मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें मैंने पहली बार जाना है...जिन्ना के दादा का नाम प्रेमजी भाई ठक्कर था...वो कठियावाड़ के गोंडाल के पनेली गांव के हिंदू भाटिया राजपूत थे...अपने परिवार के गुजर-बसर के लिए प्रेमजी भाई ने तटीय कस्बे वेरावल में मछलियों का कारोबार शुरू किया...लेकिन जिस लोहाना समुदाय से प्रेमजी भाई आते थे, वहां मछलियों के धंधे को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था...लिहाज़ा प्रेमजी भाई को लोहाना समुदाय से बहिष्कृत कर दिया गया...
प्रेमजी भाई ने मछलियों के धंधे में खूब पैसा बनाया...इसके बाद उन्होंने फिर समुदाय में वापस आने की कोशिश की..मछलियों का धंधा भी छोड़ दिया...लेकिन प्रेमजी भाई को लोहाना समुदाय में वापस नहीं लिया गया...इस अपमान से सबसे ज़्यादा गुस्सा प्रेमजी भाई के बेटे पुंजालाल ठक्कर (जिन्ना के पिता) को आया...इस तिरस्कार की प्रतिक्रिया में ही पुंजालाल ठक्कर ने मुस्लिम धर्म अपना लिया...साथ ही अपने बेटों का नाम भी मुस्लिम धर्म के मुताबिक ही रख दिया...हालांकि पुंजालाल खुद के लिए गुजराती का ही अपना निकनेम ज़िनो ही इस्तेमाल करते रहे...ज़िनो का अर्थ होता है दुबला-पतला...पुंजालाल उर्फ ज़िन्नो ने कठियावाड़ से कराची आकर अपना ठिकाना भी बदल लिया...
पुंजालाल की शादी मिट्ठीभाई से हुई थी...दोनों की सात संतानों में से मोहम्मद अली जिन्ना सबसे बड़े थे... मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म कराची ज़िले के वज़ीर मेंशन में हुआ...स्कूल रिकार्ड के मुताबिक उनकी जन्मतिथि 20 अक्टूबर 1875 है...हालांकि जिन्ना की पहली बायोग्राफी लिखने वाली सरोजनी नायडू के मुताबिक जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को हुआ था....मोहम्मद अली ने ही अपने परिवार का सरनेम पिता के निकनेम पर जिन्ना कर दिया...जिन्ना 1892 में पढाई के लिए इंग्लैंड गए...
अच्छी जानकारी देने वाली पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंजो कुछ भी आपकी पोस्ट में पढ़ा उसकी पहले से बिलकुल भी जानकारी नहीं थी ....
आभार
जिन्ना के दादों ने गुस्से में धर्म बदला। वो गुस्सा फिर भी कम नहीं हुआ। और कन्वर्टेड मुसलमान जिन्नाह मियां ने देश से बदला लिया। देश के दो टुकड़े कर दिए। क्या क्या याद करें।
जवाब देंहटाएंहम हिन्दुओं में एकता की कितनी कमी है...
जवाब देंहटाएंकिसी को अपनाने में हम कितनी कोताही करते हैं...और बहिष्कार करने में कितनी जल्दी...
इससे बड़ा और क्या उदाहरण हो सकता है भला...
सच पूछा जाए तो चंद लोगों की सोच ने हिन्दुस्तान का नक्शा ही बदल दिया...
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने...
बहुत बहुत आभार...
नयी और बढ़िया जानकारी है मेरे लिए भैया.. बस अंत में आटोबायोग्राफी की जगह बायोग्राफी कर लीजिये क्योंकि वो सरोजिनी नायडू जी ने लिखी इसलिए ऑटो नहीं रही..
जवाब देंहटाएंयूं कि ये तो एकदम नई बात बताई आपने ।
जवाब देंहटाएंएक रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंDear Friends,
जवाब देंहटाएंHe(JINNAH) was symbol of communal harmony ,exposing mythical hindu society.Regards to him.
This information only adds to my pain for separation of Pakistan,We could have sorted out things as we do it today in India-Yes ,Debatably.
