क्या समीर जी की पोस्ट से नाराज हैं अन्ना...खुशदीप


अन्ना हज़ारे के मल्टीटास्किंग स्किल्स के बारे में गुरुदेव समीर लाल जी ने हाल में एक पोस्ट लिखी थी...यानि अन्ना के पास हर मर्ज़ की दवा है...लगता है अन्ना ने समीर जी की वो पोस्ट पढ़ ली है...और इसका बदला उन सभी लोगों से लेने की ठानी है जो कभी खुशी, कभी गम, कभी थकान उतारने, कभी बोरियत मिटाने और कभी कुछ भी खास न होने की वजह से लाल परी का सहारा लेते हैं...अन्ना ने ऐसे लोगों को चेतावनी के बावजूद न मानने पर पेड़ से बांध कर कूटने का रास्ता सुझाया है...



अन्ना के इस बयान पर सीपीआई के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा है-

"अन्ना पागल है...वो तालिबानी फरमान सुनाता है..."

अन्ना हज़ारे ने मंगलवार को कहा था कि शराब पीने वालों को पीटने के बाद सार्वजनिक तौर पर जलील करना चाहिए, इससे उन्हें इस आदत से छुटकारा दिलाया जा सकेगा...हालांकि अन्ना ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए ये भी साफ़ किया था कि ये तरीका अपनाने से पहले शराब पीने वाले शख्स को समुचित चेतावनी दी जानी चाहिए...

अन्ना के इस बयान को भी बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने खारिज करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी शराब छुड़वाने के लिए इस तरह के कट्टरपंथी तरीकों का समर्थन नहीं करती...यह आज के दौर का तरीका नहीं है...कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी अन्ना को लेकर अब बहुत सावधानी से बोलते हैं...उन्होंने अन्ना के सुझाव की तालिबान के उन फरमानों से तुलना की है जो वो शरीआ कानून का पालन न करने वालों के खिलाफ सुनाते रहे हैं...मनीष का कहना है कि अन्ना के इस सुझाव के हिसाब से तो आधे केरल, तीन-चौथाई आंध्र प्रदेश और अस्सी फ़ीसदी पंजाब को कोड़े लगाने होंगे...

इससे पहले अन्ना हजारे ने अपने बयान में स्वीकार किया कि वो महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगण सिद्धि में शराबियों को खंभे से बांधकर पीटा करते थे... यही वजह है कि रालेगण में अब कोई शराब नहीं पीता...अन्ना ने कहा, हम पहले प्यार से समझाते थे...शराब पीने वाले हमारे ही लोग हैं...इसलिए हम उन्हें तीन बार चेतावनी देते थे...चेतावनी के बाद अगर वे नहीं मानते तो जिंदगी में शराब न पीने का वचन लेने के लिए घसीट कर मंदिर ले जाते थे...इसके बाद भी अगर वे शराब पीना नहीं छोड़ते तो उन्हें मंदिर के पास खंभे से बांधकर पीटते थे...अन्ना ने इस तरीके को उचित ठहराते हुए कहा है कि यह शराबियों के फायदे के लिए है... सार्वजनिक तौर पर पिटाई के बाद शर्म के कारण शराबी अपनी आदत से छुटकारा पाने के लिए मजबूर हो जाएगा...

अब आप बताइए कि क्या आप इस मुद्दे पर अन्ना से सहमत हैं...

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19 टिप्पणियाँ
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  1. समीरलालजी तो पहले शिकार होंगे इस सुधार के।

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  2. .
    .
    .
    देखता हूँ कि कौन माई का लाल अपुन को पीटने का सोच भी सकता है... हिच्च... ;))



    ...

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  3. किस किस की पिटाई करेंगे अन्ना जी ?
    शराबी , जुआरी , स्मोकर्स , जेब कतरे , गुंडे मवाली , लूट पाट करने वाले , बलात्कारी --दुनिया भरी पड़ी है कलियुगी लोगों से ।

    भ्रष्टाचार पर ही पर ध्यान केन्द्रित रखें तो बेहतर है ।

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  4. Sharabiyon ke khilaaf sakht se sakht karywaahi honi hi chahiye...

    Lekin Kanoon ko apne haath mein lene walo ke sath usse bhi zyada sakhti se nipatna chahiye...

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  5. कई बार शराबियों और उनकी हरकतों को देखकर मन में तो सचमुच मेरे भी कुछ ऐसा ही आता है.लेकिन हिंसा तो गलत ही है.

