सम्मान नहीं, मेरे लिए आपका प्यार ही सब कुछ...खुशदीप

काम से आकर बैठा हूं...लैपटॉप खोला...आदत के मुताबिक सबसे पहले अपनी पोस्ट पर टिप्पणियों पर नज़र डाली...एक टिप्पणी भाई ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ की थी...
खुशदीप जी, आपको सूचित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आपको संवाद सम्मान-नामित श्रेणी के लिए चुना गया है...आपका मेल आई डी उपलब्ध न होने के कारण अभी तक आपको ई प्रमाण पत्र वगैरह नहीं भेजा जा सका है...कृपया मुझे zakirlko@gmail.com पर मेल करने का कष्ट करें, जिससे अग्रेतर कार्यवाही की जा सकें...

पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि मैंने ऐसा कौन सा तीर मार दिया है कि सम्मान के लिए चुना गया हूं...कौतुहलवश जाकिर भाई ने जो लिंक दे रखा था, उस पर क्लिक कर दिया...इसे पढ़ कर पता चला कि सलीम ख़ान भाई को नवोदित ब्लॉगर सम्मान और मुझे नवोदित ब्लॉगर नामित सम्मान के लिए चुना गया है...ज़ाकिर भाई के अनुसार संवाद सम्मान 2009 के अन्तर्गत सिर्फ उन्हीं नामों पर विचार किया गया, जो नामांकन के द्वारा प्राप्त हुए थे। वे नाम रहे- सर्वश्री/सुश्री आदर्श राठौर, नवीन प्रकाश, नीर, रंजू राठौर, प्रवीण त्रिवेदी, मिथिलेश दुबे, मोहम्मद कासिम, महफूज अली, खुशदीप सहगल, चंदन कुमार झा, सलीम खान, रमेश उपाध्याय, गिरिजेश राव, अदा, वाणी शर्मा, सुशीला पुरी...

ज़ाकिर भाई का कहना है कि इन सारे नामों पर गौर करने और ब्लॉगर से जुड़े विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बार जो दो नाम सामने आए, वे थे सलीम खान और मेरा... मेरे बारे में ज़ाकिर भाई का कहना था कि मुझे ब्लॉगिंग में बहुत अधिक समय नहीं हुआ है, फिर भी मैं अपनी लेखनी और ब्लॉग प्रबंधन के कारण सदैव चर्चा में रहता हूं और अपनी लगभग हर पोस्ट को हिट करवा ले जाता हूं...ज़ाकिर भाई आपने मुझे इतना अच्छा कमेंट दिया, इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया..

जहां तक सम्मान पर मेरे खुद के नज़रिए की बात है, वो मैं पोस्ट में आगे स्पष्ट करूंगा...पहली बात तो ज़ाकिर भाई, मैं जानता हूं कि आपने संवाद सम्मान के लिए बहुत अधिक मेहनत की है...इसलिए आपने जो भी प्रक्रिया अपनाई होगी, काफी सोच-समझ कर अपनाई होगी...मुझे नहीं पता कि जब आपके पास इस श्रेणी विशेष के लिए 16 लोगों के नामांकन आए तो आपने उनमें से दो नाम छांटने के लिए कौन सा मानदंड अपनाया या कौन सी जूरी का सहारा लिया...सलीम भाई के बारे में ज़ाकिर भाई ने ज़रूर लिखा है कि उनकी समझ से 'नवोदित ब्लॉगर' सम्मान के वे सबसे योग्य उत्तराधिकारी हैं...

ज़ाकिर भाई अब यहां सवाल उठता है कि आपने सलीम भाई के साथ मेरा नाम भी अंतिम दो के लिए अपनी समझ से चुना या मतदान या जूरी जैसी कोई प्रक्रिया अपनाई थी...अगर आपने सिर्फ अपनी समझ से 16  में दो नाम छांटे हैं तो निश्चित रूप से आपने संवाद सम्मान पर सवाल उठाए जाने को मौका दे दिया...टिप्पणियों के ज़रिए आपको ये स्पष्ट भी होने लगा होगा...मुझे सब ने बधाई दी, इसके लिए मैं सभी का शुक्रगुज़ार हूं...अदा जी और मेरे अनुज मिथिलेश दूबे ने मेरे लिए जो विचार व्यक्त किए, उन्हें जानकर मैं अभिभूत हूं...लेकिन उन्होंने सलीम भाई को सम्मान दिए जाने पर सवाल भी उठाया है...एक टिप्पणी अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी भाई की भी है...काफी लंबी चौड़ी टिप्पणी की है...लेकिन एक सवाल अमरेंद्र जी ने सीधा मुझसे किया है....वो ये है...

अब अंतिम बात खुशदीप जी से , क्या आप इस पुरस्कार को सलीम खान के साथ स्वीकारने जा रहे हैं ? यदि स्वाभिमान आपको इसकी इजाजत देता है तो मेरी तरफ से भी बधाई ले लीजिये !

