नई दिल्ली (10 मई)।
सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार
और द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम के एक ट्वीट को लेकर बहस छिड़ी हुई है.
आरफ़ा ने 29 अप्रैल 2022 को ट्वीट में वीडियो और कुछ तस्वीरों के माध्यम से बताना
चाहा कि मस्जिदों में महिलाओं को एंट्री और नमाज अदा करने की इजाज़त है. जामा
मस्जिद परिसर में महिलाओं के शूट किए गए इस वीडियो के साथ लिखे कैप्शन में आरफ़ा
ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस पर टिप्पणी भी की.
आरफ़ा ने लिखा- "क्या संघी बनने के लिए पहली ज़रूरी शर्त कम आई क्यू यानि कम बुद्धि स्तर का होना है? हां, मुस्लिम महिलाएं मस्जिद के अंदर जा सकती हैं. रोज़ा इफ्तारी कर सकती है और नमाज भी अदा कर सकती हैं. मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री पर कोई बैन नहीं है. नीचे के वीडियो में जामा मस्जिद, दिल्ली में महिलाएं नमाज़ से पहले वज़ू कर रही हैं."
Is having low IQ a prerequisite for being a Sanghi ?
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) April 29, 2022
Yes, Muslim women can go inside the Masjid, break their fast and offer namaz there. There’s no ban on Women’s entry in Mosques.
In the video below women are performing Wuzu/Wudu before Namaz in Jama Masjid, Delhi. pic.twitter.com/uJY576Bood
आरिफा ने अपने ट्वीट के ही रिप्लाई में एक और वीडियो और दो तस्वीरें डालीं.
Another one pic.twitter.com/mIM205R6yb
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) April 29, 2022
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) April 29, 2022
आरफ़ा के इसी ट्वीट को लेकर
सोशल मीडिया यूज़र्स के तरह तरह कमेंट्स सामने आए. सिद्दीकी तारिक नाम के एक यूज़र ने आरफा के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा-
मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में जा सकती हैं लेकिन हिजाब में, मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में जा सकती हैं लेकिन पुरुषों के पीछे, न कि पुरुषों के साथ, मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए जा सकती है लेकिन इस तरह कैमरे के सामने दिखावे के लिए नहीं. वो कैमरे की तरफ़ देख रही हैं और मुस्कुरा रही हैं.
Muslim Women Should Go Inside Mosque but in Hijab.
— Siddiqui Tarique (@TM_Siddiqui) April 29, 2022
Muslim Women Should Go Inside Mosque but behind Men not with mens?
Muslim Women should go Inside Mosque for Offering Namaz not For Show Off in front of Camera like this. They are watching towards camera and smiling. #BeSharamLog https://t.co/P9PsbmTsJn
यूज़र साहिल राज़वी ने वीडियो देखने के बाद जामा मस्जिद कमेटी के सदस्यों से ही सवाल पूछ डाला कि वो क्यों कुछ एक्शन नहीं ले रहे हैं? मस्जिद अल्लाह का घर होता है, वहां केवल और केवल इबादत की जानी चाहिए. पर हम देख रहे हैं कि मस्जिद को पिकनिक का अड्डा बना दिया गया है, शर्म आनी चाहिए. मस्जिद की बेहुरमती बंद की जाए.
सोशल मीडिया यूज़र अफ़ज़ल अफाक ने वीडियो में दिख रहे वज़ू के तौर-तरीके पर ही सवाल उठाया. अफ़ाक ने ट्वीट में लिखा कि वजू का तो तरीका ये नही है कि पहले पैर धोये और फिर मुँह!!
वजू का तो तरीका ये नही है कि पहले पैर धोये और फिर मुँह!! https://t.co/mbUnxIN44c
— Afzal Afaque (@afzalafaque) April 30, 2022
कुछ यूज़र्स ने ये ध्यान भी
दिलाना चाहा कि ये मस्जिद परिसर है मस्जिद का अंदर नहीं.
शबा फातिमा नाम के ट्विटर
हैंडल से ट्वीट में आरफ़ा ख़ानम के लिए कहा गया- कम से कम एक मुस्लिम महिला की ओर
से ऐसा कहा जाना गैर ईमानदार है. महिलाएं कुछ प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मस्जिदों में खुली जगहों पर नमाज़
पढ़ सकती हैं, मस्जिदों के अंदर नहीं, जो भी हो क्या ऐसा कहना इसके समान नहीं है
कि महिलाओं को भारत में मस्जिदों के अंदर जाने की इजाज़त है.
This coming from a muslim woman is dishonest to say the least. Women reading namaaz in few popular, historical masjids in free spaces and not inside the masjid anyways is not the same as 'women are allowed to enter masjids in India'. https://t.co/nMIsE6a4yg
— Shaba Fathima (@ShabaFathimaS) May 6, 2022
बहरहाल, आरफ़ ख़ानम के
ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर दिलचस्प बहस ने ज़रूर जन्म लिया है.