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  6. इस महान ??? काम शुरुआत एन डी टीवी ने किया और अब इसमे सभी विद्वान् लोग शामिल हो गए है जान कर अच्छा लगा :) चैनल खुद ही लिए अन्ना के साक्षत्कार को तोड़ मरोड़ कर टीवी पर बहस का मुद्दा बना दिया | अन्ना ये बात देश भर के शराबियो के लिए नहीं कह रह थे वो साक्षात्कार में तीस साल पहले अपने गांव में किये गए सुधारो की बात कर रहे थे और उसी क्रम में बता रहे थे की उन्होंने शराब को अपने गांव से कैसे दूर किया | जिसमे कहा गया की गांव से शराब हटाने के बाद भी जब कोई बाहर से पी कर आता था तो पहले उसे तीन बार समझाया जाता था फिर मंदिर में ले जा कर भगवन की कसम खिलाई जाती थी और उसके बाद भी वो न माने तो मंदिर के सममाने वाले खम्बे से बांध कर पिटा जाता था बिलकुल उसी तरह जैसे एक माँ अपने बच्चे की गलती पर उसे मारती है सुधारने के लिए | ( एन डी टीवी के उस बहस में शाहनवाज हुसैन ने भी इस तरफ ध्यान दिलाया था की अन्ना अपने गांव की बात कर रहे है पूरे देश की नहीं ) और ये सब तब किया जाता था जब शराबी के घरवाले आ कर शिकायत करते थे | ये बात उन्होंने पहली बार नहीं कही है इसके पहले वो ये बात कई बार अपने कई साक्षात्कारो में कह चुके है | अब आप बातो को तोड़ मरोड़ कर सभी से ये कहे की आन्ना ने ये बात सभी शराबियो के लिए कही है तो निश्चित रूप से सभी इसका विरोध ही करेंगे | भूषण , किरण , अरिविंद के बाद उन्ही का नंबर था बदनाम करने के लिए कुछ नहीं मिला तो बातो को तोड़ मरोड़ कर पेश कर दिया | उन्होंने शराब का विरोध किया था और क्यों इसके पहले वो कई बार कह चुके है |

    १ क्योकि गरीब अपने पैसे शराब में उड़ा देते थे

    २ शराब के साथ ही कई और सामाजिक बुराइया गांव में आ गई थी जिन्हें दूर करने के लिए सबसे पहले शराब को दूर करना जरुरी था |

    ३ शराब बनाने वालो को भी उनका काम छोड़ने के बाद उन्हें नए काम करने के लिए सहायता भी की |

    ४ शराब से सबसे ज्यादा महिलाए परेशान थी और उन्होंने महाराष्ट्र में ये कानून बनवाया की यदि किसी गांव की अधिकांश महिलाए ये मांग करे की उनके गांव में शराब का ठेका न हो तो वहा से सरकारी शराब के ठेके को हटाना होगा |

    इन सब में क्या गलत है मै आप की राय जानना चाहती हूँ खुशदीप जी |

    उन्होंने ये बात बस अपने गांव में किये काम के लिहाज से कही थी पूरे देश के सम्बन्ध में नहीं और किसी गांव में किये जा रहे सुधारो के लिए किये गए काम और देश के लिए कहे जा रही बात के फर्क को आप तो समझाते होंगे | अच्छा होगा की टीम अन्ना के खिलाफ कोई मजबूत तर्क रखे न की कुछ भी देखा सुना कह दे | साक्षात्कार तो मैंने भी देखा था वहा कही भी ये नहीं कहा गया था की शराबी को " मंदिर में घसीट कर " ले जाया जाता है बस ऐसे ही तिल का ताड़ बन जाता है | मिडिया से तो कोई उम्मीद नहीं बची थी अब तो ब्लॉग जगत से भी कोई उम्मीद नहीं दिखती है लोग बिना पूरी बात जाने फटाफट अपनी प्रतिक्रिया देने लगते है |

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  7. @ अंशुमाला जी,
    अगर मैं पढ़ने में गलती नहीं कर रहा तो अन्ना को कोट करते हुए मैंने भूतकाल का ही इस्तेमाल किया है, वर्तमान काल का नहीं...

    रालेगण में ही सही अगर शराब छुड़ाने का ये तरीका सही है तो फिर तो संजय गांधी का आपात-काल में लोगों की ज़बरन नसबंदी करने का तरीका भी सही था...आखिर देश की बढ़ती आबादी भी तो कई मुसीबतों की जड़ है...सत्तर के दशक में तो ये समस्या आज से भी कहीं ज़्यादा विकराल थी...

    भ्रष्टाचार को मिटाने के मुद्दे पर फोकस रखना चाहिए...एक वक्त में कई नावों की सवारी से डूबा ही जाता है, किनारे तक नहीं पहुंचा जाता...

    मुद्दे का साथ देना चाहिए, किसी व्यक्ति पर अंधश्रद्धा सही नहीं...

    जय हिंद...

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  8. अच्‍छे उद्देश्‍य को लेकर टीम अन्‍ना की ओर से किए गए आंदोलन को देश का बडा समर्थन मिला... लेकिन अब टीम की हरकतों और बयानबाजियों से लगता है कि उन लोगों ने देश के समर्थन को अपनी जागीर समझ रखी है.... जनता जिसे सिर आंखों पर बिठा सकती है उसे गिराने में भी वक्‍त नहीं लगता और इस बात को अन्‍ना और उनके साथियों को समझनी चाहिए.....
    शराब पीना बुरी बात है..... पर यह भी सच है कि तमाम बुराईयों के बाद भी देश के तकरीबन ज्‍यादातर राज्‍यों के राजस्‍व का बडा हिस्‍सा शराब से ही आता है..... फिर अन्‍ना का यह फरमान.... तालिबानी रवैया ही है यह।

