Big Blogger...बोलो अर्द्धब्लॉगेश्वर महाराज की जय...खुशदीप

यदा-कदा ऐसी पोस्ट पढ़ने को मिलती रहती हैं कि बड़ा ब्लॉगर कौन ?...बड़ा ब्लॉगर कौन?...अजब अजब तर्क दिए जाते हैं...अभी अनवर जमाल भाई ने बड़ा ब्लॉगर बनने के लिए रामबाण फॉर्मूला सुझाया है- अगर किसी को बड़ा ब्लॉगर बनना है तो उसे औरत की अक्ल से सोचना चाहिए, क्योंकि औरतों की छठी इंद्रिय बहुत तेज़ होती है...

अब इसका पूरा राज़ तो अनवर जमाल जी कोई थीसिस लिखेंगे तो ही समझ आएगा...

हां ज़ाकिर अली रजनीश भाई ने कुछ महीने पहले अपनी एक पोस्ट में साइकोलॉजिस्ट की किताब का हवाला देते हुए बड़ा ब्लॉगर बनने का बेहतरीन नुस्खा सबको सुझाया था-कुछ इस अंदाज़ में-

जब मैं यह समाचार पढ़ रहा था तथा मेरे एक साइकालॉजिस्ट की किसी किताब के कुछ अंश गूँजे, जिसके अनुसार दुनिया में जितने भी लोग पाए जाते हैं, उनमें किसी न किसी विषय को लेकर हल्का सा पागलपन पाया जाता है। वैसे आम आदमी की नजर में पागल होना या सनकी होना क्या है? जब कोई व्यक्ति किसी काम के लिए दुनिया की बाकी सारी चीजों की उपेक्षा/अवहेलना करने लगता है, तो दुनिया उसे सनकी अथवा पागल कहने लगती है। चाहे कोई अच्छा लेखक हो, चाहे खिलाड़ी, चाहे समाजसेवी, चाहे प्रशासनिक अधिकारी या फिर प्रेमी, उसे अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए उस सनकीपन/पागलपन के दौर से गुजरना ही पड़ता है। क्यों सही कहा न? तो फिर यह बात तो ब्लॉगर पर भी लागू होती है। तो अब बताइए कि आप इस टेस्ट में कितने खरे उतरते हैं? यानी कि आप ब्लॉगिंग को लेकर अभी सनकीपन के किस पायदान तक पहुँचे हैं? और आपकी नज़र में सबसे बड़ा सनकी... आई मीन सबसे बड़ा ब्लॉगर कौन है?

ज़ाकिर भाई को पढ़ने के बाद लगा कि उन्हें सलाह दूं कि वो अपने साइंटिफ़िक फोरम की मदद से सनकामीटर का अविष्कार कराएं...इससे ब्लॉग जगत का बड़ा उपकार होगा...सब सनकामीटर से झट से भांप लेंगे कि ब्लॉगिंग को लेकर सनक के किस लेवल तक पहुंचे हैं...यानि ज़ंज़ीरों से बांधने की नौबत तो नहीं आ गई...

खैर ये तो रही अनवर भाई और ज़ाकिर भाई की बात...अब मैं बड़े ब्लॉगर को लेकर अपना फंडा बताता हूं...मेरी नज़र में जो अर्द्धब्लॉगेश्वर है, वही ब्लॉगिंग के असली ईश्वर हैं...अब आप कहेंगे कि ये अर्द्धब्लॉगेश्वर क्या भला होती है...आपने नरसिंह भगवान के बारे में सुना होगा आधे नर आधे सिंह...हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रहलाद को बचाने वाले नरसिंह भगवान...ऐसा ही कुछ ब्लॉगिंग के साथ भी है...



इससे पहले कि आपको सेरिडॉन की ज़रूरत पड़े अपनी बात साफ कर ही देता हूं...ब्लॉगिंग के दो पार्ट अहम होते हैं...

पहला- पोस्ट लिखकर दूसरों की टिप्पणियों का इंतज़ार करना...ये गाते हुए...आजा रे अब मेरा दिल पुकारा, रो-रो के गम भी हारा...

