बिटिया खोने के दर्द के साथ मैच में उतर सेंचुरी लगाई



बड़ोदा के विष्णु सोलंकी के जज़्बे ने विराट कोहली के समर्पण की याद दिलाई, नवजात बिटिया को खोने के बावजूद टीम की ज़रूरत को देखते मैदान में उतरे विष्णु, चंडीगढ़ के ख़िलाफ़ मैच में 103 रन की पारी खेल टीम को मज़बूत स्थिति में पहुंचाया




नई दिल्ली (26 जनवरी)।
बड़ौदा टीम से खेलने वाले क्रिकेटर विष्णु सोलंकी ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो आम इंसान के लिए करना बहुत मुश्किल होता है. विष्णु सोलंकी के घर में बिटिया ने जन्म लिया. लेकिन नियति को कुछ और मंज़ूर था. डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद बिटिया को बचाया न जा सका. कोई और होता तो इस सदमे से जल्दी उभर कर अपनी टीम के लिए खेलने को मैदान में नहीं उतरता. लेकिन विष्णु की टीम बड़ौदा का चंडीगढ़ के खिलाफ कटक में 24 फरवरी से अहम मुकाबला शुरू होने जा रहा था. ऐसे में विष्णु की पत्नी और बाकी घर वाले जहां गम में डूबे थे, विष्णु ने निजी दुख के ऊपर ड्यूटी को रखा.

उनकी टीम को विष्णु की ज़रूरत थी इसलिए वो बिटिया को खोने के दर्द के साथ दिल पर पत्थर रख कर  मैच में खेलने के लिए उतरे. इस मनोस्थिति में भी उन्होंने टीम के लिए शानदार पारी खेली और शतक लगाया. पांचवें नंबर पर बैटिंग के लिए उतरे विष्णु सोलंकी ने नाबाद 103 रन बनाए.  विष्णु ने 63.97 के स्ट्राइक रेट से रन बनाते हुए पारी में 12 चौके लगाए. उनकी इस पारी ने मैच में चंडीगढ़ के खिलाफ बड़ौदा को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया.

पहली पारी में चंडीगढ़ के 168 रन के जवाब में बड़ौदा ने पहली पारी में 25 फरवरी को स्टंप्स तक 7 विकेट खोकर 398 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर लिया था.
क्रिकेट प्रेमियों को याद होगा कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने भी अपने पिता के निधन के बाद खेल के लिए ऐसा ही जज़्बा दिखाया था. उन्होंने अपने पिता को खोने के बाद रणजी मैच में उतर कर 90 रन की पारी खेली थी.

29 साल के विष्णु 6 फरवरी को अपनी टीम के साथ रणजी सीज़न की शुरुआत के लिए भुवनेश्वर पहुंचे थे. पिछले साल कोरोना की वजह से रणजी टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हो सका था. इसलिए विष्णु समेत टीम के सभी सदस्यों में अधिक उत्साह था. 11 फरवरी को विष्णु ने महाराष्ट्र के खिलाफ खेली गई अपनी 175 रन की पारी का थ्रोबैक वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किया था.

 विष्णु को भुवनेश्वर में ही 11 फरवरी की आधी रात को अपनी बिटिया के जन्म की सूचना मिली. लेकिन ये खुशी थोड़ी देर ही रही, अगले दिन ही नवजात ने दुनिया को अलविदा कह दिया. भरे मन से विष्णु अगली फ्लाइट से ही वडोदरा पहुंचे और शाम को बिटिया के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. 

तीन दिन बाद ही विष्णु फिर भुवनेश्वर पहुंच गए.  दरअसल बड़ौदा को रणजी सीज़न के पहले मैच में बंगाल के सामने 4 विकेट से मात खानी पड़ी. ऐसे में बड़ोदा के इलीट ग्रुप बी में आगे बढ़ने पर सवालिया निशान लग गया था. ऐसे में विष्णु अनिवार्य क्वारनटाइन पीरियड पूरा करने के बाद चंडीगढ़ के खिलाफ अहम मैच से पहले 23 फरवरी को नेट प्रैक्टिस के लिए टीम के साथ जुड़ गए. और फिर उन्होंने मैदान में उतर कर वो किया जो उनकी टीम विष्णु से उम्मीद कर रही थी.

वाकई विष्णु आपके इस जज़्बे को सलाम- The show must go on

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