आकाश से ही राम सेतु का मुआयना करने के बाद भगवान श्रीराम ने हनुमान से कहा..."सदियों पहले आपने और आपकी वानर सेना ने कितनी मेहनत और सफाई से ये पुल बनाया...कितना वक्त बीत गया...भौगोलिक स्थितियों और जलवायु में कई तरह के बदलाव के बावजूद ये सेतु अपनी जगह टिका रहा...ये इस लिए भी काबिलेगौर है क्योंकि हैदराबाद में गैमन कंपनी ने आधुनिक तकनीक से एक पुल का निर्माण किया...इसके खम्भों पर कोई पोस्टर भी चिपकाता उससे पहले ही वो पुल चरमरा गया"...
हनुमान ने विनम्रता से जवाब दिया..."जय श्रीराम, ये सब आपके आशीर्वाद का नतीजा है...हमने तो बस आपके नाम को पत्थरों पर लिख कर समुद्र में डाला...वो जहां गिरे वहीं मज़बूती से टिके रहे...न तो टिस्को का स्टील, न ही अंबुजा या एसीसी का सीमेंट इस्तेमाल किया गया...लेकिन भगवन, आज आपको अचानक इस सेतु का स्मरण कहां से आ गया"...
श्रीराम बोले..."हनुमान, कुछ लोग सेतु के कुछ हिस्से को तोड़ कर यहां से जहाज़ों के लिए रास्ता निकालना चाहते हैं...इस प्रोजेक्ट पर बहुत सारा पैसा खर्च होगा...साथ ही बहुत सारा पैसा बनाया भी जाएगा...पहले सेतु को तोड़ने पर और फिर निर्माण कार्य पर."..
हनुमान ने आदर भाव से प्रश्न की मुद्रा में कहा..."हम नीचे पृथ्वी पर चलकर इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाते ?"...
श्रीराम ने कहा..."हनुमान समय बदल चुका है...हमारे और अबके दौर में ज़मीन-आसमान का फर्क आ चुका है...वो हमसे हमारी उम्र का सबूत मांगेंगे... न हमारे पास जन्म प्रमाणपत्र है और न ही स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट...हम ज़्यादातर पैदल ही चलते हैं...ज्यादा हुआ तो बैलगाड़ी पर...इसलिए हमारे पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है...और जहां तक अपने पते की बात है, जिस अयोध्या में मैंने जन्म लिया था, वो खुद आधी सदी से भी ज़्यादा अर्से से कानूनी पचड़े का सामना कर रही है...और अगर हम अपने पारंपरिक धनुष बाण के साथ गए तो आम आदमी तो शायद हमें पहचान लें...लेकिन कपिल सिब्बल हमें आदिवासी समझेंगे और ज़्यादा हुआ तो वो हमें आईआईटी में रिज़र्व कोटे के तहत सीट दिला देंगे जिससे कि हम पुल का निर्माण करना सीख सकें...इसलिए हम थ्री-पीस सूट में तो नीचे जाकर अपने आगमन की सूचना दे नहीं सकते...ऐसा किया तो वो हमें शक की नज़रों से देखेंगे...हनुमान, अब समझ आया कि हम नीचे जाने से क्यों हिचकिचाते हैं"...
"मेरे प्रिय अंजनिपुत्र, ये कारगर नहीं रहेगा...वो हमसे ले-आउट प्लान मांगेंगे...प्रोजेक्ट डिटेल्स, एप्रूवल प्लान, म्युनिसिपल बिल्डिंग परमिट, खोदने का परमिट, ठेकेदार की जानकारी, फाइनेंशियल आउट-ले सब कुछ मांगेंगे...ये भी पूछेंगे कि प्रोजेक्ट की लागत का खर्च कहां से आया था...साथ ही कम्पीलिशन सर्टिफिकेट देना होगा...ये भी बताना होगा कि सेतु का उद्घाटान किसने किया था...कागज़ाती सबूतों के बिना ये लोग कुछ भी नहीं मानेंगे...अगर आपको खांसी हैं, लेकिन जब तक डॉक्टर सर्टिफिकेट नहीं देगा वो नहीं मानेंगे कि आपको खांसी है...खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए भी जीवन-प्रमाणपत्र तक देना पड़ता है...वहां जीवन इतना कठिन है"...
