1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट, 257 लोगों की मौत, 700 घायल...
साज़िश के सूत्रधार दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन इंटरपोल की
मदद लेने के बावजूद आज तक भारत के हाथ नहीं लग सके...
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साज़िश में शामिल याक़ूब मेमन को टाडा
अदालत की ओर से सुनाई गई फांसी की सज़ा को आज बरकरार रखा...
टाडा कोर्ट ने याकूब के अलावा जिन दस लोगों को और फांसी की
सज़ा सुनाई थी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने ज़िंदा रहने तक जेल की सलाखों के पीछे रहने की सज़ा
में बदल दिया...
टाडा कोर्ट ने इस मामले में जिन 19 दोषियों को उम्रकैद की
सज़ा सुनाई थी, उनमें 17 के लिए शीर्ष कोर्ट ने इसी सज़ा पर अपनी मुहर लगाई...इसके
अलावा अशरफ़ुर्रहमान अज़ीमुल्ला की उम्र कैद को घटाकर दस साल की सज़ा में तब्दील
कर दिया गया..,टाडा कोर्ट से उम्र कैद की सज़ा पाए एड़्स के मरीज इम्तियाज़ यूनुस मियां
घावटे को जेल में जितना वक्त बिताया है,उसे ही सज़ा मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुक्त
कर दिया...
बीस साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये सभी अहम
फ़ैसले आज ही सुनाये...लेकिन ये सभी नेपथ्य में चले गए...और इन सब पर भारी पड़ा
अभिनेता संजय दत्त को लेकर सुनाया गया फ़ैसला...आर्म्स एक्ट के उल्लंघन के दोषी
संजय दत्त की छह साल की सज़ा को घटाकर पांच साल कर दिया गया...पहले जेल में काटे
गए सोलह महीने के वक्त को निकाल दिया जाए तो अब संजय दत्त को 44 महीने और जेल में
काटने पड़ेंगे...
संजय दत्त जानेमाने अभिनेता है...बहुत ही नेक इंसान रहे सुनील
दत्त के बेटे हैं...ज़ाहिर है मीडिया का सारा फोकस उनकी सज़ा पर ही रहना था... मान
लीजिए संजय दत्त का नाम इस मामले से ना जुड़ा होता...तो सोचिए सुप्रीम कोर्ट के
फैसलों को लेकर आज किस तरह की रिपोर्टिंग होती...तब संजय दत्त की जगह क्या दाउद
इब्राहिम और टाइगर मेमन को आज तक ना पकड़ पाने की हमारी सुरक्षा एजेंसियों की
नाकामी पर शिद्दत से सवाल नहीं उठ रहे होते...क्या याकूब मेमन समेत पूरे मेमन
खानदान की सीरियल ब्लास्ट में भूमिका पर ज़िरह नहीं हो रही होती...आईएसआई और दाऊद
के गठजोड़ पर क्या आसमान नहीं उठाया होता...सीरियल ब्लास्ट में जो 257 लोग मरे, जो
अपंग हुए, क्या उनके परिवारों के दर्द को बताने में कोई कसर छोड़ी जाती?
लेकिन देश की
अस्मिता से जुड़े इन सवालों की जगह अहम हो गई संजय दत्त की सज़ा...53 साल के संजय
दत्त के बचपन से लेकर उम्र के इस पड़ाव तक की हर छोटी-बड़ी बात एक ही दिन में
सुनने को मिल गई...झट से हिसाब लगाया जाने लगा कि संजय दत्त की सज़ा से फिल्म
इंडस्ट्री को कितने करोड़ का नुकसान होगा...ये यक्ष प्रश्न हो गया कि संजय दत्त के
घर पर उनसे मिलने के लिए आज बॉलीवुड या इससे बाहर की कौन-कौन सी हस्तियां
पहुंची...संजय दत्त पर दो छोटे जुड़वा बेटा-बेटी और एक जवान बेटी की ज़िम्मेदारी का
ज़िक्र किया जाने लगा...क्या ये सब इसलिए कि संजय दत्त सेलेब्रिटी हैं...ट्रायल के
दौरान उनका आचरण बहुत अच्छा रहा है...लेकिन क्या सिर्फ इसीलिए वो सहानुभूति के हक़दार
हो जाते हैं...
