फिर क्या करूं...बड़ा सोचा, बड़े हाथ पैर मारे...फिर जाकर ठीक जगह पहुंच गया...अब लगता है मेरी समस्या हल हो जाएगी...आप सब भी जानना चाहते हैं विदेश जाने के लिए वीज़ा बनवाने का रामबाण नुस्खा...लीजिए अब ज़्यादा नहीं घुमाता, देखिए वीज़ा वाले बाबा का चमत्कार...
अमेरिका जाने की चाहत रखने वालों के लिए खास हिदायत-
कृपया H1N1 के लिए एप्लाई नहीं करें,इसके लिए पास के अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में आवेदन करें...
( डिस्क्लेमर : पूरी पोस्ट निर्मल हास्य, मैं भारत में ही भला हूं, विदेश जाने का हाथ की रेखाओं में कोई योग नहीं लगता)
धन्य हो!
जवाब देंहटाएंये हनुमान जी कब से लोगों को वीजा बाँटने लगे :)
मजेदार...
जवाब देंहटाएंलोगों के अंधविश्वास को देख कर हंसी भी आती है और दुख भी होता है कि हम कौन सी सदी में जी रहे हैं?
चले आओ बालक...हमारे आश्रम से भी वीसा का आशीर्वाद उठा लेना. :)
जवाब देंहटाएंखड़े हैं एयरपोर्ट के बाहर लिवाने को!!
बाबा हनुमान जी जरुर बेड़ा पार लगावेंगे।
जवाब देंहटाएंरावण की लंका मे बिना वीजा घुस जावेगे
सही बोर्ड लगा रखा है।
जवाब देंहटाएंखुशदीप,
तुम भी नाऽऽ.. धुत्त !
ऎसे कहीं बेनकाब करते हैं ?
परले दर्ज़े के खुराफ़ाती लगते हो !
मुझे दस वर्ष आगे वाला अपना बचपन याद आ रहा है ।
वैसे जबसे हनुमान जी ने ओबामा की ज़ेब का वीसा झटक लिया है, वीज़ा-तँत्र में उनकी महत्ता तो बढ़ ही गयी है ।
क्या भारत का मुकाबला कोई धुरंधर पचास मारखां देश भी कर सकता है। भारत में ही खुशदीप खिल सकता है।
जवाब देंहटाएंइन्होने धर्म को पूरी तरह बदनाम ही कर दिया है .. इन्हें प्रशासन का भी साथ मिलता है .. पूरी दुनिया अंधविश्वास फैलाने में लगी है !!
जवाब देंहटाएंसही पता ढूंढ के लाये आप भी भैया..
जवाब देंहटाएंजय हिंद... जय बुंदेलखंड...
धुत्त !!!
जवाब देंहटाएंई कोई बात हुई भला...उनसे अच्छा तो हमरी कंपनी काम करती है...
बालक शिशु...!!
जब चिन्मईप्रभा वीजाधारिणी,एयरपोर्टविहारिणी टिकटजुगाडिनी स्थानप्रदायनी माँ अदा हैं तो चिन्ते की क्या बात बालक...!!
माँ कल्याण करेगी बच्चा... !!
हमारी कोई शाखा नहीं है.....हमारी सेवा सिर्फ़ गारंटी देती है.... और कुछ नहीं...
हा हा हा ..
नोट : खुशदीप जी, वो ऊपर तो मज़ाक था....लेकिन रहने ना सही घूमने तो आया ही जा सकता है और अगर आना हुआ तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी....आपका एक घर यहाँ भी है....मत भूलियेगा..!!
बल्कि समस्त ब्लॉग जगत के लिए मेरा सन्देश है ..जब भी आयें ज़रूर बताएं...जो भी बन पड़ेगा हमसे ..हम हैं...आपके लिए अपने परिवार के साथ...
बेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंअगर विदेश जाना ही है...तो रेखा न होने का बहाना न करें। सुनना है कि एक बार किसी ने भूल से हिल्टर को कह दिया था...तुम्हारे हाथ में राज्य योग नहीं..उसने हाथ में छुरी से वो लकीर रेखा बना ली थी।
जवाब देंहटाएंपर मेरे भारत से अच्छा कुछ नहीं दोस्तो।
माता अदाम्बिके के होते किसी के आगे हाथ फ़ैलाने की जरुरत नहीं है ....!!
जवाब देंहटाएंरामदूत अतुलित बलधामा ...
जवाब देंहटाएंजब पूरा पहाड़ उठा कर ला सकते हैं तो वीजा दिलाना कौन सा मुश्किल काम है हनुमान जी के लिये?
जै बजरंग बली!
