महफूज़ इक झूमता दरिया...खुशदीप

महफूज़ की पोस्ट...कोई रोक सको तो रोक लो...पढ़ कर आज कुछ सोचने को मज़बूर हो गया कि ये महफूज़ का कॉन्फिडेंस है या ओवर-कॉन्फिडेंस...या फिर अकेले रहते-रहते महफूज़ किसी फोबिया का शिकार है...उसी के चलते खुद को सुपरमैन मानने लगा है...जो भी है इस हालत में महफूज़ को बहुत सारे प्यार की ज़रूरत है...बेहतर तो यही है इसके फौरन हाथ पीले हो जाएं (मतलब घोड़ी चढ़ जाए)....मैंने तो अपने जान-पहचान के लोगों को इस काम में लगा दिया है...आप की नज़र में महफूज़ के लिए कोई अच्छा मैच दिखे तो बताइएगा...बाकी इस बेकाबू दरिया पर मैंने कुछ तुकबंदी की है...


कोई रोक सको तो रोक लो






मैं झूमता दरिया हूं...


मुझे बढ़ते जाना है,


सिर्फ़ बढ़ते जाना...




मज़बूत हो चाहे बांध कितने,


नहीं टिकेंगे मेरे उफ़ान में...




मुझे बढ़ते जाना है,


सिर्फ़ बढ़ते जाना...




बहोगे साथ, जन्नत मिलेगी,


रोकोगे गर, कयामत दिखेगी...




मुझे बढ़ते जाना है,


सिर्फ़ बढ़ते जाना...




मैं बीते कल का गांधी नहीं,


मैं काले आज की आंधी हूं...




मुझे बढ़ते जाना है,


सिर्फ़ बढ़ते जाना...

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40 टिप्पणियाँ
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  1. खुशदीप भाई-आपका अनुभव बिलकुल सही है। अब खुंटे से बांध ही दिया जाए तो ठीक है। दरिया बंधेगा नही तो विध्वंस ही होगा।:)
    हा हा हा बहुत खुब

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  2. खुशदीप भाई...पक्का यकीन है कि साथ बहने पर जन्नत मिलेगी??....सही कहा आपने...उनके हाथ पीले करने बहुत जरूरी हैं....ताकि वे, ये तूफानी दिन भुला...बीवी के साथ साड़ियों,गहनों की शोपिंग में मसरूफ हो जाएँ..

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  3. महफूज़ मियाँ....के पीले हाथ कैसे लगेंगे हम यही सोच रहे हैं....:)
    लड़की तो मिल भी जाए ...लेकिन क़ाज़ी, पंडित , पादरी आयेंगे क्या ....???
    कहीं उनकी पिटाई हो गयी तो !!!
    हा हा हा हा
    फिर आऊँगी कमेन्ट करने.....अभी पूरी भड़ास कहाँ निकली है...हाँ नहीं तो...!!

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  4. क्या आप सबको 'बॉलीवुड के सलमान ख़ान' और 'ब्लॉगवुड के महफूज़ अली' में कोई समानता नज़र आती है...मुझे तो कुछ कुछ आती है...आप अपनी राय बताइए...

    जय हिंद...

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  5. बॉलीवुड के सलमान खान और ब्लागवुड के महफूज़ अली में समानताएं....
    १. दोनों नकचढ़े हैं..
    २. दोनों अविवाहित हैं
    ३. दोनों की गर्ल फ्रेंड्स भाग जातीं हैं..
    ४. दोनों के डोले-शोले हैं..
    ५. दोनों बडबोले हैं...
    ६. दोनों दिल के बहुत अच्छे हैं..
    ७. दोनों लड़कियों से डरते हैं लेकिन दिखाते हैं की लडकियां उनसे डरतीं हैं
    ८. दोनों अपने-अपने में बड़े हैं
    ९. दोनों अपने-अपने घरों के आधार हैं....और घरवालों के लिए जान देते हैं..
    १०. दोनों बेवकूफ हैं...
    १२.दोनों की शक्ल भी थोड़ी मिलती है एक-दूसरे से
    १३. दोनों घमंडी है
    १४. दोनों जब भी मौका मिले बाडी दिखाते हैं..
    १५. एक लेखक है दूसरा पेंटर यानी कलाकार हैं..

