वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे, गांधी को दुनिया
से गए 73 साल बीतने के बाद भी उनका विचार अजर-अमर
नई दिल्ली (6
अक्टूबर)।
गांधी को लेकर कुछ कहा जाए उससे पहले यूपी
के संभल जिले से इस साल गांधी जयंती पर सामने आई तस्वीरों का जिक्र कर लिया जाए.
वहां बापू की मूर्ति के सामने बिलख बिलख कर समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला
उपाध्यक्ष ग़ालिब ख़ान अपना दर्द व्यक्त कर रहे थे. उनके कुछ साथी-संगी भी बड़े
गमगीन लग रहे थे. ग़ालिब बापू बापू कह रहे थे, साथी संगी उन्हें हौसला दे रहे थे.
यहां ये ज़िक्र करना ज़रूरी है कि दो साल पहले भी बापू की मूर्ति से बातें करतें
और रोते हुए एक शख़्स की तस्वीरें बहुत वायरल हुई थीं. वो शख्स समाजवादी पार्टी के
पूर्व जिला अध्यक्ष फिरोज़ ख़ान थे. वो भी अपने चेले-चपाटों के साथ रोते हुए बापू
की मूर्ति के सामने इन शब्दों के साथ अपना दर्द जता रहे थे, इतना बड़ा देश, इतनी
बड़ी उपलब्धि देकर बापू हमें अकेला छोड़ कर कहां चले गए. वो वीडियो दो साल पहले
वायरल हुआ तो विरोधी पार्टियों फिरोज़ ख़ान के ऐसा सब करने को नौटंकी बताया था.
गांधी के सामने जताया जा रहा दर्द कितना
सच्चा था और कितना नाटक, ये कहना मुश्किल है लेकिन ये हम सब को सोचना होगा कि दो
अक्टूबर को राष्ट्रपिता की मूर्ति पर फूल चढ़ाने की औपचारिकताएं निभाना अहम है या
उनके विचारों को दिल में बसा कर हर इनसान के लिए दिल में पीड़ा रखना.
यहां लगे रहो मुन्नाभाई में गांधी बने
किरदार का डायलॉग याद आता है- “देश में मेरे जितने भी बुत लगे हैं सब
गिरा दो, जितनी जगह मेरी तस्वीरें लगी हैं सब हटा दो, अगर मुझे कहीं रखना ही है तो
अपने दिल में रखो.”
गांधी के नाम पर वर्षों से हम गांधी जयंती पर कई योजनाओं का एलान करते
आ रहे हैं. लेकिन अब गांधी को ढूंढना ही कितना मुश्किल है, इस तस्वीर से समझिए. इस
तस्वीर को ही देखिए. द्वार पर पहली नज़र में तो गांधी कहीं दिखेंगे ही नहीं...बड़ी
मुश्किल से गेट के ऊपर लकीरों के माध्यम से बने गांधी दिखते भी हैं तो पीठ फेरे
हुए.
आख़िर क्या था दुबले पतले बस धोती पहनने
वाले इस शख्स में...देश को आज़ाद हुए जितना वक्त हुआ, उससे साढ़े पांच महीने कम
अर्सा गांधी को हो गए इस दुनिया से गए हुए...आख़िर क्या तासीर थी गांधी में जो
उनकी हत्या के 73 साल बाद भी तमाम दुनिया उनके विचार को शिद्दत से याद करती है.
बराक ओबामा ने अमेरिका का राष्ट्रपति
बनने के बाद बापू को कुछ इस तरह याद किया था कि वो उनकी प्रेरणा मार्टिन लूथर किंग
के भी प्रेरणा रहे. नेल्सन मंडेला जैसी अज़ीम शख्सियत भी खुद को गांधी से इंस्पायर
बताते थे.
हाड-मांस से बना शरीर नश्वर है लेकिन विचार अमर अजर है. शरीर को मिटाया जा सकता है लेकिन विचार को नहीं.
‘ग’ से गांधी, 'ग' से
‘गोडसे’
हे राम!
(संभल से ब्रजेश शर्मा के इनपुट के साथ देशनामा के लिए खुशदीप सहगल की रिपोर्ट)