ऑनलाइन शॉपिंग: डेबिट कार्ड यूज़ करते हैं तो सावधान!

Credit- RBI blog


ऑनलाइन खरीदारी के लिए डेबिट कार्ड की तुलना में क्रेडिट कार्ड अधिक सुरक्षित, डेबिट कार्ड यूज़ करने पर फ्रॉड की स्थिति में बैंक में जमा रक़म खोने का ख़तरा, क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़ होने पर नुक़सान से निपटने का ज़िम्मा मर्चेंट या बैंक का,डेबिट कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो अतिरिक्त सुरक्षा बरतना ज़रूरी



नई दिल्ली (2 नवंबर)।

जब आप ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, तो आप पेमेंट कैसे करते हैं? आप 'कैश ऑन डिलीवरी' का ऑप्शन चुनते हैं या कार्ड पेमेंट करते हैं? अगर कार्ड से करते हैं तो डेबिट या क्रेडिट में से किससे ? अगर आपका जवाब डेबिट कार्ड है, तो एक्सपर्ट्स आपको अलर्ट रहने की सलाह दे रहे हैं. 

ऑनलाइन या ऑफलाइन खरीदारी के लिए डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर सावधानी की सलाह ऐसी स्थिति के लिए भी है जब अतिरिक्त पासवर्ड या पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर या पिन का प्रावधान भी इस्तेमाल किया जा रहा होता है.

डेबिट कार्ड बनाम क्रेडिट कार्ड 

हम जानते हैं कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के बीच अहम फर्क क्या है. क्रेडिट कार्ड की एक लिमिट होती है कि आप कितना खर्च कर सकते हैं, जबकि डेबिट कार्ड की सीमा सीधे सीधे इस बात से जुड़ी होती है कि बैंक में आपकी कितनी रकम जमा है. मोटे शब्दों में कहा जाए तो जब आप क्रेडिट कार्ड यूज़ करते हैं तो उस पैसे का इस्तेमाल करते हैं जो आपके पास फिलहाल नहीं है, बैंक उसका पेमेंट कर रहा है और आपको उसका एक निश्चित साइकल के बाद भुगतान करना होता है. देर करने पर लोन की तरह ब्याज भी देना पड़ता है. वहीं अगर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते तो आप उसी पैसे का इस्तेमाल करते हैं जो आपने खुद बैंक में जमा कराया हुआ है.

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर ऊंचे ब्याज वाला लोन एक नेगेटिव पहलू है जो अक्सर आम जनता को इसका यूज करने से रोकता है. लेकिन डेबिट कार्ड की तुलना में क्रेडिट कार्ड का ये फायदा है कि ऑनलाइन फ्रॉड की स्थिति में आप अपनी मेहनत की सारी कमाई से हाथ धोने से बच सकते हैं.

सब जानते हैं कि ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं अब कोई गैर मामूली बात नहीं रहीं. साइबर क्राइम के पीछे कुछ आर्गेनाइज्ड गिरोह काम कर रहे हैं. अगर आपका डेबिट कार्ड ऑनलाइन फ्रॉड की वजह से कम्परोमाइज़ हो जाता है तो आप अपने खाते में जमा पूरी रकम से हाथ धो सकते हैं.  




लेकिन अगर आपके क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़ होती है तो क्या होता है, ऐसी स्थिति में आम तौर पर कंज्यूमर पर नहीं पेमेंट की जिम्मेदारी मर्चेंट या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक की होती है. बहुत अपवाद केस में ही कंज्यूमर को ज़िम्मेदार माना जाता है. 

जब कोई जालसाज़ आपके क्रेडिट कार्ड या उसके नंबर का अवैध रूप से उपयोग करता है तो नुक़सान की कौन भरपाई करता है? इसका जवाब आम तौर पर या तो वो व्यापारी या मर्चेंट होता है जहां से आपने खरीदारी की थी या वो बैंक जिसने आपको क्रेडिट कार्ड जारी किया था. यह हालात पर निर्भर करता है. बहुत अपवाद में ही कार्ड होल्डर को नुक़सान सहना पड़ता है.

क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़ पर नुक़सान की ज़िम्मेदारी मर्चेंट या बैंक पर

अगर क्रेडिट कार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है, तो कार्ड जारीकर्ता बैंक आमतौर पर पुराने नंबर को रद्द कर देता है और थोड़े सी औपचारिकताओं के साथ एक नया कार्ड जारी करता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंकों और क्रेडिट कार्ड नेटवर्क, जैसे कि वीज़ा और मास्टरकार्ड की पालिसिज हैं जो वादा करती हैं कि अनआथराइज्ड चार्जेस के लिए कंज्यूमर ज़िम्मेदार नहीं होंगे, ऐसी पॉलिसीज को जीरो लायबिलिटी पॉलिसीज कहा जाता है. भले ही आपके क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़ की गई हो और आपकी इजाज़त के बिना उसका इस्तेमाल किया गया हो, यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह फ्रॉड को डिटेक्ट करे और उससे बचे. ये जिम्मेदारी आपकी नहीं है. 

यदि आपके क्रेडिट कार्ड का मिसयूज़ किया गया है, तो आप हमेशा बैंक को समझा सकते हैं कि यह धोखाधड़ी का मामला है और आप इसके लिए जवाबदेह नहीं हैं.ज्यादातर मामलों में, बैंक लेन-देन की जांच करेंगे और जब उन्हें पता चलेगा कि आपके आरोप सही हैं, तो वे आपसे धोखाधड़ी वाले लेनदेन के लिए अहम चार्जेस नहीं लेंगे।

डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के मामले में भी, आप बैंक को अपने कार्ड के मिसयूज के बारे में बता सकते हैं और मुमकिन है कि आपको पैसा वापस मिल जाए. डेबिट कार्ड के मामले में फर्क ये है कि आप पहले पैसे खो देंगे और फिर - यदि आपका बैंक आपके दावे को सही पाता है - तो आपको वह वापस मिल जाएगा।

यदि आपके क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग किया जाता है, तो आप कोई पैसा नहीं खोएंगे, जब तक कि बाद की स्टेज में आपका बैंक आपके फ्रॉड के दावे को स्वीकार करने से इनकार नहीं करता है और आपसे पेमेंट करने के लिए कहता है. इस स्थिति में भी आपको फिर विरोध करने का अधिकार मिलता है.  
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड में जो बड़ा फर्क है वो ये है कि क्रेडिट कार्ड में ट्राजेक्शन के बीच एक गैप रहता है. आपको पैसे का भुगता क्रेडिट कार्ड बिलंग साइकिल के अंत में करना होता है.

डेबिट कार्ड की तुलना में क्रेडिट कार्ड में जोख़िम कम

ऑनलाइन आइटम खरीदते समय क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना बेहतर है क्योंकि क्योंकि यह आपको धोखाधड़ी के मामले में क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक के जरिए चार्जेस को चैलेंज करने की क्षमता देता है.
क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक आपको ऑनलाइन खरीदारी करते वक्त एक का वर्चुअल कार्ड नंबर बनाने और इस्तेमाल की अनुमति भी देते हैं. इससे फ्रॉड को रोका जा सकता है. क्योंकि इसे एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है और जो कोई भी इसे इंटरसेप्ट करता है वो इसे फिर से इस्तेमाल करने या आपके असली कार्ड नंबर से जोड़ने में सक्षम नहीं हो सकता.

अब तक आप समझ ही गए होंगे कि ऑनलाइन खर्च करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना डेबिट कार्ड की जगह अधिक सेफ है.

डेबिट कार्ड यूज़ कर रहे हैं तो बरतें ये सावधानियां 



अगर आपके पास सिर्फ डेबिट कार्ड ही है तो भी आप कुछ सेफ्टी उपाय कर सकते हैं. ऑनलाइन खरीदारी के लिए इस्तेमाल करने वाले डेबिट कार्ड से जुड़े खाते में सीमित या कम अमाउंट रखने से फ्रॉड के नुकसान को कम से कम रखा जा सकता है. इसके अलावा आप हर दिन खाते से पैसे के विद्ड्रॉल की एक लिमिट बांध सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे एटीएम से एक दिन में पैसे निकालने की एक लिमिट निर्धारित होती है. अगर आपके खाते में बैंक ने ओवरड्राफ्ट की सुविधा दे रखी है तो असामान्य अधिक विदड्रॉल की स्थिति में आप उसे ऑटोमैटिकली बंद करा सकते हैं. एक और तरीका अपनी देनदारी को सीमित रखने का प्रीपेड डेबिट कार्ड के तौर पर उपलब्ध है. कोई आपके कार्ड तक जालसाजी से पहुंच बना भी लेता है तो उसी रकम तक ही सेंध लगा पाएगा जो आपके कार्ड पर लोड है.

लीगल तौर पर क्रेडिट कार्ड फ्रॉड वाली एक्टिविटीज से आपको अधिक सेफ्टी देते हैं. लेकिन डेबिट कार्ड की स्थिति में कुछ सावधानियां बरतने से अपनी पसीने की कमाई को जालसाज़ों के हाथों में खोने से बचा जा सकता है. अब ये आपको तय करना है कि पेमेंट के लिए कौन सा तरीका आपके लिए सही है, चाहे आप ऑनलाइन खर्च कर रहे हों या स्टोर में स्वाइप कर रहे हों. 

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