कल मैं बरेली से लौटा...कुछ छूटे हुए पोस्ट पढ़ने शुरू किए...पता चला कि अलबेला खत्री जी ने तीन श्रेणियों में मतों के ज़रिए सम्मान की घोषणा की है...इसी बीच अविनाश वाचस्पति जी की भी एक पोस्ट पढ़ी जिसमें उन्होंने अपने नाम पर विचार न करने का अनुरोध किया था...मुझे अविनाश जी की पोस्ट में कही बातें बहुत सार्थक लगी और मैंने अपनी पोस्ट में इसका ज़िक्र भी किया...इसी सिलसिले में अलबेला खत्री जी ने अविनाश जी की पोस्ट के जवाब में एक पोस्ट लिखी...उसी पोस्ट पर अविनाश जी ने टिप्पणी के ज़रिए साफ किया कि अलबेला जी के स्पष्टीकरण से उनके मन में जो संशय था वो दूर हो गया है और अब वो अलबेला जी के इस कार्यक्रम की सफलता की कामना करते हैं...
अलबेला जी के कार्यक्रम की सफलता के लिए मैं भी प्रार्थना करता हूं...और अगर अलबेला जी बुलाएंगे तो मैं सूरत हाज़िर होने की पूरी कोशिश भी करूंगा...लेकिन यहां मैं अलबेला जी से एक अनुरोध करना चाहूंगा कि आपने टिप्पणीकार के सम्मान वाली संशोधित सूची में 15 वें नंबर पर मेरा नाम भी रखा है...मुझे इस बारे में पहले पता नहीं था, कल ही एक ब्लॉगर भाई ने फोन पर इस बारे में मुझे सूचित किया था...तब मैंने जाकर आपकी संशोधित सूची वाली पोस्ट को देखा...आपने मुझे इस लायक समझा, इसके लिए आपका मैं बेहद शुक्रगुज़ार हूं...लेकिन आपसे एक विनती करता हू कि मेरा नाम उस सूची से हटा दीजिए...एक तो मुझे जुम्मा जुम्मा पांच महीने भी नहीं हुए हैं ब्लॉगिंग करते हुए...
दूसरे जिस सूची में मेरे साथ गुरुदेव समीर लाल जी समीर का नाम रखा गया हो, अगर मेरा नाम उनके सामने रहता है तो ये मेरी धृष्टता होगी...गुरु से मुकाबला कभी नहीं किया जाता क्योंकि शिष्य की नज़र हमेशा गुरु के चरणों पर ही रहनी चाहिए...मेरी एक शिकायत भी है आपसे समीर जी का नाम सिर्फ टिप्पणीकारों वाली सूची में क्यों है...ब्लॉगर सम्मान वाली सूची में क्यों शामिल नहीं है...क्या एक सूची में एक ही नाम रखने जैसी कोई बाध्यता है...
अलबेला जी माफ़ कीजिएगा...मुझे कुछ और विसंगतियां भी नज़र आ रही हैं..आप इसे अन्यथा न लीजिएगा...पहली बात तो ये कि जैसा कि आपने कहा है...ये सूचियां ब्लॉगर बिरादरी से लिए गए सुझावों पर ही तैयार की गई हैं...मेरी समझ में ये नहीं आ रहा कि सुझाव देने वालों से ये नाम कैसे छूट गए जिनके बिना ब्लॉग जगत अधूरा सा लगता है....
अनूप शुक्ल
रवि रतलामी
ज्ञानदत्त पाण्डेय
दिनेशराय द्विवेदी
अनिल पुसदकर
ललित शर्मा
शरद कोकास
अजय कुमार झा
विवेक सिंह
दीपक मशाल
गिरिजेश राव
धीरू सिंह
इरफ़ान
अजित गुप्ता
आशा जोगलेकर
शैफाली पा़ंडेय
हरकीरत हीर
कविता वाचक्नवी
शिखा वार्ष्णेय
यहां ये तर्क दिया जा सकता है कि किसी भी कार्य में सभी को खुश नहीं किया जा सकता...लेकिन यहां खुश या नाखुश होने वाली बात नहीं है...ये सुझाव देने वालों को भी कटघरे में खड़ा कर सकता है...और ये कौन सा नियम हुआ कि जो आयोजक है उसका नाम सूची में नहीं आ सकता....मैं आपके खुद के नाम की बात कर रहा हूं...यहां मैं ये भी उल्लेख करना चाहूंगा कि आप की ओर से पहली बार ये आयोजन हो रहा है, इसलिए इस साल दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा...इसी अनुभव से आप दोबारा ये आयोजन करेंगे तो निश्चित रूप से वहां इस बार की कमियां नहीं दिखेंगी...आखिर में एक बार फिर कार्यक्रम के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं...जहां तक मेरा सवाल है तो मैं
प्रतियोगी की तरह नहीं एक साधारण ब्लॉगर की तरह ही इस कार्यक्रम का आनंद लेना चाहूंगा...
