देश में सब कुछ भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ गया है...कुछ लोग हैं जो तमाम दुश्वारियों के बावजूद अच्छा काम किए जा रहे हैं...मेट्रोमैन ई श्रीधरन, नारायण ह्रदयालय वाले डॉ देवी प्रसाद शेट्टी और none other then पीपुल्स प्रेज़ीडेंट डॉ एपीजे अब्दुल कलाम...
कलाम साहब से किसी समारोह में पूछा गया कि आप आदमी की ज़िंदगी में जन्मदिन को कैसे परिभाषित करेंगे..
डॉ कलाम का जवाब था...
जन्मदिन पूरी ज़िंदगी का एक मात्र दिन होता है जिस दिन बच्चे को रोता देखने के बावजूद मां मुस्कुराती है...
कलाम साहब सैल्यूट...Long Live
स्लॉग ओवर...
ये प्रमाणित हो गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज़्यादा नहीं बोलतीं...खामख्वाह महिलाओं को इस मामले में बदनाम किया हुआ है...
औसतन दोनों ही प्रति दिन 10.000 शब्द बोलते हैं...
बस इतना फ़र्क है कि पुरुष सारे शब्द अपने काम के दौरान बोल आता है...और जब घर आता है तो महिला अपने सारे शब्द एक साथ इस्तेमाल करना शुरू करती हैं...
(अपवाद- जहां महिलाएं काम पर जाती हैं और पुरुष घर पर रहते हैं...)
इससे सच्चा-खूबसूरत पहले कुछ नहीं सुना...खुशदीप
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शनिवार, जनवरी 08, 2011
सुबह आप की खेर नही.... अभी तो सब सो रही हे ...:)
जवाब देंहटाएंमजेदार।
जवाब देंहटाएंचाचा कलाम को हमारा भी सलाम !
जवाब देंहटाएंजय हिंद !
काम के वक्त भी अब बोल नहीं पाता आदमी.....ऑफिस में बॉस इतना काम करवात है कि पूछो मत.....और घर में बीबी इतने शब्द बोलती है एक साथ कि जबतक समझ में आए अगला दिन हो जाता है।
जवाब देंहटाएं.
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अपनी नहीं गुलामों यानि शादीशुदा लोगो की बात कर रहा हूं..हाहाहाहाहाहा
य.
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ये रिसर्च शादीशुदा लोगो पर की गई होगी...
हा हा हा बेहतरीन
जवाब देंहटाएंइस अँधेरे में भी कुछ दीप टिमटिमा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंहम तो सिर्फ अदालत में बोलते हैं जी, अदालत के बाहर तो मुवक्क्लों से और घर पर पत्नी से सिर्फ सुनने ही सुनने का काम है।
जवाब देंहटाएंkabhi mahilawo ke beech baith kar dekhiyega
जवाब देंहटाएंकहीं पढ़ा था-
जवाब देंहटाएंशोध परिणाम- एक आम भारतीय गृहणी का शब्द भंडार 4000 शब्दों का होता है. टिप्पणी- इतनी कम लागत और इतना बड़ा कारोबार.
लगता है आपको भाभी जी से डर नहीं लगता है??? :-) :-) :-)
जवाब देंहटाएंअरे बेचारा आदमी तो बोल ही कहाँ पाता है? इसी दुख से तो पहुंच जाता है यार-दोस्तों के बीच, गम गलत करने और फिर घर आकर बोलता है। बड़ा कमजोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी।
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंयदि बॉस महिला हो तो बेचारा पुरुष कहाँ जाए ?
जवाब देंहटाएंहा हा हा……………
जवाब देंहटाएंdeदेश बचा हुआ है वो ऐसी ही चंद हस्तियों के कारण...आपने उन्हें स्मरण कर बहुत अच्छा और नेक काम किया है वर्ना अच्छे लोगों को आजकल कौन पूछता है...स्त्रियों के बोलने वाली बात को पढ़ कर अभी तक हंस रहा हूँ...
जवाब देंहटाएंनीरज
बात तो सही ही लग रही है...वैसे अपनी श्रीमती जी से पूछ लूँ तो कोई हर्ज तो नहीं है?
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट !!
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