कल लैपटॉप की बैट्री और एडॉप्टर दोनों एक साथ बेवफा हो गए...आज दोनों को रुखसत कर बैट्री और एडॉप्टर के नए नवेले जोड़े को घर लाया हूं...तभी आप से मुखातिब हो पा रहा हूं...वहीं से शुरू करता हूं जहां छोड़ा था...कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में हाथ बंटाने के लिए सेना को बुला ही लिया गया...यह शायद हमारे राजनीतिक नेतृत्व की फितरत में शामिल हो गया है, पहले भ्रष्टाचार, काहिली या सियासी नफ़े-नुकसान के फैसले लेकर इतना रायता फैला दो कि त्राहि-त्राहि मच जाए...और जब सभी हाथ खड़े कर दें तो संकट-मोचक के तौर पर सेना को याद करो...ऑपरेशन ब्लू स्टार, कश्मीर, पूर्वोत्तर जहां जहां भी आग बेकाबू हो जाए तो उसे बुझाने की गर्ज़ से सेना को झोंक दो...
कॉमनवेल्थ गेम्स को आठ दिन बचे हैं...गेम्स के सबसे बड़े आकर्षण जवाहरलाल नेहरू स्टे़डियम के बाहर साढ़े दस करोड़ की लागत से बन रहा फुटब्रिज गिरने के बाद बड़े से बड़े कॉन्ट्रेक्टर ने भी तौबा कर ली कि इतने कम वक्त में नया फुटब्रिज बनाकर नहीं दिया जा सकता...मरता क्या न करता...सरकार को सेना का ही सहारा लेना पड़ा...सेना बैली पुल का निर्माण पांच दिन में कर देगी...ये वैसा ही पुल होगा जैसे दुर्गम इलाकों में नदी वगैरहा को पार करने के लिए अस्थायी पुल बनाए जाते हैं...प्रायोजन खत्म होने के बाद ऐसे पुलों को समेट लिया जाता है...अब सवाल यहां उठता है कि इतने साल सरकार जो नहीं कर पाई वो चाहती है कि सेना पांच दिन में ही पूरा कर दे...पहले साढ़े दस करोड़ गए पानी में....अब सेना जो अस्थायी पुल बनाएगी, उस पर खर्च अलग आएगा....बलिहारी जाऊं सरकार की सोच और काम करने के अंदाज़ पर...
मुसीबत के वक्त सेना को ही आगे आना है तो फिर क्यों नहीं सरकार संभालने की ज़िम्मेदारी भी सेना को ही दे दी जाती...
हमारे देश की सेना दुनिया में सबसे ज़्यादा अनुशासित है...ये बात संयुक्त राष्ट्र भी अपने शांति मिशनों के दौरान मान चुका है...लेकिन इस अनुशासित सेना को सैनिक कार्यों के लिए ही रहने दिया जाए तो ज़्यादा बेहतर है...आप सेना को जितना नागरिक कार्यों में झोंकेंगे , उतना ही सेना में भी भ्रष्टाचार का कीड़ा आने की संभावना रहती है...सप्लाई-खरीद जैसे कामों में रिश्वतखोरी के आरोपों के घेरे में हाल में सेना के कई अधिकारियों के नाम आ चुके हैं...सेना को उसी काम के लिए रहने दिया जाए, जिसके लिए उसे बनाया गया है...सरहद की हिफ़ाज़त के लिए...
कॉमनवेल्थ के गड़बड़झाले को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने ऐन मौके पर कमान संभाली है...ये वही मनमोहन सिंह जी हैं जिन्होंने कुछ ही दिन पहले अपनी कैबिनेट को नेहरू जी की कैबिनेट से ज़्यादा एकजुट बताया था... कितनी एकजुट है वो इसी बात से पता चल जाता है कि सुरेश कलमाडी एंड कंपनी की कारस्तानियां उजागर होने के बाद सिर्फ खेल मंत्री मनोहर सिंह गिल और शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड़्डी की ओर ही मुंह उठाकर ताका जाता रहा कि वो चमत्कार कर देंगे और कॉमनवेल्थ गेम्स शानदार ढंग से निपटेंगे...ये दोनों मंत्री भी ठोस कुछ करने की जगह हवा में ही तीर चलाते रहे...इन दोनों मंत्रियों को छोड़ दीजिए, बाकी और किसी ने भी कौन सा कद्दू में तीर चला लिया...दुनिया में साख का सवाल हो तो क्या पूरी कैबिनेट की ये ज़िम्मेदारी नहीं बन जाती...लेकिन यहां आगे बढ़ कर स्वेच्छा से ज़िम्मेदारियां संभालना तो दूर कई मंत्री कॉमनवेल्थ पर हायतौबा मचने के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया कर रहे हैं...
