राजनीतिक विमर्श को प्रभावित करने के मकसद से चलाए जाने वाले सोशल मीडिया नेटवर्क का पर्दाफाश, बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नेटवर्क के 80 फर्ज़ी खाते हुए बंद, पंजाबी फिल्मी अभिनेत्रियों की तस्वीरों का किया गया इस्तेमाल
नई दिल्ली (26 नवंबर)।
क्या राजनीतिक विमर्श जीतने के लिए सिख
बनकर फर्ज़ी सोशल मीडिया खातों के जरिए सिखों के खिलाफ ही चलाया जा रहा था अभियान? बीबीसी के साथ साझा की गई एक रिपोर्ट
के मुताबिक ऐसे ही फर्ज़ी खातों के एक नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है. इस नेटवर्क इस रिपोर्ट में उन 80 सोशल मीडिया खातों की पहचान की गयी है जिन्हें अब
फ़र्ज़ी होने की वजह से बंद कर दिया गया है. रिपोर्ट के लेखक बेंजामिन स्ट्रिक के
मुताबिक इस नेटवर्क के लिए फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम खातों का इस्तेमाल किया
गया.
नेटवर्क ने सॉक पपेट अकाउंट्स का इस्तेमाल कर पंजाबी फिल्म अभिनेत्रियों की
तस्वीरों का यूज़ करके उन्हें अलग-अलग नाम दिए गए. 'सॉक पपेट' अकाउंट्स ऑटोमेटेड
बोट्स नहीं होते बल्कि ये फ़र्ज़ी सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं. लेकिन इन्हें
असली लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.
इन फ़र्ज़ी खातों को "रियल सिख" हैशटैग का इस्तेमाल करते देखा गया. गैर मुनाफाकारी आधार पर चलाए जाने वाले सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन रेज़िलिएंस (सीआईआर) की रिपोर्ट में सामने आया है कि इस नेटवर्क में एक ही फ़र्ज़ी प्रोफाइल को अलग-अलग मंचों पर इस्तेमाल किया गया. इन अकाउंट्स के नाम, प्रोफाइल पिक्चर, और कवर फोटो भी एक ही थी. यही नहीं, इन प्रोफाइलों से एक जैसी पोस्ट भी की गईं.
इनमें से कई अकाउंट्स पर सिलेब्रिटीज़ की तस्वीरें इस्तेमाल की गयीं जिनमें
पंजाबी फिल्म अभिनेत्रियों की तस्वीरें शामिल हैं. किसी सोशल मीडिया अकाउंट पर
सिलेब्रिटी की तस्वीर का इस्तेमाल ये साबित नहीं करता कि वह अकाउंट फ़र्ज़ी है. लेकिन लगातार संदेशों, बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले हैशटैग, एक जैसी बायोग्राफ़ी
डिटेल्स और उनको फॉलो करने वालों के पैटर्न के साथ तस्वीरों को देखा जाए तो ये सब
उन सबूतों को बल देते हैं जो ये कहते हैं कि ये खाते नकली थे.
बता दें कि हाल में भारत सरकार की ओर से जिन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने
का एलान किया गया, उनके खिलाफ सबसे पहले पंजाब के किसानों ने ही लगभग सवा साल पहले
आंदोलन की शुरुआत की थी. जिस नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है उसने किसान आंदोलन को भी
अवैध घोषित करने की कोशिश की थी. साथ ही ऐसे दावे किए गए थे कि किसान आंदोलन को
अलगाववादी तत्वों ने हाईजैक कर लिया है.
नेटवर्क के फ़र्जी खातों के हज़ारों फॉलोअर थे और इस नेटवर्क की पोस्ट को असली सोशल मीडिया
उपभोक्ताओं द्वारा लाइक और रिट्वीट किया जाता था. इस नेटवर्क के ज़रिए जो सामग्री
तैयार की गयी है, वह ज़्यादातर अंग्रेजी में है. बीबीसी ने ये रिपोर्ट ट्विटर और फेसबुक एवं
इंस्टाग्राम चलाने वाली कंपनी मेटा के साथ साझा की है. इसके साथ ही इस पर उनकी
टिप्पणी मांगी है. बीबीसी के
मुताबिक ट्विटर ने मंच का दुरुपयोग करने के नाम
पर इन अकाउंट्स को बंद कर दिया है. मेटा ने भी इन खातों को फेसबुक और
इंस्टाग्राम पर नीतियों के उल्लंघन की वजह से बंद कर दिया है.