अमरेंद्र भाई, आप शायद भूल गए कि सम्मान को लेकर अलबेला खत्री जी ने जब ब्लॉगर सम्मान समारोह की एक कैटेगरी में मेरा नाम नामितों की सूची में शामिल किया था तो मैंने क्या रुख अपनाया था...व्यस्तता के चलते आपको उस प्रकरण का पता न हो तो मैं यहां फिर से अपनी उस पोस्ट का लिंक दे रहा हूं...मैंने अलबेला जी से आग्रह किया था कि मेरा नाम नामितों की सूची में से हटा दें...मुझे ऐसा महसूस हुआ था कि अलबेला जी बड़ी मेहनत से उस कार्यक्रम को अंजाम दे रहे थे...लेकिन मेरे इस तरह का दृष्टिकोण अपनाने से उनकी भावनाएं ज़रूर आहत हुई थीं...अलबेला जी ने मेरी पोस्ट पढ़ने के बाद ये कहा था कि वो सोच रहे हैं कि ब्लॉगर सम्मान समारोह कराएं भी या नहीं...और अंतत उन्होंने कार्यक्रम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी कर दिया...अलबेला जी के ये स्टैंड लेने के बाद मिथिलेश दूबे ने मेरी पोस्ट पर आकर छोटे भाई जैसे इन शब्दों के साथ नाराजगी भी जताई थी...

एक बार फिर ब्लोगिंग की गुटबाजी साफ दिख रही है , शायद आप लोगो को बुरा लगे... मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस पर विवाद क्यो है , मुझे नाम होने पर कम बल्कि नाम ना होने पर ज्यादा विवाद दिख रहा है... जो ये सब आयोजन कर रहा है वह कुछ समझकर कर रहा है , पैसा जिसका काम उसका... आप लोगो को उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए पर आप लोग उनपर लांछन लगा कर उनका हौसला पस्त करने की भरपूर कोशिश कर रहे है , जो कि सरासर गलत है... आप को सम्मान नहीं चाहिए मत लीजिए आप लोगो को शायद लग रहा है कि ये पुरस्कार आप लोगो के लायक नहीं है... जहाँ तक मै जानता हूँ कि हर सम्मान अपने आप में बहुत बड़ा होता है , और न लेने का मतलब यह होता है कि आप उसका विरोध कर रहें है या वह आपके लायक नहीं है...


मुझे पता है कि मेरे कुछ और अज़ीजों को भी मेरा उस तरह का स्टैंड पसंद नहीं आया था...

तो अमरेंद्र भाई आपको ये सब बताना इसलिए ज़रूरी था कि मेरा सम्मान को लेकर जो नज़रिया तब था वही नज़रिया अब भी है...एक बात और साफ़ कर दूं कि मैंने न तो अपना नामाकंन ज़ाकिर भाई को किसी श्रेणी के लिए भेजा है और न ही मुझे ये पता है कि मेरे नाम का प्रस्ताव करने वाले कौन लोग हैं...अगर ज़ाकिर भाई अपनी किसी पोस्ट में कहीं ये स्पष्ट कर देते कि मेरा नाम भी नामितों की सूची में है तो मैं पहले ही ज़ाकिर भाई से अनुरोध कर अपने नाम को हटवा देता...ठीक वैसे ही जैसे मैंने अलबेला खत्री जी से किया था...

मैंने ब्लॉगिंग में आने के बाद जो कमाया है वही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है...ये पूंजी है बड़ों का आशीर्वाद, हमउम्र साथियों का भरोसा और छोटों का प्यार...यही मेरे लिए सम्मान, हौसला, प्रेरणा सब कुछ है...लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं कि मैं ज़ाकिर भाई की अथक मेहनत को कम करके आंक रहा हूं...लेकिन मैं अपने उसूलों की वजह से ये सम्मान स्वीकार नहीं कर सकता...ज़ाकिर भाई ये कह कर मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहता था..पर करना पड़ रहा है....आपको एक बात का भरोसा ज़रूर दिलाता हूं कि मैने जिस तरह अलबेला जी को मना किया था ऐसे ही आगे भी भूल से कभी मेरा नाम इस तरह किसी सम्मान के लिए लाया जाता है तो मैं उसे स्वीकारने में विनम्रता से असमर्थता जता दूंगा...ज़ाकिर भाई पर अगर इस तरह सब उंगली उठाए तो वो भी सही नहीं है...

रही बात सलीम भाई की...निश्चित रूप से उनकी पहले की शैली और अब की शैली में परिवर्तन आया है...और अगर इस तरह के सम्मान से वो और अच्छा लिखने को प्रेरित होते हैं तो ये हमारे ब्लॉगवुड के लिए बड़ी सुखद बात है...लेकिन अगर सलीम हताश होकर फिर पुरानी राह पर लौट जाते हैं तो उससे ज़्यादा दुखद बात और कोई नहीं होगी....इसलिए बड़ी मुश्किल से ब्लॉग जगत में सौहार्द का माहौल बन रहा है...इसलिए सभी को थोड़ी उदारता से काम लेना चाहिए...ये सम्मान सम्मान के चक्कर में आपस में कटुता के बीज नहीं डलने देने चाहिएं...मुझे सच में दिल से बड़ी खुशी होती कि मेरी जगह ज़ाकिर भाई अगर महफूज़ अली या मिथिलेश दूबे या किसी और ऊर्जावान युवा साथी को सम्मान के लिए चुनते...

हां, अमरेंद्र भाई...आपसे एक छोटी सी शिकायत है, इसे अन्यथा मत लीजिएगा....आपने इस पोस्ट पर जो लोग टिप्पणी करने आए, एक तरह से उन सभी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है...अगर इस तरह का ही दृष्टिकोण अपनाया जाता रहा तो ब्लॉगर भाई कहीं टिप्पणी करने से पहले भी अब सौ बार सोचा करेंगे...ये कतई हिंदी ब्लॉगिंग के प्रचार-प्रसार के लिए सही नहीं होगा...उम्मीद करता हूं कि मेरा नज़रिया सभी के सामने साफ़ हो गया होगा...फिर भी कहीं कोई आशंका है तो मैं उसका हर घड़ी जवाब देने के लिए तैयार हूं...यहां एक बात और न जाने क्यों याद आ रही है...पाप से घृणा करो, पापी से नहीं...

ज़ाकिर भाई आपसे एक अनुरोध और...आपने संवाद सम्मान के लिए स्पांसर ढूंढ रखा है...आपने अभी अनिल पुसदकर भाई की एक पोस्ट पढ़ी होगी जिसमें उन्होंने एमए में पढ़ रही एक लड़की पर कैसी घोर विपदा आ गई है, का ज़िक्र किया है...अगर उसकी स्पांसर से कुछ मदद करा दे तो उस बेचारी की तकलीफ कुछ कम हो सकेंगी...वैसे आप जो 1001 रुपये नकद का जो सम्मान दे रहे हैं, मैं जानता हूं इसे जीतने वाले सभी ब्लॉगर भाई खुशी खुशी किसी दुखियारी की मदद के लिए दान कर देंगे...ये मेरी सिर्फ एक सलाह है...इसमें और कोई निहितार्थ नहीं है...चलिए काफी कुछ लिख लिया...अब स्लॉग ओवर से थोड़ा माहौल हल्का कर दिया जाए...



स्लॉग ओवर

जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु की शादी हो गई (मान लीजिए)....

दोनों को सुपुत्र की प्राप्ति हुई...

लेकिन ये क्या जूनियर जॉन महाराज तवे की तरह काले निकले...

जॉन ने बिपाशा से कहा...मैं गोरा, तुम सांवली...फिर ये क्यों इतना काला....

बिपाशा का जवाब था...मैं हॉट, तुम हॉट...जल गया लाला...

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46 टिप्पणियाँ
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  1. खुशदीप जी मैं आपके साथ हूं....

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  2. पुसदकर जी की पोस्ट पढ़ी. सही समय है ब्लॉग बिरादरी को की घर बैठ कर कम्पयूटर नहीं तोड़ते ...

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  3. जैसा नाम वैसा काम - दिल खुश कर दिया खुशदीप जी आपने. बधाई!

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  4. खुशदीप जी,
    सबसे पहले तो रंग में भंग डालने के लिए मैं करवद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ...
    मुझे अच्छी तरह से याद है....अलबेला जी से आपने अनुरोध किया था ....इस तरह के पुरस्कार से अपना नाम हटाने के लिए...
    मुझे इस सम्मान के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था ..पता नहीं आज कैसे ब्लॉग वाणी पर किसी की टिपण्णी से वहां पहुँच गयी...यकीन मानिये बहुत ख़ुशी हुई आपका नाम देख कर...मन गदगद हो गया था ...
    बस सलीम जी का नाम देख कर थोडा अजीब सा लगा.....हो सकता है उनमें बदलाव आया हो...लेकिन मुझे ही यहाँ आये ५ महीने हुए हैं....जिसमें से ३-४ महीने तक तो उनकी उठा-पटक ही देखी है...फिर अचानक यह कहा जाये कि उनका हृदय परिवर्तन हो गया है इसलिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है तो बात गले से नहीं उतरती...इस तरह के सम्मान के लिए ब्लॉगर का पूरा ब्लॉग जीवन देखिये कि उसने क्या किया है....ये थोड़े कि कुछ हफ़्तों के बदलाव को ही सिर्फ देखें....बल्कि इस हिसाब से उनको 'अशांति पुरस्कार' मिलना चाहिए....क्योंकि जायदा वक्त उनका अशांति फैलाने में ही बीता है...
    अभी बहुत जल्दी लगी इस तरह उनको पुरस्कार देना....हम भी उनके इस बदलाव का स्वागत करते हैं...हमें भी बहुत ख़ुशी हुई है...लेकिन अभी सबका दिल जीतने के लिए थोड़ी और मेहनत करनी चाहिए उनको...बाकि तो ये जाकिर जी का निजी पुरस्कार वितरण है.....जिसे चाहें दे दें....
    अंत में....खुशदीप जी ..आप कह चुके थे अलबेला जी से इसलिए मेरे कहने का कोई अवचित्य नहीं था ..मेरा भी नाम वहां नामांकित था..और यहाँ भी है.....मुझे भी मेरे पाठकों का सिर्फ स्नेह चाहिए...और कुछ नहीं...इसलिए अनुरोध है मेरा नाम भी सिर्फ स्नेह के लिए ही रखें......
    दिल खुश कर दिया खुशदीप जी आपने. बधाई!

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  5. डटे रहो खुशदीप भाई,
    सफर लम्बा है। जिन्हें नहीं जानते थे वे लोग आते हैं, फोन करते हैं और बतियाते हैं।
    और क्या सम्मान होता है?

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  6. बधाइयां ही बधाइयां
    ढेर सारी बधाइयां

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  7. अच्छा किया सधी हुई यह पोस्ट लिख कर, साधुवाद.

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  8. @ अजित वडनेरकर

    आपसे विचारों से 500 प्रतिशत इत्‍तेफाक रखता हुआ।

    खुशदीप जी, पुरस्‍कार चाहे मत लेना पर सम्‍मान को भी अपमान मत समझिएगा। हिन्‍दी ब्‍लॉगरभू पर यदि स्‍वर्ग कहीं है तो वो यहीं है, यहीं हैं और बिल्‍कुल हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के मन पर जगह बनाना किसी स्‍वर्ग से कम नहीं है। हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को अब किसी तरह का खतरा नहीं है। भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है सूरज की तरह।

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  10. सब कुछ देख पढ़ रहा हूँ पूरी गम्भीता से शब्द दर शब्द ....स्तब्ध हूँ और निःशब्द भी .......
    अल्पना वर्मा जी ने अभी एक टिप्पणी की थी कहीं कि २००९-१० और उपरान्त सम्मान पुरस्कार
    विवादित होते जायेगें .....मैंने प्रति टिप्पणी की थी कि हाँ यह वर्ष एक ट्रेंड सेटर बनता दिख रहा है .
    खुशदीप आपने लोगों का दिल खुश कर दिया ..मेरा भी ..मगर अब आपसे जो कुछ मैं कहने जा रहा हूँ
    निशित ही आप तिलमिला उठेगें -इसलिए संयत होकर सुनिये -रैम्प पर सौन्दर्य प्रतियोगिता हारने जीतने
    वालों को नोबेल नहीं मिला करते .....इसलिए यदि यह सम्मान आप स्वीकार नहीं करेगें तो आपका कद कोई बहुत नोबेल नहीं हो जाएगा .यह सम्मान केवल इसलिये ठुकराए जा रहे हैं की उन्हें कद (?)के अनुरूप नहीं पाया जा रहा है -
    लेकिन यह भी सच है कि इस छोटे से सम्मान को आप ले लेते तो यह सम्मान सम्मानित हो जाता.
    जाकिर का श्रम भी सार्थक हो जाता -आप यह सम्मान केवल इसलिए नही ले रहे हैं -
    1 -आप इसे आपने भौतिक/अभासिक कद के अनुरूप नहीं पा रहे
    २-यह विवादास्पद व्यक्तित्व सलीम खान से जुड़ा है .
    ३-एक तुच्छ सम्मान त्याग कर हीरो बनने का सुनहरा अवसर छोड़ना नहीं चाहते .
    आपने पुसदकर साहब के उस हृदयविदारक घटना का उल्लेख तो किया मगर यह भी एक सतही वाह वाही से अधिक कुछ नहीं है -दूसरे स्रोतों पर क्यूं नजर है ? अभी तक आपने क्या आर्थिक मदद पहुंचाई है ?
    सो इस सनसनी सतहीपने से बाज आयें खुशदीप जी -एक मर्द की तरह जो इंच इंच आप हैं आगे बढ़ें और सम्मान को स्वीकार करें .
    सलीम खान को भी एक छोटे भाई की तरह कंधें पर थपकी दें .....कोई हम सबके साथ आना चाहता है तो यह कहाँ की मानवता है कि उसे दुत्कार दिया जाय ? सलीम को लेकर मेरे भी रिजर्वेशन भी हैं मगर मैं उस युवा को एक मौका देना चाहता हूँ .....
    मैं बिना उससे मिले ,बात किये कोई अँधा निर्णय /फतवा नहीं जारी करना चाहता .....आखिर खालिस हिंदूं जो हूँ .....
    मुझे माफ़ करियेगा -इन शब्दों के लिए !

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  11. खुशदीप जी ...
    सम्मान के अधिकारी तो आप हैं ...इस पर तो किसी को भी कोई शक नहीं होगा..
    किससे कब कहाँ कैसे ...इन सवालों में मैं अटकना नहीं चाहती ...
    और इतनी सुलझी हुई पोस्ट में आपने सबकुछ स्पष्ट कर ही दिया है ....
    बहुत शुभकामनायें...!!

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  12. और अगर इस तरह के सम्मान से वो और अच्छा लिखने को प्रेरित होते हैं तो ये हमारे ब्लॉगवुड के लिए बड़ी सुखद बात है...
    प्रेरक शब्द
    और हाँ यह हालीवुड, बालीवुड सरीखा 'ब्लॉगवुड' शब्द अच्छा लगा.

