उम्र के साथ ज़िंदगी के मायने भी बदलते हैं...बचपन में सबसे प्यारे खिलौने में ज़िंदगी हो सकती है...थोड़ा बड़ा होने पर पढ़ाई ज़िंदगी बन जाती है...फिर करियर...प्रेमिका, पत्नी, बच्चे....पैसा, प्रॉपर्टी...इसी भागदौड़ में इंसान को पता भी नहीं चलता कि वो कब उस दौर में पहुंच जाता है कि उसके लिए मन की शांति ही सब कुछ यानि ज़िंदगी हो जाती है...लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो गई होती है....
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एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति ने भगवान से पूछा...ज़िंदगी के मायने क्या है?
भगवान ने जवाब दिया...ज़िंदगी के खुद कोई मायने नहीं है...
ज़िंदगी एक मौका है, खुद मायने गढ़ने के लिए...
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ज़िंदगी तीन पन्नों की किताब है...
पहला और तीसरा पन्ना ऊपरवाले ने लिख दिया है...
पहला पन्ना.... जन्म
तीसरा पन्ना.... मौत
दूसरा पन्ना खाली है,
ये हमारे लिए छोड़ा गया है कि इसे हम कैसे भर कर ज़िंदगी को क्या मायने देते हैं?
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'सत्यकाम'...मेरी सर्वाधिक प्रिय फ़िल्म...जब भी इस फिल्म को देखता हूं, अंदर तक हिल जाता हूं...इसी फ़िल्म का गीत था...ज़िंदगी है क्या, बोलो ज़िंदगी है क्या...हर कोई अपने हिसाब से ज़िंदगी के मायने ढ़ूंढता...और गीत के अंत में धर्मेंद्र ज़िंदगी के सही मायने बताते हुए...
अब आप बताइए, आपके लिए ज़िंदगी के क्या मायने हैं?...
keval sangharsh aur jhooth me jiye jana .
जवाब देंहटाएंबडा कठिन है प्रश्न ये भैया...
जवाब देंहटाएंवैसे सत्यकाम मेरी भी तीन बार देखी हुई पसन्दीदा फिल्म रही है ।
सत्यकाम देख कर लगता है कि मायने तो सोचने होंगे..कोरी तो नहीं बितायी जा सकती है जिन्दगी।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशोदा जी,
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
निसंदेह जिंदगी के मायने उम्र के हर पड़ाव में बदलते रहते हैं । मुफलिसी के दौर में जवानी थी लेकिन घी, काजू और मूंग का हलुवा खाने को तरसते थे - यह भी कोई जिंदगी है ।
जवाब देंहटाएंआज हलुआ है, घी है और काजू भी लेकिन डॉक्टर की तरफ से सख्त मनाही की है । तब भी सूखी रोटी खानी पड़ती थी, आज भी - यह भी कोई जिंदगी है ।
इंसान का कभी संतुष्ट नहीं होना भी जिंदगी का एक सच है । संतुष्ट होने के लिए पूरी जिंदगी नाना प्रकार के साधन-संसाधन जुटाने में बिता देता है । कडुवा सच यह भी है - कैसे बिताएं बेहतरीन जिंदगी - यह किसी के हाथ में नहीं है । जिंदगी तो बस जिंदगी है उसे जिंदगी-भर ही जीना है । बस इसकी गाड़ी में स्टीयरिंग भाग्य के हाथ में है - वही तय करता है कि इसे कैसे जीना है ।
- सी पी बुद्धिराजा
चंद्र प्रकाश जी,
हटाएंसत्य वचन...
जय हिंद...
ये जिंदगी है क्या...
जवाब देंहटाएंउसमे कोई रंगभरने की दंभ मत भरो नियति ही भरेगी
जवाब देंहटाएंlatest post धर्म क्या है ?
SACHMUCH AAPNE TEEN PANNON KI ZINDAGI KI KITAB KO KUCH PANKTIYON MEN SAMET DIYA HAE,......ACHHA VISHLESHAN
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब .सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .