प्रेम पर भरोसा करें या कुंडली देखें...एक जोड़ा दिलोजान से एक दूसरे से प्यार करता है...लेकिन कुंडली उनके अरमानों पर कुंडली मार कर बैठ जाती है...अब क्या करें...क्या कुंडली ही सब कुछ है...या उपाय-शुपाय कर कोई रास्ता निकाला जा सकता है..ज्योतिष विज्ञान के अलावा भी क्या कुछ बातें हैं जिनका शादी-ब्याह से पहले ध्यान रखा जाना चाहिए...क्या कहती है इस बारे में मेडिकल साइंस...
(मूलत: प्रकाशित- नवभारत टाइम्स, 1 अक्टूबर 2014)
ज्योतिष से अलग, मेडिकल साइंस में ऐसा बहुत कुछ है जो शादी से पहले जान लेना जरूरी है। हमारे देश में शादी-ब्याह को जीवन का नहीं बल्कि जन्म जन्मांतर का साथ माना जाता है। इसलिए लड़के-लड़कियों के ब्याह के मामले में खास तौर पर हमारे बुजुर्ग कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। अब ये अलग बात है कि ज्योतिषियों से सभी गुण मिलने का भरोसा मिलने के बाद भी कई शादियां टूट जाती हैं। हमारे महानगरों में भी पश्चिमी देशों की तर्ज पर अब तलाक के मामले बढ़ने लगे हैं।
हमारे समाज में जो तबका प्रगतिशील माना जाता है वह भी शादी-ब्याह के मामलों में आगे बढ़ने से पहले ज्योतिषियों से सारी आशंकाओं को दूर कर लेना चाहता है। अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की शादी के वक्त ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। ऐश्वर्या की कुंडली के मंगलदोष को दूर करने के लिए लिए उनकी अभिषेक से पहले एक पेड़ से शादी कराने का समाचार मिला था।
वैसे गृह नक्षत्र, लग्न आदि को मानना या ना मानना किसी का निजी विषय है। लेकिन ज्योतिष से इतर लोग ये जानने में भी दिलचस्पी रख सकते हैं कि क्या विज्ञान भी शादी-ब्याह से पहले कुछ सावधानियां बरतने की मांग करता है? जापान की बात की जाए तो वहां लोग एक दूसरे का ब्लड ग्रुप जानने में बड़ी रुचि रखते हैं। वहां वर या वधू की तलाश के वक्त हर किसी को इस सवाल का सामना करना पड़ता है कि आपका ब्लड ग्रुप क्या है? वहां आम धारणा है कि ब्लड ग्रुप से आपके स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लग सकता है।
जहां तक मेडिकल साइंस की बात है, उसके अनुसार शादी से पहले ब्लड ग्रुप मैच करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन भावी जीवन साथी के एबीओ और आरएच ब्लड ग्रुप के बारे में जानना अहम रहता है। अगर एक आरएच नेगेटिव महिला का विवाह एक आरएच पॉजिटिव पुरुष से होता है तो उनका शिशु भी आरएच पॉजिटिव हो सकता है। इससे आइसोइम्युनाइजेशन की स्थिति बन सकती है। इसका मतलब ये है कि कोख में शिशु के विकास या प्रसव के वक्त शिशु का रक्त मां के रक्त में प्रवेश करता है तो मां के रक्त में एंटीबॉडीज का निर्माण होने लगता है।
ये इसलिए होता है कि मां का इम्युन सिस्टम आरएच नेगेटिव होने की वजह से आरएच पॉजिटिव रक्त का प्रतिरोध करता है। अब यही एंटीबॉडीज प्लासेंटा के जरिए शिशु के रक्त में प्रवेश करते हैं और उसकी आरएच पॉजिटिव लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इससे शिशु को एनीमिया या जॉंडिस हो सकता है। अगर शादी से पहले आरएच नेगिटिव या आरएच पॉजिटिव का पता हो तो इस स्थिति से बचा जा सकता है। डॉक्टर प्रसव के वक्त सारी ऐहतियात बरतते हैं कि ऐसी नौबत ना आए।
एक सवाल और भी है। विश्व में 3 करोड़ 40 लाख लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं। हालांकि भारत में कुल आबादी में 0.34 फीसदी लोग ही एचआईवी पॉजिटिव हैं। ये संख्या बेशक कम है लेकिन पति-पत्नी के संबंधों में भी ये खतरा हो सकता है। यदि दोनों में से एक भी एचआईवी पॉजिटिव है। एड्स/एचआईवी का संक्रमण 5 फीसदी में बच्चों को माता-पिता से होता है।
अगर किसी युवक या युवती की शादी होने जा रही है और वो एचआईवी पॉजिटिव होने की बात होने वाले जीवन साथी से छुपाता है तो वो आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत दंड का भागीदारी है। ऐसी सूरत में क्या युवक या युवती को शादी से पहले अपना एचआईवी टेस्ट कराना चाहिए? क्या ये हमारे समाज में मान्य होगा? अब बताइए, कुंडली देखें या मेडिकल साइंस की जरूरतें?