दूसरा अहम पार्ट होता है- दूसरे ब्ल़ॉगरों की पोस्ट पर जाकर टिप्पणी कर ये याद दिलाते रहना कि ओ ब्लॉगर प्यारे, बांके-प्यारे, कभी-कभी नहीं, रोज़ मेरी गली आया करो...

ये दूसरा पार्ट इसलिए भी अहम हो जाता है कि अगर आप इसे पूरे मनोयोग से नहीं निभाते तो फिर आपकी खुद की पोस्ट पर टिप्पणियों की धारा सिकुड़ती जाती है...हो सकता है एक दिन सरस्वती नदी की तरह विलुप्त ही हो जाए...ऐसी नौबत न आए इसलिए टिप्पणी से टिप्पणी की जोत जलाते चलो,  दूसरों के ब्लॉग पर अपने विचारों की गंगा बहाते चलो...

अरे ये फंडा बताते-बताते मैं अर्द्धब्लॉगेश्वर को भूल ही न जाऊं...अर्द्धब्लॉगेश्वर वो होता है जो सिर्फ पोस्ट लिखता है...कभी भूल कर भी दूसरों की पोस्ट पर टिप्पणी नहीं करता...यानि ब्लॉगिंग का सिर्फ आधा धर्म ही निभाता है...लेकिन फिर भी उसकी पोस्ट पर टिप्पणियों का कभी अकाल नहीं पड़ता...यानि उसके कंटेंट में इतनी जान होती है कि दूसरों को वो चुंबक की तरह अपनी ओर खींच ही लेता है...ऐसे अर्द्धब्लॉगेश्वर ही हैं सही मायने में सबसे बड़े ब्लॉगर...चलिए अब गिनने बैठते हैं, कौन-कौन हैं अपने ब्लॉग जगत में अर्द्धब्लॉगेश्वर...

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47 टिप्पणियाँ
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  1. एक अदना से ब्लागर की हाजरी काबूल फ़रमाये

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  2. एक जिज्ञासा : यह छठी इन्द्रिय कौन सी बला होती है, जो केवल अबलाओं के पास ही होती है ?
    बाकी के पाँच इन्द्रियों के नाम सुझायें !
    एक समाधान : मैंनें हर ब्लॉग पर, हर पोस्ट पर ( यहाँ तक कि कुछ मॉडरेशन वाले / वालियों ) को मुक्तमना टिप्पणी देता रहा... पर बदले में मुझे उनका सहस्त्राँश भी न मिला, ्न ही कोई मुझे कोई गिला है ।
    पुनः एक जिज्ञासा : कृपया व्याख्या करें कि आपके उपरोक्त गणनानुसार मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी की जोत कब जलने वाली है ?

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  3. अर्ध ब्लोगेस्वर से सरस्वती नदी से लेकर ईश्वर और नरसिंह भगवान, सबका ब्लॉग दुनिया से नाता जोड़ दिया मेरी आँखों पे बंधी गलतफहमी की पट्टियों को तोड़ दिया

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  4. भाई साहब हम भी आ गए हैं जोत जलाने और वह भी रात को 3 बजे । बिना सनकामीटर के ही भाँप लीजिए कि किस ग्रेड की सनक सवार है ?
    गुदगुदाते हुए कई राज़ खोल डाले आपने । आपकी पोस्ट अच्छी लगी ।
    शुक्रिया ।
    आमतौर पर हम इतनी नॉर्मल और तारीफ़ी टिप्पणी नहीं देते लेकिन आपको हम लाइक जो करते हैं ।
    बहरहाल हम तो अपनी तरफ़ से जोत बराबर जलाए हुए हैं ।

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  5. पहला नाम तो जीके अवधिया जी का ही ध्‍यान आ रहा है.

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  6. अर्धब्लागेश्वर महाराज की जय......

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  7. राहुल जी,
    अवधिया जी मेरे ब्लॉग पर तो टिप्पणी करते रहे हैं, मेरी ज़ेहन में पहला नाम रवीश कुमार का आता है...

    जय हिंद...

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  8. अनवर जमाल जी,
    डॉ अमर कुमार जी की छठी इंद्रिय संबंधी जिज्ञासा को आप ही शांत कीजिए, क्योंकि ये आपकी ही खोज है....

