सेक्सी कहने पर हंगामा क्यूं है बरपता ...खुशदीप ​

1994 में करिश्मा कपूर और गोविंदा की फिल्म खुद्दार में एक गाने के बोल थे​- सेक्सी, सेक्सी, सेक्सी मुझे लोग बोलें, हाय सेक्सी हेलो सेक्सी क्यूं बोले...गाने पर बवाल हुआ...सेंसर बोर्ड को दखल देना पड़ा...और गाने में सेक्सी को हटा कर बेबी कर दिया गया...खैर ये तो रही 18 साल पहले की बात...तब से अब तक गंगा-जमुना में बहुत पानी गुज़र गया है...अब सेक्सी कहना बुरी बात नहीं रहा..बल्कि इसे तो लड़कियों और महिलाओं को काम्पलिमेंट की तरह लेना ​चाहिए...ये मैं नहीं कह रहा बल्कि अपने देश के महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा कह रही हैं...​

 ममता शर्मा 

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जयपुर में 25 फरवरी को एक जैन संस्था की महिला शाखा के कार्यक्रम से रू-ब-रू ममता शर्मा ने जो कुछ कहा, उसका लबोलुआब यही था कि अगर सड़क पर कोई रोमियोछाप लड़का किसी लड़की को सेक्सी कहता है तो उसे बुरा नहीं मानना चाहिए...बकौल ममता शर्मा अगर लड़कों का समूह सेक्सी कह कर छेड़ता है तो भड़कना नहीं चाहिए, न ही पुलिस में शिकायत के लिए जाना चाहिए बल्कि इसे सकारात्मकता के साथ लेना चाहिए...​
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​ममता जी ने आगे आज के संदर्भ में सेक्सी की व्याख्या भी की है..सेक्सी का मतलब होता है बला की खूबसूरत और दिलकश...अगर कोई ऐसा कहता है तो उसे स्पोर्टिंगली लिया जाना चाहिए...उनका मतलब वो नहीं होता जो आप समझती हैं...अगर आप इसे दूसरी तरह लेकर नाराज़गी दिखाती हैं तो इससे झगड़े की नौबत आ जाती है...ममता जी ये बोल रही थीं और हाल में बैठी महिलाओं और लड़कियों को कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था...​

राजस्थान  बीजेपी की उपाध्यक्ष सुमन शर्मा ने इस बयान को भारतीय संस्कृति और मूल्यों के ख़िलाफ़ बताया है.. ​कुछ महिला संगठनों ने ममता शर्मा के बयान को नारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए उनसे इस्तीफ़े की मांग की है...इन संगठनों का कहना है कि इस तरह के बयानों से सड़कों पर शोहदे किस्म के तत्वों को बढ़ावा मिलेगा और लड़कियों-महिलाओं की परेशानी बढ़ेंगी...साथ ही ये बयान सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के भी ख़िलाफ़ जाता है...विशाखा बनाम राजस्थान सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि कोई भी शाब्दिक या गैर शाब्दिक इशारा, जिस पर   सुनने वाले को ऐतराज़ हो या उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हो तो उसे यौन-उत्पीड़न ही माना जाएगा...


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​खैर ये तो रही ममता शर्मा के बयान की बात...लेकिन महानगरों की पेज थ्री संस्कृति में वाकई सेक्सी शब्द को काम्पलिमेंट की तरह ही लिया जाता है...कुछ साल पहले आई अमिताभ बच्चन की फिल्म चीनी कम में अमिताभ एक बच्ची को सेक्सी नाम से ही बुलाते थे...लेकिन वो बिल्कुल निर्दोष और निश्चल स्नेह की अभिव्यक्ति थी...अब आप ही बताइए कि सेक्सी कहना काम्पलिमेंट है या असंसदीय अभिव्यक्ति...
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15 टिप्पणियाँ
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  1. यह तो कहने वाले की नियत और मंशा पर निर्भर करता है । यदि छेड़खानी करने के इरादे से कहा गया है तो निश्चित ही निंदनीय है । वैसे भी सेक्सी कमेन्ट दो प्यार करने वालों के बीच ही सही लगता है ।

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  2. क्या और शब्द मर गये हैं जो इसी एक शब्द के आसरे सुंदरता की प्रशंसा की जाय। राह चलते सेक्सी सेक्सी कहने वाले अपराधी हैं। मुझे नहीं लगता कि सहजता से इसे स्वीकार कर लिया जायेगा।

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  3. सेक्सी कहने में कोई बुराई नहीं अगर कॉम्प्लीमेंट के तौर पर कहा गया हैं

    अगर भावना गलत हैं तो इससे बुरा शब्द नही !!!

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  4. Raj Bhatia said on google +

    हमारे देश मे धीरे धीरे सब जायज हो जायेगा, फ़िर आप सडक के किनारे भरे बाजार मे भी(वो) करे किसी को एतराज नही होगा..... मेरा देश महान जो हे...हे भगवान जब तु अकल बांट रहा था तब यह सब कहा थे? जो सिर्फ़ दुसरो कि नकल कर रहे हे, अपनी अक्ल से काम नही कर रहे...

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  5. अगर कोई अपनी माँ, बहन, बेटी, बीवी के बारे में भी ऐसा सुनने का माद्दा रखता है तो उसके लिये ’काम्प्लिमेंट’ लेकिन हम जैसे कुछ पिछड़े हुये तो इसे अशोभनीय अभिव्यक्ति ही मानेंगे।
    तेजी से फ़लती फ़ूलती पेज थ्री संस्कृति धीरे धीरे हमारी मेंटल कंडीशनिंग ऐसी कर देगी कि ये सब सहज लगने लगेगा।

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  6. ये दो करीबी के बीच सही लग सकता है मगर कोई अनजान कहे तो शायद कि‍सी भी महि‍ला को बुरा ही लगेगा।

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  7. फिल्‍मों में तो सबकुछ जायज है, लेकिन घरों में नहीं। हर शब्‍द का अर्थ होता है, और उस शब्‍द को उसी संदर्भ में प्रयोग करना चाहिए।

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  8. सेक्सी शब्द दुनिया के कई हिस्सों में अब सुन्दरता के काम्प्लीमेंट के रूप में आम तौर पर बोला जाने लगा है -भारत में अभी भी इस शब्द को लेकर चिहुंक बनी हुयी है -जिस परिप्रेक्ष्य में इसे उद्धृत किया गया था कतई असंगत नहीं था ....मगर मोहतरमा बुद्धिमान हैं माफी मांग कर मामले को सलटा लिया -पाखंडियों के देश में इतना बुद्धि -चातुर्य होना ही चाहिए!

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  9. सीधी और स्पष्ट बात ,जिन्हें ऐसे शब्द बोलने/सुनने का शौक हो वो अपने घर से शुरू करें ,अपनी सोच और तथाकथित आधुनिक विचारों को समाज पर न थोपें

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