एक खब़र आज नज़रों से गुज़री...टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित
समाचार समूह के एक रिपोर्टर की ख़बर है...उम्मीद तो यही की जा सकती है कि तथ्यों
को खुद जांचने और मौके पर जाने के बाद ही
रिपोर्टर ने ये ख़बर प्रकाशित की होगी...अब पूरी सच्चाई तो शुक्रवार को ईद
के दिन मॉल में गए लोग ही बता सकते हैं...लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो ये वाकई
दुर्भाग्यपूर्ण है...अगर मॉल के प्रबंधकों ने अपनी मर्ज़ी से एक ही वर्ग के लोगों
से भेदभाव किया तो नरेंद्र मोदी सरकार को उन पर एक्शन लेना चाहिए...आखिर मोदी अब
गुजरात के साथ पूरे देश के लिए राजधर्म निभाने की चाहत रखते हैं...और हां, अगर ये
ख़बर गलत है तो मॉल को टाइम्स ग्रुप के रिपोर्टर पर मानहानि का मुकदमा दायर करना
चाहिए...
अहमदाबाद के मॉल ने ईद पर मुस्लिमों से वसूली एंट्री फीस
टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Aug 10, 2013, 11.05AM IST
पार्थ शास्त्री
अहमदाबाद।। ईद के मौके पर गुजरात में मुस्लिमों से भेदभाव का मामला सामने आया है। शुक्रवार को ईद के मौके पर अहमदाबाद के सबसे बड़े हिमालय मॉल में मुस्लिमों खासकर इस समुदाय के खास उम्र के युवाओं को को अजीब स्थिति से गुजरना पड़ा। उनसे मॉल में घुसने के लिए एंट्री फीस वूसली गई। हालांकि, मॉल प्रबंधन का कहना है कि महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर सभी पर एंट्री फीस लगाई थी।
हिमालय मॉल में पीक आवर्स के दौरान मुस्लिमों से 20 रुपये एंट्री फीस वसूली जा रही थी। इसमें शर्त रखी गई थी कि उन्हें ये 20 रुपये तभी वापस किए जाएंगे, जब वे मॉल से कुछ खरीदकर निकलेंगे। मॉल प्रबंधन के इस भेदभावपूर्ण रवैये से मुस्लिम समुदाय के लोग हैरान रह गए।
परिवार के साथ मॉल गए दिल्ली चकला के सैयद शेख ने अपना कड़वा अनुभव सुनाया। उन्होंने बताया, 'सिक्युरिटी गार्ड्स एक खास समुदाय के लोगों से ही फीस वसूल रहे थे। हमने कुछ लोगों को बिना फीस दिए मॉल में घुसते देखा। हमने जब सिक्युरिटी गार्ड्स से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें ऊपर से आदेश मिला हुआ है। हम यह सुनकर हैरान रह गए।'
अहमदाबाद।। ईद के मौके पर गुजरात में मुस्लिमों से भेदभाव का मामला सामने आया है। शुक्रवार को ईद के मौके पर अहमदाबाद के सबसे बड़े हिमालय मॉल में मुस्लिमों खासकर इस समुदाय के खास उम्र के युवाओं को को अजीब स्थिति से गुजरना पड़ा। उनसे मॉल में घुसने के लिए एंट्री फीस वूसली गई। हालांकि, मॉल प्रबंधन का कहना है कि महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर सभी पर एंट्री फीस लगाई थी।
हिमालय मॉल में पीक आवर्स के दौरान मुस्लिमों से 20 रुपये एंट्री फीस वसूली जा रही थी। इसमें शर्त रखी गई थी कि उन्हें ये 20 रुपये तभी वापस किए जाएंगे, जब वे मॉल से कुछ खरीदकर निकलेंगे। मॉल प्रबंधन के इस भेदभावपूर्ण रवैये से मुस्लिम समुदाय के लोग हैरान रह गए।
परिवार के साथ मॉल गए दिल्ली चकला के सैयद शेख ने अपना कड़वा अनुभव सुनाया। उन्होंने बताया, 'सिक्युरिटी गार्ड्स एक खास समुदाय के लोगों से ही फीस वसूल रहे थे। हमने कुछ लोगों को बिना फीस दिए मॉल में घुसते देखा। हमने जब सिक्युरिटी गार्ड्स से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें ऊपर से आदेश मिला हुआ है। हम यह सुनकर हैरान रह गए।'
इसी तरह शाहपुर के रहने वाले इलियास अंसारी का कहना था,
'अगर मॉल में यह फीस सभी से ली जाती, तो हमें
कोई परेशानी नहीं थी। सिर्फ एक समुदाय से ही भेदभाव क्यों किया गया?'
