हर साल सितंबर आता है...साथ ही हिंदी के लिए हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा जैसे कार्यक्रम करने की याद सबको आ जाती है...सरकारी-गैर सरकारी उपक्रमों में राजभाषा को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजन किए जाने लगते हैं...बरसों से ये रस्मी अनुष्ठान चले आ रहे हैं लेकिन क्या इनसे वाकई हिंदी का भला होता है...एक तो सरकारी विभागों में इतनी क्लिष्ट हिंदी का प्रयोग होता है कि आम आदमी के सिर के ऊपर से ही गुज़र जाती है...जब तक इसे आम बोलचाल की भाषा की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, तब तक हिंदी के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य में सफल नहीं हुआ जा सकता...
ऐसे में मुझे लगता है कि हिंदी के प्रचार प्रसार में ब्लॉग ने थोड़े वर्षों में जो योगदान देश-विदेश में दिया है, वो सराहनीय है...हिंदी दिवस या हिंदी पखवाड़े के रूप में सरकार की बरसों से की जा रही रस्म अदायगी कुछ सरकारी बजट को ही किनारे लगा देने की कवायद बन कर ही रह गई है...
लेकिन देश में कुछ संस्थाएं या व्यक्ति हैं जिन्होंने वास्तव में हिंदी के लिए अच्छा काम किया या कर रहे हैं...ऐसे ही एक विद्वान थे...कानपुर के दुर्गा प्रसाद दुबे...1928 से लेकर 1959 तक हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने अनुकरणीय कार्य किया...उन्हीं की स्मृति में पिछले तीस साल से हर साल कानपुर में हिंदी सेवियों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन होता है...पंडित के ए दुबे पद्मेश दुबे की ओर से 2 सितंबर को इस साल आयोजित किए गए कार्यक्रम में 22 हिंदीसेवियों को सम्मानित किया गया...
ब्लॉगजगत के लिए खुशी की बात है कि सम्मानित होने वाले इन मनीषियों में रसबतिया ब्लॉग की संचालक सर्जना शर्मा का नाम भी शामिल रहा...उनके साथ तमिलनाडु, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में हिंदी के विकास के लिए महत्ती योगदान देने वाले विद्वान भास्कर गेंटी और कानपुर के हिंदी अध्यापक पंडित रामकिशोर शुक्ल को भी सम्मानित किया गया...
सर्जना शर्मा इलैक्ट्रोनिक मीडिया की वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते मीडिया जगत में भी हिंदी भाषा के कार्यक्रमों के प्रसारण, सनातन संस्कृति पर्व, उत्सव और धर्म पर आधारित कार्यक्रमों को सही रूप में दर्शकों तक पहुंचाने के लिए विशेष योगदान दे रही हैं...इस कार्यक्रम में ऐसे 19 छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने बोर्ड इम्तिहान में हिंदी में नब्बे फीसदी से ज़्यादा अंक प्राप्त किए...पुरस्कार के रूप में साढ़े ग्यारह हज़ार रुपये, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए...इस संस्था की ओर से अब तक 480 हिंदी सेविओं को सम्मानित किया जा चुका है...इनमें जानेमाने कवि नीरज और शैल चतुर्वेदी के नाम भी शामिल रहे हैं...
ऐसे में मुझे लगता है कि हिंदी के प्रचार प्रसार में ब्लॉग ने थोड़े वर्षों में जो योगदान देश-विदेश में दिया है, वो सराहनीय है...हिंदी दिवस या हिंदी पखवाड़े के रूप में सरकार की बरसों से की जा रही रस्म अदायगी कुछ सरकारी बजट को ही किनारे लगा देने की कवायद बन कर ही रह गई है...
लेकिन देश में कुछ संस्थाएं या व्यक्ति हैं जिन्होंने वास्तव में हिंदी के लिए अच्छा काम किया या कर रहे हैं...ऐसे ही एक विद्वान थे...कानपुर के दुर्गा प्रसाद दुबे...1928 से लेकर 1959 तक हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने अनुकरणीय कार्य किया...उन्हीं की स्मृति में पिछले तीस साल से हर साल कानपुर में हिंदी सेवियों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन होता है...पंडित के ए दुबे पद्मेश दुबे की ओर से 2 सितंबर को इस साल आयोजित किए गए कार्यक्रम में 22 हिंदीसेवियों को सम्मानित किया गया...
