राबिनहुड का नाम तो आपने सुना होगा...राबिनहुड वो लुटेरा था जो गरीबों का खून चूसकर दौलत इकट्ठा करने वालों के घरों में डाके डालता था और लूटी हुई दौलत गरीबों और ज़रूरतमंदों में बांट देता था...लेकिन मेरा राबिनहुड ठेठ देसी है...ये राबिनहुड खास तौर पर जब भी कोई लड़की जल्लादों के जाल में फंस जाती तो न सिर्फ उसे आज़ाद कराके रखवाली का बीड़ा उठाता था बल्कि बाबुल बन कर उसका घर भी बसाता था...ये राबिनहुड था...दूल्हा भट्टी...
जी हां आज मौका लोहड़ी का है...और लोहड़ी का त्यौहार दूल्हा भट्टी के किस्से के बिना सोचा भी नहीं जा सकता...उत्तर भारत के त्यौहार लोहड़ी का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि सिंधु घाटी की सभ्यता...लोहड़ी सूचक है सर्दियों की विदाई और वसंत ऋतु के स्वागत के लिए तैयार होने का...तो जनाब मैं बात कर रहा था लोहड़ी और दूल्हा भट्टी के किस्से की...
बादशाह अकबर की सल्तनत के दौरान राजस्थान, पंजाब और गुजरात (जो हिस्सा पाकिस्तान में चला गया) में राजपूतों का भट्टी कबीला बसता था...इन्हीं में पिंडी भट्टियां के सरदार दूल्हा भट्टी की बहादुरी के किस्से दूर-दूर तक मशहूर थे...इलाके के लोग दूल्हा भट्टी पर जान छिड़कते थे...दूल्हा भट्टी ने एक बार अपहरणकर्ता ज़मीदारों के चंगुल से एक लड़की को छुड़ाकर अपनी बेटी बनाया और फिर उसकी शादी कराई थी तभी से हर लोहड़ी पर दूल्हा भट्टी की शान में सुंदर मुंदरिए गीत गाया जाता है.. आप भी सुनिए लिंक पर ये गीत...
सुंदर मुंदरिेए होए !
(मुंद्री (अंगूठी) की तरह सुंदर लड़की)
तेरा कौन विचारा होए !
(तुझ को कौन बचाएगा)
दूल्हा भट्टी वाला होए !
(तेरे लिए दूल्हा भट्टी है)
दूल्हे दी दीह व्याही होए !
(बचाई लड़की का दूल्हा भट्टी बेटी बनाकर कन्यादान करता है)
सेर शक्कर पाई होए !
(वो एक किलो शक्कर (चीनी) देता है)
कुड़ी दा लाल पचाका होए !
(लड़की ने दुल्हन वाला लाल जोड़ा पहना है)
कुड़ी दा सालू पाट्टा होए !
(लेकिन उसकी शाल फटी है- अस्मत लुटी है)
सालू कौन समेटे होए!
(उसकी शाल कौन सिलेगा- कौन उसका खोया मान लौटाएगा)
मामे चूरी कूटी !
(मामा ने मीठी चूरी बनाई- लड़की के रखवाले मामा होते हैं)
ज़मींदारा लुट्टी ! ज़मींदार सुधाए !
(बिगड़ैल अमीर ज़मीदारों ने लड़की का अपहरण कर लिया)
बड़े भोले आए !
(कई गरीब लड़के आए)
इक भोला रह गया ! सिपाही पकड़ के लै गया !
(सबसे गरीब लड़के को सिपाहियों ने पकड़ लिया, शक था कि वो दूल्हा भट्टी का भेजा हुआ है)
सिपाही ने मारी ईट !
(सिपाहियों ने उसे ईंट से मारा- प्रताड़ित किया)
साणू दे दे लोहड़ी ते तेरी जीवे जोड़ी ! पावें रो ते पावें पिट!
(चाहे अब रोयो या खुद को पीटो, हमें लोहड़ी (तोहफ़ा) दो, तुम्हारी जोड़ी जिए...)