उधर, मॉल के अधिकारियों ने इसे भीड़भाड़ के दिनों के लिए रूटीन नियम बताया। हमारे सहयोगी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने जब हिमालय मॉल की मैनेजर (ऑपरेशन्स) दीपा भटनागर से इस बारे में पूछा तो उनका जवाब था, 'हम परेशानी बढ़ाने वाली भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पहले भी ऐसा कर चुके हैं। दिवाली और आने वाले त्योहारों पर भी इसे लागू करने के बारे में सोच रहे हैं। अगर कोई सामान खरीदकर लौटता है, तो फीस लौटा दी जाएगी।'
उन्होंने एक खास समुदाय से एंट्री फीस लेने की बात को गलत बताया और कहा कि मॉल प्रशासन ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर सभी पर एंट्री फीस लगाई थी। हालांकि इस संवाददाता ने मॉल में एंट्री का अलग ही पैटर्न देखा। मॉल में आने वाले मुस्लिम समुदाय के खास उम्र के युवाओं को पूछताछ और फीस वसूलने के बाद मॉल में एंट्री दी जा रही थी, जबकि महिलाओं और अन्य को बिना फीस वसूले अंदर जाने दिया जा रहा था।
उधर, मॉल के अधिकारियों ने इसे भीड़भाड़ के दिनों के लिए रूटीन नियम बताया। हमारे सहयोगी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने जब हिमालय मॉल की मैनेजर (ऑपरेशन्स) दीपा भटनागर से इस बारे में पूछा तो उनका जवाब था, 'हम परेशानी बढ़ाने वाली भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पहले भी ऐसा कर चुके हैं। दिवाली और आने वाले त्योहारों पर भी इसे लागू करने के बारे में सोच रहे हैं। अगर कोई सामान खरीदकर लौटता है, तो फीस लौटा दी जाएगी।'
उन्होंने एक खास समुदाय से एंट्री फीस लेने की बात को गलत बताया और कहा कि मॉल प्रशासन ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर सभी पर एंट्री फीस लगाई थी। हालांकि इस संवाददाता ने मॉल में एंट्री का अलग ही पैटर्न देखा। मॉल में आने वाले मुस्लिम समुदाय के खास उम्र के युवाओं को पूछताछ और फीस वसूलने के बाद मॉल में एंट्री दी जा रही थी, जबकि महिलाओं और अन्य को बिना फीस वसूले अंदर जाने दिया जा रहा था।
Awesome ! कल इन्हें भी शायद यह रिअलाइज हुआ होगा कि हिन्दुओं पर जजिया कर लगाना कितना कष्टप्रद रहा होगा :)
जवाब देंहटाएं
हटाएंNo Discrimination for Muslims at Himalaya Mall Ahmedabad on Eid
VISITORS SHOCKED OVER ENTRANCE FEE
Ahemdabad Mirror (Group member of TOI group) Report :
“We are regular visitors to this mall. We were never stopped from entering this mall earlier. It feels bad that we have to pay to enter a mall when we just came to enjoy our day,” said 20- year-old student Yahya Mansuri, a resident of Kalupur. Amit Chadda, a businessman from Sidhhapur who had brought his family for a shopping trip was shocked at the development. “I haven’t heard of a mall that charges an entry fee. I was stunned when I had to shell out money for the coupon,” said Amit. “I was baffled when the security guard told me to purchase Rs 20 coupon to enter,” said Salman Sheikh (21), a resident of Kalupur. “I have been a regular visitor to this mall and this is a first. I think they are trying to earn on the occasion of Eid. And they are charging only Muslims it seems,” he said.
agar aisa hua to galat hai .......
जवाब देंहटाएंम्मीद तो यही की जा सकती है कि तथ्यों को खुद जांचने और मौके पर जाने के बाद ही रिपोर्टर ने ये ख़बर प्रकाशित की होगी"
जवाब देंहटाएंहाय हाय रिपोर्टर से इतनी बडी उम्मीद वो भी भारतीय मीडिया के रिपोर्टर से ..सरासर नाइंसाफ़ी है सरकार ये तो ।
I think they are trying to earn on the occasion of Eid. And they are charging only Muslims it seems,” he said. ...ल्यो इट सीम्स ने तो ससुरा सारा सीन ही बदल डाला जी ..धत तेरे की ।
सच है और सबसे लिया गया है तो इसे साम्प्रदायिक रंग नहीं देना चाहिये। वैसे भीड़ नियन्त्रित करने का कोई और तरीका अपनाया जा सकता था।
जवाब देंहटाएंSonal Rastogi said on my FB wall-
जवाब देंहटाएंKhushdeep Sehgal ji ..tyoharon mein mall ke bheetar faili avyavatha main meerut mein dekh chuki hoon,mall mein mele jaisaa mauhol ho jaata hai...shohde bhi ghus aate hai.... Ab mall koi raashtriya udhyaan to hai nahi... Ek vyavsayik pratishthan hai... Mall prabandhan ki marzi...
