राजस्थान के पाली शहर में बुलेट बाबा का मंदिर, फिल्म 'डुग डुग' में बुलेट को लूना से रिप्लेस किया गया, ऋत्विक पारिक की फिल्म को टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में इन दिनों भारत की फिल्म डुग डुग की बहुत चर्चा है. ये फिल्म राजस्थान में बुलेट देवता के लिए बने मंदिर की अजब कहानी से इन्सपार्यड है. बुलेट देवता जी ठीक सुना आपने. बुलेट यानि रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल. जिस तरह बुलेट चलाने पर डुग डुग की आवाज आती है, उसी के आधार पर फिल्म का टाइटल रखा गया.
फिल्म
की कहानी कुछ इस तरह है. मोटरसाइकिल (फिल्म में लूना) सवार हाईवे पर
एक ट्रक से टकरा गया. अगली सुबह उस शख्स की मोटरसाइकिल पुलिस हिरासत से गायब हो गई
और ठीक उसी जगह पहुंच गई जहां हादसे में मोटरसाइकिल सवार की मौत हो गई थी. पुलिस मोटरसाइकिल को वापस थाने लाती
है. लेकिन हर बार मोटरसाइकिल रहस्यमयी ढंग
से फिर हादसे वाली जगह पहुंच जाती है.
ऋत्विक पारिक की डायरेक्ट की ये फिल्म अजब गज़ब रीतिरिवाजों के धर्म को कॉमर्शियलाइज करने की कोशिशों पर सैटायर है. ऋत्विक की बहन प्रेरणा ने ही इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है. बुलेट के इस तरह हादसे वाली जगह पहुंचने को लेकर कई तरह के किस्से और अंधविश्वास गढ़े जाने लगे.
बुलेट बाबा के मंदिर में मुश्किल मार्गों के लिए लंबी
दूरी पर जाने से पहले ड्राइवर अपनी सलामती के लिए प्रार्थना करने आते हैं.
टोरंटो फिल्म.फ़ेस्टिवल के डिस्कवरी सेक्शन में स्क्रीनिंग के लिए 'डुग डुग' को चुना गया.
फिल्म में बुलेट को मोपेड लूना से रिप्लेस कर दिया गया और जोधपुर के
काल्पनिक मंदिर के इर्दगिर्द फिल्म का तानाबाना बुना गया. फिल्म में स्थापित
कलाकारों की जगह स्थानीय स्तर के लोगों को ही काम करने का मौका दिया गया. फिल्म
में लीड किरदार योगेंद्र सिंह परमार ने निभाया.