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Struggling Rural/Tribal Population must be provided Income Certificate, BPL cards, Ration cards, JobCards & Govt. Rates to Check Inflation & Corruption in Global Economy -Saarc,Europe-Eurasia,Africa ,Latin America,North America,Australia-All Continents...........
Wish to proceed with consensus,
Warm regards,
Ashok Sahyog#09968195027,
E-Mail:ashok_so@rediffmail.com
*********************
Secular Alliance for Harmony among Youths of Grassroot :S.A.H.A.Y.O.G. !
An effort to Bridge Gap among Socio-Economic-Cultural Divides;
For Sustainable Energy ,we need Alternate Politics to strengthen Marketing Forces of Alternate Technology to change the Modes of Development.
Countering Regional Imbalances by Sustainable Management of Native Resources of Global Economy !
@दीपक मशाल,
जवाब देंहटाएंगलती सुधरवाने के लिए शुक्रिया...सरोजिनी नायडू ने 1916 में जिन्ना पर बायोग्राफी लिखी और प्रकाशित कराई थी...टाइटल था...द अंबेसडर ऑफ हिंदू मुस्लिम यूनिटी...
जय हिंद...
जिन्ना के बारे में यह जानकारी नयी है ...!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी!
जवाब देंहटाएंहिन्दुओं की सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि उनके बीच से जाने के अनेक रास्ते थे किन्तु वापस लौटकर आने वालों के लिए द्वार हमेशा बंद मिलता था। वास्तविकता तो यह है कि मजबूरी के कारण बहुत सारे लोग अपना धर्म त्यागा था किन्तु मजबूरी खत्म होने पर उन्हें पुनः अपना धर्म अपनाने का अवसर ही नहीं दिया गया। और इस कारण से उन लोगों का आक्रोश बढ़ता गया जिसका विनाशकारी परिणाम आज भी देखने को मिलता है।
इस्लाम तो भारत में बाहर से ही आया है, तो पीछे बाप दादा या लकड़ दादा तक जाएंगे तो ज्यादातर लोग तो हिन्दू ही निकालेंगे, और पीछे जाएंगे तो हिन्दू से पहले इंसान निकालने चाहिए, ये याद आ जाए और हमेशा याद में रहे तो फिर क्या फर्क पड़ता है की कोई कौन है ... बहरहाल जानकारी तो रोचक है आपकी ...
जवाब देंहटाएंजानकारी अधूरी ही क्यों छोड दी? अभी तो बहुत कुछ है। आगे भी जारी रखें। जिससे देश को मालूम पड़े कि हम जिस साम्प्रदायिकता में उलझे हैं वे कितनी सतही हैं। जबकि हमारें दादा, या पिता भी एक ही सम्प्रदाय को मानने वाले थे। इकबाल जिनका गीत हम रोज ही गुनगुनातें हैं सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा, ने ही मुस्लिम लीग की स्थापना की और जिन्ना को पाकिस्तान निर्माण के लिए उकसाया।
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी…
जवाब देंहटाएं"मजाल" ने सही कहा कि भारत के लाखों मुसलमानों का इतिहास और पुरखों के डीटेल्स निकाले जायें तो वे हिन्दू ही निकलेंगे…
बहुत ही रोचक जानकारी एइ ये तो हमे पता ही नही था।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद | मुझे लगता है की आप आगे भी और जानकारी देंगे | पर इस जानकारी का उपयोग लोग कैसे करेंगे कुछ सकरात्मक रूप में और कुछ नकारात्मक रूप में |
जवाब देंहटाएंरोचक एवं नवीन जानकारी...
जवाब देंहटाएंप्रेम जी भाई ठक्कर को जात बाहर करने वाले समुदाय ने पूरे देश का नुकसान किया। घृणा हमेशा बांटती है।
जवाब देंहटाएंचलो एक जय चंद परिवार की कमी हुयी, कभी नेहरु परिवार के बारे भी खोज करे तो पता चलेगा कि जिन्ना की कमी इस परिवार ने पुरी कर दी, एक हिन्दू कम हुआ तो दुसरा हिन्दू बन गया.............