Raj Bhatia said on my FB wall-
जवाब देंहटाएंवैसे इस बात पर यकीन नही होता कि सिर्फ़ मुस्लिम के लिये एंट्री फ़ीस रखी थी, क्योकि किसी के माथे पर नही लिखा कि यह किस धर्म का हे,फ़िर एक छोटी सी खबर को छापना , ओर भी कितनी अच्छी बाते हो रही हे गुजरात मे उन्हे नही छप रहे.... इस खबर की तय तक जरुर पहुचना चाहिये..माल वालो के लिये तो ग्राह्क ही पैसा हे, वो उन मै कैसे भेदभाव कर सकता हे...?
Mukesh Kumar Sinha said on my FB wall-
जवाब देंहटाएंkoi bhi pvt sansthan apni marji se sab kuchh nahi kar sakta hai... kuchh govt. ke bhi rules hote hain ...
यदि संप्रदाय विशेष से ही ऐसा किया गया है तो निहायत ही गलत काम है इस पर कार्यवाही होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंवैसे हमारे यहां एक टी आई माल है जहां पर पार्किंग फ़ीस ली जाती है पर यदि आप खरीदी करके वापस जा रहे हैं तो नही ली जाती, सिर्फ़ तफ़रीह करने वालों के साथ ऐसा होना तो ठीक है पर संप्रदाय विशेष से यह व्यवहार अनुचित है.
रामराम.
खबर पढ़ी थी , उसी समय लग गया की जबरजस्ती इसे सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है , किसी खास धर्म से पैसा वसूली कैसे सम्भव है क्या सभी से परिचय पत्र मांगा जा रहा था , बिना उसके कैसे किसी का धर्म के बारे में पता लगाया जा रहा था , टोपी उतार कर २० रु बचा लेते , साफ है ईद का मौका है इसलिए उस समुदाय के लोग ज्यादा बाहर है इसलिए वो ज्यादा दिख रहे है , ऐसे त्यौहारों के मौके पर तफरी करने वालो को रोकने के लिए ऐसा किया गया होगा । वैसे तो कहने वाले ये भी कहते है की पोलियो की दवा किसी एक समुदाय को ख़त्म करने के लिए पुरे विश्व की साजिस के तहत पिलाया जाता है , क्या इसे भी सच मान लिया जाये , मोदी को कार्यवाही करनी चाहिए , ठीक है फिर पोलियो की दवा पिलाने के लिए किसको और किस पर कार्यवाही के लिए बोला जाये , ।
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंगुजरात कमाल कर रहा है ..
जवाब देंहटाएंमैं भी अजय झा जी से बिल्कुल सहमत हूँ।गोदियाल जी ने जो खबर पोस्ट की उसमें मुस्लिम युवक द्वारा ये बीच में 'it seems' कैसे आ गया?
जवाब देंहटाएंफिर रिपोर्टर ने क्या तथ्यों की जाँच की?
अंशुमाला जी की बात सही है।
यह तो गुजरात का सिर्फ सिर्फ एक ट्रेलर भर है,यदि नमो प्रधानमंत्री बने (जो कि सिर्फ सपने मे ही बन पाएंगे हकीकत मे नहीं) तब देखिएगा देश भर में और क्या क्या होगा।
जवाब देंहटाएंसादर
यह बात गले नहीं उतरती कि केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों से फीस वसूली गई । बेशक इस ख़बर को छापने वाला टाइम्स ऑफ इंडिया ही क्यों न हो, इसे प्रकाशित कर साम्प्रदायिक रंग दिए जाने की कोशिश नज़र आ रही है जो कि नितांत गलत है । गुजरात सरकार को इस ख़बर की अच्छी तरह ख़बर लेनी चाहिए और इसमे किसी की भी गलती पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि औरों को सबक मिल सके ।
जवाब देंहटाएंये स्यूडो-सेकुलरिज्म की बीमारी, भारत में न्यूज़ में बने रहने का सबसे बड़ा हथकंडा है,
जवाब देंहटाएंमेरे हिसाब से तो बहुत ही अच्छा किया मॉल वालों ने, अनवांटेड लोगों से बचने का इससे सरल कोई उपाय भी नहीं है. इस चक्कर में अगर इक्का-दुक्का मुसलामानों ने २० रुपैये दे भी दिए तो बड़ी बात हो गयी और जब इनको ही हज़ पर भेजने के लिए सरकारी ख़ज़ाना बेरहमी से ख़ाली किया जाता है तब तो वो नहीं आते कहने कि हिन्दुओं के साथ भेद-भाव हो रहा है, हिन्दुओं को भी ऐसी ही कोई सुविधा मुहैय्या होनी चाहिए।
