Sunny Leone and Sandhya Mridul from a scene of movie RaginiMMS 2 |
देश को पहला ओपनली गे जज मिलने की संभावना के बीच LGBTQIA+ सुर्खियों में, जानिए इस समुदाय की हर केटेगरी यानि L, G, B, T, Q, I, A और + के बारे में, लेस्बियन और गे सब्जेक्ट पर बॉलीवुड में बन चुकी हैं कई फिल्में
सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल अगर दिल्ली हाईकोर्ट के जज नियुक्त होते हैं तो वो देश के पहले ओपनली गे जज होंगे. Openly Gay यानि ऐसा व्यक्ति जिसने खुद को खुले तौर पर गे यानि समलैंगिक घोषित कर रखा हो. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सौरभ कृपाल का नाम जज की नियुक्ति के लिए रिकमेंड किए जाने के बाद से LGBT समुदाय सुर्खियों में है. कुछ अर्सा पहले तक इस समुदाय को LGBT यानि लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर के तौर पर ही जाना जाता था लेकिन अब इसे कुछ और कैटेगरीज को जोड़े जाने के बाद LGBTQIA प्लस नाम से जाना जाने लगा है.
इस समुदाय की हर कैटेगरी के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि मानव जाति में सामान्य तौर पर या यूं कहिए मेजोरिटी में लोग हेटरोसेक्सुअल या विषमलैंगिक होते हैं. इसके मायने हैं कि उनका सेक्सुअल ओरिएंटेशन विपरीत सेक्स यानि अपोजिट सेक्स की ओर होता है. सीधे शब्दों में कहें तो पुरुष महिला की ओर, महिला पुरुष की ओर अट्रैक्ट होता है.
सेक्सुअल ओरिएंटेशन के आधार पर ही हम LGBTQIA प्लस की अलग अलग केटेगरी को जानने की कोशिश करते हैं.
सबसे पहले आता है L यानि लेस्बियन, इस शब्द का प्रयोग ऐसी महिलाओं के लिए किया जाता है जो समान जेंडर के प्रति आकर्षित हो जाती हैं. यानी आकर्षण महिला और महिला के बीच में होता है. इसी विषय पर दीपा मेहता ने 1996 में फायर टाइटल से फिल्म बनाई थी. इस फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास ने जेठानी और देवरानी की भूमिका निभाई थी. फिल्म में दिखाया गया था कि दोनों के पति उन्हें नेगलेक्ट करते रहते हैं तो दोनों आपस में ही सेक्सुअल रिश्ता बना लेती हैं. लेस्बियन संबंधों को बॉलिवुड की ओर भी कई फिल्मों में देखा गया जैसे कि मार्गरिटा विद स्ट्रॉ, डेढ़ इश्किया, रागिनी एमएमएस 2, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा और शीर कोरमा.
कैटेगरी में G शब्द का इस्तेमाल Gay के लिए किया जाता है यानि जहां दो पुरुष एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं. इस तरह लेस्बियन और गे दोनों के लिए होमोसेक्सुल यानि समलैंगिक शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है. गे सब्जेक्ट पर बॉलिवुड में बनी फिल्मों की बात की जाए तो 2020 में रिलीज शुभ मंगल ज्यादा सावधान की बहुत बज़ रही थी. इस फिल्म में आयुष्मान खुराना और जितेंद्र कुमार सेक्सुअली एक दूसरे और की आकर्षित गे युवकों के किरदार निभाए थे. अलीगढ़ भी ऐसी ही एक फिल्म थी जिसे क्रिटिक्स ने बहुत सराहा था. इसमें मनोज वाजपेयी ने गे प्रोफेसर का किरदार निभाया था.
लेस्बियन और गे के बाद LGBTQIAप्लस की बाकी केटेगरीज की बात करें तो
B यानि Bisexual में ऐसे महिला या पुरुष आते हैं जो दोनों तरह के जेंडर की तरफ अट्रैक्ट हो सकते हैं. T यानि Transgender, ये किन्नरों के लिए इस्तेमाल होता है. इस समुदाय में जो हाल ही में केटेगरी जोड़ी गई हैं, उनमें सबसे पहला है Q – यानि Queer, इसमें ऐसे लोग आते हैं जो अब तक अपने शरीर के ओरिएंटेशन को समझ नहीं पाए हैं. यानी वो न तो खुद को औरत मानते हैं और न पुरुष. न ही गे, बायसेक्सुअल या लेस्बियन.
I यानि Indersex इस शब्द को कुछ समय पहले ही इस समुदाय में शामिल किया गया है. इंटरसेक्स के तहत वो लोग आते हैं जो सामान्य रिप्रोडेक्टिव ऑर्गन्स यानि प्रजनन अंगों के साथ नहीं पैदा होते. ये दिखने में तो महिला या पुरुष की तरह नजर आते हैं लेकिन प्रजनन अंग उस जेंडर के नहीं होते.
A यानि Asexual या एलाई, इसमें ऐसे लोग आते हैं जो किसी भी तरह के जेंडर के प्रति आकर्षित नहीं होते. + प्लस : LGBTQIA समुदाय के पीछे प्लस का साइन भी जोड़ा गया है. ऐसा इसलिए किया गया है जो लोग किसी भी कैटेगरी में फिट नहीं बैठते वो इस समुदाय से जुड़ सकते हैं.
इस समुदाय के लिए 6 सितंबर 2018 का दिन खास है. इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने होमोसेक्सुअल संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को निरस्त किया था. ये इत्तेफाक ही है कि इस केस को लड़ने वाले वकील सौरभ कृपाल अब खुद देश के पहले ओपनली गे जज बनने की दहलीज पर हैं. यानि अब वो पहले जैसा वक्त नहीं रहा जब फायर जैसी फिल्म पर निर्देशक और कलाकारों को विरोध का सामना करना पड़ता था.
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