सिर्फ़...
मैं उस वक्त में लौटना चाहता हूं जब...
मेरे लिए मासूमियत का मतलब,
सिर्फ खुद का असल होना था...
मेरे लिए ऊंचा उठने का मतलब,
सिर्फ झूले की पींग चढ़ाना था...
मेरे लिए ड्रिंक का मतलब,
सिर्फ रसना का बड़ा गिलास था...
मेरे लिए हीरो का मतलब,
सिर्फ और सिर्फ पापा था...
मेरे लिए दुनिया के शिखर का मतलब,
सिर्फ पापा का कंधा था...
मेरे लिए प्यार का मतलब,
सिर्फ मां के आंचल में दुबकना था...
मेरे लिए आहत होने का मतलब,
सिर्फ घुटनों का छिलना था...
मेरे लिए दुनिया की नेमत का मतलब,
सिर्फ बैंड बजाने वाला जोकर था...
अब वज़ूद की सर्कस में मै खुद जोकर हूं,
ज़िंदगी कितनी बदल गई...है ना...
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PhD यानि पीएचडी का असली मतलब जानते हैं, नहीं जानते तो इस लिंक पर जाइए...
बचपन के दिन भी क्या दिन थे..
जवाब देंहटाएंबचपन ऐसा ही होता है।
जवाब देंहटाएंतब हमारे माता पिता भी शायद वापस अपने बचपन में लौटना चाहते हों।
कभी न भूलने वाले दिन...
जवाब देंहटाएं....और वक्त बेवक्त जहाँ तहाँ सूशू पॉटी करने की आज़ादी थी, कोई डाँटता तक न था !
जवाब देंहटाएंkaash ki fir se bachpan aa jata..... rasna papa maa aur jhule inse zindagi kitni had tak judi hui hoti hai.....
जवाब देंहटाएंयह वक़्त है
जवाब देंहटाएंबदलते रहना इसकी फितरत है
काश ! बचपन रुक जाता .....
जवाब देंहटाएंचाहे जितना भी ऊंचा क्यों न उठे
जवाब देंहटाएंइस मासूमियत को बचा लेना ही
आर्ट ऑफ़ लिविंग है !
बहुत सुंदर भाव है !
काश हमें वही मासूमियत वापस मिल पाती उम्र के साथ.
जवाब देंहटाएंजिंदगी तो बदलेगी ही खुशदीप भाई.
जवाब देंहटाएंपहले आप बिना PhD के थे.अब आपने
PhD ले रखी है.
बिना पायजामे के धूल में लोटने,
लंगोटिया यारो के साथ खेलने का आनंद
भी तो कुछ और ही था.
अतीत की याद मीठी होती है.
जवाब देंहटाएंमन की वह निर्मलता अब बार बार मागूँ।
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया...!
जवाब देंहटाएंकाश वे दिन लौट सकें भाई जी !
आमो़ की डाली जब से भर भर बौराई है
जवाब देंहटाएंबचपन की कोई याद दिल की देहरी पर आयी है।
बहुत सुन्दर्\काश बचपन फिर से लौट आये।
इतना विचार आना भी शुभ है।
जवाब देंहटाएंजिसे यह विचार आ जाये वह अभी भी उसी मासूमियत से जिन्दगी जी सकता है।
प्रणाम
जिंदगी भी बहती नदी की तरह है . यदि रुक जाये तो सड़ने लगती है .
जवाब देंहटाएंइसलिए इस बहाव में भी आनंद है .
इसीलिये समय को काल कहा गया है जो तीनो कालों में होते हुये भी कभी नही लोटता, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बदलना तो जिंदगी की रीत है.
जवाब देंहटाएंअग्रगामी समयचक्र को कोई भी नहीं रोक सकता.
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुंदर पंक्तियाँ ....एक एक शब्द ऐसा लगता है जैसे की पाठक खुद के बारे में पढ़ रहा हो....
जवाब देंहटाएंwoh kagaz ki kashti......
जवाब देंहटाएंwo baarish ka panni......