भगवान श्रीराम की बात सुनकर हनुमान बोले..."भगवन, मैं इन इतिहासविदों को समझ नहीं सकता...बरसों तक आपने हर सौ-सौ साल के बाद सूरदास, तुलसीदास, संत त्यागराज, जयदेवा, भद्रचला रामदास और संत तुकाराम को दर्शन दिए और वो फिर भी आपके अस्तित्व को नहीं मानते...कहते हैं कि रामायण मिथक है...बस एक ही उपाय मुझे नज़र आता है...वो है कि पृथ्वी पर रामायण को दोबारा चरितार्थ किया जाए जिससे कि सारे सरकारी रिकार्डों को दोबारा ठीक किया जा सके"...
ये सुनकर भगवान श्रीराम मुस्कुराए...फिर बोले..."ये सब करना आज इतना आसान नहीं है...रावण को शंका होगी कि वो आज के नेताओं की करतूतों के सामने तो संत नज़र आएगा...मैंने रावण के मामा मारीच से भी बात की है जो सुनहरी हिरण बनकर जंगल में सीता को लुभाने के लिए आए थे...मारीच का कहना है कि जब तक सलमान ख़ान धरती पर है वो हिरण बनकर वहां जाने का जोखिम हर्गिज नहीं ले सकते"...
(ई-मेल से अनुवाद)
सही कहा जी, वेसे आज रावण तो चारो ओर है, ओर रावण राज भी
जवाब देंहटाएंहम्म! सही है..
जवाब देंहटाएंआज की दुनिया की कथाओं के सामने रामायण के पात्र और कथाएँ बहुत पीछे रह गए हैं।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंबहुत गहरा कटाक्ष । आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंसही कहा………………बेहतरीन कटाक्ष्।
जवाब देंहटाएंहे रामचंद्र, कह गए सिया से,
जवाब देंहटाएंऐसा कलजुग आएगा,
हंस चुगेगा दाना चुग का,
कौआ मोती खाएगा...
(सांसदों का वेतन साढ़े तीन लाख रुपये महीना हो गया, दुनिया भर की सुविधाएं साथ में मुफ्त)
जय हिंद...
अब तो राम भी डरने लगे हैं ....अपना अस्तित्व ढूंढ रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंसटीक मोडर्न राम -कथा ..!
हे राम !!!....
जवाब देंहटाएंसरकारी वयवस्था पर अच्छा व्यंग | राम के सेतु का तो नहीं पता पर उस प्राकृतिक संरचना को तोड़ना नहीं चाहिए क्योकि उन मुगे की चट्टानों को बनने में हजारो लाखो साल लगते है | उस पर पुरा समुंद्री जीवन निर्भर होता है यदि उनको तोड़ दिया गया तो उस पर जी रहे छोटे जीवो का जीवन ही समाप्त हो जायेगा और पुरा फ़ूड चेन ही गड़बड़ हो जायेगा | ये प्रोजेक्ट समुंद्री पर्यावण को काफी नुकसान पहुचायेगा |
जवाब देंहटाएंवयवस्था को व्यवस्था पढ़े
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ी शर्मनाक और दुखद बात यह है की रावणों ने देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक के पदों पर कब्ज़ा कर लिया है ऐसे में राम की लड़ाई आज बहुत मुश्किल स्थिति में है ...
जवाब देंहटाएं"लेकिन कपिल सिब्बल हमें आदिवासी समझेंगे"
जवाब देंहटाएंअरे राम ! विश्वनाथ[आनंद] को नहीं छोडे तो राम को क्या बख्शेंगे :)
सही कटाक्ष है. बढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंjai hind...
उम्दा पोस्ट-बेहतरीन लेखन के बधाई
आपकी पोस्ट चर्चा ब्लाग4वार्ता पर-पधारें
बड़ा ही करारा कटाक्ष किया है इस मुद्दे पर आपने राम -हनुमान संवाद के माध्यम से ....आभार !
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
जय श्री कृष्णा
आप की रचना 03 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/09/266.html
आभार
अनामिका
जिसने इस व्यंग्य को लिखा उसका तथा अनुबाद के लिए आपका बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंभई अब तो बहुत सारे राक्षस हो गये है .. वे आने ही नही देंगे
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