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  13. क्यों न ब्लॉग जगत को सम्मान समारोहों से दूर रखा जाये। और अगर सम्मान समारोह हो भी तो कोई और संस्था या व्यक्ति करवाये जो ब्लॉग जगत से संबंध न रखता हो।

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  14. good post and good suggestion about donationa of prize money

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  15. खुशदीप भाई आप बिल्कुल सही बात कही पता नही क्यों कुछ लोग आज कल छोटी छोटी बातों का मुद्दा बना कर बहस करने चल देते है जबकि लेखनी के वास्तविक स्वरूप को भूल जाते है...आप को सम्मान मिला इस बात की बधाई साथ ही साथ एकबात कह देना चाहूँगा की सम्मान से कहीं बढ़ कर आज आप इस ब्लॉग जगत के हज़ारों लेखकों के दिल में रहते है...यह और भी बड़ी उपलब्धि हैं...बस इसी प्रकार आपकी लेखनी सफलता के शिखर को छूती रहें यही इस छोटे भाई की कामना है..

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  16. डॉक्टर अरविंद मिश्र जी,
    आपने मेरे बारे में इतना सोचा और इतनी बड़ी टिप्पणी में उद्गार व्यक्त किए, इसके लिए आभारी हूं...

    आपने लिखा है मैं तिलमिला जाऊंगा...क्या डॉक्टर साहब आप भी....अब अपनी उम्र भी क्या एंग्री यंगमैन वाली रह गई है जो अपनी आलोचना के स्वर सुनकर होश खो बैठूं...आपने जो भी कहा, मैं उसका सम्मान करता हूं...

    जैसा कि आपने लिखा है...इंसान हूं, मानव स्वभाव के अनुसार हो सकता है मेरे अंदर हीरो बनने का कीड़ा कुलबुलाने लगा हो...और मैंने मौका देखा और इसे खोने के लोभ से नहीं बच पाया...लेकिन डॉक्टर साहब क्या अलबेला खत्री जी जो सम्मान समारोह कराना चाहते थे, उससे भी मेरा नाम वापस लेना क्या मेरी हीरो बनने की लालसा का ही परिचायक था....वहां तो कोई सलीम खान नहीं था जो मुझे डर होता कि मेरा नाम कथित विवादित व्यक्ति से जुड़ने जा रहा है...

    दूसरी बात, आपने मेरी इस पोस्ट में सलीम खान के बारे में मेरे क्या विचार हैं, उसे टिप्पणी शीघ्र करने की व्याकुलता में शायद ठीक तरह से पढ़ा नहीं...अगर कोई व्यक्ति अपने पुराने पथ को छोड़कर किसी अच्छे पथ पर चलने का फैसला करता है तो विरले ही ऐसा कर पाते हैं...सलीम खान ने ऐसा ही किया है...इसलिए वो बधाई और हौसला-अफ़जाई के पात्र हैं...ये बात सलीम ही आप को बता सकते हैं कि जब उन्होंने हृदय परिवर्तन के बाद पहली पोस्ट लिखी थी तो मैंने उन्हें क्या कमेंट किया था...

    वो कहते न जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है...मैं यही चाहता हूं कि मेरा आगे भी किसी सम्मान समारोह के लिए नाम शामिल न किया जाए...मैं अपनी जगह किसी युवा को ही प्रोत्साहित होते देखना चाहता हूं...अब इस प्रकरण के बाद मैं समझता हूं कि कोई खुद ही मेरे नाम को कभी शामिल नहीं करेगा....

    लेकिन डॉक्टर साहब, आपकी एक बात ने मुझे ज़रूर दुख पहुंचाया कि मैंने अब तक अनिल पुसदकर जी वाली पोस्ट की लड़की को कौन सी आर्थिक मदद पहुंचाई है...डॉक्टर साहब पहली बात तो मैं ये साफ़ कर दूं कि मैं कोई धन्ना सेठ नहीं...इसलिए एक नौकरीपेशा होने के नाते जो मुझसे बन सकेगा वो मैं करुंगा...लेकिन सिर्फ आर्थिक मदद ही सब कुछ नहीं होती...इंसानियत का रिश्ता इससे भी आगे बढ़कर होता है...मैं उस विषय में क्या करुंगा और क्या नहीं करुंगा, ये सिवाय अनिल पुसदकर जी और मेरे अलावा कोई नहीं जानेगा...

    आशा है आप मेरी बात को व्यक्तिगत न लेकर समग्र भावना के साथ लेंगे...

    जय हिंद...

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  17. वो कहते न की जगह वो कहते हैं न...पढ़ें...

