'मंदाकिनी' अब तेरे नाम पर दारू हो गई...

कनाडा में मंदाकिनी के नाम से शराब का ब्रैंड, बॉटल पर लिखा मालाबार की देसी दारू 

Source: Mandakini CA website

नई दिल्ली (31 अगस्त)।

गंगा के स्रोत से जुड़ा होने की वजह से मंदाकिनी नाम हिंदू धर्म की आस्था से जुड़ा है. लेकिन इसी मंदाकिनी नाम पर कनाडा के ओंटेरियो में शराब का एक ब्रैंड बेचा जा रहा है. सोशल मीडिया पर 'Mandakini, the Malabari vaatte from Canada’ वायरल हो रहा है. मालाबारी वाट्टे से मतलब मालाबार इलाके की देसी दारू से है.

 

मंदाकिनी, द मालाबारी वाट्टे के निर्माताओं की ओर से अपनी वेबसाइट पर बताया गया है कि इसे गन्ने से डिस्टिल करके बनाया जाता है. मंदाकिनी की एक बॉटल की कीमत 39.95 कैनेडियन डॉलर (लगभग 2300 रुपए) है. बॉटल पर बेशक कई भारतीय भाषाओं में इसे मालाबार की देसी दारू लिख कर बेचा जा रहा हो. लेकिन इसे कनाडा के ओंटेरियो की एक डिस्टलरी में बनाया जाता है.

 

पश्चिमी दुनिया में पहले से ही लंदन में कोम्बान (Comban) बीयर और महारानी (Maharani) जिन के ब्रैंड प्रचलित हैं. कोम्बान ऐसे बेकाबू वयस्क हाथी को कहा जाता है जो जंगल में रहता है. कोम्बान बीयर माट्टा चावल से बनाई जाती है. वहीं महारानी जिन दालचीनी और इलायची से बनाई जाती है.

 

ट्विटर पर मंदाकिनी ब्रैंड को लेकर तरह तरह के कमेंट किए जा रहे हैं. एक भारतीय यूज़र ने लिखा- मेरी आंखों को विश्वास नहीं हो रहा- मालाबारी वाट्टे जो गन्ने के अर्क को निकाल कर हाथो से बनाई जा रही है, पारंपरिक वाट्टे से प्रेरित है और जिसमें मालाबार क्षेत्र के ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट के उत्पाद शामिल है वो ओंटेरियो में तो उपलब्ध है लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है मालाबार में नहीं. 

 


वेबसाइट पर मंदाकिनी को Hortus Malabaricus (मालाबार का बगीचा) से प्रेरित बताया गया है. वर्ष 1669 से 1676 तक डच मालाबार के गवर्नर रहे Hendrik van Rheede ने मालाबार कोस्ट (केरल, कर्नाटक और गोवा का वेस्टर्न घाट इलाका) की जड़ी बूटियों के गुणों पर संकलन तैयार किया था. इसकी बॉटल को भी खास तौर पर ऐसे डिजाइन किया गया है जैसे कि मालाबार इलाके में स्थानीय ताड़ी या देसी दारू की बोतलें मिलती हैं

 

मंदाकिनी नदी का धार्मिक महत्व

मंदाकिनी भारत के उत्तराखंड में बहने वाली हिमालयाई नदी है. केदारनाथ के पास चाराबाड़ी हिमनद से निकलने वाली मंदाकिनी में सोनप्रयाग में वासुकिगंगा नदी का जल मिलता है. रूद्रप्रयाग में यह अलकनंदा नदी में मिल जाती है. वहां से  यह बहती हुई देवप्रयाग की ओर बढ़ती है, जहां भागीरथी से मिलक मोक्षदायिनी गंगा नदी का निर्माण करती है.

राम तेरी गंगा मैली और मंदाकिनी

अस्सी के दशक में जब मशहूर फिल्मकार राज कपूर ने 'राम तेरी गंगा मैली' का निर्माण किया था तो फिल्म में डेब्यू करने वाली हीरोइन का नाम मंदाकिनी (असली नाम यैस्मीन जोसेफ़) ही रखा था. उनकी फिल्म का थीम यही था कि जब उद्गम स्रोत से गंगा निकलती है तो उसका जल बिल्कुल दूध की तरह निर्मल, साफ़ और शुद्ध होता है. लेकिन जब यह मैदानी इलाकों में कई शहरों से होती हुई कोलकाता के पास गंगासागर में मिलती है तो इसमें इन शहरों की ओर से छोडी गई गंदगी इतनी बड़ी मात्रा में मिल जाती है कि उसका रंग मटमैला हो चुका होता है. न जाने कितनी सदियों से गंगा इसी तरह इनसानों की छोड़ी गंदगी का बोझ ढोती आ रही है.


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2 टिप्पणियाँ
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  1. मैं हिन्दू हूं, हर दिन मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मुझसे कोई ग़लत काम न हो, साथ ही सभी धर्मों का सम्मान करता हूं...कामना करता हूं कि ऐसा कोई काम न करूं जिससे किसी की भावना आहत हो...यही मैं अपने धर्म के लिए भी दूसरों से उम्मीद करता हूं...इन शराब वालों को पवित्र नदी के अलावा और कोई नाम नहीं मिला...वो नदी जिसके जल को हिन्दू धर्म में मोक्ष देने वाला माना जाता है...

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