क्या किसी शहर की तहज़ीब बदल सकती है, मिजाज़ बदल सकता है...क्या वक्त किसी शहर को भी बदल सकता है...
नखलऊ...मुआफ़ कीजिए लखनऊ...नाम लेते ही दिल को कैसा सुकून मिलता है...बातचीत का वो शऊर जो गैर से गैर को भी अपना बना ले...अवध की शाम...किस्सागोई की महफ़िलें...
लेकिन सत्ता की धमक कैसे किसी शहर को अपने आगोश में लेती है, यही आपको आज इस पोस्ट में दिखाता हूं दो वीडियो के ज़रिए...
लेकिन पहले दिल को चीर देने वाले सिएटल, अमेरिका में बसे अभिनव शु्क्ल के ये अल्फाज़...
जिनके अपनों की कब्रें हैं,
फूल चढ़ा लेने दो उनको,
जब झगड़ा था, तब झगड़ा था,
अब कोई टकराव नहीं है,
मौसम बदल चुका है सारा,
मज़ारों पर जूता चप्पल,
मेहमानों पर ईंटा पत्थर,
ये लखनऊ की तहज़ीब नहीं है...
पहले देखिए वो लखनऊ जो हमारे दिलों में बसा है...
अब देखिए मायावती का लखनऊ...
वाकई लखनऊ बदल गया है...बुत ही बुत नज़र आते हैं...इनसान कहीं छुप गए हैं या छुपा दिए गए लगते हैं...
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हमने देखे हैं सारे बुत और बुत खाने लखनऊ के, मायावती जी के सौजन्य से।
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा रहे हैं कि कभी हम लखनऊ में थे।
देशनामा पर लखनऊ की चर्चा और महफूज़ का नाम नहीं.....??
जवाब देंहटाएंखुदा महफूज़ रखे हर बला से...
hum to kabhi gaye hi nahi
जवाब देंहटाएंpar jaane ki chahat bahut hai
एक नगर था। जीते जागते लोग रहा करते थे वहाँ। एक जादूगर आया, उस ने छड़ी घुमाई और सारे आदमी औरतें पत्थर के हो गए ...
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं आ रहा है शहरे लखनऊ को सलाम करें या मायावती की माया को ।
जवाब देंहटाएंकभी बचपन के चन्द सुकूनी लम्हात गुजारे थे उस लखनऊ में...फिर कुछ भागते दौड़ते तीन साल पहले गुजरे उसी लखनऊ से...बस, नाम एक सा रहा...और कुछ नहीं.
जवाब देंहटाएंऐसे ही सारी दुनिया बुत हो जाएगी...
जवाब देंहटाएंनोस्टाल्जिया और कन्टमप्ररी का कंट्रास्ट मुखर है -आभार इस अनुभव के लिए १
जवाब देंहटाएंऔर हाँ ,काफी दिनों से लखनऊ पर नजरे हैं जनाब की ..खरीदने का इरादा तो नहीं है ? :)
वो लखनऊ के उस सरदार का क्या हुआ खुशदीप भाई.
जवाब देंहटाएंमाया महा ठगनी हम जानी,माया का ही तो सब खेल है,
लेकिन,सिकंदर भी आये,कलंदर भी आये,ना कोई रहा है न कोई रहेगा.
लखनऊ की तहजीब और दिल को कौन बदल सकता है.
खुशदीपजी, तुलना समझ नहीं आयी।
जवाब देंहटाएंवाकई लखनऊ बदल गया है...बुत ही बुत नज़र आते हैं...इनसान कहीं छुप गए हैं या छुपा दिए गए लगते हैं...
यह वाक्य भी समझ नहीं आया। पहले वीडियो में भी बुत ही बुत हैं और दूसरे में भी बुत हैं लेकिन साथ में इसान भी दिखायी दे रहे हैं। इन वीडियो को देखकर तो नहीं कह सकते कि मायावती ने विकास नही किया। भरपूर विकास दिखायी दे रहा है। बाकि की माया तो माया ही जाने।
@अजित जी,
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी मे्ं ही तो जवाब छुपा है...
विकास बुतों का हुआ है, इनसानों का नहीं...
जय हिंद...
लखनऊ अभी भी अच्छा है..
जवाब देंहटाएंdeshnama par lakhnaw ka butkhana
जवाब देंहटाएं.............................................
jai baba banaras.....
lucknow ghumna achchha laga..
जवाब देंहटाएंसच में बहुत बदलाव हुआ है।
जवाब देंहटाएंहम्म
जवाब देंहटाएंजब मुग़लों ने वो बिल्डिंगें बनावाई होंगी तो भी ब्लागपोस्टें यूं ही लिखी गई होंगी...
यू पी का बौद्धिकरण हो रहा है ।
जवाब देंहटाएंhumari peedi ne toh lucknow k yeh shakal dekhe nahi toh bahut shukriya hume khoobsurat aitihāsika lucknow k ser karane k liye.
जवाब देंहटाएंPhir bhi...."Khuda aabad rakhe Lucknow ko".........
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