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  6. अदा जी,
    सलमान ख़ान एक-दो बार बड़े ससुराल (जेल) हो आया है...और अपना महफूज़ एक बार भी नहीं...है न शर्म की बात...

    जय हिंद...

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  7. अति सुन्दर तुकबंदी:

    सही कहा है आपने

    "बहोगे साथ, जन्नत मिलेगी,

    रोकोगे गर, कयामत दिखेगी..."


    जय हिंद

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  8. महफूज़ की बारात में जाने के लिए सूट बनने डाल दिया है..डेट जरुर बता देना!!

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  9. खुशदीप जी,
    सलमान तो लाल घर हो आये हैं...छि कैसे एक्टर हैं ...?
    एक हमारे महफूज़ मियाँ ....कोई लाल घर के गेट तक तो ले जा कर दिखा दे ....
    ले जाने वाला उस घड़ी को कोसेगा जब यह घटिया ख्याल उसके दिमाग में आया...हा हा हा हा
    महफूज़ अब मेयर भी बन ही जायेंगे...ईश्वर उनको सफलता दे....
    फिर क्या लाल घर क्या बड़ा ससुराल सब उनकी जेब में....

    एक और बहुत बड़ी समानता है दोनों में...
    दोनों महा ड्रामा कम्पनी हैं....
    लेकिन महफूज़ मियाँ, सलमान से बेहतर अभिनेता हैं....:):)

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  10. खुश्दीपजी , महफूज़ के लिए लड़की का चयन देख भाल कर कीजियेगा ...उसके लिए तो कोई महिला डॉन ढूंढनी पड़ेगी जो सारा मामला घर में ही सलटा दे वर्ना कहाँ महिला प्रताड़ना कानून के फेरे में अदालतों के चक्कर काटे रहेंगे ...मुझे तो बहुत डर लग रहा है ...क्यूंकि बहुएं सबसे पहला इल्जाम सास और ननद पर ही लगाती हैं ...पहले इन्फोर्म कर दीजियेगा क्यूंकि इसकी शादी से पहले अपनी अग्रिम जमानत करवानी पड़ेगी ....:):)

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  11. यहां भी अदा जी से १०१% सहमत . दरियाओ पर भी बान्ध बनेगे . रोकने वाले इन्हे भी रोकेंगे . पो पो की झय इम झय इम होने तो दो . हम तो कुर्ता पयजामा सिल्वायेन्गे .

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  12. अरे भई सब लोग यहाँ तो महफ़ूज की शादी के पीछे ही पड़ गये :)

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  13. खुशदीप भाई , आपने कविता लिख दी। अब तो महफूज़ की शादी पक्की समझो।
    लेकिन मुझे एक गाना याद आता है --मेरी बनेगी कोई हिम्मत वाली।
    वैसे राज जी और अदा जी की बातों से सहमत।
    शुभकामनायें।

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  14. "मैं बीते कल का गांधी नहीं,
    मैं काले आज की आंधी हूं..."


    सही बात!

    मुझे तो लगता है कि महफ़ूज मिया के भीतर फिल्म जंजीर का विजय और फिल्म शोले का गब्बर दोनों ही समा गये हैं।

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  15. अवधिया जी,
    राम गोपाल वर्मा की 'आग' का हाल आपको पता है न, उसमें रामू ने विजय के अंदर गब्बर घुसेड़ कर क्या अनर्थ कर डाला था...

    जय हिंद...

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  16. मानविंदर जी,
    कैसी हैं आप...महफूज़ के बहाने ही सही, आपसे इतने साल बाद मुलाकात तो हुई...

