भारत की पहली मुस्लिम महिला टीचर फ़ातिमा शेख़ की आज 191वीं जयंती, ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले के साथ वंचितों की शिक्षा के लिए जगाया अलख, फुले दंपति को अपने घर में दी थी जगह, 1848 में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला
नई दिल्ली (9 जनवरी)।
कौमी एकता की प्रतीक और भारत की पहली मुस्लिम महिला टीचर फ़ातिमा शेख
को उनकी 191वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बना कर सम्मानित किया है. फ़ातिमा शेख का
जन्म आज ही के दिन यानी 9 जनवरी 1831 को पुणे में हुआ था. फ़ातिमा शेख ने समाज
सुधारक ज्योति बा फुले और सावित्री बाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों और बहुजनों में
शिक्षा का अलख जगाने में अहम योगदान दिया.
ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले की महिलाओं और बहुजनों को शिक्षित
करने की मुहिम कट्टरपथियों को बर्दाश्त नहीं हुयी और उन्होंने फुले दम्पत्ति के
पिता पर दबाव बनाकर उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसे मुश्किल दौर में इन
दोनों का साथ देने के लिए फ़ातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख आगे आए. उन्होंने न
सिर्फ फुले दंपति को अपने घर में शरण दी बल्कि उन्हें महाराष्ट्र के पूना पैठ
(पूना) में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के लिए जगह भी दी.
1848 में स्वदेशी पुस्तकालय की शुरुआत हुई जिसे देश में लड़कियों का
पहला स्कूल माना जाता है. यहीं फ़ातिमा शेख और फुले दंपती ने समाज के गरीब, पिछड़े तबकों
व मुस्लिम महिलाओं को पढ़ाने का काम शुरू किया था। जिन्हें जाति, धर्म और लिंग के आधार पर उस वक्त
शिक्षा से वंचित रखा जाता था, उन्हें इस स्कूल से नई रौशनी मिली.
फ़ातिमा बच्चों को अपने घर में पढ़ने बुलाने के लिए घर-घर जाती थीं.वह चाहती थीं कि भारतीय जाति व्यवस्था की बाधा पार कर वंचित तबके के बच्चे पुस्तकालय में आएं और पढ़ें. वह फुले दंपती की तरह जीवन भर शिक्षा व समानता के लिए संघर्ष में जुटी रहीं. अपने इस मिशन में उन्हें भारी रूकावटों का भी सामना करना पड़ा. समाज के प्रभावशाली तबके ने उनके काम में रोड़े डाले. उन्हें परेशान किया गया, लेकिन शेख व उनके सहयोगियों ने हार नहीं मानी.
वो दौर ऐसा था जब निचली जाति के लोगों से भारी भेदभाव किया जाता था.
ऐसे कठिन समय में फ़ातिमा शेख ने फुले दंपति के साथ मिलकर जो किया तो
समझा जा सकता है कि उन्होंने कितने मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा होगा. उन्हें
भी फुले दंपति की तरह दकियानूसी और पोंगापंथी लोगों की तरफ से कदम कदम पर
दुश्वारियों से पेश आना पड़ा.
फ़ातिमा शेख को शत शत नमन...