भारतीय क्रिकेट में किट-किट खत्म होने का नाम नहीं ले रही, खुलकर सामने आई खेमेबाज़ी; कर्नल नाम से मशहूर रहे पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने सौरव गांगुली पर साधा निशाना, वेंगसरकर ने कहा, सेलेक्शन संबंधी मुद्दों पर BCCI अध्यक्ष गांगुली को बयानबाज़ी से बचना चाहिए
नई दिल्ली (24 दिसंबर)।
विराट
कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया तीन टेस्ट की सीरीज़ खेलने के लिए साउथ अफ्रीका
में है, 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे पर सेंचुरियन में पहला टेस्ट मैच शुरू होने वाला
है लेकिन भारतीय क्रिकेट में किट-किट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. इस टेस्ट
सीरीज़ के तत्काल बाद 19 जनवरी से भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तीन वन डे मैचों की
सीरीज़ भी होनी है जिसमें टीम इंडिया की कमान रोहित शर्मा के हाथ में रहेगी. रोहित
चोटिल होने की वजह से टेस्ट सीरीज़ में नहीं खेलेंगे.
विराट कोहली को अचानक वनडे टीम की कप्तानी से हटाया जाना लगातार
सुर्खियों में बना हुआ है. विराट 15 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुल कर कह
चुके हैं कि वो टेस्ट और वनडे फॉर्मेट दोनों में कप्तानी करना चाहते थे लेकिन
उन्हें अचानक बताया गया कि उन्हें वनडे फॉर्मेट की कप्तानी से हटाया जा रहा है. विराट के मुताबिक इस फैसले की औपचारिक
घोषणा से महज़ 90 मिनट पहले उन्हें इसकी जानकारी दी गई थी. हालांकि विराट ने ये भी साफ कर दिया
था कि रोहित शर्मा से उनकी कोई अनबन नहीं है और वो उनकी कप्तानी में वनडे सीरीज़
में खेलने के लिए तैयार हैं. विराट ने ये भी कहा था कि टी20 फॉर्मेट की कप्तानी
छोड़ने का उनका फैसला अपना था लेकिन इस पर दोबारा सोचने के लिए बीसीसीआई की ओर से
उन्हें कभी नहीं कहा गया था. लेकिन बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की ओर से ऐसा
बयान सामने आया था कि विराट को टी—20 की कप्तानी नहीं छोड़ने के लिए कहा गया था
जिसे उन्होंने नहीं माना था.
विराट ने इस मसले पर बैकफुट पर रहने की जगह फ्रंटफुट पर रह कर एक
तरह से बीसीसीआई और इसके अध्यक्ष सौरव गांगुली के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जता
दी. भारतीय क्रिकेट के करीब 9 दशक के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब किसी
खिलाड़ी ने कप्तानी से हटाए जाने पर खुले तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोर्ड के
फैसले पर सवालिया निशान लगाया हो. विराट की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से ही भारत
में दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ विराट को अहंकारी बता रहे हैं
तो कुछ सेलेक्शन संबंधी मुद्दों पर सौरव गांगुली के बयान देने को सही नहीं मान रहे
हैं और कह रहे हैं कि बोर्ड को अधिक पेशेवर रवैया दिखाना चाहिए था.
इस घटनाक्रम पर पूर्व दिग्गज क्रिकेटर भी अपनी राय रख रहे हैं.
कर्नल के नाम से मशहूर रहे बैट्समैन और 83 वर्ल्ड कप विनर टीम का हिस्सा रहे दिलीप
वेंगसरकर ने इस मामले में बीसीसीआई अध्यक्ष और दादा के नाम से बुलाए जाने वाले टीम
इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली पर निशाना साधा है. टीम इंडिया के कप्तान रह
चुके वेंगसरकर ने खलीज टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है कि गांगुली का
चयनकर्ताओं की तरफ से बोलने का कोई मतलब ही नहीं बनता। गांगुली वर्तमान में
बीसीसीआइ के अध्यक्ष हैं। अगर कोई भी बात टीम के चयन या कप्तान से जुड़ी हुई तो
चयन समिति के चेयरमैन ही वो इंसान हैं जिनको बोलना चाहिए।"
वेंगसरकर ने ये भी कहा कि यह सारी चीजें चयन समिति के
चेयरमैन और कप्तान के बीच में रहनी चाहिए थी, कप्तान को चयन समिति द्वारा चुना या
हटाया जाता है, यह गांगुली के अधिकार क्षेत्र
में बिल्कुल भी नहीं आता है."
वेंगसरकर ने साथ ही कहा कि विराट कोहली ने देश की क्रिकेट के लिए
काफी कुछ दिया है। लेकिन जैसा कोहली के साथ बर्ताव किया गया है इससे उनको यकीनन
चोट पहुंची होगी. वेंगसरकर की राय में विराट कोहली के सम्मान का ध्यान रखा जाना
चाहिए.
इस पूरे प्रकरण के बारे में बता
दें कि 8 दिसंबर को बोर्ड ने टी-20 फॉर्मेट के कप्तान रोहित शर्मा को वनडे फॉर्मेट
के लिए भी टीम इंडिया का कप्तान बनाने का एलान किया. 9 दिसंबर को बीसीसीआई अध्यक्ष
गांगुली ने मीडिया से कहा कि विराट के यूएई में टी20 वर्ल्ड कप के बाद टी20
फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ने के बाद बोर्ड चाहता था कि विराट अपने फैसले पर दोबारा
विचार करे क्योंकि बोर्ड टी-20 और वनडे फॉर्मेट में अलग अलग कप्तान नहीं चाहता था.
फिर 15 दिसंबर को विराट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुल कर अपनी बात रखी. 17 दिसंबर
को गांगुली ने कोलकाता में कहा था कि बोर्ड इस मसले पर कोई बयान नहीं देगा.
गांगुली ने कहा था कि कोई बयान नहीं, कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, हम इसे डील
करेंगे, इसे बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए.
बहरहाल भारतीय क्रिकेट
के लिए सही यही रहेगा कि कप्तान, खिलाडियों और बोर्ड का एक दूसरे पर भरोसा बना रहे
और अधिक प्रोफेशनल ढंग से विवादों को डील किया जाए.
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