    जय हिंद...

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  17. गुरुदेव समीर लाल समीर जी,
    सूट आप बेशक सिलवा लें...लेकिन महफूज़ की बारात वैसी ही होगी जैसे कभी डमरू वाले भोले बाबा की निकली थी...अब उस बारात में शामिल गण किस वेश में थे, इसका वर्णन अवधिया जी मेरी पुरानी पोस्ट में अपनी टिप्पणी में बखूबी कर चुके हैं...एक बार फिर अवधिया जी की उस टिप्पणी को रिपीट कर रहा हूं...

    खुशदीप जी, श्री तुलसीदास जी के अनुसार शिव जी की बारात में समस्त देवता थे किन्तु मुख्य बाराती उनके गण थे जिसका वर्णन उन्हों ऐसे किया हैः

    कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू॥
    बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना॥

    (कोई बिना मुख का है, किसी के बहुत से मुख हैं, कोई बिना हाथ-पैर का है तो किसी के कई हाथ-पैर हैं। किसी के बहुत आँखें हैं तो किसी के एक भी आँख नहीं है। कोई बहुत मोटा-ताजा है, तो कोई बहुत ही दुबला-पतला है।)

    तन कीन कोउ अति पीन पावन कोउ अपावन गति धरें।
    भूषन कराल कपाल कर सब सद्य सोनित तन भरें॥
    खर स्वान सुअर सृकाल मुख गन बेष अगनित को गनै।
    बहु जिनस प्रेत पिसाच जोगि जमात बरनत नहिं बनै॥

    (कोई बहुत दुबला, कोई बहुत मोटा, कोई पवित्र और कोई अपवित्र वेष धारण किए हुए है। भयंकर गहने पहने हाथ में कपाल लिए हैं और सब के सब शरीर में ताजा खून लपेटे हुए हैं। गधे, कुत्ते, सूअर और सियार के से उनके मुख हैं। गणों के अनगिनत वेषों को कौन गिने? बहुत प्रकार के प्रेत, पिशाच और योगिनियों की जमाते हैं। उनका वर्णन करते नहीं बनता।)

    जय हिंद...

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  18. महफूज की पोस्ट पर बहुत सुंदर प्रतिक्रिया है। उस पोस्ट को पढने के बाद झूमता नहीं, उफनता दरिया याद आता है।

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  19. सहगल साहब ! हम तो यही दुआ करते है कि यह महफूज भाई का आत्म विश्वाश ही हो !

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  20. खुशदीप जी कहीं महफ़ूज नाराज न हो जाए आपसे बच के रहिएगा :)

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  21. अभी महफ़ूज़ को रोक कर आता हूँ टिप्पणी करने :-)

    बी एस पाबला

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  22. खुशदीप भाई ये घोडी चढने वाली बात तो समझ मे आ गई मगर ये हाथ पीले समझ मे नही आया और फ़िर वैसे भी इस मामले अपुन ज्यादा जानते नही है ना।इधार मैं भी लगा देता हूं कुछ लोगो को इस काम पर्।

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  23. बेहतर सोंचा है .. शादी करवा ही दें !!

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  24. महफ़ूज की बारात मे जाने के लिये हमारे साथ हमारे कुत्ते, बिल्ली, गधे और सियार भी तैयार बैठे हैं. तारीख बताई जाये. इस घोर कलयुग में कोई तो ऐसा प्राणी मिला जिसकी बारात मे जाने का मौका हमारे जानवरों को मिलेगा, भोले बाबा की बारात के बाद संभवतया यही एक मौका आयेगा.:)

    रामराम.