ये तो रही दूल्हा भट्टी की कहानी, अब मैं सुनाता हूं कि बचपन में हम कैसे लोहड़ी मनाते थे...दो दिन पहले से ही बच्चों की वानर सेना लोहड़ी जलाने के लिए लकड़ी इकट्ठा करनी शुरू कर देती थी...जिसकी छत पर जो लकड़ी का सामान मिल जाता था उठा कर लोहड़ी में लगा दिया जाता था...अब चाहे कोई फर्नीचर के लिए ही लकड़ी का सामान क्यों न बनवा रहा हो...सब लाकर लोहड़ी में जला दिया जाता था....घर-घर जाकर लोहड़ी मांगने की रस्म निभाई जाती थी...जिस घर से लोहड़ी (पैसे) अच्छे मिल जाते थे, वहां नारा लगाया जाता था...कोठे ऊपर कच्छा, ऐ घर अच्छा...और जो घर खाली हाथ लौटा देता था वहां नारा लगाया जाता था....कोठे ऊपर हुक्का, ऐ घर भूक्खा...फिर रात को लोहड़ी जलाते वक्त रौनक देखते बनती थी...सब जलती लोहड़ी के पास पंजाबी लोक गीत सुनाते...फिल्मी गाने सुनाए जाते....साथ ही मूंगफ़ली, रेवड़ी, फुल्लों (मक्का के दाने), चिड़वड़े, गज्जक, गुड़पट्टी के दौर भी चलते रहते थे...अब नोएडा में कहां रही वो लोहड़ी....वो रस्में...वो प्यार..
चलिए अब लोहड़ी मनाने को अपना भरा-पूरा ब्लॉगवुड तो है...सुंदर मुंदरिए गाते हुए आप सभी को लोहड़ी की लख-लख बधाई...लोहड़ी के साथ तमिलनाडु में पोंगल, बंगाल में मकर संक्रांति, असम में माघा बिहू, केरल में ताई पोंगल मनाया जाता है...आइए एक गुलदस्ते की तरह अलग-अलग भाषा-भाषी होते हुए भी इन त्योहारों को प्यार और उल्लास के साथ मनाएं...
स्लॉग गीत
फिल्म वीर ज़ारा से...ओ आ गई लोहड़ी वे...
आइए मिलाऊं राबिनहुड से...खुशदीप
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बुधवार, जनवरी 13, 2010
दूल्हा भट्टी जैसे महान वीर के बारे में जानकारी के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमुझे दूल्हा भट्टी के बारे में पहली बार पता चला, ऐसे वीर को कोटि कोटि नमन
आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाये
लोहड़ी के पर्व के बारे में जानकर अच्छा लगा. सरदार दूल्हा भट्टी की कथा भी रोचक है.
जवाब देंहटाएंआपको लोहड़ी की बधाई..
लोहड़ी की बधाई..!!
जवाब देंहटाएंदूल्हा भट्ठी ..आज ही सुना इनके बारे में...!!
थैंक्यू !!
लोहड़ी ले लिए तो मुझे वो अमिताभ और हेमा की लोहड़ी याद आ रही है वीर-ज़ारा वाली ..
तैनूं मैं जान दियां..खूब पहचान दियां...:)
आपको लोहड़ी की बधाई..
जवाब देंहटाएंतुहानु वी होर सारे ब्लाग पिंड नु बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबधाईयाँ जी बधाईयाँ-लोहड़ी दी बधाईयाँ
लोह्डी की बधाईयां . वीर दुल्हा भट्टी के बारे मे आज ही आपसे सुना .मूंगफ़ली, रेवड़ी, फुल्लों (मक्का के दाने), चिड़वड़े, गज्जक, गुड़पट्टी का इन्तजार नही तो कोठे उपर हुक्का ............
जवाब देंहटाएंभाई आपने पुरानी यादें ताज़ा कर दीं. आभार.
जवाब देंहटाएंमैं भी दूसरों के साथ घर से छुप कर लोहड़ी मांगने जाता था. फिर यूं मिले पैसों से खूब एश करते थे हम :-) क्या दिन थे वह भी. अब यह परंपरा समाप्त हो गई है.