संजय दत्त को
सीरियल ब्लास्ट की साज़िश में किसी तरह की संलिप्तता से टाडा कोर्ट पहले ही बरी कर
चुकी थी... लेकिन आर्म्स एक्ट में संजय दत्त के दोषी होने पर अब सुप्रीम कोर्ट भी
मुहर लगा चुका है...ये हो सकता है कि संजय दत्त से लड़कपन और शेखी बधारने के चक्कर
में अवैध रूप से एक एके-56 राइफल और एक 9 एमएम पिस्टल अपने पास रखने का गुनाह
हुआ...ये हथियार उसी खेप के साथ भारत आए थे, जिसे सीरियल ब्लास्ट में इस्तेमाल
किये जाना था...ये माना जा सकता है कि संजय दत्त को सीरियल ब्लास्ट की साज़िश का
कुछ पता नहीं था...लेकिन बुरे लोगों से जान-पहचान भी किस तरह ज़िंदगी को नर्क बना
सकती है, ये संजय दत्त से बेहतर अब और कौन जानता होगा...संजय दत्त ने अपने
कबूलनामे में खुद दुबई में एक बार दाऊद इब्राहिम से मुलाकात की बात मानी थी...अब
मान लीजिए संजय दत्त की जगह किसी आम आदमी ने ये सब कुछ किया होता...तब क्या उसके
लिए भी हमारा नज़रिया ऐसा ही होता...तब भी उसके लिए क्या कोई अफ़सोस जता रहा
होता...
ज़ाहिर है,
संजय दत्त को जो सज़ा दी गई, वो सबूतों को परखने के बाद दी गई...बीस साल बाद ही सही
संजय को अपने किए का अंजाम भुगतना पड़ा...ऐसे में जॉली एलएलबी फिल्म में जज बने
सौरभ शुक्ला का एक डॉयलॉग सटीक बैठता है...क़ानून अंधा होता है, जज नही...जज को सब
दिखता है...लेकिन संजय दत्त के प्रति नरमी की वक़ालत करने वाले कुछ लोग ट्विटर पर
भी आज अज़ीब कुतर्क देते दिखे...उनका सवाल था कि जब सीरियल ब्लास्ट के मुख्य
गुनहगारों- दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन को आज तक सज़ा नहीं दी जा सकी तो फिर अवैध
हथियार रखने के अपराध में संजय दत्त को सज़ा क्यों...ऐसी दलील देने वालों की अक्ल
पर बस तरस ही किया जा सकता है...
ये याद रखा
जाना चाहिए कि संजय दत्त पिछले 20 साल में डेढ़ साल से भी कम अरसे तक ही जेल
में रहे...बाकी साढ़े 18 साल में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया...कई फिल्में
प्रोड्यूस भी की...इससे करोड़ों रुपये भी कमाए...यहीं नहीं इसी अरसे में उन्होंने
दो शादियां भी कीं...दो जुड़वा बच्चों के पिता भी बने...संजय दत्त को निर्णायक
सज़ा सुनाने मे हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था को बीस साल लगे...इस दौरान डेढ़ साल
को छोड़ दें तो बाक़ी वक्त में उन्हें वो सभी करने की छूट रही जो उन्होंने करना
चाहा...ये भी नहीं भूलना चाहिए कि संजय दत्त अब तक ज़मानत पर रिहा रहे...जो ये
विलाप कर रहे हैं कि संजय दत्त के अब साढ़े तीन साल तक जेल में जाने से
प्रोड्यूसरों का करोड़ों का नुकसान होगा...तो क्या इन प्रोड्यूसरों को नहीं पता था
कि वो ऐसे शख्स पर दांव लगा रहे है जो ज़मानत पर रिहा है...जिसे ज़मानत रद्द होने
पर कभी भी जेल जाना पड़ सकता है...
विचारणीय !
जवाब देंहटाएंसही लिखा है आपने फैसले के बाद जो मुद्दे मिडिया, सोशियल में उठने चाहिये वे संजय दत्त के मामले के आगे दब गये !!
सीन में संजय दत्त के आ जाने से विश्लेषण सटीक हो गया है.
जवाब देंहटाएंशौक महंगा पड़ा ...
जवाब देंहटाएंसटीक विश्लेषण ....