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  25. बहुत ही सही कहा आपने, नेक काम में देर नहीं करनी चाहिए, और आपने बिना देर किये प्रयास शुरू कर दिया है, शुभकामनायें आपको सफलता मिले।

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  26. हा हा हा हा .....बिलकुल सही सोचा और कमेंट्स भी सही हैं बिलकुल ...वैसे शादी कब है ? अप्रेल में करियेगा ...हमें भी शामिल होने का मौका मिल जायेगा .हाहाहा

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  27. कोई पास नहीं फटकने वाली खुशदीप जी ....जितना मर्जी जोर लगा लें कोई बेल्ट धारी भी लायेंगे तो घर सही सलामत नहीं बचने वाला ....!!

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  28. वैसे राखी सावंत का सुझाव बढिया है। इसी बहाने महफूज़ भाई के ब्लॉग का टैरिफ भी बढ़ जाएगा।

    --------
    अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
    ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।

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  29. खुशदीप भाई , यो छोरा ना सुधरता दीखता मन्ने तो , मन्ने तो लाग रया है कि , जे इनके हाथ पांव सब नीले पीले कर भी डालो तो कल को वा छोरी , जो इनकी लुगाई बनेगी, वाको तो river rafting की फ़ुल ट्रेनिंग चाहिए होगी , वा केसे बांधेगी इस दरिया कू। हां बरातियां दी खूब केइ आपने , कुंवारे ब्लागर की शादी में तो बारात की बारात और ब्लोग्गर मीट की ब्लोग्गर मीट , साथ में वो असली वाला मीट भी, अरे मीट मछली यार ,यो दरिया को तो अब किसी कन्याकुमारी की तरफ़ ही मोड डालो जी ,
    अजय कुमार झा

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  30. khushdeep ji
    ye to main pahle hi kah chuki hun ki use ab bahut jaroorat hai magar bille ke gale mein ghanta bandhega kaun...........aur ada ji aur vani ji ka kahna bhi sahi hai to ab jaldi se blogger samaj mein ek vigyapan de hi dijiye ki hai himmat kisi mein mahfooz ke liye ladki kahun ya ..........?????????? dhoondhne ki ..........bhai uske liye koi halki fulki nazuk to chalegi nhi ab to koi uske jod ki hi dhoondhni padegi.........hahahaha.........chalo jaldi se taiyaariyan shuru kar do is ufante sailaab ko rokne ke liye nhi to pata nhi kahan kahan tufaan aa jaye aur sabko bahakar le jaye aur apne jaise aur naye toofan na bana dale...........zara bach ke.........hahahaha

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  31. इतने कशीदे पढ़े गए... पर हीरो कहाँ हैं... कहाँ है हीरो... देखो तो सुबह से साँझ हो चली... क्या महफूज़ शर्मा तो नहीं रहे...

    वैसे बहुत रोचक पोस्ट लगा रहे हैं ३ दिनों से कुछ हटकर... हाँ लिंक देने में आप भी माहिर हो गए.. हमें अभी तक नहीं आया... महफूज़ का ब्लॉग भी पढ़ा... प्रभावित तो हुआ... लेकिन विश्वास नहीं होता... अभी तक पर यह जुट नहीं हो सकता जानता हूँ... आप यह कमेन्ट वहां भी लगा दें प्लीज़ वो मेयर बने... मेरी शुभकामना ... उनका ब्लॉग इतना भारी है की मेरे अदने से बक्से पर खुल नहीं रहा...

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  32. कल ही महफूज़ साहब की पोस्ट पढ़ी थी " कोई रोक सके तो रोक ले "
    और आज आपने दरिया में तूफ़ान ला दिया है.....बहुत खूब....काश महफूज़ मिंया घेरे में आ जाएँ ...

