1971 ओवल टेस्ट: भारत की 50 साल पहले इंग्लैंड पर गोल्डन जीत में हाथी-घोड़े का रोल


बेल्ला हाथी और मिल रीफ घोड़ा कैसे उस मैच में भारत के लिए रहे थे शुभ, जानिए...

1971 में ओवल टेस्ट में सीरीज़ जीत के बाद दर्शकों का अभिवादन करते कप्तान अजित वाडेकर: Sourc- BCCI Tv website

नई दिल्ली (3 सितंबर)।

साउथ लंदन के ओवल मैदान पर इंग्लैंड और भारत के बीच मौजूदा सीरीज का चौथा टेस्ट चल रहा है. इसी मैदान पर 50 साल पहले 24 अगस्त 1971 को भारत ने अजित वाडेकर की कप्तानी में इंग्लैंड की सरजमीं पर पहली सीरीज़ जीत हासिल की थी. सुनील गावस्कर के आगाज़ का साल, बीएस चंद्रशेखर की लाजवाब गेंदबाज़ी और एकनाथ सोल्कर की चुंबकीय फील्डिंग ने भारत को ओवल टेस्ट 4 विकेट से जीतकर इंग्लैंड को 1-0 से परास्त करने में अहस भूमिकाएं निभाई थीं. वो सीरीज़ भारतीय क्रिकेट के सुनहरी पन्ने के तौर पर दर्ज है.

 

लंदन के ताज सेंट जेम्स कोर्ट होटल में बीते बुधवार को भारत की उस जीत की गोल्डन जुबली पर उन गोल्डन लम्हों को याद किया गया. 1971 में ओवल टेस्ट चल रहा था तो कुछ भारतीय प्रशंसक स्थानीय चेसिंगटन चिड़ियाघर से बेल्ला नाम के हाथी को किराए पर लेकर आए थे. उस हाथी को भारतीय टीम के लिए शुभ माना गया. क्योंकि उस वक्त गणेश उत्सव के दिन चल रहे थे.


1971 ओवल टेस्ट के दौरान भारतीय फैंस की ओर से  चिड़ियाघर से किराए पर लाया गया हाथी

1971 में ओवल टेस्ट की जीत के सूत्रधार लेग स्पिनर चंद्रशेखर थे. चंद्रशेखर ने उस मैच की दूसरी पारी में 39 रन देकर इंग्लैंड के छह विकेट झटके थे. चंद्रशेखर भी बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए गोल्डन जुबली कार्यक्रम से जुड़े. हालांकि चंद्रशेखऱ ने इस मौके पर 1971 की ऐतिहासिक जीत के पीछे एक घोड़े की भूमिका का ज़िक्र किया.

 

चंद्रशेखर ने बताया कि जब वो बोलिंग रनअप की ओर जा रहे थे तो  वरिष्ठ क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई ने चिल्ला कर कहा था- हे चंद्रा, बोल हिम मिल रीफ (Mill Reef).” उस वक्त जॉन एड्रिच बैटिंग कर रहे थे.

 

Source:en.wikipedia

चंद्रशेखर के मुताबिक उस वक्त इंग्लैंड में मिल रीफ नाम का घोड़ा सारी बड़ी रेस जीत रहा था. वो तूफ़ान की तरह तेज़ दौड़ता था. चंद्रा ने बताया कि वो पहले एड्रिच को गुगली डालने की सोच रहे थे. लेकिन जब उन्होंने सरदेसाई की बात को सुना तो उन्होंने अपना इरादा बदल कर एड्रिच को तेज़ गेंद डाली. नतीजा सामने था एड्रिच बिना अपना खाता खोले ही क्लीन बोल्ड हो गए.

 

इस मौके पर भारत के पूर्व विकेटकीपर फारूख़ इंजीनियर ने भी चंद्रा की तारीफ करते हुए कहा कि पूरे सम्मान के साथ कहता हूं कि चंद्रा भारत की तरफ से खेलने वाले सर्वश्रेष्ठ स्पिनर थे. इंजीनियर ने चंद्रा के समकालीन स्पिनर्स इरापल्ली प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी और एस वेंकटराघवन को भी बेहतरीन स्पिनर्स बताया. ये संयोग ही था कि चार श्रेष्ठ स्पिनर्स एक ही दौर में एक साथ खेले.

 

इंजीनियर ने भारतीय पत्रकार आशीष रे से विशेष बातचीत में चंद्रशेखर को फ्रीक (तरंग में आकर बोलिंग करने वाला) बोलर बताया. इंजीनियर ने कहा कि चंद्रा का एक हाथ बचपन से ही पोलियोग्रस्त था लेकिन इसी को उन्होंने अपनी अनूठी बोलिंग का सबसे बड़ा हथियार बना लिया. चंद्रशेखर ने अपने करियर में 58 टेस्ट खेलकर 242 विकेट लिए.

 

इस मौके पर मौजूदा भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने 1971 की उस सीरीज को याद करते हुए कहा कि वो तब महज़ 9 साल के थे. शास्त्री के मुताबिक उन्होंने उस मैच की बोल टू बोल कमेंट्री बीबीसी पर सुनी थी और उस मैच से बड़ा होकर क्रिकेटर बनने की बहुत प्रेरणा मिली.

 

मौजूदा सीरीज में अब तक तीन मैच खेले जा चुके हैं और स्कोर 1-1 से बराबर है. ओवल टेस्ट के बाद एक और टेस्ट खेला जाना है. अब देखना है कि विराट कोहली एंड कंपनी इन दो मैचों में इंग्लैंड से सीरीज जीत कर भारत की 1971 की जीत की गोल्डन जुबली को यादगार बना पाती है या नहीं.

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