना के भाई रणधीर सिंह नगर में स्थित
डीएवी पब्लिक स्कूल में हो रही है...आपके पिता अश्विनी बहल रीयल एस्टेट कारोबारी
हैं जिनका कहना है कि उनका किसी राजनीतिक संगठन से कोई जुड़ाव नहीं रहा
है...अश्विनी बहल पिछले 10 साल से रक्षा ज्योति फाउंडेशन नामक एनजीओ भी चला रहे
हैं...इंटरनेट की जानकारी के मुताबिक आप इस एनजीओ से 2010 में जुड़ गई थीं, तब
आपकी उम्र महज़ 9 साल की होगी...आप इस समय स्वामी विवेकानंद की बॉयोग्राफी पर काम
कर रही हैं जिससे कि हर कोई उनके जीवन के बारे में अच्छी तरह जान सके...
मीडिया रिपोर्ट्स से ये
भी पता चलता है कि आप प्रधानमंत्री के ‘बेटी बचाओ, बेटी
पढ़ाओ’ और स्वच्छ भारत
अभियान से बहुत प्रभावित रही हैं...स्वच्छता अभियान में योगदान के लिए आपको
गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया गया...प्रधानंमंत्री की और से आपको प्रशस्ति
पत्र भी भेजा गया....
जाह्नवी बेटा, छोटी सी
उम्र से ही आपके सामाजिक कार्यों की तरफ रुझान के और भी कई उदाहरण मिलते
हैं...जैसे कि आपने 2014 में नाबालिगों को तंबाकू-शराब बेचने वालों के खिलाफ
स्टिंग ऑपरेशन किया था....
आप मदर टेरेसा से
प्रभावित हैं और आपने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ ‘मां मेरा कि कसूर’ नाम से एक
डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है...इंटरनेट से ये भी पता चलता है कि आपने एडल्ट फिल्मों
और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पॉर्न कंटेट के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाज़ा भी
खटखटाया था...आप उस मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल ड्रेस में ही कोर्ट में गई थीं...
आपके इन सब कार्यकलापों
से आपकी सामाजिक प्रतिबद्धता स्पष्ट है...मैं चाहता हूं कि आप बड़ी होकर अपनी
लीडरशिप क्वालिटी से समाज का सही मार्गदर्शन करें...लेकिन अभी आप सिर्फ 15 साल की
हैं...मनोविज्ञान कहता है कि हर व्यक्ति को अपनी प्रशंसा सुननी अच्छी लगती है...लोकप्रिय
होना कौन पसंद नहीं करता...
मीडिया में किसी को भी इतना स्थान मिले तो वो सातवें
आसमान पर चढ़ सकता है...लेकिन कुछ परिस्थितियों में ये घातक भी हो सकता है...इनसान
को ये लग सकता है कि वो जो कुछ भी करता है दुनिया उसे मान्यता दे और उसकी प्रशंसा
करे...लेकिन ये हर स्थिति में संभव नहीं है...ऐसा भी होता है कि किसी को रातोंरात
हीरो बनाकर ऊंचाई पर चढ़ा दिया जाता है, और फिर उसे ज़मीन पर उतारने में भी
देर नहीं लगती...
इसे ऐसा भी समझे जा सकता है कि किसी बच्चे को कच्ची उम्र में ही
रियलिटी टीवी शोज़ में भेज दिया जाता है....लेकिन वहां बच्चा नाकाम हो जाता है तो
उसकी मनोस्थिति पर क्या असर पड़ता होगा, इसे समझा जा सकता है...हमारे समाज में किसी
के वयस्क होने पर ही माना जाता है कि वो अपने बारे में अब स्वतंत्र निर्णय ले सकता
है...यही वजह है कि हमारे देश में मताधिकार भी वयस्क होने पर ही मिलता है..
जाह्नवी, आप जीवन में जो
बनना चाहती हैं, वो बन कर दिखाएं...आप ऊंचे से ऊंचे मकाम पर पहुंचे...लेकिन अभी आप
उम्र के जिस दौर में हैं, उस बचपन को पूरी तरह जिएं...समाज में जो घट रहा है, उस
पर नज़र रखें, लेकिन पढ़ाई जो इस वक्त आपके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं, उस पर भी
पूरा फोकस रखें...क्योंकि आपके करियर के सारे रास्ते वहीं से खुलेंगे...ऐसे में प्रचार,
राजनीति और मीडिया के मोहपाश से खुद को फिलहाल जितना बचाएं रख सकेंगी, उतना ही आपके लिए
श्रेयस्कर होगा...ये बात आपके घर वाले भी अच्छी तरह समझते होंगे...
आपके उज्ज्वल भविष्य की
कामना के साथ,
खुशदीप
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (17-08-2016) को "क्या सच में गाँव बदल रहे हैं?" (चर्चा अंक-2437) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रिय भाई
जवाब देंहटाएंतुम्हारी इस पोस्ट का उपयोग करना चाहता हूं. तुम्हारा मेल एड्रेस जाने कहां गायब है. मेरा shrikant.asthana@gmail.com है। अनुमति भेज दोगे तो अच्छा लगेगा.
श्रीकांत