जवाब देंहटाएंपहली बार इतनी बडी जानकारी जिन्ना के बारे मे मिली। रोचक और विचारणीय शायद यहीं से उनके मन मे पाकिस्तान के बीज बोने की इच्छा जागी । आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंbadhiyaa jaankaari
जवाब देंहटाएंकभी एम. सी. छागला जी ने कहा था कि यह मत भूलो कि हमारे पूर्वज हिंदू थे... :)
जवाब देंहटाएंsachmuch..ek rochak tathay!
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी है ........
जवाब देंहटाएंअगर जिन्ना के पिता मुस्लिम न बने होते तो शायद आज हिंदुस्तान और पाकिस्तान इस तरह न लड़ रहे होते ...
मेरे ब्लॉग कि संभवतया अंतिम पोस्ट, अपनी राय जरुर दे :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.html
कृपया विजेट पोल में अपनी राय अवश्य दे ...
अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी.. मुझे भी नहीं पता था..
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी लाए खुशदीप भाई।
जवाब देंहटाएंये तो वाकई नयी जानकारी थी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
रोचक जानकारी दी..
जवाब देंहटाएंनयी जानकारी मेरे लिए जैसे पहली बार जाना कि नेहरु जी के दादा जी मुसलमान थे !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंओह ...तो जिन्ना हिन्दू परिवार से थे ......?
जवाब देंहटाएंआप भी कहाँ कहाँ विचरते फिरते हैं .....
इतने दिन कहाँ गायब थे .....
जीना के गाँव में तो नहीं .....?
" इकबाल जिनका गीत हम रोज ही गुनगुनातें हैं सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा, ने ही मुस्लिम लीग की स्थापना की और जिन्ना को पाकिस्तान निर्माण के लिए उकसाया । "
जवाब देंहटाएं@ Ajit Gupta
उस समय पूना में काँग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा था, उस मँच से ज़िन्ना ने भारतीय मुसलमानों को कस कर लताड़ा था, ख़िलाफ़त आँदोलन चलाने के लिये हिन्दुस्तानी मुसलमानों की आलोचना की थी ( ख़िलाफ़त मूवमेन्ट दरअसल ब्रिटिश सरकार द्वारा तुर्की के ख़लीफ़ा को कठपुतली सरकार बनाने को बाध्य करने के विरोध में मुस्लिम रीयेक्शन था, खिलाफ़त आन्दोलन के प्रमुख नेता अली बन्धु , डॉ. अंसारी ,मौलाना हसरत मोहानी और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद थे । जबकि खिलाफ़त के माध्यम से गांधी जी ने गरीब मुसलमानों तक पहुंचने और उन्हें सक्रिय बनाने का आसान रास्ता देखा, और उसे अपरोक्ष समर्थन दे रहे थे । इसके उलट ज़िना इसे ज़िन्ना इसे तुर्की का आँतरिक मसला मानते थे )
इसी अधिवेशन के दौरान एक दिन भोजनावकाश में मदन मोहन मालवीय और अल्लामा इक़बाल आपस में बतियाते हुये चलते चलते भोजनकक्ष में पहुँच गये । भोजन करते हुये सहसा सभी के हाथ रुक गये.. कुछ लोगों ने आश्चर्य एवँ क्रोध में थाली के सामने से उठ कर अपना हाथ तक धो लिया ।
महामना मदन मोहन मालवीय नें फौरन मामला भाँप लिया और इक़बाल साहब को जल्दबाज़ी में धकेलते हुये हाल से बाहर ले आये ।
एक खिसियाहट भरी हँसी के साथ बोले, " माफ़ कीजियेगा बातों की रौ में चलते हुये ध्यान ही न रहा कि यह हिन्दू मेस है ! ( उन दिनों ऎसे सार्वज़निक आयोजनों में हिन्दू मेस और मुस्लिम मेस का अलग अलग होना सामान्य बात थी.. पर इस तरह की प्रतिक्रिया से इक़बाल दहल से गये, और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की बातें उन्हें छलावा लगने लगीं ।
यह एक क्रूर ऎतिहासिक तथ्य है, जो मुस्लिम लीग की बुनियाद रखे जाने के कारणों में से एक है ।
"adda" ki baaton se mai sahmat hu, ki hum hinduo mei ekta kee kami hain, hum aapas mei ek dossre ko itna neecha dikhate hai, jiski faydaa doosra uthate hai,
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें