नया रोज़गार ढूंढ लिया है मैंने |
इस सीरीज़ के बाद बीसीसीआई को फ़ैसला लेना चाहिए कि सिर्फ देश में ही सीरीज़ खेला करेगा...विदेश दौरा करेगा भी तो ज़िम्बाबवे, बांग्लादेश जैसे देशों का...ऐसे में रिकार्ड हमेशा चोखा ही रहेगा...
धोनी को कभी ब्रेक नहीं देना है...धोनी खुद ही स्लो रेट के चलते हर सीरीज़ में दो-तीन ब्रेक (सस्पेंशन) तो ले ही लेते हैं...
सचिन तेंदुलकर के महाशतक में देरी से उनके प्रशंसक निराश न हो..सचिन का पुत्र अर्जुन भी जल्दी टीम इंडिया में होगा, दोनों मिलकर तो महाशतक बना ही देंगे...
अब टीम इंडिया को ज़रूरत है तो बस इस कोच की...
अब जाने भी दीजिये... हॉकी की बात करते हैं अब.. :)
जवाब देंहटाएंरेप्युटेशन तो गई ---
जवाब देंहटाएंअब ४० ओवरों में ३२१ कैसे बनायेंगे ?
देखते हैं..
जवाब देंहटाएंअब जाने भी दीजिये... हॉकी की बात करते हैं अब.. :)(प्रतीक माहेश्वरी से साभार )
जवाब देंहटाएंवर्ल्ड कप की तरह मेरा टोटका फिर काम कर गया...फीनिक्स की तरह टीम राख से उठ कर टीम इंडिया ने कमाल कर दिखाया...कोहली के घर होली बनती है...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
कभी ऐसा टोटका भी हो जाये कि साम्प्रदायिक राजनीति और भ्रष्टाचार, छुआ-छूत, शोषण सब खत्म हो जायें. बधाई हो.
जवाब देंहटाएंचलिए आखिर बन ही गए !
जवाब देंहटाएंमैं तो धन्यवाद करना चाहता हूँ धोनी, सचिन, सहबाग और टीम इंडिया के अन्य खिलाड़ियों का यदि वे इस सिरीज में इतना अच्छा न खेलते तो भारतीय हॉकी की और किसी का ध्यान ही नहीं जाता।
जवाब देंहटाएंयही कोच चाहिए ..
जवाब देंहटाएंबड़ा दुःख दीना ....
ऐसे कोच तो आजकल स्कूल्स में भी नहीं है !
जवाब देंहटाएंअसली बात द्विवेदी सर ने कह दी । जय हो
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी से सहमत।
जवाब देंहटाएंअब तो पिता और पुत्र दोनों मिलकर ही शतक पूरा करेंगे। हा हा हाहा। अजी खेल हैं, हम भारतीय ऐसे ही लड़ते-झगड़ते खेलते हैं।
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