निधि राज़दान से स्कैम पर क्या कहती है NYT की रिपोर्ट

Nidhi Razdan (Credit-Blog)

निधि राज़दान के अलावा कई और महिला पत्रकारों से भी फ़र्जीवाड़े की हुई थी कोशिश, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुत्ववादी अभियान का ऑनलाइन समर्थन करने वाले है स्कैमर्स, हार्वर्डकैरियर डॉट कॉम नाम की वेबसाइट खरीद कर बिछाया गया जाल



नई दिल्ली (18 दिसंबर)।

पत्रकार और एनडीटीवी न्यूज़ चैनल की पूर्व Executive Editor निधि राज़दान ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के नाम पर उनके साथ हुए फर्जीवाड़े पर कहा है कि अपराध का शिकार होने में शर्म करने जैसी कोई बात नहीं है. दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स ने निधि राजदान के साथ हुई धोखाधड़ी का खुलासा होने के एक साल बाद इस घटनाक्रम पर अब विस्तार से रिपोर्ट छापी है. इसमें उन ऑनलाइन स्कैमर्स की जांच का हवाला दिया गया है, जिन्होंने भारत में कई पत्रकारों और मीडिया हस्तियों को निशाना बनाने की कोशिश की. इन ऑनलाइन स्कैमर्स ने निधि को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए कथित नौकरी की पेशकश की थी. लेकिन धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब निधि को जनवरी के मध्य में हार्वर्ड के एक एसोसिएट डीन से फोन पर एक मैसेज मिला जिसमें लिखा हुआ था कि "ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं और न ही कोई ऐसी जानकारी है आपके नाम या आपकी नियुक्ति के बारे में."

 निधि राजदान ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट सामने आने के बाद अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि साइबर अपराध के शिकार कई पीड़ितों ने अपनी कहानियां साझा करने और अपना उपहास उड़ने के डर के बारे में मुझसे कॉन्टेक्ट किया. निधि ने कहा 'मैं चाहती हूं कि उन्हें पता चले कि जब आप किसी अपराध के शिकार होते हैं तो इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है, जो लोग सोचते हैं कि वे अचूक हैं, मैं उन्हें शुभकामनाएं देती हूं.

न्यूयॉर्क टाइम्स में ‘That job at Harvard? It's not real’ नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि धोखा देकर फंसाने वालों की पहचान ज्ञात नहीं है, लेकिन रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि ऐसे लोगों ने भारत में हिंदुत्ववादी अभियान के लिए ऑनलाइन समर्थन व्यक्त किया था.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक स्कैमस्टर्स ने हार्वर्डकैरियर डॉट कॉम नामक एक वेबसाइट खरीदी थी और इसका इस्तेमाल एक ईमेल सर्वर स्थापित करने के लिए किया था, जिससे कि उनके भेजे गए ईमेल में हार्वर्ड स्टैंप हो।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इस स्कैम का निशाना सिर्फ निधि राज़दान ही नहीं थीं, बल्कि कई और को भी निशाना बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन निधि को छोड़कर बाकी लोगों ने महसूस किया कि हार्वर्ड के इस ऑफर में कुछ गड़बड़ जरूर है और उन्होंने जॉब ऑफर के लिए संपर्क करने वालों को ज्यादा महत्व नहीं दिया. 