ब्लॉगजगत के लिए खुशी की बात है कि सम्मानित होने वाले इन मनीषियों में रसबतिया ब्लॉग की संचालक सर्जना शर्मा का नाम भी शामिल रहा...उनके साथ तमिलनाडु, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में हिंदी के विकास के लिए महत्ती योगदान देने वाले विद्वान भास्कर गेंटी और कानपुर के हिंदी अध्यापक पंडित रामकिशोर शुक्ल को भी सम्मानित किया गया...
सर्जना शर्मा इलैक्ट्रोनिक मीडिया की वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते मीडिया जगत में भी हिंदी भाषा के कार्यक्रमों के प्रसारण, सनातन संस्कृति पर्व, उत्सव और धर्म पर आधारित कार्यक्रमों को सही रूप में दर्शकों तक पहुंचाने के लिए विशेष योगदान दे रही हैं...इस कार्यक्रम में ऐसे 19 छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने बोर्ड इम्तिहान में हिंदी में नब्बे फीसदी से ज़्यादा अंक प्राप्त किए...पुरस्कार के रूप में साढ़े ग्यारह हज़ार रुपये, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए...इस संस्था की ओर से अब तक 480 हिंदी सेविओं को सम्मानित किया जा चुका है...इनमें जानेमाने कवि नीरज और शैल चतुर्वेदी के नाम भी शामिल रहे हैं...
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जवाब देंहटाएंMubarak ho .
यह वेबसाइट
‘इस्लामिक पीस मिशन‘ Islamic Peace Mission
शांति के लिए समर्पित एक वेबसाइट
सर्जना जी को इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को इस सम्मान के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को इस सम्मान के लिए बधाई !!
जवाब देंहटाएंवाह ...सर्जना जी से मुलाकात का हाल हि में सौभाग्य मिला उन्हें इस सम्मान के लिए ढेरों बधाई.
जवाब देंहटाएंsarjana ji ko hardik baddhaiya
जवाब देंहटाएंवाह! यह तो बहुत ख़ुशी की बात है! सर्जना जी को इस सम्मान के लिए बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को इस सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनायें!!
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को बधाई, शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंउन्हें बताईएगा कि मैंने नई ई-मेल आईडी अपना ली है
सर्जना जी को बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबधाई बधाई बधाई....बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
सर्जना जी को इस सम्मान के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह! यह तो बहुत हर्ष की बात आपने है बताई
जवाब देंहटाएंसर्जना जी,को मेरी भी बहुत बहुत हार्दिक बधाई.
सर्जना जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंसर्जना शर्मा को बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसर्जना शर्मा को बधाई ...मगर आपकी भूमिका के कुछ अंश पर मेरी आपत्ति भी है -यह सही है कि कार्यालयों और शासनादेशों की भाषा दुरूह होती है मगर हमेशा आम आदमी की बोलचाल भाषा के आधार पर ही हिन्दी का मूल्यांकन उचित नहीं है -हिन्दी विद्वानों की विद्वानों के लिए भी एक भाषा है और उसे जबरदस्ती बोलचाल की भाषा तक लाये जाने का कोई औचित्य नहीं है -दृश्य मीडिया ने हिन्दी को जन जन तक तो जरुर पहुंचाया है मगर उसने भाषा का बड़ा कबाड़ा भी किया है -हर काम -बौद्धिक विमर्श बोलचाल की ही भाषा में ही क्यों हों? दरअसल अक्सर बोलचाल की भाषा की पैरोकार वे ज्यादा लोग हैं जिन्हें हिन्दी की अन्तर्निहित क्षमताओं का ज्ञान नहीं है .....
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसर्जनाजी को बहुत बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को बहुत-बहुत शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंसर्जना शर्मा जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंस्नेह पगे बधाई संदेशों के लिए आप सभी की मैं दिल से आभारी हूं । सम्मान पाने की खुशी में आपसे मिल रहे बधाई संदेश सोने पर सुहागे से लग रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी को इस सम्मान के लिये हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
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