स्लॉग ट्रकर
बरेली में एक ट्रक के पीछे बड़ा अच्छा वाक्य पढ़ने को मिला...
जिन्हें जल्दी थी वो चले गए...
अलबेला जी बहुत बहुत शुक्रिया...खुशदीप
29
मंगलवार, जनवरी 05, 2010
सहमत हूं आपसे भी .. झटके में ही सब काम नहीं किए जा सकते .. कुछ कार्यों के लिए काफी मेहनत करनी पडती है !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात की है आपने...वैसे मेरे ख्याल से ये ब्लागर्स को सम्मान देने की परंपरा ही ख़तम होनी चाहिए...हम ब्लोगिंग अपनी ख़ुशी के लिए करते हैं न की किसी सम्मान या धन प्राप्ति की आशा में...
जवाब देंहटाएंनीरज
khushdeep ji !
जवाब देंहटाएंaapki baat achhi lagi.....
vaise bhi kal se lagbhag 150 phone call aa chuke hain aur is kaaryakram ko radd karne athva sthagit karne ke liye kah rahe hain
main abhi chintan kar raha hoon
aur ek ghante baad nirnya karoonga ki mujhe kya karna hai..
aapne khule dil se khuli baat saarvjanik tour par kahi, main aisee hi kathni ki kadra karta hoon aur dil se karta hoon
vaise jaldbaazi me ye ghoshna isliye ki kyonki main chaahta tha ki jo kuchh chal raha hai garmaa-garmee ka vaataavaran vah band ho aur logon ka dhyaan doosri taraf lag jaaye
dhnyavaad !
आप ने विचारणीय पोस्ट लिखी है।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजिन्हे जल्दी थी वह चले गये . और जो बचे है .......... वह क्या करे .
जवाब देंहटाएंआप से सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंजिन्हे जल्दी थी वह चले गये . और जो बचे है .......... वह क्या करे ....?
जवाब देंहटाएंधीरे धीरे चलें!!
जो भी व्यक्ति ब्लॉग लिखने का साहस करता है, वो सम्मानीय है।
जवाब देंहटाएंफिर काहे का मतदान।
लिखते रहो और खुश रहो।
बहुत अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंजिन्हे जल्दी थी वह चले गये . और जो बचे है ...
जवाब देंहटाएंवे धीरज भी धरें
और धीरे धीरे भी चलें
धीरे चलने में ही धीरज है
धीरज ही धीरे चलाता है
चलना तो रज पर ही है।
और कुछ लाईनें जो तुरंत बाद में ध्यान आई हैं
जवाब देंहटाएंधीरज धरना
धीरे चलना
प्रवीण बनाता है
क्यों मास्टर जी
मास्टर ही
सब कुछ सिखाता है।
जिन्हें जल्दी थी वे चले गये...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही... हम भी यही मानते हैं... :)
खुशदीप जी ,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले नव वर्ष की शुभकामनायें स्वीकार करें ..इस पोस्ट पर आपने जो मेरा नाम प्रस्तावित किया है...आपसे करबद्ध निवेदन है ki कृपया इसे हटा दे ...क्यूंकि मैं अपने आपको किसी भी दृष्टि से इस काबिल नहीं समझती ...आपके ब्लॉग पर ईमेल एड्रेस नहीं है इसलिए कमेन्ट box में ही लिखना पड़ रहा है ...
आभार ...!!
एक बार फिर ब्लोगिंग की गुटबाजी साफ दिख रही है , शायद आप लोगो को बुरा लगे । मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस पर विवाद क्यो है , मुझे ना म होने पर कम बल्की नाम ना होने पर ज्याद विवाद दिख रहा है । जो ये सब आयोजन कर रहा है वह कुछ समजकर कर रहा है , पैसा जिसका काम उसका । आप लोगो को उनका उत्साह वर्धन करना चाहिए पर आप लोग उनपर लाक्षंन लगा कर उनका हौसला पस्त करने की भरपुर कोशिश कर रहे है , जो कि सरासर गलत है । आप को सम्मान नहीं चाहिए मत लिजीए आप लोगो को शायद लग रहा है कि ये पुरस्कार आप लोगो के लायक नहीं है । जहाँ तक मै जानता हूँ कि हर सम्मान अपने आप में बहुत बड़ा होता है , और न लेने का मतलब यह होता है कि आप उसका विरोध कर रहें है या वह आपके लायक नहीं है ।
जवाब देंहटाएंभाई ऎसा आयोजन होना ही नही चाहिये, यानि ना रहे बांस ना बजे बांसुरी, हम सब वेसे ही मस्त है, आप को नये साल की बहुत सारी शुभकामनाये
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई.. आप इसमें मुझे क्यों घसीट रहे हो ?