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  18. खुशदीप ये क्या माना कि मै दो दिन नेत पर नही आयी मगर इतनी बडी खुशखबरी मुझे नही बताई क्या पार्टी न देनी पडे इस डर से? आप इस पुरुस्कार के काबिल हैं इसमे कोई मुद्दा उठाने की बात ही नही है। दूसरा सलीम जी के लिये इस लिये खुशी है कि वो मुख्यधारा मे लौत आये हैं। क्या सरकार सहुलतें नही देती मुखयधारा मे आने वालों के लिये? रज़नीश जी ने सराहणीय कार्य किया है उन्हे और विजेताओं को बधाई । मेरी पार्टी ।रिज़र्व रखें जल्दी आ रही हूँ । आशीर्वाद ऐसे ही आगे बढते रहो।

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  19. खुशदीप जी ,मैंने अपनी तल्ख़ और कथित व्यग्र टिप्पणी के लिए पहले ही माफी मांग रखी है .
    यहाँ धन्ना सेठ कोई नहीं है -भावनाएं ही देखी जाती है मगर चैरिटी बिगिन्स अट होम ...
    अलबेली खत्री वाला भी सम्मान कोई पद्म पुरस्कार नहीं था
    लेकिन जब भी हम छोटे सम्मानों को ठुकराते हैं तो और छोटे हो जाते हैं
    बड़े पुरस्कारों को ठुकरा कर हम सदेश देते हैं महान बनते हैं
    हो सके कोई बड़ा सम्मान ठुकरार्यिये मिल जाय तो .....
    स्नेह

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  20. डॉक्टर अरविंद मिश्र जी,
    एक बार फिर आभार, आपने मेरे जवाब को बड़प्पन के साथ लिया...

    रही बात बड़े सम्मान की, ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आगे भी मुझे ऐसा ही संबल देता रहे...इंसान हूं, इसलिए कभी अपने उसूलों से डिगने लगूं तो ईश्वर ही फिर मुझे संभलने की शक्ति दे...गैरों को गले लगा न सकूं, ऐसी रुखाई से ऊपर वाला मुझे कोसों दूर रख सके...

    आशा है ये प्रकरण यही समाप्त हो गया...अब आपकी किसी झकास और मस्त रिपोर्ट के इंतज़ार में...

    जय हिंद...

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  21. वहां जाकिर भाई के ब्लाग पर सम्मान पर विपरीत सुरों को देख कर इतनी लम्बी टिप्पणी कर दी कि हांफ गया हूँ फिर भी आज इसी बहाने आपसे कुछ बात करने की इच्छा जागी है आप सम्मानों के प्रति अपरिग्रह का भाव रखते हैं ये बात जाकिर भाई को मालूम होना चाहिए थी और अगर जानबूझकर उन्होंने आपको नामित किया है तो जरुर आप पर अपनापे का अधिकार मानकर किया होगा ! यह मानना कठिन है कि उन्होंने आपको दुःख पहुँचाने के लिए यह निर्णय लिया होगा ! मैंने कई बार पढ़ा है कि ब्लागिंग में समीर लाल जी आपके गुरुवत हैं फिर समीर लाल जी नें जिस सदाशयता / जिस बडप्पन से उन सम्मानों का मान रखते हुए आपको बधाई दी है मेरे लिए एक उदाहरण है कि हम व्यक्तिगत पसंद नापसंद के आधार पर सम्बन्धों को रिजेक्ट नहीं करते बल्कि शुभेक्षुओं की गलतियाँ अगर हों भी तो उनकी सार्वजानिक पिटाई नहीं करके उसे सहज स्वीकार करते हैं !

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  22. अली भाई,
    आप मेरे ब्लॉग पर शायद पहली बार आए हैं, इसलिए मैं आपका आभारी हूं...

    मैं ज़ाकिर भाई की भावनाओँ की पूरी कद्र करता हूं और उनके इस महत्ती कार्य के लिए किए गए अथक परिश्रम का भी तहे दिल से सम्मान करता हूं...ऐसे ही मैं चाहता हूं कि सम्मान के लिए मेरे जो विचार है, उसका भी थोड़ा बहुत मान रखा जाए...

    रही बात सार्वजनिक पिटाई, ऐसा कोई विचार न मैंने कहीं व्यक्त किया है और न ही मेरे मन में किसी के लिए दुर्भावना है...वो तो भाई
    अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी जी ने सीधे मुझसे सवाल किया था, इसलिए मुझे वो जवाब देने के लिए ये पोस्ट लिखनी पड़ी..वैसे ज़ाकिर भाई मुझे कभी भी लखनऊ बुलाएंगे, मैं ज़रूर जाऊंगा....एक प्रतिभागी की तरह नहीं सिर्फ एक ब्लॉगर की हैसियत से...

    जय हिंद...

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  23. लेखक बिरादरी में सम्‍मान की बड़ी चाहत रहती है। अरे सम्‍मान जितने कम संख्‍या में होंगे उनका स्‍तर उतना ही और बढ़ेगा। अभी से क्‍या सम्‍मान-सम्‍मान खेलने लगे। अभी ब्‍लागरों को परिपक्‍व होने दो। इन सम्‍मानों से स्‍वस्‍थ प्रतिस्‍पर्द्धा का जन्‍म नहीं होता अपितु ईर्ष्‍या जन्‍म लेती है। अनावश्‍यक व्‍यक्ति के दोष निकाले जाते हैं। खुशदीप जी मैं आपसे सहमत हूँ। नहीं तो ब्‍लागरों का बेटा भी काला ही पैदा होगा ध्‍यान रखना।

