राहुल द्रविड का फोकस टीम इंडिया के लूपहोल्स दूर करने पर, टीम इंडिया को धार देने के साथ T20 वर्ल्डकप 2021 पर नज़र, बहुत सारे रणनीतिकारों से ज़रूरी है ठोस स्ट्रेटेजी पर काम करना
नई दिल्ली (10 नवंबर)।
टीम इंडिया
का अपने ग्रुप में सबसे अच्छा रन रेट रहने के बावजूद टी20 वर्ल्ड कप से रिटर्न
टिकट कट गया. 14 नवंबर को साफ हो जाएगा कि टी-20 का दुनिया में अगला बादशाह कौन
है. पिछली चैंपियन वेस्ट इंडीज पहले ही टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी है. इसके साथ
ही टीम इंडिया के हेड कोच के तौर पर रवि शास्त्री युग ख़त्म हुआ. साथ ही टी20
फॉर्मेट में विराट कोहली की कप्तानी पर भी पर्दा गिर गया. अब टीम के हेड कोच की
जिम्मेदारी राहुल द्रविड़ पर है. राहुल द्रविड़ कोच के तौर पर अंडर 19 और इंडिया ए
टीमों में अपना कमाल पहले ही दिखा चुके हैं. लेकिन अब जो उन्हें ज़िम्मेदारी मिली
है वो सबसे बड़ी है. टीम इंडिया को इस टी20 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल से पहले ही
आउट हो जाने से भारत का हर क्रिकेट प्रेमी सकते में हैं. अब राहुल द्रविड़ को आज
के साथ आने वाले कल के लिए भी सशक्त टीम तैयार करनी है. टीम इंडिया का आगे व्यस्त
शेड्यूल है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया में अगले ही साल यानि 2022 में होने वाले टी20वर्ल्ड
कप पर भी राहुल की ज़रूर नज़र होगी.
विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया टी20 वर्ल्ड कप
के लिए यूएई पहुंची थी तो उसे हॉट फेवरेट बताया जा रहा था. लेकिन 24 अक्टूबर को
पहले ही मैच में पाकिस्तान ने भारत को दस विकेट से मात दी. दूसरे मैच में 31 अक्टूबर को
भारत का न्यूज़ीलैंड से सामना था, वहां भी उसे आठ विकेट से शिकस्त मिली. अब मज़बूत
टीमों के सामने उतरते वक्त टीम इंडिया को नई धार देनी होगी. इसी पर राहुल द्रविड़
का फोकस रहेगा.
राहुल
द्रविड़ ने यूएई में टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की पांच खामियों को ज़रूर नोट
किया होगा, जिन्हें दूर किया जाए और टीम इंडिया को ऐसे किसी बड़े टूर्नामेंट से इस
तरह मायूस होकर बाहर न होना पड़े
1 टॉप बैटिंग
ऑर्डर का दो अहम मैचों में न चलना
2. यूएई
में रात को मैदानों पर ओस होने से बोलिंग बेअसर रहना
इन
दोनों मैचों में टॉस हार कर भारत को पहले बैटिंग करना भारी पड़ा. दुबई में रात को
मैदान में गिरने वाली ओस बाद में बोलिंग करने वाली टीम के अधिकतर खिलाफ जाती है. और
स्कोर का पीछा करने वाली टीम के लिए बैटिंग करना आसान हो जाता है. पाकिस्तान और
न्यूज़ीलैंड जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ भारत के बोलर्स महज दो विकेट ही ले सके. न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में दोनों विकेट जसप्रीत बुमराह ने लिए. लेकिन ये
सिर्फ एक वजह हो सकता है. लेकिन असली फ़र्क ऐसे ही कड़े मुकाबलों में बोलर्स को
अपना प्रदर्शन ऊंचा करके देना होता है.
3. लंबे वक्त से ग्रुप के तौर पर टी20 नहीं खेलना
टीम इंडिया की जिस टीम को यूएई टी20 ग्रुप के तौर पर
चुनौती पेश करनी थी वो 17 अक्टूबर को ही ग्रुप के रूप में एकसाथ जुटी थी. इससे दो
दिन पहले यानि 15 अक्टूबर तक ही ये प्लेयर्स यूएई में इंडियन प्रीमियर लीग यानि
आईपीएल के लिए एक दूसरे के खिलाफ अलग अलग टीमों से खेल रहे थे. इसका सीधा मतलब है
कि 24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ अहम मुकाबले से पहले टीम इंडिया के सदस्यों
को ग्रुप के तौर पर महज एक हफ्ता ही साथ रहने का मौका मिला था.
4. बहुत
सारे रणनीतिकारों की मौजूदगी
5. विराट
कोहली का टी20 कप्तानी छोड़ने का एलान
कप्तान
का काम पूरी टीम के मनोबल को ऊंचा रखने का होता है. लेकिन विराट कोहली ने इस
टी20वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले ही एलान कर दिया था कि टी20 फॉर्मेट में उनका
कप्तान के तौर पर यह आखिरी टूर्नामेंट होगा. कोहली ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स मे
धोनी से 2017 में लीडरशिप संभाली थी. गौतम गंभीर का ही कहना है कि कोहली के इस एलान
की टाइमिंग ने टीम इंडिया को अनसैटल और इमोशनल किया.
बहरहाल
अब देखना होगा कि टीम इंडिया की ओवरऑल जिम्मेदारी देखने के साथ राहुल द्रविड़ टी20
फॉर्मेट के लिए ट्रेनिंग में क्या कमाल दिखा पाते हैं. क्या ऑस्ट्रेलिया में टी-20
वर्ल्ड कप में वो हासिल हो सकेगा जो इस बार दुबई में नहीं हो सका.