याद कीजिए कॉमनवेल्थ के सुर्खियां बनने से पहले शरद पवार किस तरह चारों तरफ से निशाना बने हुए थे...महंगाई डायन के डसने से जनता मरी जा रही थी और कृषि मंत्री पवार के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी...पवार पहले आईपीएल और अब आईसीसी का ही खेल खेलते रहे...लेकिन अब जाकर पवार को चैन मिला है...मीडिया का सारा फोकस कॉमनवेल्थ की खामियां ढूंढने पर है, पवार को कोई नहीं छू रहा...थोड़े दिन बाद अच्छी बारिश का नतीजा फसलों पर भी दिखने लगेगा...पवार कह सकेंगे कि उन्होंने महंगाई पर काबू पाकर दिखा दिया...
कॉमनवेल्थ से संचार मंत्री ए राजा को भी बड़ा सुकून मिला है...हजारों करोड़ के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए राजा का नाम आने के बाद सुप्रीम कोर्ट भी सवाल उठा चुका है...राजा भी खुश हैं कि कॉमनवेल्थ के ज़रिए उन्हें अपने बचाव का रास्ता ढूंढने के लिए अच्छा खासा वक्त मिल जाएगा...
गृह मंत्री के नाते चिदंबरम के लिए नक्सली समस्या को लेकर सवालों का जवाब देना भारी हो रहा था...लेकिन अब सारे सवाल कॉमनवेल्थ पर आ टिके हैं...चिदंबरम से न कोई नक्सली समस्या और न ही कश्मीर के हालात को लेकर सवाल पूछ रहा है...
पिछले कुछ महीनों में देश ने कई रेल हादसे देखे हैं...लेकिन रेल मंत्री ममता बनर्जी निश्चिंत होकर पूरी ऊर्जा मिशन बंगाल पर लगा रही हैं...जाहिर है कॉमनवेल्थ की गफ़लत के पीछे ममता बनर्जी की सारी कमज़ोरियां भी छिप गई हैं...
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा पेट्रोल की कीमतों को खुले बाज़ार के आसरे छोड़ चुके हैं...पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई रॉकेट की तरह ऊपर चढ़ी...लेकिन देवड़ा पर निशाना साधने वाला कोई नहीं है...सारे तीर कॉमनवेल्थ पर ही जो दागे जा रहे हैं...
अब कैबिनेट की ये कैसी एकजुटता है ये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही बेहतर बता सकते हैं...
(कल की कड़ी में बताऊंगा खेलों को लेकर राजीव गांधी और राहुल गांधी की एप्रोच का फर्क)
क्रमश:
लोग भी बेवकूफ है जब चुनाव होंगे तो फिर इन्हें ही वोट दे देंगे
जवाब देंहटाएंसटीक विश्लेषण। शरद पंवार जी तो कल बडे खुश थे और कलमाडी एण्ड कम्पनी का मजाक उडा रहे थे। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे कह रहे हो कि दुनिया वालों देखो, मैंने आधे भारत को चाट खाया, कुछ नहीं हुआ और इनसे एक चौथाई भी नहीं खाया गया? हा कमजोर मंत्री।
जवाब देंहटाएंबहुत सही!
जवाब देंहटाएंरिश्वत देकर जिन खेलों के आयोजन का जिम्मा लिया गया उनके आयोजन में रिश्वत जमकर कमाई गयी. जितना धन इन राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में बर्बाद किया गया है अगर उसका एक चौथाई भी भारतीय खिलाडियों को तैयार करवाने में खर्च किया जाता तो वे अवश्य ही दुनिया में भारत का नाम रोशन करते. मैंने जब से होश सम्हाला है सुरेश कलमाड़ी को ओलिम्पिक कमिटी से किसी ना किसी रूप में जुड़ा देखा है. सोचिये बन्दे ने कितना कमाया होगा इस पद पर इतने वर्षो से काबिज रहकर. उसके भ्रष्ट आचार कि पोल अब जाकर खुली है. मुझे विश्वास है इस देश कि जनता कि भुलाने और माफ़ करने कि आदत पर और मैं ये भविष्यवाणी करना चाहता हूँ कि राष्ट्रमंडल खेलों के उपरांत माननीय सुरेश कलमाड़ी जी को भारतीय खेल जगत में उनके अमूल्य योगदान के लिए महा माननीय सोनिया गाँधी जी के हाथो पदम् श्री या ऐसा ही कोई पुरष्कार अवश्य ही मिलेगा.