एसा ही दशहरे पर भी होता था. तब टेसू बना कर पैसे मांगते थे. टेसू तीन लकड़ियों को क्रास कर बनाया जाता था जिस पर दीपक व रावण का मुखौटा बिठाया जाता था. यह भी अब मृत परंपरा है :-(
.दूल्हा भट्टी...का ज्ञान करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंउपयोगी पोस्ट.
दूल्हा भट्टी की लोकगाथा के बारे में जानना अच्छा रहा.
जवाब देंहटाएंआपको लोहडी की घणी बधाई !.
रामराम.
लोहड़ी की बधाई!
जवाब देंहटाएंवाह वाह ाज तो आते ही लोहडी की बधाईयाँ! आपने तो बचपन की याद दिला दी। आपको व आपके परिवार को भी लोहडी की बहुत बहुत बधाई।चलो आते हैं मुँगफली रेवडियाँ खाने। मंगवा कर रखें आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली! दूल्हा भट्टी के बारे में आज पहली बार जाना। हमारे छत्तीसगढ़ में तो लोहड़ी मनाया नहीं जाता इसलिये लोहड़ी के विषय में विस्तृत रूप से जान कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसभी को लोहड़ी की बधाइयाँ!
हम ने बचपन में केवल कुछ पंजाबियों के यहाँ लोहड़ी मनाते देखा। अब तो मुहल्ले में ही अनेक स्थानों पर लोहड़ी के अलाव दिखाई देते हैं। दूल्हा भट्टी की फिर जरूरत है एक किलो शक्कर के लिए।
जवाब देंहटाएंलोहड़ी कि बहुत सारी शुभकामनायें....इस विषय पर अच्छी जानकारी दी है...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंलोहडी की लख-लख बधाई।
जवाब देंहटाएंवैसे ये बात सही है अब न त्योहारों मे वो मज़ा है और ना वो प्यार।सभी जगह त्योहारों का यही हाल है,त्योहार याने दारू-मुर्गा बस।न रस्मे बाकी है और न परंपराएं।शायद तरक्की इसी को कहते हैं?
लोहड़ी की बधाई..!!
जवाब देंहटाएंदूल्हा भट्ठी ..आज ही सुना इनके बारे में...!!
थैंक्यू !!
जय हिंद ....
लोहड़ी की बधाई..
जवाब देंहटाएंkhush rahiye mast raho....
इस आपा धापी की दिनचर्या से यादों के झरोखों में ले जाने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंलोहड़ी दियां लख लख बधाइयां ने तुहानूं सारयां नूं!!!!!!!!!!!
जय हिंद।
सभी ब्लॉगर मित्रों को लोहड़ी की बधाई..!!
जवाब देंहटाएंलोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं--------
अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।
लोहड़ी की बधाई..!!
जवाब देंहटाएंlohdi ki dulha bhatti ki kahani pahli baar sunne ko ,mili......aap ko lohdi ki badhai.......
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह। दूल्हा भट्टी के बारे में तो पहली बार जाना।
जवाब देंहटाएंहालाँकि ये गाना तो बचपन से सुनते आये हैं।
आपको लोहड़ी की लख लख बधाईयाँ।
very nice!
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई हम तो खास दोआवे से है, इस लिये यह लोहडी का त्योहार तो हमारी रंगो मे बसा है, एक एक गीत याद है, बस प्रदेश मै रह कर सब छुट गया.....
जवाब देंहटाएंबचपन मै हम घर घर लोहडी मांगने जाते ओर हुक्का,ओर कच्छा जेसे वाक्या आज भी याद है, हमारी लोहडी सब से ऊंची होती थी, ओर मुह्ल्ले के सारे लोग ईकट्टे होते बधाईया तो मिलती ही थी, लेकिन दुसरे दिन गालिया भी मिलती थी कि कुते कमीने सारी लकडिया ले गये सारे गोबर के उपले ले गये... लेकिन उन गलियो मै प्यार छुपा होता था, आज आप के इस लेख ने फ़िर से लोहडी की याद दिला दी.
धन्यवाद सुंदर मुंदरी के लिये, बहुत सुंदर लेख
दिल्ली में ५ साल रहने का मौका मिला है...ऐसी लोहड़ी तो नहीं..पर छोटी मोटी लोहड़ी..जरूर देखी है...घर में कोई शुभ कार्य संपन्न हुआ हो तो जरूर लोहड़ी मनाते हैं..कोई शादी या बच्चे का जन्म...
