शाह फ़ैसल (ट्विटर) |
UPSC परीक्षा टॉपर पहले कश्मीरी शख़्स शाह फ़ैसल की 3 साल बाद नौकरशाही में वापसी, इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक फ़ैसल की बहाली की गृह मंत्रालय के अफसरों की ओर से पुष्टि, जनवरी 2019 में नौकरशाही से इस्तीफ़े के बाद जम्मू-कश्मीर में बनाई थी अपनी सियासी पार्टी
नई दिल्ली (29 अप्रैल)।
देश में यूपीएससी परीक्षा
टॉप करने वाले पहले कश्मीरी शख्स शाह फैसल की तीन साल बाद नौकरशाही में वापसी हो
गई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के
अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि फैसल को सिविल सर्विसेज में बहाल कर दिया गया
है. इससे पहले बुधवार 27 अप्रैल की रात को फैसल ने तीन ट्वीट कर में नौकरशाही में
लौटने के संकेत दिए थे. फैसल अगले महीने 39 साल के होने जा रहे हैं. फैसल के सिविल
सर्विसेज से इस्तीफे को कभी कबूल नहीं किया गया था.
जनवरी 2019 में नौकरशाही से
इस्तीफ़ा देने वाले शाह फैसल का दावा है कि वो उनका 'छोटा सा अक्खड़पन था और कुछ
उकसावे वाली बातें थीं जिनकी वजह से वो फ़ैसला लिया. साथ ही ये छोटी सी अवज्ञा
वाला काम था जिससे कि केंद्र सरकार को उसकी जम्मू और कश्मीर के लोगों को लेकर
जिम्मेदारियों की याद दिलाई जा सके'.
27 अप्रैल को एक ट्वीट में
फैसल ने लिखा, 'जबकि मैंने एक कल्पना का पीछा करते हुए अपना सब कुछ खो दिया जो
मैंने बरसों से बनाया था- जॉब, दोस्त, साख, लोगों की सद्भावना, लेकिन मैंने कभी
उम्मीद नहीं छोड़ी. मेरे आदर्शवाद ने मुझे नीचा दिखाया.'
8 months of my life (Jan 2019-Aug 2019) created so much baggage that I was almost finished.
— Shah Faesal (@shahfaesal) April 27, 2022
While chasing a chimera, I lost almost everything that I had built over the years. Job. Friends. Reputation. Public goodwill.
But I never lost hope.
My idealism had let me down. 1/3
एक और ट्वीट में फैसल ने
लिखा- 'मुझे अपने में भरोसा था. कि मैं उन ग़लतियों की भरपाई कर लूंगा जो मैंने
कीं. ज़िंदगी मुझे एक और मौका देगी. मेरे अंदर का एक हिस्सा उन आठ महीनों की याद
से थका महसूस करता है और उस हिस्से को मैं मिटाना चाहता हूं. काफ़ी कुछ इसका चला
गया है. मैं समझता हूं वक्त बाकी को भी मिटा देगा'.
But I had faith in myself. That I would undo the mistakes I had made.
— Shah Faesal (@shahfaesal) April 27, 2022
That life would give me another chance.
A part of me is exhausted with the memory of those 8 months and wants to erase that legacy. Much of it is already gone. Time will mop off the rest In believe. 2/3
तीसरे ट्वीट में फैसल ने
लिखा कि 'बस ये साझा करने का सोचा कि ज़िंदगी खूबसूरत है, अपने को एक और मौका देना
हमेशा अच्छा रहता है. झटके हमें और मज़बूत बनाते हैं. अतीत के साये से हट कर एक
अद्भुत दुनिया है, मैं अगले साल 39 का होने जा रहा हूं. मैं दोबारा फिर से सब कुछ
शुरू करने को लेकर बहुत उत्साहित हूं'.
Just thought of sharing that life is beautiful. It is always worth giving ourselves another chance.
— Shah Faesal (@shahfaesal) April 27, 2022
Setbacks make us stronger.
And there is an amazing world beyond the shadows of the past.
I turn 39 next month. And I'm really excited to start all over again. 3/3
फैसल ने जिन आठ महीनों का
हवाला दिया, ये वक्त था जब उन्होंने IAS
से इस्तीफ़ा देने के बाद अपनी सियासी पार्टी
जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट लॉन्च की थी. उस वक्त एक इंटरव्यू में फैसल ने
कहा था, नौकरशाही अपने दायरे में काम करती है, नौकरशाही नेताओं को शर्तें नहीं बता
सकती. लोग क्या चाहते हैं, इसकी नुमाइंदगी नेता करते हैं. तब फैसल ने हुर्रियत को जम्मू-कश्मीर के लोगों
की भावनाओं का रक्षक भी बताया था.
