कल तक लाखों कमाने वाला अब कराची की रिफ्यूज़ी कॉलोनी में टेलरिंग से करता है गुज़ारा, तालिबान के काबुल में आने के बाद पिछले साल किसी तरह जान बचा कर पहुंचा पाकिस्तान, अफगानिस्तान की दो फिल्मों में कर चुका है काम, तीसरी बिग बजट फिल्म बीच में लटकी
नई दिल्ली (8 अप्रैल)।
ये जनाब 29 साल के फरहाद ख़ान हैं. इन्हें अफगानिस्तान के शाहरुख़ ख़ान नाम से जाना जाता है. अफगानिस्तान के काबुल में 15 अगस्त 2021 को तालिबान की वापसी से पहले फरहाद जैसी शान-ओ-शौकत की ज़िंदगी जी रहे थे, जिस तरह की शोहरत उन्हें हासिल थी, उससे ठीक उलट अब वो कराची के सोहराब गोठ इलाके में अफगान रिफ्यूज़ी बस्ती में तंगहाल ज़िंदगी जीने को मजबूर है. जो शख्स कभी लाखों कमाता था वो अब दर्जी का काम करके मुश्किल से ढाई-तीन सौ रुपए की दिहाड़ी ही कमा पाता है.
किस्मत का सितम यही कम नहीं था. फरहाद की पत्नी ने बिटिया को कुछ महीने पहले जन्म दिया लेकिन पैसे की किल्लत की वजह से सही इलाज न मिल पाने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका. इतने मुश्किल हालात में भी फरहाद के माथे पर शिकन नहीं है. फरहाद का कहना है कि जैसे भी हाल हो, हिम्मत से उनका सामना करना चाहिए.
अब आपको बताते हैं कि फरहाद के अफगानिस्तान के शाहरुख बनने की कहानी
नब्बे के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने के बाद फरहाद का परिवार पाकिस्तान आने पर मजबूर हुआ था. यही फरहाद का बचपन बीता. फरहाद ने जब भारतीय सुपरस्टार शाहरुख़ ख़ान की फिल्म डर देखी तो किंग ख़ान का मुरीद हो गया. फरहाद ने भी एक्टर बनने की ठान ली. शाहरुख की हर फिल्म कई कई बार देखने के साथ फरहाद शाहरुख जैसे ही स्टाइल की कॉपी करने लगा. देवदास जैसी कई फिल्मों के डॉयलॉग भी फरहाद ने रट लिए.
ओरिजनल शाहरुख बनाम डुप्लीकेट शाहरुख़ |
अच्छे रोज़गार की तलाश में 2015 में फरहाद ने इस्तांबुल, टर्की का रुख किया. गुज़ारे के लिए फरहाद ने वहां भी दर्जी का काम किया, लेकिन एक्टिंग का शौक वहां भी बरकरार था. इसका फरहाद ने एक रास्ता निकाला, वो इस्तांबुल के तकसिम स्क्वॉयर के भीड़ भाड़ वाले इलाके में होटलों में शो किया करता था और शाहरुख के डॉयलॉग सुनाया करता था. वहां टर्की के एक प्रोड्यूसर की फरहाद पर नज़र पड़ी और ड्रामा में उसे काम करने का मौका मिल गया. फरहाद के मुताबिक वहां अपने दोस्त ओक्टे के लिए टर्किश ड्रामा इंडस्ट्री में कई प्रोजेक्ट्स में उसने काम किया.
2017 में अफगानिस्तान की शाहीन कंपनी ने फरहाद से कॉन्टेक्ट किया और कहा कि अपने देश में ही आकर फिल्मों में काम करो, अच्छा पैसा भी मिलेगा. वहां फरहाद ने दो फिल्में संगशिकन और शिकार पूरी कीं. उनके शाहरूख़ वाले स्टाइल को अफगान दर्शकों हाथों हाथ लिया. 2020 में फरहाद को तीसरी फिल्म दहशतगर्द मिली जिसका बाद में नाम कमांडो कर दिया गया. ये बिग बजट फिल्म थी, जिसकी यूरोप समेत पांच देशों में शूटिंग हुई. ये फिल्म 70 फीसदी ही पूरी हुई थी कि 15 अगस्त को तालिबान की काबुल में वापसी के बाद सब बदल गया. फिल्में, म्यूज़िक, टीवी मनोरंजन सभी पर बैन लगा दिया गया. सिनेमा हॉल में आग लगा दी गई.
फरहाद के मुताबिक जिस दिन तालिबान काबुल में आए, उस दिन भी फिल्म की शूटिंग चल रही थी. अचानक हर तरफ अफरा तफरी फैल गई. हजारों लोग एयरपोर्ट की ओर भागने लगे कि किसी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकल जाएं. चंद घंटों में सब बदल गया. कैमरा, लाइट्स, पूरे सेट को वहीं छोड़ पूरी फिल्म यूनिट को जान बचाने के लिए भागना पड़ा. हर किसी को अपने परिवार की फिक्र भी थी. फरहाद भी पत्नी के साथ पहले एक वाहन से कंधार तक पहुंचा तो वो वाहन रास्ते में ही खराब हो गया. फिर उन्हें पहाड़ी रास्ते पर लंबा सफर पैदल ही करना पड़ा. किसी तरह वो चमन बार्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचे. पाकिस्तान में फरहाद की दो बहनें होने की वजह से उनकी मुश्किल आसान हुई. कुछ हफ्ते साथ रहने के बाद फरहाद ने छोटा सा मकान किराए पर लिया और फिर टेलरिंग से घर का खर्च चलाना शुरू किया.
फरहाद ख़ान फोटो क्रेडिट टीआरटी वर्ल्ड |
कराची के जिस इलाके में फरहाद रहते हैं, वहां लोग अब भी कम्प्यूटर शॉप पर उनके क्लिप्स अपलोड करते हैं और उनके साथ सेल्फी खिंचवाना पसंद करते हैं. फरहाद की कोशिश है कि किसी तरह पाकिस्तान में फिल्म इंडस्ट्री, ड्रामा या टीवी पर उन्हें एक्टिंग का मौका मिल जाए, वो छोटे से छोटा रोल करने को भी तैयार हैं. इसके लिए वो अपनी उर्दू को भी बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. फरहाद को उम्मीद है कि एक दिन फिर उनके अच्छे दिन ज़रूर लौटेंगे. ये तो रही खैर शाहरुख़ ख़ान के अफगान डुप्लीकेट की कहानी, असल शाहरुख ख़ान का भी अफगान कनेक्शन है. शाहरुख के मुताबिक उनके दादा मीर जान मोहम्मद खान अफगानिस्तान के ही पश्तून .यानि पठान थे.