Watch: सौरभ कृपाल बन सकते हैं भारत के पहले Openly Gay जज

 


LGBTQ  एक्टिविस्ट के तौर पर सौरभ कृपाल की बड़ी पहचान, दिल्ली हाईकोर्ट के जज के तौर पर हो सकती है नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की सिफ़ारिश, सरकार से मंज़ूरी बाक़ी, Sex and Supreme Court: How the Law Upholding the Dignity of the Indian Citizen’ के एडिटर-राइटर



 नई दिल्ली (18 नवंबर)।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल के नाम को  दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए रिकमेंड किया है. अगर सौरभ की जज के तौर पर नियुक्ति होती है तो वो देश के पहले गे यानि समलैंगिक जज होंगे. 11 नवंबर को कॉलेजियम की बैठक हुई थी जिसमें सौरभ के नाम की सिफारिश की गई.

दिल्‍ली के सेंट स्‍टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद सौरभ कृपाल ने ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की, उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से ही पोस्‍टग्रेजुएट (लॉ) किया है. सौरभ कृपाल लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे. वे यूनाइटेड नेशंस के साथ जुड़कर जेनेवा में भी काम कर चुके हैं। नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ जैसे चर्चित केस लड़ने के कारण उनका नाम सुर्खियों में रहा. वे धारा 377 हटाये जाने को लेकर दायर याचिका का केस लड़ चुके हैं. इसके बाद सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पुराना कानून रद्द कर दिया था.

सौरभ कृपाल, देश के पूर्व चीफ जस्टिस  बीएन कृपाल के बेटे हैं, जो मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट के 31 वें मुख्य न्यायाधीश रहे.सौरभ कृपाल को लॉ प्रैक्टिस के क्षेत्र में दो दशक पुराना अनुभव रहा है. वे सिविल, वाणिज्यिक और संवैधानिक मामलों के खासे जानकार हैं. सौरभ कृपाल LGBTQIA+ (lesbian, gay, bisexual, transgender, quire, intersexual, asexual, plus ) समाज के प्रति अपनी खुलकर राय रखते आ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से पहली बार सौरभ कृपाल के जज के तौर पर कैंडीडेचर को लेकर 2018 में विचार किया गया था. अब तीन साल बाद उनके नाम की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सिफारिश की है. जस्टिस गीता मित्तल की अगुआई वाले दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनके नाम की जज के तौर पर नियुक्ति के लिए अक्टूबर 2017 में सिफारिश की थी.

सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश में विलंब को लेकर लीगल सर्किल्स में चर्चा हो रही थी. कुछ इस विलंब को सौरभ कृपाल के सेक्सुअल ओरिएंटेशन से जुड़ा होने की अटकलें लगा रहे थे. सरकार की ओर से भी उनके एलिवेशन को लगातार आपत्ति की गई. इसकी वजह सौरभ कृपाल के पार्टनर का यूरोपीयन होना और स्विस एम्बेसी में कार्यरत होना बताया जा रहा था.

सौरभ कृपाल किताब सेक्स एंड सुप्रीम कोर्ट: हाऊ द लॉ इस अपहोल्डिंग द डिग्निटी ऑफ द इंडियन सिटीजन के एडीटर-राइटर भी हैं. इस संकलन में कई जजों और सीनियर एडवोकेट्स के लेखों को शामिल किया गया है.

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