उत्तर कश्मीर के सोगाम से आने वाले शाह फैसल का नाम पहली बार 2010 में सुर्खियों में आया था जब वो सिविल सर्विसेज परीक्षा टॉप करने वाले पहले कश्मीरी शख्स बने थे.
यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने के बाद तत्कालीन पीएम डॉ मनमोहन सिंह से 2010 में मुलाकात के दौरान शाह फ़ैसल |
फैसल ने डॉक्टर बनने के बाद सिविल सर्विसेज परीक्षा में बैठने का फैसला किया था. उन्हें जम्मू और कश्मीर कैडर अलॉट किया गया और उन्होंने शिक्षा और पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट्स में अपनी सेवाएं दीं.
शाह फ़ैसल ने मार्च 2019 में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का एलान किया था. उसी मौके पर जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद के साथ (फाइल) |
2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में फैसल ने पारंपरिक सलवार-कमीज और ब्लेजर में अपनी पार्टी लॉन्च करने के वक्त कहा था- “इतिहास इस तथ्य की गवाही देता है कि जब भी कोई नये विचार या नई क्रांति की बात आती है तो उसे पहले खारिज किया जाता है. फैसल ने दावा किया था कि उनकी पार्टी उस इलाके को नई सियासत मुहैया कराएगी जिस इलाके से 70 साल से विश्वासघात होता रहा है.
अगस्त 2019 में केंद्र सरकार की ओर से जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद संचार, मूवमेंट और क्षेत्र की सियासी लीडरशिप के खिलाफ कई तरह की बंदिशें लगाई गईं. फैसल उस दौर में भी जम्मू कश्मीर के लोगों पर अभूतपूर्व बंदिशों को लेकर आवाज़ उठाते रहे. उस वक्त फैसल को दिल्ली से इस्तांबुल की फ्लाइट पकड़ने से रोका गया था और वापस श्रीनगर ले जाया गया था. अगले दस महीने फैसल ने हिरासत में गुज़ारे.
2019 में हिरासत के दौरान ्अन्य राजनीतिक बंदियों के साथ शाह फ़ैसल (फाइल) |
छह महीने
हिरासत में रखे जाने के बाद फैसल पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया.
90 पन्ने के डॉजियर में फैसल पर उदार अलगाववाद को अपने आर्टिकल्स, ट्वीट्स और सोशल
मीडिया पोस्ट्स से बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया और उनके इस काम को पब्लिक ऑर्डर
के लिए संभावित खतरा बताया गया.
जून 2020 में फैसल के खिलाफ
पब्लिक सेफ्टी एक्ट के चार्ज हटा लिए गए और उन्हें रिहा कर दिया गया. अगस्त 2020
में फैसल ने अपनी पार्टी से इस्तीफा देते हुए सियासत छोड़ने का एलान किया.
पिछले साल फैसल ने अपने
सारे पुराने ट्वीट मिटा दिए. कोरोना काल में जहां फैसल ने लोगों की मदद के लिए
आग्रह किए वहीं वैक्सीनेशन मुहिम के लिए केंद्र सरकार की तारीफ की. जून 2021 में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व से बात की तो फैसल ने ट्वीट
में लिखा- 'प्रधानमंत्री की पहल ने पूरे जम्मू कश्मीर में उम्मीदों को बढ़ाया है.
कश्मीर में मैं जिससे भी बात कर रहा हूं उसका कहना है कि काफी लंबे अर्से के बाद
कुछ अच्छा हो रहा है. ये दूरी जल्द ही खत्म हो'.
Prime Minister's initiative has raised lot of expectations across Jammu and Kashmir. Everyone I spoke to from Kashmir told me that something good is happening after a long time. May the duri end soon. @PMOIndia https://t.co/wVAqW9LxrW
— Shah Faesal (@shahfaesal) June 25, 2021
फैसल की शुरुआती पढ़ाई के
दिनों की बात की जाए तो उनके पिता गुलाम रसूल शाह कुपवाड़ा जिले के सोगाम में टीचर
थे जिनकी आतंकवादियों ने 2002 में हत्या कर दी थी, उस वक्त फैसल महज 19 साल के थे.
शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज, श्रीनगर से फैसल ने एमबीबीएस की
पढ़ाई पूरी की. फैसल के पास उर्दू में मास्टर्स की भी डिग्री है. उन्हें 2018 में
हार्वर्ड कैनेडी स्कूल की ओर से फुलब्राइट फैलोशिप दी गई.