    जय हिंद...

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  9. भगवान् श्री अर्धब्लौगेश्वर जी की जय!
    मैं इतनी कम टिप्पणियां भी नहीं करता कि मुझे उनका सोलह कला सम्पूर्ण अवतार होने का श्रेय मिले. :)

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  10. लो जी जोत से जोत जलने हाजरी लगा दी है | मजा आ गया आज सुबह सुबह मजेदार पोस्ट पढ़कर |

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  11. "...जो भूल कर भी टिप्पणी नहीं करते... मेरे ज़ेहन में पहला नाम रवीश कुमार का आता है..."

    ... नहीं, रवीश अपने ब्लॉगिंग के शुरुआती दिनों में यदा कदा छिटपुट टिप्पणियाँ करते रहे थे.
    एक यहाँ देखें -

    http://raviratlami.blogspot.com/2007/03/50-most-important-people-on-web.html

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  12. बड़े और छोटे ब्लोगर के चक्कर में क्यूँ पड़ें पडावे खुशदीप भाय
    जो भी अच्छा लगे वह लिखो और टिपण्णी करो, बाकी बातें दीजें भूलाय
    उस के घर में बड़े छोटे का भेद -भाव न होता भाय
    भेद-भाव मिट जाये ब्लॉग जगत में ऐसी युक्ति आप सुझाएँ.

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  13. अर्द्ध ब्लॉगेश्वर महाराज की जय हो .....!

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  14. सोचते जाओ, लिखते जाओ, देते भी जाओ. बस अर्द्ध ही क्यों पूर्ण ब्लागेश्वर बन जाओगे । ये जरुर सोचलो कि इस सोचते, लिखते ओर देते रहने के क्रम में कितने घंटे लगातार नेट व लेपटाप, कम्प्यूटर से चिपके रह सकते हो ।

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  15. अर्द्धब्लॉगेश्वर =हा हा हा
    मुए कितने ही है ..नाम गिनाऊँ क्या ?

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  16. bahut sahi aaklan kiya hai wahi bade blaggar hai jo kisi ko tippaddi nahi dete hai jaise ki ........

    amuman sabhi bloggers jante hai....

    jai baba banaras........

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  17. Big Blogger...
    बोलो अर्द्धब्लॉगेश्वर महाराज की जय..
    जय खुशदीप सहगल!

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  18. हिंदी ब्‍लॉगर को बना दिया है ईश्‍वर
    खुशदीप भाई आपका भी जवाब नहीं
    खुश ही करते हो सदा लाजवाब सही
    टिप्‍पणियों का हम रखते हिसाब नहीं

    आमंत्रण तीस तारीख का, महत्‍वपूर्ण मंत्रणा दिवस के बतौर मनाया जाया करेगा हिंदी ब्‍लॉगिंग के संसार में (पोस्‍ट अभी पहलू में है)

    छपने से पहले बिक गईं हिंदी ब्‍लॉगिंग पुस्‍तक की सभी प्रतियां

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  19. जो पढना जानता है वो ही लिख सकता है। जो दूसरों को पढ़ते नहीं भला वो क्‍या जाने कि हम जिस प्‍लेटफार्म पर लिख रहे हैं वहाँ का मिजाज कैसा है?
    हमारे तो एक बात समझ आयी कि बडा ब्‍लागर वो जो छोटे ब्‍लागर के मिलने की खबर से ही बीमार पड़ जाए- हा हा हाहा।

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  20. अजित जी,
    ये बड़े ब्लॉगर होते ही ऐसे हैं नकचढ़े...

    छोटे ब्लॉगर को देखिए, वो बीमारी के बावजूद सुबह साढ़े छह बजे निज़ामुद्दीन स्टेशन पर आने के लिए तैयार था...फिर फोन भी करता रहा, लेकिन दूसरा छोटा ब्लॉगर अपनी व्यस्तता के चलते टाइम नहीं निकाल पाया...अब देखो ये दूसरा छोटा ब्लॉगर मई का अपना किया वादा पूरा करता है या नहीं...

    जय हिंद...

