सूट में 'I Love Punjab' टिक्की बेचते दो भाई



22 साल की उम्र में मोहाली के मनजिंदर और उसका भाई जो कर रहे हैं वो मिसाल; होटल मैनेजमेंट, बड़ी फूड चेन में जॉब के बाद रेहड़ी पर बेचनी शुरू की देसी घी की टिक्की; घरवालों को बिना बताए शुरु किया काम, अब आई लव पंजाबनाम से शॉप खोलने की तैयारी



नई दिल्ली (9 अप्रैल)|

कोई काम बड़ा नहीं, कोई काम छोटा नहीं. अगर इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता. इसी की मिसाल है मोहाली का मनजिंदर सिंह. महज 22 साल की उम्र, सूटेड बूटेड होकर रेहड़ी पर देसी घी की टिक्की बेचता. कंधा बन कर साथ देता भाई वो भी सूट में. लेकिन मनजिंदर में क्या नहीं है, जोश, कॉन्सेप्ट, इस लाइन में ऑन हैंड एक्सपीरियेंस. मनजिंदर ने पहले होटल मैनेंजमेंट किया, फिर डोमिनोज़ जैसे इंटरनेशनल आउटलेट्स में जॉब किया. इसके बाद घऱवालों को बिना बताए दोनों भाइयों ने अपनी सेविंग्स समेत किसी तरह ढाई लाख रुपए जुटाए और आई लव पंजाब नाम से एक स्टाल बना लिया. पहले चाय से शुरुआत की. फिर टिक्की, गोलगप्पे, पापड़ी-चाट की ओर शिफ्ट कर लिया. साथ में तरह-तरह के मॉकटेल्स भी सर्व करने लगे.

 इन भाइयों को देसी घी में टिक्की तलते देखिए. तेज़ी से चलते इनके हाथ. लेकिन मज़ाल है कि कोई दाग़ सूट पर आने दें. इनकी मेहनत और यूनिक स्टाइल, ऊपर से गज़ब के स्वाद की वजह से इनके यहां कस्टमर्स की लाइन लगनी शुरू हो गई. दोनों भाई इसे वाहे गुरु की मेहर मानते हैं.

 सुबह 6 बजे इनका दिन शुरू होता है और देर रात तक इनकी मेहनत नॉन स्टॉप चलती है. ये अपनी अच्छी सेल का राज हर चीज़ फ्रेश और शुद्ध मिलने को बताते हैं. इन्होंने टिक्की बनाने के लिए तांबे का तवा भी खास तौर पर लखनऊ से मंगाया.

 मनजिंदर और उनके भाई का यहीं रुकने का इरादा नहीं है, अब इन्होंने 11-20 सेक्टर के पेट्रोल पंप के पीछे एक शॉप भी ले ली है. जल्दी ही आई लव पंजाब नाम से ही उसकी ओपनिंग करेंगे. मनजिंदर का कहना है कि तब वो अपने घरवालों को वहां बुलाकर उनका आशीर्वाद ज़रूर लेंगे. कोविड की वजह से दोनों भाइयों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा लेकिन उनके कुछ कर दिखाने के जज़्बे ने कभी हार नहीं मानी. आज इनके पास इतना काम है कि तीन-चार और लोगों को भी रोज़गार दे रहे हैं.

 मनजिंदर और उसका भाई देश के हर युवा के लिए मिसाल होने चाहिएं...जब अच्छी नौकरियों का अकाल हो, बेरोज़गारी विकराल हो तो इन भाइयों जैसी सोच अपनाने से क्या नहीं किया जा सकता. विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र अपना खर्च चलाने के लिए फूड चेन्स में पार्ट टाइम काम करते हैं. हमारे देश में भी धीरे-धीरे ही सही ये कल्चर आनी शुरू हो गई है लेकिन इसे बड़ा मूवमेंट बनने में टाइम लगेगा. काम कोई भी हो उसमें किसी तरह की शर्म नहीं बल्कि गौरव महसूस किया जाना चाहिए. हर किसी को ऐसे मेहनती नौजवानों का हौसला बढ़ाना चाहिए.

 वाकई मन जीत लिया मनजिंदर...

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