जानिए क्या है IPL फ्रैंचाइजी का अपने प्लेयर्स को फीस भुगतान का तरीका, दीपक चाहर जैसे कोई प्लेयर चोट की वजह से बाहर हो जाए तो उसकी फीस का क्या? टूर्नामेंट शुरू होने से पहले, बीच में और बाद में फीस का कितना कितना मिलता है हिस्सा
नई दिल्ली (25 अप्रैल)।
29 साल के दीपक चाहर कमाल बोलिंग की वजह से 2018 से चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के पेस अटैक की बैकबोन बने रहे लेकिन इस IPL सीज़न में वो चोट की वजह से आउट आफ एक्शन हैं. दीपक डेथ ओवर्स में शानदार बोलिंग ही नहीं करते बल्कि बैटिंग में भी लंबे शॉट्स लगाने की क्षमता रखते हैं, इसलिए चेन्नई सुपरकिंग्स को उनकी कमी खल रही है. आईपीएल 2022 में खेले गए अपने पहले सात मैचों में सीएसके को सिर्फ दो मैचों में ही जीत मिल सकी.
दीपक चाहर- इंस्टाग्राम |
2018 से आईपीएल में खेल रहे पेसर ऑलराउंडर दीपक चाहर को लगातार चार सीज़न में शानदार परफॉर्मेंस दिखाने की वजह से आईपीएल 2022 के लिए चेन्नई सुपरकिंग्स ने 14 करोड़ रुपए में खरीदा. लेकिन इस साल वेस्ट इंडीज के खिलाफ हुई टी20 सीरीज में भारत की ओर से खेलते हुए दीपक के पैर में 20 फरवरी को चोट आ गई. उनके क्वाड्रिसेप्स मसल्स इंजर्ड हो गए थे. रीहैब के लिए दीपक नेशनल क्रिकेट एकेडमी में थे और रिकवर कर रहे थे कि उनकी पीठ में चोट आ गई और वे इस साल आईपीएल के पूरे सीज़न से बाहर हो गए.
अब सवाल ये खड़ा हुआ कि चेन्नई सुपरकिंग्स ने जो 14 करोड़ रुपए में दीपक चाहर को खरीदा था, उस रकम का क्या होगा, वो उन्हें मिलेगी या नहीं. क्योंकि वो चोट की वजह से खेल नहीं सकते थे, ज़ाहिर है कि चेन्नई सुपरकिंग्स के टूर्नामेंट के प्लान्स को इससे बड़ा झटका लगा. दीपक चाहर को चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से कोई पैसा नहीं दिया जाएगा लेकिन उन्हें बीसीसीआई की इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत आने की वजह से पूरी रकम का भुगतान मिलेगा.
दीपक BCCI के सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट वाले खिलाड़ी हैं और बोर्ड की ओर से साल 2011 से अपने सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट वाले प्लेयर्स की इंश्योरेंस पॉलिसी की जा रही है, ऐसे में दीपक को IPL के पूरे सीज़न से बाहर होने के बावजूद भी पूरा पैसा मिलेगा. दीपक चाहर बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट में ग्रेड-C में आते हैं. बीसीसीआई नियमों के तहत उन्हें CSK फ्रेंचाइजी पूरे 14 करोड़ चुकाएगी हालांकि CSK को यह पैसा इंश्योरेंस कंपनी से मिल जाएगा.
अब यहां सवाल ये आता है कि अगर दीपक चाहर अगर बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट में इश्योरेंस में कवर नहीं होते तो क्या होता? उसका जवाब है कि दीपक को एक पैसे का भी भुगतान नहीं होता. आइए आपको बताते हैं कि फ्रैंचाइज़ी की ओर से अपने प्लेयर्स को किस तरह भुगतान किया जाता है. कोई भी फ्रेंचाइजी एक मुश्त प्लेयर्स को पैसा नहीं देती. यहां ये देखा जाता है कि टीम के पास नकद रकम कितनी है और स्पॉन्सर्स से पैसा कैसे आ रहा है. कुछ फ्रेंचाइजी टीम के पहले सीजन कैंप से करीब हफ्ता भर पहले प्लेयर को चेक देते हैं. कुछ को आधा पैसा टूर्नामेंट से पहले और बाकी टूर्नामेंट के दौरान मिल जाता है. कुछ टीमें 15-65-20 का फॉर्मूला अपनाती हैं. मतलब टूर्नामेंट शुरू होने से पहले रकम का 15 प्रतिशत, 65 प्रतिशत टूर्नाट के दौरान बाकी का 20 प्रतिशत पैसा टूर्नामेंट खत्म होने के बाद तय समय के भीतर दिया जाता है.
प्लेयर के ऑक्शन की रकम उसकी सैलरी कही जाती है. इसके हिसाब से ही टैक्स भी काटा जाता है. प्लेयर की सैलरी पर कोई दूसरा शख्स दावा नहीं कर करता. यह पूरी रकम प्लेयर के खाते में जाती है.
ऑक्शन की रकम एक साल के लिए होती है. मिसाल के तौर पर अगर प्लेयर को 14 करोड़ में खरीदा जाता है, तो उसे यह रकम हर साल दी जाएगी. तीन साल के लिए उसे 42 करोड़ का भुगतान होगा.
अगर कोई प्लेयर पूरे सीजन के लिए उपलब्ध रहता है, तो उसे पूरी रकम का भुगतान होता. इस बात के कोई मायने नहीं रहते वह कितने मैच खेलता है. साल 2013 में ग्लेन मैक्सवेल को मुंबई ने करीब छह करोड़ रुपये में खरीदा था. तब मैक्सेवल केवल 3 ही मैच खेले, लेकिन उन्हें सैलरी के रूप में पूरी रकम मिली.
अगर प्लेयर सीजन शुरू होने से पहले ही इंजर्ड हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी कोई भी रकम नहीं चुकाता.
अगर कोई प्लेयर टीम कैंप में रिपोर्ट करता है और सीजन से पहले चोटिल हो जाता है और आगे एक भी मैच में हिस्सा नहीं लेता है, तो वह ऑक्शन की रकम का 50 फीसदी पैसा लेने का हकदार है. अगर कोई प्लेयर टूर्नामेंट के दौरान इंजर्ड हो जाता है, तो फ्रेंचाइजी उसके इलाज का खर्च उठाता है.
दीपक चाहर को तो चोट के बावजूद उनकी पूरी फीस इंश्योरेंस की वजह से मिल जाएगी. लेकिन बीसीसीआई को उन प्लेयर्स को इश्योरेंस कवर देने के बारे में भी सोचना चाहिए जो बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट के दायरे में नहीं आते.