जवाब देंहटाएंमैं नहीं भूल सकती...मेरे बेटे के जन्म के उपलक्ष्य में मेरी पडोसी पंजाबी दंपत्ति ने लोहड़ी जलाई थी...वो मूंगफलियाँ और रेवड़ियां डालना...गज़क , लड्डू और पिन्नियां ...पूरी सर्दी बहुत मिस करती हूँ,मुंबई में..
बहुत बहुत मुबारक हो ,आपको ..लोहड़ी
वाह लोहड़ी वाह,
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी, आपने वाकई खुश कर दिया।
ब्लॉग जगत के दूल्हाभट्टी को लोहड़ी की हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंआपको लोहड़ी और मकर संक्रान्ति की बधाई , ।
जवाब देंहटाएंहमने भी लोहड़ी दिल्ली में ही मनायी थी क्योंकि हमारे मकान मालिक पंजाबी थे और बहुत मजा आता था लोहड़ी में।
जवाब देंहटाएंलोहड़ी की कहानी तो हमें पता ही नहीं थी बहुत अच्छा लगा यह सब जानना।
लोहड़ी की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंखुशदीपे, अज दे दिन साड्डी ढेरों बधाइयाँ लै !
तुस्सी इन्ना सोणा गीत अद्धे विच छड्ड दित्ता ?
एह गीत ते आखिरी लाइनाँ तों जाकै असल निखार लित्ती ऎ ।
" सुंदर मुंदरीए होए
तेरा कौन बचारा होए
दुल्ला भट्टी वाला होए
तेरा कौन बचारा होए
दुल्ला भट्टी वाला होए
दुल्ले धी ब्याही होए
सेर शक्कर पाई होए
कुड़ी दे लेखे लाई होए
घर घर पवे बधाई होए
कुड़ी दा लाल पटाका होए
कुड़ी दा शालू पाटा होए
शालू कौन समेटे होए
अल्ला भट्टी भेजे होए
चाचे चूरी कुट्टी होए
ज़िमींदारां लुट्टी होए
दुल्ले घोड़ दुड़ाए होए
ज़िमींदारां सदाए होए
विच्च पंचायत बिठाए होए
जिन जिन पोले लाई होए
सी इक पोला रह गया
सिपाही फड़ के ले गया
आखो मुंडेयो टाणा टाणा
मकई दा दाणा दाणा
फकीर दी झोली पाणा पाणा
असां थाणे नहीं जाणा जाणा
सिपाही बड्डी खाणा खाणा
अग्गे आप्पे रब्ब स्याणा स्याणा
यारो अग्ग सेक के जाणा जाणा
लोहड़ी दियां सबनां नूँ बधाइयाँ "
डॉक्टर अमर कुमार जी,
जवाब देंहटाएंडॉक्टर साहब, आप आप हैं, और हम नौसिखिए के नौसिखिए...हर जगह दुल्ला भट्टी का पूरा गीत ढ़ूंढते-ढूंढते थक गया था...मिला वहीं से जहां से मिलना चाहिए था...बस इसी तरह से मार्गदर्शन करते रहा करिए...जहां गलती दिखे,कान भी उमेड़ दीजिएगा...आपका स्नेह ही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है...आपने आकर इस टिप्पणी से मुझे लोहड़ी दे दी...और ये लोहड़ी बेशकीमती है...
जय हिंद...
दूल्हा भट्ठी के बारे में आज पहली बार पता चला..आभार
जवाब देंहटाएं"...लोहड़ी दियां सबनां नूँ बधाइयाँ "
जवाब देंहटाएंमजेदार बात ये थी कि दुल्ला भट्टी मुसलमान लुटेरा था | जब हिन्दू लड़कियों को दास बनाकर मध्य पूर्व एशिया के बाजारों में बेचने के लिए ले जाया जा रहा था, तब उसने उन्हें छुड़ाया था, और हिन्दू लड़कों से उनके विवाह का प्रबंध किया था |
जवाब देंहटाएंThanks for sharing such information. This is really helpful for me. You can also visit our blog Banquets in Indore
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