मॉल एक प्राईवेट बिजिनेस है, मुझे नहीं लगता उनके लिए हिन्दुओं के पैसे और मुसलामानों के पैसे में कोई फ़र्क है, कोई भी बिजिनेस ओर्गनाइजेशन को सिर्फ कमाई से मतलब है, वो हिन्दू दे या मुसलमान दे.। क्या मुसलामानों से पैसे लेने से पहले उनको चेक किया गया था ?? या फिर मुसलामानों से आई डी मांगी गयी थी ? इस बात की पुष्टि होनी चाहिए
'it seems' लिखने वाला रिपोर्टर पहले तथ्यों को पुख्ता कर लिया करे फिर बोला करे
आप सही कह रहे हैं, ऐसी बिना सिर पैर की रिपोर्टिंग सिर्फ इंडिया में ही संभव है, It happens only in India. :(
कल 12/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मीडिया तो बिकाऊ है अब तो मीडिया के ब्लॉगर भी लगता है की कांग्रेस ने खरीद लिए है ...एक और सेक्युलर ब्लॉगर है उनको भी लगे हाथ पढ़ ले ..http://sheshji.blogspot.in/2013/08/blog-post_12.html#comment-form गुजरात में प्रति व्यक्ति कर्ज करीब २३ हज़ार रूपये है
जवाब देंहटाएंशेष नारायण सिंह
नई दिल्ली, ११ अगस्त. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और कारनामा सामने आया है . पता चला है कि जिस गुजरात का कर्ज अदा करने का दावा करके उन्होंने भारतमाता का कर्ज उतारने का मंसूबा बनाया था, वह गुजरात पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है .ताज़ा आंकड़ों से पता चला है कि उस कर्ज पर गुजरात सरकार प्रतिदिन साढ़े चौंतीस करोड रूपये का ब्याज अदा करती है .जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने थे तो २००१-०२ में गुजरात सरकार के ऊपर ४५,३०० करोड रूपये का कर्ज था अब वह कर्ज बढ़कर एक लाख अडतीस हज़ार करोड रूपये का हो गया है .
जब मोदी जी न दावा किया था कि वे गुजरात का क़र्ज़ उतार चुके हैं तो कुछ शंकालु किस्म के लोगों ने शंका जताई थी कि यह उसी तरह का दावा है जैसा नरेंद्र मोदी ने उत्तरखंड की आपदा से १५ हज़ार गुजरातियों को बचाकर लाने का किया था. लेकिन आमतौर पर नरेंद्र मोदी की कर्ज वाली बात का विश्वास किया गया था. लेकिन आज एक ऐसे अखबार में जब खबर देखी जिसमें मोदी के बहुत सारे समार्थक पाए जाते हैं तो सहसा खबर पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब मोदी के समर्थकों ने खबर के लेखक को गाली देने का अभियान चलाया और खबर का खंडन नहीं किया ,बस लेखक को कांग्रेसी एजेंट कहकर काम चलाते रहे तब भरोसा हो गया कि खबर बिलकुल सही है .
प्रकाशित आंकड़ों के हिसाब से गुजरात की आबादी अगर छः करोड की मान ली जाय तो मोदी जी की शासन व्यवस्था का कमाल यह है कि हर एक गुजराती के ऊपर आज करीब २३ हज़ार रूपये का कर्ज है . एक अनुमान के मुताबिक १९९५ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जिस गुजरात के ऊपर दस हज़ार करोड रूपये का कर्ज था अगर नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने रह गए तो २०१५-१६ तक गुजरात पर दो लाख रूपये से ज्यादा का कर्ज हो जाएगा .यह सारा कर्ज ऐसे काम के लिए लिया गया है जो दिखावे के प्रोजेक्ट्स खर्च हुआ है . स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे की सुविधाओं के लिए पिछले १० साल में बहुत मामूली खर्च हुआ है . सी ए जी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पिछ्ले पांच वर्षों में गुजरात सरकार ने करीब ३९ हज़ार करोड रूपया ऐसी योजनाओं में लगा दिया है जिससे राज्य सरकार या छः करोड गुजरातियों के हाथ जीरो प्रतिशत से थोडा ऊपर की रकम ही आयेगी .सी ए जी रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो गुजरात के सामने बहुत ही मुश्किल आर्थिक स्थिति पैदा हो जायेगी......
ये जनाब यह कभी नहीं बतायगे की एक आम भारतवासी पर कांग्रेस सरकार ने कितना कर्जा लाड रखा है ...
जय बाबा बनारस....
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा