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ब्लॉगवाणी, सुन ले अर्ज़ हमारी...खुशदीप
ज़रा सामने तो आओ छलिए, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है, यूं छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की ये आवाज़ है... …
गुरुवार, जून 10, 2010ज़रा सामने तो आओ छलिए, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है, यूं छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की ये आवाज़ है... …
पोस्ट ऑफिस में एक सीनियर क्लर्क उस डेस्क का काम देखा करते थे जहां अधूरे या अस्पष्ट पतों वाली डाक की छंटाई होती थी... …