5 से 7 जनवरी तक दिल्ली के निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन के पास पूर्वा सांस्कृतिक केंद्र (पीएसके) में देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट इरफ़ान की 9वीं एकल कार्टून प्रदर्शनी का आयोजन हुआ...प्रदर्शनी का विषय भी पूरी तरह सामयिक था...'बेटी है तो कल है'...इरफ़ान भाई मेरे अज़ीज़ है...उनका हुक्म था 5 जनवरी को टाइम से पहुंचना है...बड़े भाई के आदेश का ही असर था कि मैं कड़ाके की ठंड में भी टाइम से पहले ही पहुंच गया...मेरे साथ शाहनवाज़ भी थे...पोस्ट के साथ लगी हुई फोटो शाहनवाज़ की ही खींची हुई है...
प्रदर्शनी को संबोधित करते दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ ए के वालिया |
प्रदर्शनी में प्रदर्शित एक-एक कार्टून 'बिटियाओं को बचाने' का संदेश सटीक ढंग से दे रहा था...इरफ़ान भाई के ये कार्टून इस विषय पर जगह-जगह हो रही महा-बहस से कहीं भारी थे...वैसे इरफ़ान भाई ने इस प्रदर्शनी की जब तैयारी शुरू की थी तो उनकी सोच 'कोख़ में कन्याओं को बचाने' का संदेश देने की थी...लेकिन प्रदर्शनी का जब समय आया तो पूरा देश दिल्ली में गैंग-रेप के जघन्य अपराध से उद्वेलित था...यानि हमारे देश में कन्याएं भ्रूण में ही नहीं, बड़े होने पर भी सुरक्षित नहीं है...इरफ़ान भाई ने बड़े प्रभावी ढंग से अपने कार्टूनों में इसे अभिव्यक्ति दी...(मैं इरफ़ान भाई से अनुरोध करूंगा कि वो ब्लॉग जगत को भी प्रदर्शनी के सारे कार्टूनों से एक पोस्ट के ज़रिए रू-ब-रू कराएं)....
इरफ़ान भाई की कार्टून प्रदर्शनी का उद्घाटन दिल्ली के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ ए के वालिया ने किया...मुख्य अतिथि के नाते उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए डॉ वालिया ने लड़कियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई...साथ ही उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर भी बहुत ज़ोर दिया...डॉ वालिया ने कहा कि जब एक लड़की पढ़ती है तो उसके ज़रिए पूरा परिवार शिक्षित होता है....डॉ वालिया के संबोधन के बाद इरफ़ान भाई के बोलने की बारी थी...उन्होंने बड़े शालीन और प्रभावी ढंग से डॉ वालिया का प्रतिवाद करते हुए कहा कि आज जो माहौल है, उसमें सही तौर पर लड़कों को शिक्षित करने की ज़रूरत है....सिर्फ स्कूली पढ़ाई ही नहीं नैतिक शिक्षा के मोर्चे पर भी उन्हें बहुत कुछ पढ़ाने की आवश्यकता है...
इरफ़ान भाई की बातों ने इसी विषय पर मुझे पौने तीन साल पहले लिखी अपनी एक पोस्ट की याद दिला दी...इस का विषय आज के माहौल में ज़्यादा प्रासंगिक है...
बच्चे आप से कुछ बोल्ड पूछें, तो क्या जवाब दें...खुशदीप
समाज के हर तबके को नैतिकता के दायरे में रहने की ज़रूरत होनी चाहिए
जवाब देंहटाएंअच्छा काम। इरफ़ान जी अपने कार्टून दिखायेंगे आपकी बात पर।
जवाब देंहटाएंबेटी है तो कल है। जरुरी बात्।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
sahi baat
जवाब देंहटाएंप्राचीन काल से ही पुरुषों को संस्कारित करने का काम किया जाता था लेकिन आज तो उन्हें कुसंस्कारित करने का काम किया जा रहा है।
जवाब देंहटाएंदिल खुश किया खुशदीप ने। कम ही लोग होते हैं ,जो अपने नाम को साकार करते हैं।
हटाएंसही बात, आज जरुरत लड़कों को शिक्षित करने की भी है.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात है आज ज्यादा जरूरत है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सार्थक प्रयास।
जवाब देंहटाएंआना तो हमें भी था लेकिन एक ज़रूरी मीटिंग में जाना पड़ा।
लड़कों को सिखाना आवश्यक है ...यही आवश्यकता है आज की !
जवाब देंहटाएंसंतुलन सदा ही स्थिरता का सूत्र रहा है
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