वस्तुतः अपना नाम न देख मुझे राहत ही महसूस हुई ।
ईनाम इकराम से मैं दूरी बनाये रखता हूँ, यह मुझे नहीं सोहता ।
प्रसँगतः यह बता देना समीचीन होगा कि इस दास मलूका ने चिकित्साजगत का..
प्रतिष्ठित बी.सी.रॉय एवार्ड में नामाँकित किये जाने की सहमतिपत्र पर अपनी पात्रता को विनम्रतापूर्वक मना कर दिया था ।
मेरा मानना है कि यह आपकी उपलब्धियों को गौण कर देते हैं, उस पर आपका अधिकार नहीं रह जाता.. मन का सँतोष तो खैर जाने ही दीजिये । ई-स्वामी जी मुझे कम्यूनिस्ट सोच का पहले ही ठहरा चुके है... सो ज़ाहिर है ’ सँतन को कहाँ सीकरी सों काम ! ईनामबाजी तो जैसे सामँत-युग और चारणत्व का दोहराव ही है । उनका मकसद भी यही रहा है । तो भईया इस वास्ते मेरा नाम तो सोचियो ही मति, बख़्स मेरी खाला मैं लँडूरा ही भला.. जय हिन्द !
वाणी गीत जी,
जवाब देंहटाएंकाम से लौटने के बाद आपका कमेंट पढ़ा...पहला काम पोस्ट से आपका नाम हटाने का किया...लेकिन शायद आपको
थोड़ी गलतफहमी हुई...मैंने कहीं भी पोस्ट में ये नहीं लिखा कि मैं इन नामों को सम्मान के लिए प्रस्तावित कर रहा हूं...मैंने सिर्फ ये प्रश्न किया था कि ये सब नाम सुझाव देने वालों से कैसे छूट गए...फिर भी अगर मेरे इस कृत्य से आपको दुविधा हुई है तो मैं खेद जताता हूं...
जय हिंद...
डॉ अमर कुमार जी,
जवाब देंहटाएंपहली बात तो आपका बहुत बहुत आभार...क्योंकि आपकी कुछ बेशकीमती टिप्पणियां देखने को मिली हैं...अब उम्मीद करता हूं कि आपकी ताजा पोस्ट पढ़ने का सौभाग्य भी जल्दी-जल्दी मिलेगा...रही बात डॉक्टर साहब सम्मान की तो अगर आपके नाम किसी सम्मान का ऐलान होता है तो वो आपका नहीं बल्कि उस सम्मान का ही सम्मान होगा...लेकिन हिंदी ब्लॉग की एबीसी या ककहरा जिन नामों से शुरू होता है, उन्हें कैसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है...
जय हिंद...
हौले हौले से हवा चलती है
जवाब देंहटाएंहौले हौले से दवा लगती है
हौले हौले चंदा बढ़ता है
हौले हौले घूँघट उठता है
हौले हौले से नशा चढ़ता है
तू सबर तो कर मेरे यार
चल फिकर नूँ गोली मार
यार है दिन जिंदड़ि दे चार
हौले हौले हो जाएगा ...
बी एस पाबला
खुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंठीक है.. ठीक है...वाणी के नाम का recomendation और हम कौनो गत का नहीं हैं....
हाय अब हम कहाँ डूब मरें जाकर .....हे भगवान्....गजब भयो रामा जुलुम भयो रे....
हा हा हा हा.....
just kidding ..
अरे इस सब मज़ाक था....आपने सही बात कही (हम तो ऐसा कह रहे हैं जैसे आप कभी गलत कह देते हैं..हाँ नहीं तो ) ....अरे हम इसमें आपके साथ हैं....
फिर भी अगर कभी कोई...ब्लॉग का ऑस्कार हमको ज़बरदस्ती दे ही देवे तो पाहिले से बता देवे भाई....लेवे के बाद का डीरामा का प्रक्टिस करना पड़ेगा ना.....
हा हा हा हा ...