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  24. खुशदीप जी ,
    आपने अपना 'स्टैंड' सामने रखा .. खुशी हुई .. आभार !
    मैंने वहां थोड़े आवेश में टिप्पणी लिखी है इसलिए अगर किसी का
    यत्किंच दिल दुख हो हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ .. पर लिखना जरूरी लगा ..
    आपने टीपों के भविष्य पर मेरे वाक्यों को नकारात्मक पा रहे हैं , अगर
    ऐसा हुआ है मुझसे , तो इसके लिए भी क्षमा चाहूँगा ...
    मैं भी मानता हूँ कि '' पाप से घृणा करो, पापी से नहीं ... '' , पर पाप और
    पापी के बीच का फर्क जग-स्वीकृत हो जाय तब न ! .... नहीं तो क्रेडिट के साथ
    पापी पाप करता है ... काश इस पहले सम्मान में विवेच्य '' ह्रदय - परिवर्तन '' को
    कुछ वर्षों तक ठहर कर देखा जाता , आखिर इतनी जल्दी क्या थी , भरोसा नहीं था क्या
    कि समय के साथ यह ह्रदय परिवर्तन स्थायी रहेगा ! इसलिए '' चट मंगनी पट बियाह ''
    कर दिया ! प्रथम पुरस्कार है तो जरा और भी सम्हल कर दिया जाता ! शायद बेहतर ही होता !
    .
    धन्यवाद खुशदीप जी ...

    जवाब देंहटाएं
  25. क्षमा ... '' यत्किंच दिल दुखा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ '' ... , ऐसा पढ़ा जाय ... आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  26. १.टिपण्णी को टिप्पणी पढ़ा जाए.

    २.वो कहते न की जगह वो कहते हैं न...पढ़ें..

    ३. क्षमा ... '' यत्किंच दिल दुखा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ '' ... , ऐसा पढ़ा जाय ...

    आहो ! गूगल को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. ये मिस्टेक्स अक्सरहां मुझसे भी होती है.

    जवाब देंहटाएं
  27. सागर भाई ! यह गलती तो अपनी है .. गूगल बेचारा क्या सोचेगा :)

    जवाब देंहटाएं
  28. khushdeep ji

    bada ghamasan macha rakha hai.........hum to chalte hain .......dar lagta hai in sab baton se..........khush rahein aur jo uchit samjhein kijiye.

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  29. बहुत कुछ कहा जा चुका है....पर मेरे ख्याल से पुरूस्कार - पुरूस्कार होता है ,छोटा हो या बड़ा..उसे सम्मान के साथ स्वीकार करना चाहिए...बाकी सब बातें कोई मायने नहीं रखती

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  30. Khusdeep ji, Har kisi ko ye hak hota hai ki uski bhavnaaon ka samman kiya jaaye. Waise sahitya men pichhle 18-19 saalon se hoon, isliye Puraskaron ke baare men thoda bahut samajh rakhta hoon. Aksar Sahityik puraskar ye kah kar aalochna ka shikar hote hain ki jinke pair kabra men hain, unko dene se kya fayda? Lekin jab ubharte huoon ko do to bhi to aalochna. ....Khair satya to ye bhi hai ki aalochna usi ki hoti hai, jo kuchh karta hai.

    Main aapki bhavnaaon ki kadra krta hoon. Aap isi tarah se likhte rahen, saarthak rachte rahen, yahee kaamna hai.

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  31. अजीब इतेफाक है ।
    कल ही मैंने सतीश जी के ब्लॉग पर लिखा की अब तो सब शांत है। और आज ही ये लोचा हो गया।
    आज सुबह समय की कमी होने से पढ़ नहीं पाया।
    मेरे विचार से इस तरह के सम्मान का आयोजन ही अनावश्यक है।
    अभी तो ब्लोगिंग शुरू हुई है, पनप रही है। अभी सार्थक होने में समय लगेगा।
    फिर किस बात की ज़ल्दी है पुरस्कारों की ।
    खुशदीप सहित बहुत से मित्र हैं जो अच्छा लिखने का प्रयास कर रहे हैं।
    अभी तो हम एक दूसरे को जाने , पहचाने , समझें --यही आवश्यक है।
    दिल्ली ब्लोगर मिलन में श्री राज भाटिया जी के सम्मान में ३० से ज्यादा मित्रों का एकत्रित होना अपने आप में एक सम्मान है।
    बस इसी तरह के समारोह आयोजित होते रहें, यही बेहतर है।
    अनावश्यक रूप से एक दूसरे के नाम लेकर उलझन की स्थिति उत्पन्न न ही करें तो बेहतर ।

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  32. @ सागर,
    ग़लती और आप से ?? अच्छा ...यकीन नहीं आता ..

    @ सच्ची बात कही थी मैंने...