जवाब देंहटाएंमेरी बातें आपकी पोस्ट से थोडा हटकर हैं पर क्या करूँ राष्ट्रमंडल खेलों के नाम पर जब भी कोई बात होती है तो इस तरह के विचार ही मन में आते हैं.
कार्टून बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद।
खूब माल उडाया........
जवाब देंहटाएंखुद भी खाया और
यारों को भी खिलाया.
हून, सरदार जी सर ते हथ रख कर रोण, पर कुज नी होन वाला.
ईमान दार के यार सभी बेईमान.... यह केसा ईमानदार जी?
जवाब देंहटाएंधीरू भाई,
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचारियों का कमाल ही है कि शेरा के खून की एक-एक बूंद भी निचोड़ कर पी गए...
जय हिंद...
जब कर्रप्शन को नेसनलाज़ कर दिया तो डरना क्या :)
जवाब देंहटाएंसेना का हाल तो इन लोगो ने बुरा कर ही दिया है। करगिल रिपोर्ट दबी पड़ी है। सेना का राशन खाने के लिए मेजर जनरल नप चुके हैं।बस ये दुआ करें कि इन हरामखोरों की नजर सेना पर पूरी तरह से न पड़ जाए।
जवाब देंहटाएंकलमाड़ी को कोसने से क्या होगा। जब कुएं में ही भांग पड़ी हुई है। दिल्ली नगर निगम, डीडीए दुनिया के सबसे भष्ट विभाग करार दिए जा चुके हैं। इनके अधिकारी जो खापी के मोटे हो गए हैं उन पर तो किसी की नजर ही नहीं पड़ रही न ही उन हरामखोरो का नाम ठीक से सामने आ पाया है।
सरकार चलाने में बुराई नही है
चलाने वालों मे मक्कारी है।
बेहतरीन लेखन के बधाई
तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
bada gam chota gam ko khatam kar deta hai.
जवाब देंहटाएंaap ki baat sahi hai .
आपकी कैबिनेट कैसी चल रही है ...खुशदीप भाई !
जवाब देंहटाएंकल मेरा छोटा बेटा जो पाँचवी में पढता है..वो मुझसे पूछने लगा कि..."पापा..जब इनसे कोई काम ठीक से नहीं होता तो ये गेम्ज़ क्यों करवा रहे हैं?"...
जवाब देंहटाएंमैंने पूछा कि..."क्यों?...क्या हुआ?"..
तो उसने जवाब दिया कि..."अभी स्टेडियम ठीक से बने नहीं हैं और पुल भी टूट गया...सारे...पैसे खुद खा गए"...
कहने का मतलब ये कि बच्चे-बच्चे को पता है कि इस खेल के जरिये क्या-क्या कारगुजारियां की जा रही हैं?
हम लोग मार्शल ला की बुराई करते हैं लेकिन मेरे ख्याल से जिस हिसाब से हमारे देश की हालत चल रही है...यहाँ वही ठीक है यहाँ भ्रष्टाचार..ऊपर से नीचे तक इस तरह फैला हुआ है कि इसे मौजूदा सिस्टम के चलते समूल जड़ से उखाड़ फैंकना नामुमकिन है और इसे खत्म किए बिना हमारे देश का उद्धार नहीं हो सकता...
हम लोग लातों के ऐसे भूत हैं जो बातों से नहीं मानने वाले ...मिलेट्री राज ही इन भ्रष्टाचारी ...दुराचारी और कपटाचारी लोगों के सीने में खौफ भर...इन्हें सॉरी बोलने पे मजबूर कर सकता है ...
sochane par majboor karatee post .Hamare neta to sabhee pakkee chamadee ke hai kuch asar nahee hota.......sabhee ek hee htailee ke chatte batte hai........
जवाब देंहटाएंसेना की सहायता से पुल तो बन जाएगा पर अभी भी बहुत कुछ राजनीतिज्ञ लोगों द्वारा ही बने हैं कही बाद में उधर कुछ गड़बड़ हुआ तो क्या होगा..सेना कहाँ कहाँ हाथ बताएगी ..सरकार को बस पैसे फेकना आता है....बढ़िया पोस्ट...बधाई
जवाब देंहटाएंमैं तो कहती हूँ कि साल मे एक माह पूरी सरकार को छुट्टी होनी चाहिये और ैतने समय के लिये सेना के हवाले देश को कर देना चाहिये। साल भर का कूडा साफ हो जायेगा तो अगले साल इसी डर से सम्भल कर चलेंगे। देखा नही अनिल कपूर ने एक दिन मे फिल्म मे क्या कुछ कर दिखाया। काश असल लाईफ मे भी कोई अनिल कपूर जैसा आ जाये। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअब पता चला खुशदीप सहगल को गुस्सा क्यों आता है ?
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