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  33. खुशदीप जी दो दिन कम्पयूतर खराब रहा महफूज़ की रचना तो अभी नहीं पढी मगर आपकी रचना से3 चिन्ता जरूर हो गयी है उसके नाम एक कविता की कुछ पंम्क्तियाँ कहती हूँ
    सतलुज की लहरों ने
    जीवन का सार बताया
    सीमा मे बन्ध कर रहने का
    गौरव उसने समझाया
    कहा! उन्मुक्त बहूँ तो
    सिर्फ उत्पात मचाती हूँ
    भाखडा बान्ध मे हो सीमित
    गोबिन्द सागर कहलाती हूँ
    देती हूँ बिजली घर घर
    फस्लों को पानी पहुँचाते हूँ
    जो समाज के नियम मे जीयेगा
    वही इन्सान कहायेगा
    जो तोडेगा इस के नियम
    वो उपद्रवी कहलायेगा
    तुम भी अनुशास्न मे रहना सीखो
    मानव धर्म कमाओ
    सतलुज की लहरों की मानिंद
    देश का गौरव बन जाओीआपने सही कहा उसकी लगाम खींचने वाली चाहिये ।शुभकामनायें

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  34. मैं आ गया .... मैं आ गया.... भैया .... आपने तो पूरा मुझे हीरो बना दिया.... आपके प्यार से मैं अभिभूत हूँ... एक बात तो है.... कि मुझे आपसे ज्यादा अच्छे से कोई नहीं समझ सकता.. जितना अच्छे से आप महफूज़ को जानते हैं.... समझते हैं.... उतना कोई नहीं समझ सकता... मैंने "रोक सको तो रोक लो:" पोस्ट लिखी... उसके पीछे लिखने का सिर्फ यही कारण था.... कि मैं खुद को ही समझना चाहता था... अपना पस्त याद कर के ... उसको अनालाईज़ करना चाहता था... मैं अपने ही नेचर को समझना चाहता था.... पर आपने बहुत कम शब्दों में मुझे डिफाइन कर दिया.... आप इतना अच्छे से कैसे मुझे समझ लेते हैं? मेरा आपसे ज़रूर कोई पिछले जन्म का नाता है....

    एक गाना याद आया है:=====

    "तेरा मुझसे है पहले से नाता कोई,
    यूँ ही नहीं मन लुभाता कोई,
    जाने तू...उ ...उ.. उ.....उ...उ...
    या जाने ना आ आ आ ...."

    अब ज्यादा लिखूंगा तो रो पडूंगा.....

    जय हिंद....

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  35. बढिया है, जितना महफूज भाई को खूद अपनी शादि की चिन्ता नहीं होगी उससे ज्याद तो आपको चिन्ता है उनकी शादी करवाने की, उनकी शादी को लेकर ये शायद आपकी दूसरी पोस्ट है , । बढिया है, बडे भईया हैं आपकी चिन्ता जायज है, लेकिन बडे भईया होने के नाते एक बात आपको बता रहा हूँ कि शादी के बाद अगुआ की धुनाई भी बहुत होती है, कैसे ये आप समझ ही सकते है, इसलिए कह रहा हूँ कि जरा संभल के ।

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  36. खुशदीप जी,
    आपको बधाई देनी थी....आज एक नया शब्द देखा है आपकी पोस्ट पर और पसंद आया है....'ब्लॉगवुड'
    फिर एक बार आपको बधाई....

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  37. महफूज़ प्यारे,

    ज़रा सब्र तो कर मेरे यार...तेरे (आज की पोस्ट से मुझे महफूज़ से इस तरह बात करने का अधिकार मिल गया है) रोने के दिन भी आएंगे...पहली बात तो जंगल में शेर छुट्टा घूमता कैसे खुद को तीसमारखां समझता रहता है...लेकिन जब कभी रिंगमास्टर के जाल में फंस जाता है तो कैसा मिमियाने लगता है...महफूज़ मियां के लिए बस रिंगमास्टर की नहीं घर की रिंगमास्टरनी चाहिए...रिंगमास्टरनी तो महफूज़ की मेंहदी हाथों में लगाने के बाद सिर्फ एक दिन डोली वाले दिन ही रोएगी....और अपने महफूज़ जी को तो फिर ज़िंदगी में हर दिन......

    जय हिंद...

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