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  33. जिन दिनों ये सब विवाद हुए थे..शायद मैं व्यस्त थी और नेट पे नहीं आ पायी थी....इसलिए बैकग्राउंड कुछ पता ही नहीं ...आपने लिंक दिए हैं..पर सच कहूँ तो इच्छा नहीं वो सब पढने की...सबो के कमेन्ट से बहुत कुछ पता चल गया...सबकी गलतफहमियां,नाराजगी दूर हो जाएँ,बस यही कामना है

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  34. पता नही सम्मान और पुरस्कार क्या होता है?मुझे पता भी नही था इस सम्मान के बारे मे और इसके पंजीयन के बारे मे जब पता चला तो अपने इससे खुद को दूर ही रखा।पता नही एक पुरस्कार या सम्मान मिलने से कितने खुश होंगे और कितने दुःखी।खैर इस मामले मे मेरा भी नाम आ गया।खुशदीप जी पुरस्कार और सम्मान के बारे मे कुछ नही कहूंगा पता नही फ़िर कंही कोई नया लफ़ड़ा न शुरु हो जाये लेकिन एक बात कहूंगा जिस पोस्ट के बारे मे आपने उल्लेख किया है उसपर आपका सहयोग़ और प्यार मेरे लिये कभी नही भूलने वाली बात है।आप उस के लिये क्या--क्या करना चाहते हैं और क्या-क्या करने को तैयार हैं इसे बता कर मैं आपको छोटा साबित नही करूंगा।आप और ब्लाग जगत के अन्य साथियों के प्यार ने मुझे ताक़त दी और उससे किसका क्या भला हुआ ये बताने की ज़रुरत नही है।इस बारे मे बहुत से लोग मदद के लिये सामने आये और मैंने पाया कि ब्लाग जगत मे मुझसे कंही ज्यादा अच्छे लोग हैं।मैं आपका और उन लोगों का प्यार कभी भूल नही पाऊंगा और उन्हे कभी खोना भी नही चाहूंगा और जो कुछ करना होगा वो बताने की चीज़ नही है।इस मामले मे आपने क्या किया है शायद आपको ये नही मालूम,आप इस पूरे मामले के असली हीरो हैं और मैं आपको अपनी ओर से पुरस्कार और सम्मान के रूप मे अपना गुरू मान रहा हूं।वैसे ब्लागजगत मे आजकल विवाद ज़रुरत से ज्यादा विवाद हो रहे हैं,कभी-कभी मन खट्टा हो जाता है।सहमति और असहमति विवाद का कारण बनती है तो दुःख और बढ जाता है।ये सब बंद होकर सब प्यार से रहें बस यही कामना करता हूं,इससे ज्यादा कर ही क्या सकता हूं?

    आपके स्लाग ओवर की तर्ज़ पर फ़ायनल कमेण्ट्।
    एक बात और खुशदीप भाई जो खरा होता है वो कभी नही बदलता जैसे झण्डू का च्यवनप्राश,आप च्यवनप्राश और मैं झण्डू।

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  35. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  36. हमारा प्यार भरा सम्मान भी क़ुबूल फ़रमाएँ खुशदीप भाई। बधाई।

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  37. बंधुवर, सलाम आपको।
    आपके विचारों के लिए , आपके साहस भरे शब्दों के लिए और साथ में
    अनिल पुसदकर जी की पोस्ट की उस बालिका के लिए भी,
    क्योंकि जब अनिल भैया प्रेस क्लब में उस बालिका से बातें कर/सुन रहे थे तो बाजू में मैं भी बैठा हुआ सुन/देख रहा था। तब यही महसूस कर रहा था कि हम में से कितने हैं जो इस तरह का अपना न सही दूसरे का दर्द महसूस कर सकते हैं।

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  38. हिन्दी ब्लॉग जगत् न तो बदला है, और न तो आगे कभी बदलेगा ऐसा लगता है.
    ब्लॉग पुरस्कारों में शुरू से ही बिना काम के हो-हल्ला मचता रहा है.

    ठीक ऐसी ही, दो साल पुरानी घटना याद करना चाहें तो लिंक ये है -
    http://raviratlami.blogspot.com/2008/01/blog-post_12.html

    बहरहाल, आपको बधाई. बेहद कम समय में आपने अपने ब्लॉग को स्थापित किया है, वो वाकई विस्मयकारी है, और अवार्ड के लायक है.

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  39. आशा है कि जाकिर जी आपकी बात समझेंगें और आपकी भावनाओं की कद्र करेंगें।
    "मैंने ब्लॉगिंग में आने के बाद जो कमाया है वही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है...ये पूंजी है बड़ों का आशीर्वाद, हमउम्र साथियों का भरोसा और छोटों का प्यार...यही मेरे लिए सम्मान, हौसला, प्रेरणा सब कुछ है...लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं कि मैं ज़ाकिर भाई की अथक मेहनत को कम करके आंक रहा हूं...लेकिन मैं अपने उसूलों की वजह से ये सम्मान स्वीकार नहीं कर सकता...ज़ाकिर भाई ये कह कर मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहता था..पर करना पड़ रहा है...."

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  40. हमें भी ज्यादा खुशी होती अगर महफूज़ अली या मिथिलेश दूबे को सम्मान के लिए चुनते...
    अगर इस तरह के सम्मान से सलीम भाई जी और अच्छा लिखने को प्रेरित होते हैं तो ये हमारे ब्लॉगवुड के लिए बड़ी सुखद बात है...
    सलीम जी को भी शुभकामनायें

    प्रणाम

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