गु्ल्ली, मम्मी और पड़ोस वाले अंकल...खुशदीप
17
मंगलवार, अगस्त 31, 2010
साइकोलॉजी टीचर ने नए तरीके से छात्रों को पढ़ाने का फैसला किया...आते ही क्लास में छात्रों से कहा कि क्लास में जो भी स्टूपिड है, खड़ा हो जाए...
ये सुनकर गुल्ली खड़ा हो गया...
टीचर ने ये देखकर कहा कि क्या तुम स्टूपिड हो...
गुल्ली ने कहा...नहीं सर, आप को अकेले क्लास में खड़ा देखकर मुझसे रहा नहीं गया...
-------------------------
मैथ्स टीचर ने गुल्ली को बुलाया...फिर पूछा...बताओ 2 और 4 क्या होते हैं...28 और 44 क्या होते हैं...
गुल्ली ने तपाक से जवाब दिया...M TV, फैशन टीवी, V TV, WWF लेडी फाइटिंग...
--------------------------
गुल्ली पिता मक्खन के साथ घोड़ों की नीलामी पर गया...
वहां मक्खन एक-एक घोड़े की टांग, पीठ, मुंह पर अच्छी तरह हाथ फेर कर देख रहा था...
थोड़ी देर तक गुल्ली ये सब देखता रहा...
फिर पूछ ही बैठा...आप ऐसा क्यों कर रहे हैं...
मक्खन ने जवाब दिया कि मैं घोड़े को खरीदने से पहले देखना चाह रहा हूं कि वो पूरी तरह स्वस्थ और अच्छी शेप में है या नहीं...
गुल्ली...ओह तो अब समझ आया कि मम्मी के साथ पड़ोस वाले अंकल ऐसा क्यों कर रहे थे...
मक्खन से कहो घर पर भी रहा करे !
जवाब देंहटाएंजय हिंद !!
गुल्ली भी जाने कौन कौन सी पोल खोल देता है।
जवाब देंहटाएंगुल्ली से संभाल कर
जवाब देंहटाएंहा हा हा-वाह-वाह,ये गुल्ली भी कमाल करता है:)
खोली नम्बर 36......!
गुल्ली कुछ भी कर सकता है।
जवाब देंहटाएंह हा हा! गुल्ली भी गजब का है. :)
जवाब देंहटाएंहाँ आज मुझे ऐसी पोस्ट की बहुत जरूरत थी। बस हंसते रहो हंसाते रहो। बहुत बहुत आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएं@निर्मला जी,
जवाब देंहटाएंथो़ड़े दिन तक ब्लॉगिंग से दूर रहा...लेकिन जिस तरह का माहौल हिंदी ब्लॉगिंग में बनता जा रहा है, स्थिति को सुखद नहीं कहा जा सकता...इसे भी खींचतान, निजी खुन्नस निकालने का मंच माना जाने लगा है...अपने लिए जीए तो क्या जीए तो छोड़ अब जिओ और जीने दो के सिद्धांत को भी नहीं माना जा रहा...ईर्ष्या, जलन, अहंकार की जो भावनाएं हमें निजी जीवन में ग्रस्त रखती हैं, उन्हीं का वमन करने के लिए हम ब्लॉगिंग का भी इस्तेमाल करने लगे हैं...ऐसे में कई बार लगता है कि ब्लॉगिंग में बने रहने से किसी सार्थक उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही...देखिए ये स्थिति कब तक बनी रहती है...अन्यथा जयराम जी करना लेना ही बेहतर होगा...
जय हिंद...
हा हा हा।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई स्थिति वाकई बहुत ही चिंता जनक है ...ब्लोगिंग जिसे जनहित में आवाज को बुलंद करने के लिए एक सशक्त मिडिया का रूप देकर सरकार पर सही नीतियाँ बनाने उसे जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू करने के ठोस उपाय करने इत्यादि के लिए दबाव डालने के लिए प्रयोग किया जा सकता था तो इसकी जगह आज ब्लोगिंग ब्लोगरों के आपसी खुन्नस निकालने के लिए इस्तेमाल हो रहा है ...? बेहद दर्दनाक और शर्मनाक स्थिति है ...
जवाब देंहटाएंलोग कुछ भी करते रहें , खुद को ठीक रखो , यही ज़रूरी है ।
जवाब देंहटाएंकिसी विवाद में न पड़ें , बस मौज मस्ती करते रहें ।
ये गुल्ली कहीं का कहीं पिटेगा......... शर्त लगा कर कह सकता हूँ.........
जवाब देंहटाएंअजी हुआ क्या?हमे तो कुछ पता भी नही, वेसे गुल्ली है सायाना..:)
जवाब देंहटाएं...आप तो गुल्ला गुल्ली करते रहें और हम सबको हंसाते रहे ...जाने की कोई जरुरत गुल्लाजी... हा हा हा
जवाब देंहटाएं"ओह तो अब समझ आया कि मम्मी के साथ पड़ोस वाले अंकल ऐसा क्यों कर रहे थे." स्टुपिड :)
जवाब देंहटाएंगुल्ली बदमाश तो पहले ही था, लगता है अब बड़ा बदमाश होगया है. ;-)
जवाब देंहटाएंओये गुल्ली .......गुल्ली ओये...
जवाब देंहटाएंओये कमाल कर दित्ता ओये....
जय हिंद..