Watch: भारतीय डॉक्टर ने 1997 में ही इनसान में कर दिया था सुअर का दिल इंप्लांट


जो अमेरिका में डॉक्टर्स ने अब किया वो 25 साल पहले ही कर चुके डॉ धनीराम बरूआ, 1997 में डॉ बरूआ ने किया था 32 साल के पूर्णो सेकिया में सुअर का दिल फिट, इंप्लांट के एक हफ्ते बाद ही हो गई थी पूर्णो सेकिया की मौत, 40 दिन जेल में रहे थे डॉ बरूआ



नई दिल्ली (13 जनवरी)।

 क्या दुनिया में पहली बार किसी इनसान के दिल में सुअर का दिल इम्पलांट किया गया है? यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलेंड मेडिकल सेंटर के सर्जन्स की टीम ने 57 साल के शख्स डेविड बेनैट पर पिछले हफ्ते सुअर के दिल को फिट किया. साथ ही दावा किया गया कि पहली बार दुनिया में किसी इनसान के दिल में सुअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया. इस सर्जरी की अगुआई करने वाले डॉ बार्टले ग्रिफिथ ने कहा कि ये लैंड मार्क सर्जरी है और हमें ऑरगन शार्टेज संकट को दूर करने के एक और कदम पास ले आई है. डॉ ग्रिफिथ ने ये भी कहा कि ये दुनिया की पहली सर्जरी है जो भविष्य में मरीजों को एक नया अहम विकल्प मुहैया कराएगी. डेविड बेनैट को सुअर का दिल इम्पलांट करने वाली डॉक्टर्स की टीम में पाकिस्तानी मूल के डॉ मंसूर मोहिउद्दीन भी शामिल रहे.

लेकिन डॉ बार्टले ग्रिफिथ दुनिया में पहले तरह के इस इम्पलांट का दावा कर रहे थे तो एक शख्स का नाम लेना भूल गए. वो शख्स हैं भारत के असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी में रहने वाले डॉ धनीराम बरूआ का. डॉ बरूआ इसी तरह से सुअर के दिल को किसी इनसान में 25 साल पहले ही फिट कर चुके थे. गुवाहाटी के बाहरी इलाके सोनापुर में डॉ बरूआ ने धनीराम बरूआ हार्ट इंस्टीट्यूट एंड इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड ह्यूमन जेनेटिक इंजीनियरिंग में ये इम्पलांट किया था.

अमेरिका में इनसान को सुअर का दिल इंप्लांट करने की खबर सुनकर डॉ बरूआ बहुत खुश हैं. ये जानकारी उनके साथ लंबे समय से काम करने वाली डॉ गीता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दी. डॉ बरूआ की 2016 में उनके ब्रेन की सर्जरी होने की वजह से वो अब ठीक से बोल नहीं पाते हैं.

डॉ बरूआ अब 72 साल के हैं. जिस 32 साल के पेशेंट पर उन्होंने अपना एक्सपेरिमेंट किया था, उनका नाम था पूर्णो सेकिया. हालांकि सुअर का दिल इम्पलांट किए जाने के बाद पूर्णो सेकिया एक हफ्ता ही जीवित रह पाए थे और इन्फेकशन की वजह से उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद डॉ बरूआ को भारी जन आक्रोश का सामना करना पड़ा था. उन्हें 40 दिन जेल भी में रहना पड़ा था. डॉ बरूआ को 1994 ऑरगन ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. दिलचस्प ये है कि जिस एक्ट के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई थी वो तब तक लागू भी नहीं हुआ था. डॉ बरूआ की गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद ये एक्ट वजूद में आया था. डॉ बरूआ ने दावा किया था कि सुअर के दिल का इम्पलांट ट्रांसप्लान्टेशन ऑफ ह्यूमन आर्गन्स के तहत नहीं आता क्योंकि ये ज़ीनो ट्रांस्पलांटेशन यानि जानवर से मानव में है.

उस वक्त जांच से ये भी पता चला था कि धनीराम हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर ने ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत जरूरी रजिस्ट्रेशन नहीं था. असम सरकार ने अपनी जांच में डॉ बरूआ की ओर से किए गए प्रोसीजर को अनैतिक माना.

कानूनी कार्रवाई से अधिक डॉ बरूआ को बरसों से जमी हुई साख जाने का मलाल था. जब बरूआ जेल से वापस आए तो उनका क्लीनिक तोड़फोड़ दिया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ बरूआ फिर डेढ़ साल तक घर में ही नज़रबंद रहे. लेकिन इतना सब होने के बावजूद डॉ बरूआ ने अपना रिसर्च वर्क जारी रखा. लोगों की ओर से मखौल उड़ाए जाने से बेअसर वो अपनी धुन में जुटे रहे.

ग्लासगो से एफआरसीएस और कार्डियक सर्जन डॉ बरूआ ने 2008 में दावा किया था कि उन्होने जेनेटिकल इंजीनियरिंग से वैक्सीन तैयार की है जो जन्मजात दिल के विकारों को ठीक कर सकती है. डॉ बरूआ ने 2015 में HIV एड्स के मरीजों के लिए इलाज ढूढने का दावा किया और साथ ही कहा कि उन्होंने सात आठ साल में 86 लोगों को ठीक किया आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व बरूआ 21 के फाउंडर डॉ बरूआ ने 2007 में मैजिक मॉलीक्यूल्स बरूआ अल्फा डीएच 22 और बरूआ बीटा डीएच2 ढूंढने का दावा किया था जो बाईपास सर्जरी के दर्द को दूर करने में मदद करते हैं. उन्होने कहा था कि दस साल की रिसर्च के बाद खाने वाले औषधीय पौधों से बनाए गए.

दुर्भाग्य से न तो असम सरकार और न ही केंद्र सरकार ने डॉ बरूआ की प्रतिभा को पहचाना और न ही उन्हें रिसर्च वर्क में कोई सपोर्ट दिया. इससे उलट अमेरिका में अब जो इंसान में सुअर का दिल इम्पलांट हुआ उसके लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने University of Maryland Medical Centre (UCMC) के डॉक्टरों को को हाल ही में इमरजेंसी इजाजत दी.

ये भी देखें-



एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (14-01-2022 ) को 'सुधरेगा परिवेश अब, सबको यह विश्वास' (चर्चा अंक 4309) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं