महात्मा गांधी
की 150वीं जयंती, 2 अक्टूबर 2019 तक देश को ‘खुले में शौच से पूरी
तरह मुक्त’ बनाने का लक्ष्य रखा गया है. जैसे जैसे डेडलाइन
निकट आ रही है, वैसे वैसे कुछ राज्यों में अधिकारी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए
किसी भी सूरत में जाने को तैयार हैं. पिछली ‘Shitting Outside’ वाली पोस्ट के वादे के मुताबिक ऐसी ही कुछ घटनाओं का ज़िक्र कर रहा हूं. सब पिछले 3-4 महीने की हैं....
16 जून 2017, प्रतापगढ़, राजस्थान
शौच करती महिला की तस्वीर खींचने से रोका तो पीट-पीट कर मार डाला
भगवासा कच्ची
बस्ती इलाके में प्रतापगढ़ नगर परिषद की टीम सुबह साढ़े छह बजे खुले में शौच करने
वालों के ख़िलाफ़ अभियान के तहत पहुंची. शौच करती एक महिला की इस टीम ने फोटो
खींची तो एक सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद जफ़र ने इसका विरोध किया. आरोप है कि नगर
परिषद टीम में शामिल लोगों ने 50 वर्षीय जफ़र की बुरी तरह पिटाई की, जिसकी वजह से
उसकी मौत हो गई. जफ़र के रिश्तेदार की ओर से नगर परिषद के कर्मचारियों कमल, रितेश और मनीष के अलावा परिषद आयुक्त अशोक जैन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई. पुलिस ने
केस दर्ज कर लिया.
4 अगस्त 2017, अलिराजपुर, मध्य प्रदेश
शराब की बोतलों पर स्टीकर में कुत्ता और इनसान
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल अलिराजपुर जिले में जिला प्रशासन ने आबकारी विभाग के साथ नया प्रयोग कर डाला. आबकारी विभाग ने खास स्टिकर छपवाए और ज़िले में सभी आधिकारिक ठेकों से बिकने वाली शराब की बोतलों पर चिपकवा दिया. इस स्टिकर में एक स्कैच भी दिया गया जिसमें एक तरफ कुत्ते को और एक तरफ इनसान को शौच करते दिखाया गया. साथ ही स्टिकर पर लिखा था- 'जानवर शौचालय का प्रयोग नहीं कर सकते... लेकिन आप तो कर सकते हैं न... क्या आपने अपना शौचालय बनवाया?'
एक ग्राहक ने इस तरह के स्टीकर को सरासर गलत बताया. उसने कहा कि स्टिकर में संदेश देना तो ठीक था लेकिन ऐसी तस्वीर देने की क्या जरूरत थी. जिला प्रशासन और आबकारी विभाग ने इस प्रयोग को सही करार देते हुए कहा कि अलिराजपुर आदिवासी बहुल जिला है इसलिए यहां जनजागृति की अधिक आवश्यकता है.
13 सितंबर 2017, अशोक नगर, मध्य प्रदेश
घर में टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं किया, दो शिक्षक निलंबित
अशोक नगर जिले में दो शिक्षकों को खुले में शौच ना जाने
संबंधी शासन के आदेश की अवहेलना के आरोप में निलंबित कर दिया गया. इनमें एक सहायक
अध्यापक महेंद्र सिंह यादव अपने गांव सिलपटी में खुद खुले में शौच करने जा रहे थे.
वहीं गांव रांवसर में तैनात सहायक अध्यापक प्रकाश प्रजापति को इसलिए निलंबित कर
दिया गया कि उनकी पत्नी घर में शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच करने गई थी.
जिला शिक्षा अधिकारी आदित्य नारायण मिश्रा ने दोनों शिक्षकों के आचरण को कदाचरण की
श्रेणी में माना.
14 सितंबर 2017,
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
आवारा कुत्ते पकड़ने वाली गाड़ी में इनसानों को कैद कर शहर में घुमाया
बिलासपुर नगर
निगम की टीम खुले में शौच करने वालों के ख़िलाफ़ अभियान के तहत सुबह निकलती है.
दर्जन भर लोग उसकी पकड़ में आते हैं. इन सब को आवारा कुत्ते और अन्य पशु पकड़ने
वाली गाड़ी में भर दिया जाता है. फिर उन्हें शहर भर में घुमाया जाता है. खुले जंगले
वाली गाड़ी में पशुओं की जगह इनसानों को कैद जिसने भी देखा वो हैरान रह गया.
एक
घंटे तक ऐसे ही घुमाने के बाद उन्हें छोड़ा गया. साथ ही उनसे नारे भी लगवाए गए- ‘खुले
में शौच नहीं करेंगे, दूसरों को भी मना करेंगे.’ इस तरह की
कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सलीम काजी ने निगम आयुक्त को
चिट्ठी लिखी. सलीम काजी ने कहा कि ये अमानवीय कार्रवाई सीधे सीधे संविधान के
अनुच्छेद 21 में लोगों को मिले बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है. ये अनुच्छेद लोगों
को जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता में राज्य के अतिक्रमण से बचाने की गारंटी देता
है.
19 सितंबर 2017, बैतूल, मध्य प्रदेश
19 सितंबर 2017, बैतूल, मध्य प्रदेश
घर में टॉयलेट ना बनवाने पर प्रति सदस्य 7,500 रुपए हर महीने जुर्माना
बैतूल जिले के रंभा खेड़ी गांव
में घरों में शौचालय नहीं बनवाने पर घर के प्रत्येक सदस्य पर 75,00 रुपए प्रति
महीना के हिसाब से जुर्माना लगाया गया है. 57 परिवारों पर ये जुर्माना लगा है.
इनमें कुंवर लाल का परिवार भी शामिल है. कुंवर लाल के घर में 10 सदस्य हैं इसलिए
उनके परिवार पर हर महीने जुर्माने की राशि 75,000 रुपए बैठती है. ये जुर्माने का
फ़रमान रंबा खेड़ी गांव की पंचायत की मुखिया राम रती बाई ने सुनाया है. इन
परिवारों को जारी नोटिस में कहा गया है कि जुर्माने की राशि नहीं भरी तो क़ानूनी
कार्रवाई की जाएगी. राम रती बाई के मुताबिक घर में शौचालय बनाने के लिए सरकार की
ओर से सहायता राशि मिलने के बावजूद इन लोगों ने शौचालय नहीं बनवाया. कई बार आगाह
करने के बावजूद उन्होंने नहीं सुनी तो जुर्माना लगाना पड़ा. 57 परिवारों में से
कुछ ने और मोहलत देने की मांग की है, वहीं कुछ का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं
हैं जो शौचालय का निर्माण करवा सकें.
ये सब घटनाएं
आपने पढ़ लीं. अब ये जान लेना भी ज़रूरी है कि देश की करीब आधी आबादी अब भी
सुरक्षित सेनिटेशन सुविधाओं से वंचित है. इन सभी को खुले में शौच करने से रोकने के
लिए मनाने की चुनौती बहुत बड़ी है. ये काम सख्ती से नहीं उन्हें दिल से तैयार करने
से ही हो सकता है. इसके लिए क्या क्या किया जा सकता है, अगली पोस्ट में पढ़िएगा.
फिलहाल सख्ती का क्या उलटा असर हो सकता है, वो इस बुज़ुर्ग की बानगी इस वीडियो में
देखिए...
क्रमश:
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-09-2017) को "अहसासों की शैतानियाँ" (चर्चा अंक 2736) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पुण्यतिथि : मंसूर अली खान पटौदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंघर में शौचालय न होने पर सरकारी सहायता के प्रावधान का लाभ उठाया फिर भी बाहर जाने वालों की कमी नहीं है ।
जवाब देंहटाएंमेरे गाँव मे समस्या ये है की पीने का पानी तक मुहैया नहीं कर पा रही है सरकार। विदर्भ मे इस वर्ष भी सूखा पडा है। यहां जीने का संघर्ष है और सरकार की सोच सडांघ मारते शौचालय जैसी हो गई है।
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