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  21. मैं तो अपनी ममा के साथ हूँ.... उन्ही के कमेन्ट को मेरा कमेन्ट माना जाये... अपने पास तो वैसे भी टाइम की बहुत शौर्टेज है... कमेन्ट बहुत मुश्किल से ही हो पा रहा है... और कुछ सुपीरियरटी कॉम्प्लेक्स भी आजकल आ गया है... वक़्त का तो यह हाल है... कि कल मैं ख़ुद ही सोच रहा था कि बहुत दिन हो गए महफूज़ से मिले हुए.... तो आज जा कर टाइम मिला है... तो थोडा टाइम महफूज़ जैसे टुच्चे ब्लॉगर को भी दे रहा हूं... और वैसे भी अगर मैं किसी को कमेन्ट दूंगा तो वो बड़ा ही ब्लॉगर होगा .... आख़िर स्टेटस भी कोई चीज़ होती है... हर लपड झन्ने को कमेन्ट क्यूँ देना और किसी की वैल्यू बढ़ाना... बड़ा ब्लॉगर बनने से पहले एक अच्छा इन्सान बनिए... जो भी अच्छा इन्सान होगा... उसकी वैल्यू तो हर जगह होगी... तो बड़ा तो इन्सान अपने बिहेवियर से ही बनता है... और सौ बात की एक बात ब्लॉग्गिंग दो लोग ही किया करते हैं... एक वो जो बहुत बिज़ी हैं और दूसरे वो जो खलिहर हैं... जिनकी ज़रूरत किसी को नहीं है... जो बिज़ी हैं... उनका और उनकी पोस्ट का अता पता ही नही चलता... जो खलिहर हैं... वो आदर्शवादिता का झुनझुना बजाते हैं... मैं चलता हूँ अब... मैं बहुत बिज़ी हूँ...

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  25. जोत से जोत जलने हाजरी मैने लगा दी !!

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  26. :-) :-) :-)

    कुछ पता चले उस महानुभव के बारे में तो हमें भी बता दीजियेगा!!!

