PM चुने जाते ही शहबाज़ शरीफ़ ने छेड़ा कश्मीर राग, कहा भारत से रिश्ते अच्छे करने की यही शर्त, महंगाई से राहत और अर्थव्यवस्था सुधारने पर खास ज़ोर, PPP और JUI जैसी धुर विरोधी रही पार्टियों के नेताओं को साथ लेकर चलना आसान नहीं
नई दिल्ली (12 अप्रैल)।
हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे
के बाद आखिरकार पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) यानि पीएमएल-एन के शहबाज़ शरीफ़ को पाकिस्तान
का 23वां प्रधानमंत्री चुन लिया गया. वो अभी तक पाकिस्तान नेशनल असेंबली में
विपक्ष के नेता थे. 70 साल के शहबाज़ पाकिस्तान के सबसे अहम सूबे पंजाब के 2008 से
2018 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. शहबाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान में अपने विज़न के
तहत जिस तात्कालिक 12 पाइंट्स वाले रोडमैप का एलान किया है, उसमें वो कश्मीर का
राग अलापना नहीं भूले. शहबाज के मुताबिक भारत से अच्छे रिश्तों की शर्त कश्मीर
विवाद का वाज़िब हल है. साथ ही शहबाज ने ये भी कहा कि फिलिस्तीनियों, अफ़गानियों
के साथ कश्मीरियों का मुद्दा भी उनकी सरकार उठाती रहेगी.
पाकिस्तान के नए पीएम शहबाज़ शरीफ़ |
प्रधानमंत्री चुने जाने के
बाद शहबाज़ ने 12 सूत्री रोडमैप का एलान किया है.
1. 1. न्यूनतम भत्ता बढ़ाकर
25,000 रुपए किया जाएगा जो एक अप्रैल से लागू होगा
2. 2. 1 अप्रैल से ही पेंशन में
10 फ़ीसदी बढ़ोतरी का एलान
3. 3. रमज़ान पैकेज के तहत गेहूं
सस्ती दर पर मुहैया होगी
4. 4. निवेशकों को पाकिस्तान में
निवेश के लिए आकर्षित करने को ठोस कदम
5. 5. बिजली की ऊंची कीमतों पर
गौर किया जाएगा
6. 6. छोटे प्रांतों की तरक्की पर
ख़ास ज़ोर, वहां युवाओं को तकनीकी शिक्षा और लैपटॉप्स
7. 7. चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब
अमीरात, ब्रिटेन और ईरान से संबंध मज़बूत
8. 8. भारत के साथ अच्छे रिश्तों
की शर्त कश्मीर विवाद का वाज़िब हल
9. 9. कश्मीरी, फिलिस्तीनियों और
अफगानिस्तान के लिए आवाज़ उठाना
10. अर्थव्यवस्था में कड़ी मेहनत और राष्ट्रीय एकता
से सुधार
1 11. राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय कमेटी की इन कैमरा
ब्रीफिंग के लिए इंतज़ाम ताकि उन दस्तावेज पर विमर्श और उनकी प्रमाणिकता को
सुनिश्चित किया जा सके जिनमें इमरान की पार्टी के दावे के मुताबिक विदेशी साज़िश के चलते उसकी सरकार को
गिराने की कोशिश की गई
12. गरीबों की आर्थिक मदद वाले बेनज़ीर
कार्ड को दोबारा लाया जाएगा.
शहबाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा तो पूरी हो गई लेकिन जिस तरह के पाकिस्तान में हालात हैं, उनमें ये उनके लिए कांटों के ताज से कम नहीं होगा. अपनी धुर विरोधी पार्टी पीपीपी के बिलावल भुट्टो और आसिफ ज़रदारी, जमीएत ए उलेमा इस्लाम के मौलाना फज़लुर्रहमान और अन्य विपक्षी नेताओं को साथ लेकर चलना शहबाज़ के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं होगा.