एक बार गब्बर सिंह ने सोचा कि ब्लॉगर बिरादरी बड़ी प्रसिद्ध हो रही है...इससे तो गब्बर को कल कोई पूछने वाला ही नहीं रहेगा...गब्बर को किसी ने कूटनीति से काम लेने की सलाह दी...कहा कि ब्लॉगर बिरादरी में से दो-चार नप्पूझन्नों का पकड़ कर सम्मान कर दो...आपके नाम का डंका बज जाएगा...सब गब्बर की जय-जयकार करने लगेंगे...गब्बर सठिया तो बहुत पहले ही गया था...लेकिन अपना नाम बनाए रखने के लिए ब्लॉगरों का सम्मान करने के लिए तैयार हो गया...
लेकिन अब समस्या ये कि किस का सम्मान करे...उसने सांभा को जासूसी करने के लिए भेजा कि पता लगा कर आए किन दो ब्लॉगरों का सबसे ज़्यादा डंका बोलता है...अब सांभा जासूसी करके वापस आया तो गब्बर अफ़ीम का तगड़ा अंटा चढ़ा चुका था...अब सुनिए गब्बर और सांभा का वार्तालाप...
गब्बर - हूं...कितने आदमी थे ?
सांभा - सरदार दो...
गब्बर - मुझे गिनती नहीं आती... 2 कितने होते हैं ?
सांभा - सरदार 2, 1 के बाद आता है...
गब्बर - और 2 के पहले ?
सांभा - 2 के पहले 1 आता है...
गब्बर - तो बीचे में कौन आता है ?
सांभा - बीच में कोई नहीं आता...
गब्बर - तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते ?
सांभा - 1 के बाद 2 ही आ सकता है, क्योंकि 2, 1 से बड़ा है...
गब्बर- 2, 1 से कितना बड़ा है ?
सांभा - 2, 1 से 1 बड़ा है...
गब्बर - अगर 2, 1 से 1 बड़ा है तो 1, 1 से कितना बड़ा है ?
सांभा - सरदार मैंने आपका नमक खाया है... मुझे गोली मार दो ...!!!
बहुत अच्छा पढ़कर , बढिया हैं , ऐसे ही लिखते रहें । लेकिन ये बतायें की कही गब्बर और डंका बजवाने वाली बात को किसी और को इंगित करने के लिए प्रयोग में तो नहीं लाया गया ?
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी ,
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
हा हा हा हा हा....
ये गोली मारने के बाद वाली हंसी है....:)))
ब्लोगर के सम्मान करने के पहले गब्बर कहेगा, "बहुत दम हैं इन हाथों में... ये हाथ ... ये हाथ बड़े बड़े पोस्ट लिखते हैं... ये हाथ हमें दे दे ब्लोगर!"
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई-तब तो ठीक ही रहेगा:)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा
तुहाडा वी जवाब नई,
नाप्पुझने तो बहुत मिलेंगे यहाँ... और गब्बर भी... और ऐसे ही गब्बर्स ..... सबको फ्रस्ट्रेट करते हैं.....
जवाब देंहटाएंजय हिंद......
हमको तो .......अपने हे हाथ दे दो खुश-दीप भैये !!!
जवाब देंहटाएंगब्बर-सांभा के सहारे ....कह डाली बात सारी !
सच है सब एक और दो का ही मसला है !
जय हो!
ha ha ha
जवाब देंहटाएंthaakur ne hijdon ko fouj banaai hai..........
जवाब देंहटाएंjo ye toh jaante hain ki kaise kiya jata hai par kar nahin sakte kuchh bhi...ha ha ha
gabbar salaamat toh nappujhannon ki kya kami hai ?
abhi basanti ki entry baaki hai kaliya !
nazar uthaakar dekh...
dance ki reharsal chal rahi hai...
tu to dekhne ko bhi tarsega..
rang to sara thaakur ke aangan barsega
angrejon ke zamaane ke jelar fir apne hath lalvaaenge
viru aur jai toh mehfil lootne aaye hain aur lootke jaayenge...ha ha ha
लो जी, साम्बा बचपन में ही मर गया :)
जवाब देंहटाएंशोले का ये रिमिक्स भी बढ़िया है ...!!
जवाब देंहटाएंkya baat hai dear.......
जवाब देंहटाएंसही कह गए आप , कोई सम्मान पाने लायक होता तब न सम्मान दिया जाता !:)
जवाब देंहटाएंगोली ही खा लो सांभा समझ दार था
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई मैंने सिक्का उछाला था, टिप्पणी दूं कि नहीं, अभी तक नीचे नहीं आया है।
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा बहुत खूब बधाई
जवाब देंहटाएंपर कोई तो बताये 'अगर 2, 1 से 1 बड़ा है तो 1, 1 से कितना बड़ा है ?'
जवाब देंहटाएंसरदार दो ........ एक पाबला जी और दूसरा कौन .........
जवाब देंहटाएंबढ़िया है ...!!
जवाब देंहटाएंपर ये १ और २ के बीच में कौन आता है बताया नहीं, अगर सांभा को गोली मार दी फ़िर बतायेगा कौन :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा स्कीम बढ़िया बताई .....बहुत रोचक...
जवाब देंहटाएंसही है.
जवाब देंहटाएंपूछा गया
जवाब देंहटाएंकितने आदमी थे?
बताया गया
सरदार दो
बहुतsss बेइंसाफी है
क्या सोच कर आए थे? कि सरदार खुस होगा, सबासी देगा? क्यों??
बी एस पाबला
ब्लॉगर सम्मान समारोहों की लग गई है झड़ी
जवाब देंहटाएंबसंती भी देख रही होगी कहीं पर तन के खड़ी
मैं भी ब्लॉग बनाऊंगी और कई हजार पाऊंगी
हिस्सा उसमें गब्बर और घास दोनों को दे जाऊंगी
hee hee hee sahi hai hah aha h a aha
जवाब देंहटाएंगब्बर - तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते ?
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई,
गब्बर की इस लाइन में आपकी पोस्ट का सार निहित है। हम समझ गए मगर हमारे "साथ” ने समझा हो तो बात बने। हा हा।
मजेदार खुराफ़ात!
जवाब देंहटाएंवाह भाई! आ
जवाब देंहटाएंआप का नाम पहले ही खुशदीप रख दिया गया। वरना हम रख देते।
भले ही सम्मान न मिल पाया हो किसी को मगर खुशदीप जी आपकी ये पोस्ट पढ़कर ये खुशी ये हँसी मिली है सबको वो सबसे बझडकर है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद....
दोनों 'साथ' नहीं तो आगे-पीछे आ ही गए खुशदीप जी.....हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंऔर बीच में....??
मरना है क्या ??
आप बुलाओ वो न आयें ...ऐसे भी हालात नहीं ...
बहुत से लोग इस सम्वाद का मतलब समझने के लिये सिर खुजा रहे हैं ..
जवाब देंहटाएं"खुशदीप भाई मैंने सिक्का उछाला था, टिप्पणी दूं कि नहीं, अभी तक नीचे नहीं आया है।"
जवाब देंहटाएंअपुन भी मनोज कुमार जी की तरह सिक्के के नीचे आने का इन्तजार कर रहे हैं उसके बाद ही टिप्पणी देंगे:))
जय हिंद!!!!!!!!!
पुराने ब्लॉग देखकर कितना अच्छा लगता है ।
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