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  9. खुशदीप जी

    बिलकुल सही कहा मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए बात केवल उनके मुद्दे तक ही रखना चाहिए, क्यों बार बार मुद्दों से अलग चीजो की बात की जाती है | क्या अन्ना ने कभी कहा है की वो शराब छोड़वाने के लिए पूरे देश के शराबियो के पिट पिट कर उनकी शराब छोड़वाने का काम करने वाले है यदि उन्होंने ऐसा कहा होता तो आप जरुर उन पर चर्चा करते किन्तु यहाँ उन्होंने ऐसा कुछ कहा भी नहीं है तो इस बात पर चर्चा क्यों वो भी बात को तोड़ मरोड़ कर किया जा रहा है | वो अपने गांव का तीस साल पुराना किस्सा बता रहे है वो भी सवाल पूछे जाने पर और उसे गलत तरीके से रख कर मुद्दों को बदलने का प्रयास किया जा रहा है क्यों | एक गांव में दो या चार लोगो को पीटने की घटना की तुलना आप पूरे देश में सत्ता के नशे में चूर हो कर किये गए कामो से कैसे कर सकते है | आप ने यदि वो साक्षात्कार ठीक से देखा हो तो अन्ना ने ये भी कहा है की हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए ये गलत था सामजिक और क़ानूनी रूप दोनों से ही किन्तु ये करना पड़ा बिलकुल वैसे ही जैसे एक माँ अपने बच्चो को सुधारने के लिए करती है वो खुद अपने पहले के किये काम को गलत बता रहे है क्या संजय में इतनी हिम्मत थी , आज संजय जिन्दा होते तो जो कांग्रेसी उसे गलत बताते है उनमे भी उसे गलत कहने ही हिम्मत नहीं होती | कई नवो की सवारी अन्ना नहीं कर रहे है वो और उनकी टीम तो लगातार ये कह रही है की आज के समय में बात भ्रष्टाचार और लोकपाल के बारीकियो पर होना चाहिए पर सभी लगे है एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में बेमतल के दुसरे मुद्दे उठाने में |

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  10. और हा मंदिर में घसीट के ले जाने की बात तो आप ने भी लिखी है जो कही भी नहीं कही गई थी ये तिल का ताड़ नहीं है ये बातो को और गलत तरीके से पेश करना नहीं है |

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  11. शराब और पिटाई का चोली दामन का साथ है। शराब पीकर इन्सान दूसरों को पीटता है और खुद भी पिटता है। बहुत सारी पिटाई तो ऐसी होती है जिसे शराबी बताता ही नहीं है, इज्जत खराब होने का भय रहता है। जरा किसी अंतरंग शराबी से पूछ कर देखिए ....

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  12. यह तो साफ होने लगा है कि अन्‍ना में सार्वजनिक बयान देने का (राजनैतिक) कौशल कम है, (या जान-बूझ कर विवाद पैदा करने वाले बयान देते हैं?)

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  13. फ़िलहाल तो एक गीत की ये लाईन याद आ रही है -- "पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए....."

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  14. ओह! खुशदीप जी तो आपने अन्ना के बयान को तोड मरोडकर पेश किया?????
    उफ् क्या हो गया है आपको? भाई खुशदीप जी कुछ भी कहें पर एक बात तो माननी पडेगी आप पत्रकार लोगों की कि किसी मामूली सी बात को भी बढाचढाकर ऐसे लिखेंगे मानो चारो तरफ आग लगी हुई है.केजरिवाल के बयान को ही देख लीजिए उन्होने करण थापर के एक सवाल के जवाब में कहा कि अन्ना भी सांसदों का विरोध कर सकते हैं क्योंकि अन्ना भी जनता का हिस्सा है और जनता संसद से ऊपर है लेकिन लगभग हर अखबार ने हेडिंग ये लगाई कि केजरिवाल ने कहा अन्ना संसद से ऊपर.
    वाह रे अंधश्रद्धालुओं को सचेत करने वालों!
    अंशुमाला जी को धन्यवाद.

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  15. कभी-कभी लेखक भी जब किसी का विरोध करने लगता है तो अपने संपूर्ण सामर्थ्य का इस्तेमाल वकील की तरह करने लगता है। जाहिर है काबिल, गलत मुद्दों पर भी जीत जाते हैं। लेकिन विचारों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना और सही को गलत साबित करना राष्ट्र हित में नहीं होता। राष्ट्र हित में जो सही हो उसी का समर्थन करना चाहिए। अंशुमाला जी ने दूसरा पक्ष न रखा होता तो पोस्ट अधूरी होती।

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  16. इस बीच विजय माल्‍या ने सवाल किया है- Anna Hazare advocates flogging tied to an electricity pole for those who drink. Should I run away quick ?? I make and consume- double sin ??

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  17. मै अन्ना जी के बातों बिलकुल सहमत नही हूँ
    अन्ना जी में राजनैतिक समझ की कमी है...

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  18. मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
    आओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
    --
    बुधवारीय चर्चा मंच

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