ये पोस्ट बरेली के एक साइबर कैफे से लिख रहा हूं...एक दिन के लिए ससुराल आया हूं...बरेली आने का अब मेरे लिए एक अतिरिक्त आकर्षण धीरू भाई (दरबार वाले) से भी मिलना होता है...लेकिन इस बार मेरी शॉर्ट विज़िट की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पाया...मेरी फोन पर धीरू भाई से बात हुई थी...लेकिन आज सुबह ही उन्हें अर्जेंट काम से अलीगढ़ जाना पड़ गया...सुबह धीरू भाई का फोन आया कि वो जाने से पहले मुझसे मिलने आ सकते हैं...लेकिन उस वक्त मैं सपरिवार बरेली के प्राचीन गुरुद्वारे में अरदास के लिए निकल चुका था...
चलिए, ये मुलाकात अगले दौरे पर ही सही...नववर्ष के संदेश मिलना जारी है...एक बहुत ही प्यारा संदेश मिला है...खास तौर पर ब्लॉगवुड के लिए ये बड़ी अहमियत रखता है...
शब्दों को कोई छू नहीं सकता...
लेकिन शब्द हर किसी को छू सकते हैं...
हम अपने अनकहे शब्दों के मास्टर हैं...
लेकिन हम अपने कहे शब्दों के गुलाम हैं...
जो शब्द लिखने हैं, सोच समझ कर लिखिए...क्योंकि बंदूक से निकली गोली और मुंह से निकले शब्दों को सिर्फ रजनीकांत ही वापस ले सकते हैं, हम और आप नहीं...
स्लॉग ओवर
नया साल चढ़ चुका है...31 दिसंबर की रात जिनको चढ़ी थी वो अब तक उतर चुकी होगी...
लेकिन एक पब में एक जनाब उपदेश दे रहे थे...
ज़िंदगी में जब भी कदम लड़खड़ाएं,
और तुम गिर भी जाओ तो घबराना मत,
हिम्मत और हौसले के साथ फिर खड़े होना...
अपने अंदर की पूरी शक्ति बटोर कर पुरज़ोर आवाज़ लगाना...
...
...
...
वेटर...एक पैग और लाओ...
खुशदीप भाई अब पोस्ट ससुराल से लिखी जा रही है तो क्या कहना .वैसे यह बात सौ टका सही है की "बंदूक से निकली गोली और मुंह से निकले शब्द वापस नहीं आते"
जवाब देंहटाएंबिलकुल पते की बातकही ब्लागवुड मे आज इसी सन्देश की जरूरत है। आपको भी सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।8-9 दिन नेट से दूर रही तीनो बेटियाँ सपरिवार आयी हुयी थी।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई,
जवाब देंहटाएंपरिवार में सब को हमारी ओर से नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं बोलियेगा !
पोस्ट तो आपकी मस्त है ही ... यह तो आप भी जानते ही है ! ; - )
जय हिंद !!
वेटर...एक पैग और लाओ...।
जवाब देंहटाएंभाई साब, अब "बस" तो करो,सारी टैक्सियाँ जा चुकी हैं।
नहीं तो 11 नम्बर की सवारी से जनकपुरी जाना पड़ेगा:)
जोर से बोलोलोलोलोलोलोललोलो.............
जवाब देंहटाएंनहीं तो खुद ही खोलो.........ढक्कन........हाहाहाहाहाहा
वैसे जनकपुरी पर तो मेरा राज है। ये कौन से जनकपुरी की बात की है ललित जी ने।
ओह ओह समझा हाहाहहाहाहाह है दूसरी जनकपुरी की बात हो रही है .....ये जनकपुरी मेरे पास नहीं है न इसलिए देरी तो होनी ही थी समझ आने में .लेकिन चंद सेंकेड में ही समझ आ गई ..हाहाहाहाहाहा
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंवाह, वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंस्लाग ओवर मजेदार है.
जवाब देंहटाएंस्लोग ओवर में मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंवेटर...एक पैग और लाओ...
जवाब देंहटाएंkal se sarab nahi peeni hai----
स्लोग ओवर अच्छा था जी
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं ब्लोगिरी । मियां ससुराल में भी नियम नहीं तोडा ।
जवाब देंहटाएंपेग का नहीं , ब्लॉग का ।
आज ३ हो गई हे ओर आप अभी तक वेटर को ओर ला ओर ला बोले जा रहे हे जी, अब बस भी करो,
जवाब देंहटाएंआज हमने भी बरेली से आवाज़ आती देखी :-)
जवाब देंहटाएंनया साल मुबारक हो!
जवाब देंहटाएंअब पैग की नहीं पग आगे धरने की जरूरत है!
Mast, Mazedar :-)
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