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  27. @ आदरणीय भाई खुशदीप सहगल जी ! मैंने आपकी नसीहत को ग़ौर से दो बार पढ़ा, आधे घंटे के अंतराल से। आपने मुझे नसीहत की है जिससे मेरे प्रति आपकी फ़िक्रमंदी का पता चलता है लेकिन आपकी नसीहत पर अमल करने से पहले मुझे अपनी पूरी स्ट्रैटेजी पर ग़ौर करना होगा और आपको भी यह जानना ज़रूरी है कि यह सब आखि़र हो क्यों रहा है ?
    हालांकि इसे बयान करने के लिए एक पूरी पोस्ट दरकार है लेकिन संक्षेप में अर्ज़ करता हूं कि ‘मैं न कोई संत हूं और न ही कोई जोकर।‘
    संत का काम क्षमा करना होता है और जोकर का हंसाना। मैं जज़्बात से भरा हुआ एक आम आदमी हूं, एक पठान आदमी। पठान का मिज़ाज क़बायली होता है, वह आत्मघाती होता है। वह हर चीज़ भूल सकता है लेकिन वह इंतक़ाम लेना नहीं भूलता। मैं आर्यन ब्लड हूं। इस्लाम को पसंद करने के बावजूद मैं अभी भी इस्लाम के सांचे में पूरी तरह ढल नहीं पाया हूं। अभी मैं अंडर प्रॉसैस हूं। इसी हाल में मैं हिंदी ब्लॉगर बन गया। मेरे दीन का और खुद मेरा तिरस्कार किया गया। एक लंबे अर्से तक सुनामी ब्लॉगर्स मेरी छवि को दाग़दार करते रहे और बाक़ी ब्लॉगर्स मुझे दाग़दार करने वालों की चिलम भरते रहे। ये वही लोग हैं जिन्हें नेकी और नैतिकता का ख़ाक पता नहीं है। जो कुछ मुझे दिया गया है, मैं उसके अलावा उन्हें और क्या लौटा सकता हूं ?
    इसीलिए आपको मेरे लेख में आक्रोश मिलेगा, प्रतिशोध मिलेगा, अपमान और तिरस्कार भी मिलेगा, कर्कश स्वर और दुर्वचन भी मिलेगा, टकराव और संघर्ष मिलेगा। आपको मेरे लेख में बहुत कुछ मिलेगा लेकिन असत्य नहीं मिलेगा। ‘छिनाल छिपकली प्रकरण‘ भी ऐसी ही एक घटना है जो कि एक वास्तविक घटना है। औरत को सरेआम नंगा किया गया लेकिन कोई मर्द नहीं आया इसकी निंदा करने। द्रौपदी की साड़ी ज़रा सी खींचने पर तो दुःशासन आज तक बदनाम है और जिन्होंने औरत को पूरा नंगा कर दिया, उसे अपमानित ही कर डाला वे नेकनाम कैसे बने घूम रहे हैं ‘सम्मान बांटने का पाखंड‘ रचाते हुए ?
    इस प्रकरण को लेख से निकालने का मतलब है अपने लेख के मुख्य संदेश को निकाल देना, फिर इसमें बचेगा ही क्या ?
    इसी संदेश को रूचिकर बनाने के लिए अन्य मसाले भरे गए हैं। जिसे आप एक कंकर की तरह अप्रिय समझ रहे हैं, वास्तव में वही मुद्दे की बात है। हां, अगर वह झूठ हो तो मैं उसे निकाल दूंगा , झूठ से मेरा कोई संबंध नहीं है। अपने विरोधी के खि़लाफ़ भी मैं झूठ नहीं बोलूंगा।
    मेरा बहिष्कार करके मेरे विरोधियों ने और उनके सपोर्टर्स ने मेरा क्या बिगाड़ा ?
    किसी से कोई रिश्ता बनने ही नहीं दिया कि किसी से कोई मोह होता, किसी के दिल दुखने की परवाह होती। जब किसी को हमारी परवाह नहीं है तो फिर भुगतो अपने कर्मों को। मत आओ हमारे ब्लॉग पर, मत दो हमें टिप्पणियां और फिर भुगतो फिर उसका अंजाम। ऐसा मैं सोचता हूं और जो मैं सोचता हूं वही अपने ब्लॉग पर लिखता हूं।
    क्या ब्लॉग पर सच्चाई लिखना मना है ?
    इसके बावजूद मेरे दिल में कुछ लोगों के प्यार भी है और सम्मान भी। प्रिय प्रवीण जी के साथ आप और डा. अमर कुमार जी ऐसे ही लोग हैं। डा. अमर कुमार जी के ज्ञान में वृद्धि की कोशिश करना सूरज को दिया दिखाना है और आपको मैं अपना मानता हूं।
    आपकी सलाह प्रैक्टिकल दुनिया में जीने का बेहतरीन उपदेश है। मैं इस सलाह की क़द्र करता हूं। महानगरीय जीवन में यह उसूल लोगों की ज़िंदगी में आम है लेकिन मैं एक क़स्बाई सोच वाला आदमी हूं, मेरा माहौल भी आपसे थोड़ा अलग है। इसलिए हो सकता है कि आपकी सलाह पर अमल करने में मुझे कुछ समय लग जाए।
    एक नेक सलाह के लिए मैं आपका दिल से आभारी हूं।
    शुक्रिया !
    http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/04/family-life.html

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  28. सनकामीटर का आविष्कार जल्द से जल्द हो........ :)

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  29. अर्धब्लागेश्वर महाराज की जय...

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  30. मेरी ओर से भी एक अदना से ब्लागर की हाजरी काबूल फ़रमाये..और आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ की अवधिया जी मेरे ब्लॉग पर तो टिप्पणी करते रहे हैं, मेरी ज़ेहन में पहला नाम रवीश कुमार का आता है...रवीश कुमार जी को इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है की वो अर्ध ब्लोगर ही बने रहेंगे या पूर्ण ब्लोगर भी बनेगे..क्योकि विचारों का आदान प्रदान की ब्लोगिंग की खूबसूरती है....तथा किसी भी संचार माध्यम की गुणवत्ता का आधार भी ...

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  31. अनवर जमाल भाई,
    आपने मेरी बात पर गौर किया, यही मेरे लिए बहुत है...ऐसे ही गौर करते रहे तो मेरा विश्वास है, एक दिन सूरत ज़रूर बदलेगी...

