नाम है नैनसुख...खुशदीप
आज स्लॉग ओवर की बारी है...लेकिन मूड बनाने के लिए पहले नाम की थोड़ी चर्चा हो जाए...आप कहेंगे कि नाम में रखा क्या है...ल…
बुधवार, नवंबर 11, 2009आज स्लॉग ओवर की बारी है...लेकिन मूड बनाने के लिए पहले नाम की थोड़ी चर्चा हो जाए...आप कहेंगे कि नाम में रखा क्या है...ल…
हिंदी पिटी...बुरी तरह पिटी...अपने देश में ही पिटी... आखिर हिंदी है किस खेत की मूली...राष्ट्रीय भाषा कोई है हिंदी...जो म…
पंच परमेश्वरों का निष्कर्ष है कि लेखन का सबसे अच्छा स्टाइल है कि कोई स्टाइल ही न हो...यानि फ्री-स्टाइल...आपकी सलाह सर म…
मुद्दों पर आधारित गंभीर लेखन...हल्का फुल्का लेखन...स्लॉग ओवर...या इनका कॉकटेल...क्या लिखूं...मैं खुद कन्फ्यूजिया गया हू…
जी हां, मुबारक हो दुनिया आगे जा रही है और हमने रिवर्स गियर पकड़ लिया है...ऊपर वाले ने चाहा तो हम जल्दी ही 1947 से पहले …
लिखना आज कुछ और चाहता था...लोकतंत्र की कीमत के मुद्दे पर...लेकिन कल मैं ब्ल़ॉगवाणी पर जाकर कई बार शर्मिंदा हुआ...शर्मसा…
आज़ादी के बाद हमने क्या खोया और क्या पाया...आज इस पर विमर्श के लिए सिर्फ और सिर्फ कुछ सवाल रखूंगा...लेकिन उससे पहले आज …
अंग्रेज़ों ने हमसे क्या लूटा...और बदले में भारत को क्या दिया...सवाल पुराना है...लेकिन ज्वलंत है...और शायद हमेशा रहेगा भ…
बड़े दिन से अपनी पोस्ट के ज़रिए गंभीर विमर्श करता रहा...इसलिए आज ट्रैक बदल रहा हूं...स्लॉग ओवर भी बेचारा एक कोने में दु…
आपने ब्रेक के बाद भी महावीर और जानकी देवी की कहानी पर विमर्श की आखिरी कड़ी लिखने के लिए प्रेरित किया...उसके लिए मैं आप …