'द वायर' की पत्रकार रोहिणी सिंह को निशाना बनाने की कोशिश के तहत तौसीफ अहमद और एलेक्स हिर्शमैन ने उनसे संपर्क किया था और खुद को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़ा बताया था. तौसीफ और एलेक्स हिर्शमैन ने उन्हें मीडिया कॉन्फ्रेंस में इन्वाइट करने के साथ कहा था कि उनके सभी खर्चे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उठाए जाएंगे. ये दोनों जीमेल अकाउंट से संवाद कर रहे थे और उनके फोन नंबर भी अमेरिका के नहीं थे तो रोहिणी सिंह को कुछ आशंका हुई. जब दोनों ने उनके पासपोर्ट का नंबर और तस्वीरें माँगी तो रोहिणी ने उनसे बातचीत करना बंद कर दिया.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जालसाज़ों का अगला निशाना द प्रिंट की कॉलमनिस्ट ज़ैनब सिकंदर थीं, उन्हें भी तौसीफ़ और एलेक्स से कुछ इसी तरह के प्रस्ताव मिले थे. सिकंदर ने पाया कि दोनों बॉस्टन क्षेत्र से होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनका मोबाइल नंबर संयुक्त अरब अमीरात का था. ऑफिशियल इन्वाइट के लिए बार-बार कहने के बावजूद जवाब नहीं मिलने पर रोहिणी सिंह की तरह इन्हें संदेह हुआ और इन्होंने बातचीत बंद कर दी.

तब तक स्कैमस्टर्स ने सीमा सिंह के नाम से एक ट्विटर अकाउंटर भी खोल लिया था. उस अकाउंट में सीमा सिंह के नाम से एक महिला की सेल्फी भी है. लेकिन ये साफ नहीं कि फोटो सीमा सिंह की ही है या किसी ओर महिला की तस्वीर को फ़र्जी तरीके से इस्तेमाल किया गया. 

सीमा सिंह के ट्विटर अकाउंट में पोस्ट की गई सेल्फी. ये साफ नहीं कि फोटो सीमा सिंह का है या किसी और का फोटो  लगाया गया है 

इस ट्विटर अकाउंट में सीमा को कोडर बताया गया, साथ ही लिखा गया कि वो भारत में बेस्ड है. भारत को रोमन में लिखा गया. इस ट्विटर अकाउंट को बाद में अपडेट करते हुए बताया गया कि सीमा सिंह बायसेक्सुअल हैं और ड्यूशे बैंक में फ्रैंकफर्ट में कार्यरत है. इस अकाउंट से लगातार हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच रिश्तों लेकर कॉमेंट किए जाते रहे. इस अकाउंट में महिला पत्रकारों को टैग किया गया जिन्हें स्कैमस्टर्स ने निशाना बनाने की कोशिश की.

 जालसाज़ों के निशानों पर अधिकतर वो पत्रकार थीं जिन्हें बीजेपी और मौजूदा सरकार की नीतियों का आलोचक माना जाता है. लेकिन इस घटनाक्रम का दिलचस्प पहलू है कि बीजेपी की प्रवक्ता निखत अब्बास को भी स्कैमस्टर्स ने अपने जाल में लेने की कोशिश की थीं. इन स्कैमस्टर्स ने हार्वर्ड के असली स्टाफ के हस्ताक्षरों की कॉपी तैयार कर ली थी और साथ ही यूनिर्वर्सिटी की वेबसाइट से ऑफिशियल लेटरहैड की नकल भी तैयार कर ली थी. अब्बास से जब पासपोर्ट नंबर और अन्य जानकारियां मांगी गईं तो उन्होंने यूनिवर्सिटी से इसकी पुष्टि करने का फैसला किया. हार्वर्ड की ओर से अब्बास को बताया गया कि उन्हें भेजा गया इन्वाइट नकली है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ये पता नहीं है कि हार्वर्ड ने इस पर कोई कार्रवाई की थी या नहीं।  यूनिवर्सिटी ने इस पर कॉमेंट से भी इनकार कर दिया कि उन्होंने भाजपा प्रवक्ता द्वारा दी गई जानकारी का क्या किया. दरअसल, अब्बास ने 29 नवंबर 2019 को ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें तौसीफ अहमद द्वारा किए जा रहे घोटाले के बारे में बताया गया था, उन्होंने कहा था कि तौसीफ एक स्कैम मास्टर या यहाँ तक कि आतंकवादी भी हो सकता है.

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1 टिप्पणियाँ
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  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 23 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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