    हां आंख के बदले आंख के निजाम पर चला जाए तो एक दिन पूरी दुनिया अंधों की बस्ती बन जाएगी...

    जान के बदले जान की इंतकामी रवायत, एक दिन दुनिया से आदमियों का नामों निशान ही मिटा देगी...

    और हां, जोकर के अंदर की ट्रेजिडी देखनी हो तो किसी दिन राज कपूर साहब की फिल्म मेरा नाम जोकर गौर से ज़रूर देख लीजिएगा...पहले देख रखी है तो एक बार फिर देख लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं होगा...

    जय हिंद...

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  32. जय हो अर्द्धब्लागेश्वरों की .... मजा आ गया मजेदार पोस्ट पढ़कर ...

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  33. सबसे बड़ा सनकी... आई मीन सबसे बड़ा ब्लॉगर--सवाल भी यही , ज़वाब भी यही है ।
    अर्धब्लागेश्वर--कमाल है , अभी तक एक ही नाम आया है ।

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  34. ईश्वर ने भी तो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नरसिंह का रूप धारण करने का टैक्टिस किया था ...
    हम जैसे ब्लाग्गर जो मात्र अकिंचन ब्लोग्गर हैं....जो 'पूर्ण ब्लाग्गर' बनने की क्षमता ही नहीं रखते ...ऐसे में 'अर्धब्लागेश्वर/अर्ध्ब्लागेश्वरी ' 'qauterblogeshwar/quaterblogeshwari' बनकर काम चला रहे हैं...
    देखिये ना..अगर हम ये ना करते तो 'अर्धब्लागेश्वर/अर्ध्ब्लागेश्वरी' जैसे देव/देवी का अविर्भाव ही कहाँ हो पाता...यह भी तो लक्ष्य की प्राप्ति का ही द्योतक हुआ...
    है कि नहीं...?

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  35. 'सनकी' ब्लॉगर बनने से बेहतर है, 'अर्धब्लागेश्वर बनना या फिर 'न्यून अर्धब्लागेश्वर' बनना..:)

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  36. सनकामीटर का आविष्कार जल्द से जल्द हो|
    अर्द्धब्लागेश्वरों की जय हो|

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  37. भाई खुशदीप जी ! आपने अपनी पोस्ट में हमारा नाम लिया, हमें नेक नसीहत से नवाज़ा। आपने हमें इज़्ज़त बख्शी है। हम आपके शुक्रगुज़ार हैं। बतौर शुक्रिया हम आपको दो प्यारी सी ग़ज़लें हदिया करते हैं। प्लीज़ तशरीफ़ लाइये और कुबूल कीजिए। इस मौक़े पर तमाम टिप्पणीकार और ग़ैर-टिप्पणीकार पाठक भी आमंत्रित हैं।
    शुक्रिया !

    वक्त से पहले चराग़ों को जलाते क्यों हो
    ऐसी तस्वीर ज़माने को दिखाते क्यों हो

    मुझसे मिलने के लिए आते हो आओ लेकिन
    मुझको भूले हुए दिन याद दिलाते क्यों हो

    ले के उड़ जाएंगी इस को भी हवाएं अबके
    अपनी तस्वीर से दीवार सजाते क्यों हो

    तुमको यह दुनिया उदासी के सिवा क्या देगी
    बेवफ़ा दुनिया से दिल लगाते क्यों हो

    भूल बैठे हो क्या पुरखों का आदर्श
    अपने ही भाई का तुम खून बहाते क्यों हो

    है बेगुनाह दार पर अदालतों की बात कर

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  38. एक दो नाम लिख देते तो पहचानने में सुविधा होती है ...
    जय जय ...!

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  39. रवीश कुमार जी का लिंक भी दे देते तो हम भी देखते उनका ब्लॉग ...
    यूँ तो कई फिल्म स्टार्स के ब्लॉग हैं जो कभी कमेन्ट नहीं देते ...
    ...या काफी नामची साहित्यकार अशोक चक्रधर , लक्ष्मी शंकर बाजपेयी .... :)

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  40. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

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