जवाब देंहटाएंसही विश्लेषण है। जिस धारा में संजय का दोष सिद्ध हुआ है उस में अदालत के पास सजा को पाँच बरस से कम करने की शक्ति नहीं है। न्यायालय उसे सजा देने को पाबंद है। हाँ राज्य उसे माफ कर सकता है। प्रश्न यह भी है कि एक साधारण व्यक्ति को उस की परिस्थितियाँ देख कर माफी दी जा सकती है किन्तु क्या एक सेलेब्रेटी को भी माफी मिलनी चाहिए। इस से तो यह उदाहरण स्थापित होगा कि राज्य सेलेब्रेटीज के साथ नरमी बरतता है। अब तो संजय को चाहिए कि अपनी सजा माफ करवाने के बजाय उसे प्रसन्नता के साथ कबूल कर के पश्चाताप करे। हाँ यह हो सकता है कि जिन फिल्मों में उस के काम करने की संविदाएँ हैं उन में वह जेल में रहते हुए राज्य की अनुमति से काम करे जिस से उस में लगे लोगों और धन की हानि न हो। शेष समय में वह जेल में रहते हुए ऐसे काम करे जो समाज के लिए लाभदायक हो सकें।
जवाब देंहटाएंयह भारत की ही जनता है जो देशद्राह के अपराधी को भी हीरो बना देती है। यदि दूसरा देश होता तो एक भी व्यक्ति ऐसे लोगों की फिल्म ही देखने नहीं जाता। कल के मीडिया के आचरण पर तो रोना ही आता है कि यह हमारे देश की मीडिया है। मेरा फेसबुक स्टेटस देखें।
जवाब देंहटाएंदेर से घर आ कर टीवी ऑन किया तो लगा की वो गुजर गए, जिस तरह से उनकी जीवन गाथा को बताया जा रहा था उससे यही प्रतीति हो रहा था , बर्दास्त के बाहर था । उनका आचरण ठीक था किस बिना पर ये कहा जा रहा है , सभी को पता है की मुंबई पुलिस ने उनकी बाते टेप की थी जिसमे वो अपने एक मित्र के साथ फोन पर एक बड़े डान के साथी से बात कर रहे थे और अपनी ही कोस्टार के देर से आने की शिकायत कर रहे थे और उसे धमकाने की बात कर रहे थे , साथ ही उस डान के जीवन पर फिल्म बनाने की बात हो रही थी ,साफ था की वो कभी भी अपने जुर्म के साथियों से अलग हुए ही नहीं थी , बस बाहर से अच्छे बन गए थे दिखावे के लिए , क्या आप को नहीं पता की सुनील दत्त ने उन्हें छुड़ाने के लिए क्या क्या नहीं किया उनके पास तक गए जिनकी खबर से ही संजय दत्त पकडे गए थे और जिनके खिलाफ वो सारा जीवन राजनीति करते रहे , बेटे के लिए रखी शर्त चुनाव न लड़ने की भी मान गए , क्या उन्हें नहीं पता था की उनका बेटा अपराधी है , जीवित होते तो फिर से बेटे को छुड़ाने के लिए प्रयास कर रहे होते बिलकुल एक आम साधारण मामूली से पिता की तरह , आप उन्हें किस बात के लिए छुट दे रहे है , आप जिस मिडिया को संजय दत्त को तवज्जो देने के लिए कोस रहे है वही काम आप सुनील दत्त के लिए कर रहे है ।
जवाब देंहटाएंतरस न खाओ भाई।
जवाब देंहटाएंदेश में लाखों लोगों के पास अरबों रुपया काले धन के रूप में भरा पड़ा है। लेकिन टैक्स देते हैं बेचारे सरकारी नौकर। :)
सुनील दत्त अब इस दुनिया में नही हैं इसलिए उनकी बात करना बेमानी है.संजय दत्त को तो सजा मिली पर उनके जैसा ही अपराध करने वाले इस देश में तमाम लोग हैं.उन तक भी कानून की पहुँच होनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंक्या ये सब जानने के बाद भी हमें संजय दत्त के साथ किसी तरह की हमदर्दी होनी चाहिए..
जवाब देंहटाएंnahi bilkul nahi ...hamdardi to kal kashmir main nihate jawano par jo bamb mar rahe hai unke saath hone chahiye....
jai baba banaras...
हमको तो लगता है कि संजय दत्त के बाद सलमान खान जी को भी जोली एलएलबी देखने समझने का जोगाड कर देना चाहिए :)
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