अलबेला खत्री जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस टिप्पणी से मेरे मन में आपके लिए सम्मान बढ़ गया है...जैसा मैंने पोस्ट पर लिखा है कि दुनिया में
ये किसी भी इंसान के लिए मुमकिन नहीं है कि वो सभी को संतुष्ट कर पाए...आपने विवाद को थामने के लिए सम्मान समारोह को स्थगित करने का जो फैसला किया, उसका मैं सम्मान करता हूं...आपने सदाशयता दिखाते हुए हर तरह की राय का मान रखा...मेरा विश्वास है कि अब जब भी आप ऐसा समारोह करेंगे, हर पहलू को ठोक
बजा कर करेंगे...कहते हैं न हर बात में कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है...मैं कामना करता हूं कि आप शीघ्र ही किसी बड़े कार्यक्रम का सूत्रधार बनेंगे...वैसे आप मेरे इस विचार का भी समर्थन करेंगे कि मैं कोई स्टैंड लूं तो उस पर दृढ़ता से टिका रहा हूं...बाकी आप जिस मनोस्थिति से गुज़र रहे होंगे, वो मैं समझ सकता हूं...फिलहाल एक गीत की दो पंक्तियों का हवाला ही दे सकता हूं...
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मो़ड़ देकर छोड़ देना अच्छा...
जय हिंद...
मिथिलेश भाई,
जवाब देंहटाएंअब आपकी इस टिप्पणी पर मैं क्या कहूं...बस राजीव तनेजा जी के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इतना ही कह सकता हूं...शांत, गदाधारी भीम, शांत...
जय हिंद...
Pyare Dosto
जवाब देंहटाएंKhus rahne wale sahghal ko khush rahne de....Sammaaan ke chakar me inhe na daale ..Baki me inki baat ka samarthan karta hu....
Hindi Blog ko abhi Un Unchaio Ko Chune de....Hindi abhi apne desh me hi begani hai....Pahle uske samman ke liye khade hoye to behtar hoga....
@खूशदीप भाई
जवाब देंहटाएंदेखीए जहाँ तक मैं आपको जानता हूँ आप बड़े ही मजेदार आदमी हैं और रोज ही अपने लेखो से सबको खूश भी करते है, ,आपका लेख रोज ही ब्लोगवाणी में सबसे ऊपर दिखता है , और सच बताऊं बहुत अच्छा लगता है , जिस दिंन आपका लेख ऊपर नहीं दिखता लगता है कि कुछ अधुरा सा है । ये सब इसलिए कहा की जो आप अभी कर रहे हैं ये आपके शोभा नहीं देता , अब मैं करता तो अच्छा भी लगता , विवादीत जो ठहरा । कभी अलबेला जी से बात करिए और देखीए आप लोगो के इस रवैये से वे कितना हतोउत्साहित हैं , कृपया आप लोग से विनम्र निवेदन है कि किसी अच्छाई के लिइ बढ़ते कदम को अनायाश ही रोकने का प्रयास ना करें । आप लोगो को चाहिए की अलबेला जी उत्साह वर्धन करे , आखिर सम्मान सम्मान ही होता है ।
खुशदीप भाई-
जवाब देंहटाएंपावला जी से सहमत हुँ।
हौले हौले से हवा चलती है
हौले हौले से दवा लगती है
हौले हौले चंदा बढ़ता है
हौले हौले घूँघट उठता है
हौले हौले से नशा चढ़ता है
तू सबर तो कर मेरे यार
चल फिकर नूँ गोली मार
यार है दिन जिंदड़ि दे चार
हौले हौले हो जाएगा ...
संस्कृत में कहा गया है...... चरैवती........चरैवती......... जिसका मतलब होता है..... चलते रहो......चलते रहो....... रुको मत......
जवाब देंहटाएंजय हिंद.....
जिन्हे जल्दी थी वह चले गये . और जो बचे है ......... वो जल्दी से चलने की तय्यारी करें..... वक़्त बहुत कम है......
जवाब देंहटाएंजय हिंद.....
खुशदीप जी
जवाब देंहटाएंमैने तो अपने आप को यहाँ देखने की कल्पना भी नहीं की थी ,आज रश्मि रविजा ने बताया तो पता लगा ..बहुत आभार आपका की आपने हम जैसे तुच्छ लोगों को याद रखा ,वर्ना हम तो किसी भी खेत की मूली ,गाजर वगेरह वगेरह न थे [:)].
आह कितना क्षोभ है मुझे कि मेरा नाम अब तक प्रस्तावित नहीं हुआ जबकि मेरे चेलों का हो गया ....और उससे बड़ा अफ़सोस नाम प्रस्तावित होने के तुरंत बाद ही उससे असहमति करने के श्रेष्ठता बोध काभी अवसर हाथ से जाता रहा -घोर कलयुग है घोर .....
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