विदेश रेखा तो हमारे हाथ में भी नहीं है इसलिये हम कभी विदेश जाने की सोचते ही नहीं।
अच्छी सूचना, कभी जरूरत हुई तो। हमारे यहाँ भी बहुत सारे हनुमान मंदिर हैं। एक ऐजेंसी इधर भी खुलवा दो ना।
जवाब देंहटाएंहमने तो पासपोर्ट ही नही बनवाया . लेकिन जब भी विदेश जाने का मन करता है अपनी कार उठायी और एक घन्टे मे पहुच जाते है विदेश . अरे भाई नेपाल . नेपाल भी तो विदेश ही है
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई, क्या लम्बी लाइन देखकर वापस आ गए। अरे नंबर ही ले लिए होता । और कुछ नहीं तो बलैक ही कर देते। यहाँ तो सब कुछ संभव है।
जवाब देंहटाएंअगली बार जाएँ तो ये भी पूछकर आयें की दक्षिणा में क्या देना पड़ता है।
हम्म... यह धंदा तो काम का लगता है. क्यों न ब्लोगिंग छोड़ हम सब इसे ही अपना लें?
जवाब देंहटाएंबाबा समीरानंद आश्रम मे वीजा का सही लाकेट उपलब्ध है. हमारा भी उसी लाकेट को धारण करने से बन गया था.
जवाब देंहटाएंसमीरानंद आश्रम का लाकेट
वीजा आलवेज इन योर पाकेट
एक बार जरुर आजमाईये.
रामराम.
abhi to humara passport nhi issue hua hai to visa kaise dilange HANUMAAN JI.
जवाब देंहटाएंPar aap kah rahe to theek hi hoga!!!!
मैने तो सोचा आप मुझ से पहले ही चले जायेंगे । आप जाओ हनुमान जी के मंदिर मैं तो 16 अप्रेल को जा रही हूँ कैलिफोर्निया मगर मैने मन्नत वहाँ नहीं माँगी थी। तो चलो फिर इकट्ठे ही चलते हैं। लगवाओ वीज़ा।शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसभी अभिलाषियों की अभिलाषा पूर्ण हो :)
जवाब देंहटाएंभाई अच्छी जानकारी दी है ......... पर कमाल है हनुमान जी की अब और कितने काम करेंगे .........
जवाब देंहटाएंजै बजरंग बली! जै बजरंग बली! अरे मजाक मत करो, इस मंदिर मै जा कर श्रद्धा से सर झुकाओ, आंखे बन्द करो ह्नुमान जी खुद कंधो पे ऊठा कर आप को उस देश मै ले जायेगे, जहां आप की इच्छा हो, इसी जगह से तो हम सब आज यहां मोजूद है, ना पास पोर्ट का झंझट ना वीजे की फ़िक्र?? जै बजरंग बली! जै बजरंग बली!:)
जवाब देंहटाएंखुश दीप भाई जब चाहो आओ, यहां भी खुले दिल से स्वागत है
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअरे खुशदीप जी ! वाह क्या दुकान खोज निकाली है आपने....जल्दी आइये हम स्वागत के लिए तैयार हैं....बस एअरपोर्ट के लिए निकल ही गए हैं.
जवाब देंहटाएंहनुमानजी के दरबार में भला वीजा का क्या काम? वे तो वैसे ही उठाकर कहीं भी धर देंगे। पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं है। देखो निर्मला जी जा ही रही हैं, मैं भी मई में जा रही हूँ तो क्यों न एक ब्लागर मीट वहीं कर लें। बस आप तो रोज हनुमान जी के प्रसाद चढ़ाओ कि सारे ही ब्लागर अमेरिका में मिलें।
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर लगा दिया सो ठीक किया नहीं तो हम तो सच्ची-मुच्ची का समझ ले रहे थे।.
जवाब देंहटाएंविदेश जाने वाली रेखा तो मेरे हाथ में भी नहीं है भैया... बस मैंने तो वसुधैव कुटुम्बकम मानना शुरू कर दिया और इस विश्व परिवार के एक घर भारत से दूसरे घर यू.के. में आ गया.. बिना हस्तरेखा नामक वीजा के... वैसे भी किसी ने क्या खूब कहा है कि- 'तकदीर तो उनकी भी होती हैं जिनके हाथ नहीं होते'
जवाब देंहटाएंजय हिंद.... जय बुंदेलखंड....
हम पहले ही कहते रहे की बजरंग बलि के केस में सब possible है. बोलो पवनसुत हनुमान की जय!
जवाब देंहटाएंभैया ...माफ़ी चाह रहा हूँ.... थोडा लेट आया...
जवाब देंहटाएंशीर्षक देख कर मैं तो डर ही गया था..... मूंह कलेजे को आ गया था.....
पर अच्छा हुआ आपने बता दिया.... दिल्ली आ रहा हूँ.... मैं भी दर्शन करूँगा... कम से कम एक टूरिस्ट वीजा तो मिल जाये...
जय हिंद........
ओह! सॉरी कलेजा मूंह को आ गया.... पता नहीं आज क्या हो रहा है... सब गड़बड़ा जा रहा है.....
जवाब देंहटाएंजय हिंद....
जय हनुमान, जब हमें विदेश जाना होगा तो हनुमान जी को जरुर बोलेंगे।
जवाब देंहटाएंअपने राम तो यहीं भले........
जवाब देंहटाएंजय हिंद
आपकी पोस्ट पढ़कर तो आनन्द आ गया!
जवाब देंहटाएंइसे चर्चा मंच में भी स्थान मिला है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/01/blog-post_28.html
i like it :)
जवाब देंहटाएं